Food & Eating habits (भोजन पकाने तथा भोजन करने का नियम)
हमारे पूर्वजों द्वारा भोजन बनाने तथा भोजन करने के कुछ नियम बनाये गए हैं, जिसके बारे में "राजीव दीक्षित जी" ने अपनी किताब "भारतीय चिकित्सा" में उल्लेख किया है। तो चलिए जानते हैं "भोजन बनाने तथा भोजन करने के नियम"
भोजन पकाने तथा भोजन करने का नियम:-
आज हम यहां कुछ ऐसे नियमों की बात करेंगे, जिसे बहुत लोग जानते भी नहीं और जो जानते भी हैं वह इसका पालन नहीं करते। यह भी कह सकते हैं कि हम आधुनिक चीजों के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि इनको छोड़ पाना हमारे लिए मुश्किल हो गया है।
भोजन पकाने का नियम:-
- भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश तथा पवन का स्पर्श मिलना चाहिए, जिससे भोजन पकाते समय अधिक से अधिक प्राणवायु (ऑक्सीजन) भोजन द्वारा शोषित हो और वह भोजन शरीर के लिए लाभदायक हो। यह तभी संभव है जब भोजन किसी खुले बर्तन में बने, प्रेशर कुकर में ना बने। अर्थात हमें प्रेशर कुकर में बना भोजन नहीं करना चाहिए। प्रेशर कुकर खाने को पकाने के लिए उस पर अतिरिक्त दबाव डालता है और इस प्रकार बने भोजन में 3% माइक्रोन्यूट्रिएंट्स बचते हैं।
- भोजन पकाने के लिए एल्युमिनियम धातु से बने बर्तन का उपयोग न करें। एल्युमिनियम के बर्तन में पका खाना खाने से शरीर की प्रतिकारक क्षमता कम होती है।
- रेफ्रिजरेटर का उपयोग कम से कम करें। रेफ्रिजरेटर में कुछ गैसों का इस्तेमाल प्रकृति के नियमों के विरुद्ध तापमान कम करने में होता है, जिसको (CFC)क्लोरोफ्लोरोकार्बन कहते हैं। रेफ्रिजरेटर में रखा खाद्य पदार्थ इन तीनों जहरीले गैसों के प्रभाव में रहता है।
- अब बात यह है कि आधुनिक जीवन शैली में जबकि हम इसके इतने अभ्यस्त हो चुके हैं इस को छोड़ना बहुत मुश्किल है, परंतु इतना तो कर ही सकते हैं कि इसका इस्तेमाल कम से कम करें। पका हुआ भोजन फ्रिज में रखने से बचें।
- नमक में काला नमक और सेंधा नमक का उपयोग करें, आयोडीन नमक से बचें। सबसे ज्यादा सोडियम सेंधा नमक और काला नमक से मिलता है। आयोडीन की पूर्ति दैनिक आहार में किए गए भोजन से हो जाती है।
भोजन करने का नियम
- कोई भी भोजन पकने के 48 मिनट के अंदर उसका उपभोग कर लेना चाहिए। इसके पश्चात भोजन की पोषकता कम होने लगती है। 24 घंटे के बाद भोजन बासी हो जाता है।
- खाना खाते समय खाने को इतना चबाएं कि जितने जितने दांत हो अतः खाने को 32 बार चबाएं। ऐसा करने से मुंह की लार ज्यादा से ज्यादा पेट में जाती है और खाने को पचाने में मदद करती है। चबा चबा कर खाने से मोटापा नहीं बढ़ता है।
- बीमारियों के इलाज करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है बीमारियों से बचना इसलिए खाना खाने जितना ही महत्वपूर्ण है खाने को पचाना।
- भोजन के अंत में या बीच में पानी पीना विष पीने के बराबर है, अतः भोजन करने के 60 मिनट से 90 मिनट पश्चात ही पानी पीना चाहिए, जिससे भोजन का पाचन सही प्रकार से हो सके। ऐसा नहीं करने पर भोजन का पाचन सही ढंग से नहीं होता, जिससे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, बवासीर, मूल व्याध, भगंदर, जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
- फलों का सेवन सूर्योदय के पश्चात तथा सूर्यास्त के पहले करना श्रेयस्कर होता है।
- सुबह का भोजन सूर्य उदय से ढाई घंटे तक कर लेना चाहिए तथा रात का भोजन सूर्यास्त होते होते कर लेना उत्तम माना गया है।
- सुबह का भोजन सबसे अधिक दोपहर का उससे कम तथा रात्रि का भोजन सबसे कम करना चाहिए।
- सुबह के भोजन के पश्चात फल का जूस, दोपहर भोजन के पश्चात् छाछ तथा रात्रि भोजन के पश्चात दूध पीने का विधान है।
उम्मीद इन छोटे-छोटे नियमों का पालन करके हम खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
आवश्यकता से अधिक भोजन ना करें
अति मात्रा में लिया गया आहार तुरंत ही वात, पित्त एवं कफ, इन तीनों दोषों में प्रकोप लाता है। अतः जब भी भोजन करें उचित मात्रा में करें। राजगिरा का लड्डू, खील, चने, चावल, गेहूं आदि के भुने हुए, पोहे अथवा भूने हुए अनाज से बनाए जानेवाले पदार्थ, भूख का शमन हो इतनी मात्रा में ही खाएं।
भोजन की मात्रा तथा समय उचित हो, तो रात को सोने तक भूख नहीं लगती। इसलिए उसे उचित रखने का प्रयास करें। रात को सोने से पूर्व भूख लगे, तो उस समय चॉकलेट, तीखा, चटपटा, तले हुए पदार्थ आदि न खाएं, अच्छा रहेगा कि इस वक़्त पर दूध का सेवन किया जाये।
आहार लेने पर बिना कोई कष्ट से उसका पाचन हुआ, तो उस आहार की मात्रा उचित है, ऐसा मान लें। हम दिन में २ अथवा ३ बार आहार लेते हों, तो एक बार आहार लेने पर दूसरी बार आहार लेने तक पेट में भारीपन लगना, आलस आना, नींद आना अथवा पेट खाली लगना, तुरंत भूख लगना, थकान होना आदि किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं दिए तथा अगले आहार के समय में यथोचित भूख लगे, तो आहार की मात्रा उचित है, ऐसा माना जाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आहार की मात्रा उचित नहीं है। इसे ध्यान में लेकर उसे ठीक करने का प्रयास करें।
पाचन के लिए भारी पदार्थ, आधा पेट खाली रहे इतनी मात्रा में ही खाएं। पाचन के लिए हल्के पदार्थ मन तृप्त होने तक खाएं, परंतु अति तृप्त होने तक न खाएं। भोजन करते समय पेट के २ भागों तक ही अन्न का सेवन करना चाहिए। तीसरा भाग पानी के लिए तथा चौथा भाग वायु के लिए खाली रहना चाहिए।
अति मात्रा में लिया गया आहार तुरंत ही वात, पित्त एवं कफ, इन तीनों दोषों में प्रकोप लाता है। अतः जब भी भोजन करें उचित मात्रा में करें। राजगिरा का लड्डू, खील, चने, चावल, गेहूं आदि के भुने हुए, पोहे अथवा भूने हुए अनाज से बनाए जानेवाले पदार्थ, भूख का शमन हो इतनी मात्रा में ही खाएं।
भोजन की मात्रा तथा समय उचित हो, तो रात को सोने तक भूख नहीं लगती। इसलिए उसे उचित रखने का प्रयास करें। रात को सोने से पूर्व भूख लगे, तो उस समय चॉकलेट, तीखा, चटपटा, तले हुए पदार्थ आदि न खाएं, अच्छा रहेगा कि इस वक़्त पर दूध का सेवन किया जाये।
आहार लेने पर बिना कोई कष्ट से उसका पाचन हुआ, तो उस आहार की मात्रा उचित है, ऐसा मान लें। हम दिन में २ अथवा ३ बार आहार लेते हों, तो एक बार आहार लेने पर दूसरी बार आहार लेने तक पेट में भारीपन लगना, आलस आना, नींद आना अथवा पेट खाली लगना, तुरंत भूख लगना, थकान होना आदि किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं दिए तथा अगले आहार के समय में यथोचित भूख लगे, तो आहार की मात्रा उचित है, ऐसा माना जाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आहार की मात्रा उचित नहीं है। इसे ध्यान में लेकर उसे ठीक करने का प्रयास करें।
पाचन के लिए भारी पदार्थ, आधा पेट खाली रहे इतनी मात्रा में ही खाएं। पाचन के लिए हल्के पदार्थ मन तृप्त होने तक खाएं, परंतु अति तृप्त होने तक न खाएं। भोजन करते समय पेट के २ भागों तक ही अन्न का सेवन करना चाहिए। तीसरा भाग पानी के लिए तथा चौथा भाग वायु के लिए खाली रहना चाहिए।
🙏🙏
ReplyDeleteअत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeleteस्वस्थ और निरोगी रहने के लिए यह आवश्यक है
🙏🙏💐💐शुभदोपहर 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय श्री राम 🚩🚩🚩
👌👌👌अत्यंत उपयोगी, स्वस्थवर्धक व लाभदायक जानकारी के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
बहुत ही बेहतरीन जानकारी हमारे स्वास्थ्य वर्धक भोजन बनाने की पद्धति के लिए खूब-खूब धन्यवाद रूपा जी हर रोज आप हमारे लिए कुछ ना कुछ नया लेकर आती हो कभी-कभी तो हमें लगता है कि आप एक लेखिका नहीं एक डॉक्टरनी नहीं हो 👍👌🏻😊🙏🏻
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी प्रदान की हैं। भोजन
ReplyDeleteपकाने का नियम तो शायद ही कोई पालन कर
रहे है । भोजन करने का नियम भी कोई कोई
ही पालन कर पाते हैं । आज इंसान को दुखी
रहने का कारण भी यही है । राजीव जी की कही
बातों को अगर करें तो बहुत बीमारियों से बचा
जा सकता है। दुर्भाग्य से आज राजीव जी नहीं
हैं लेकिन उनका व्याख्यान तो उपलब्ध है। बस
एक बार उसे सुनना चाहिए🌹🙏गोविंद🙏🌹
Very nice information...
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery very important for good health.
ReplyDeleteVery very important for good health.
ReplyDeleteVery useful post..
ReplyDeleteसभी के लिए जरूरी जानकारी
ReplyDeleteहर हर महादेव
ReplyDeleteOm namah shivay
ReplyDeleteNice information
ReplyDelete