आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया
प्रस्तुत है हिंदी काव्य के समुद्र में से हरिवंश राय बच्चन जी की कविता
"माँ पर कविता"
आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया।
माँ की ऊँगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया॥
उंगलियाँ पकड़कर माँ ने मेरी मुझे चलना सिखाया है।
खुद गीले में सोकर माँ ने मुझे सूखे बिस्तर पे सुलाया है॥
माँ की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है।
हाथो से माँ के खाना खाने का जी चाहता है॥
लगाकर सीने से माँ ने मेरी मुझको दूध पिलाया है।
रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप कराया है॥
मेरी तकलीफ में मुझ से ज्यादा मेरी माँ ही रोयी है।
खिला-पिला के मुझको माँ मेरी, कभी भूखे पेट भी सोयी है॥
कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आँचल में छुपाया है।
गलतियाँ करने पर भी माँ ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है॥
माँ के चरणो में मुझको जन्नत नजर आती है।
लेकिन माँ मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है॥
- हरिवंशराय बच्चन
Happy Mother's Day 💐
ReplyDeleteHappy mother's day
ReplyDeleteरुके तो चांद जैसी है,
ReplyDeleteचले तो हवाओं जैसी है,
वह मां ही है जो धूप में भी छांव जैसी है!
हैप्पी मदर्स डे 💞
A very sweet poem by a great poet..happy Sunday..happy mother's day..
ReplyDeleteहैपी सन्डे, आज ही नहीं, रोज मुस्कराओ, मुस्कराते ही रहो.......…......
ReplyDeleteHappy Mother's day 😊💐
ReplyDeleteHappy mother's day
ReplyDelete🙏🙏🙏💐💐
ReplyDelete♥️♥️♥️माँ ♥️♥️♥️
🙏🙏🙏आपको मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 💐💐
मातृ दिवस की बधाई
ReplyDeleteCongratulations Rupa dil khush ho gya keep it up
ReplyDeleteहरिवंश राय बच्चन जी को उनकी मातृ भक्ति पूर्ण रचना के लिए शत शत प्रणाम एवम श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteNice poem..
ReplyDeleteWahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh,mast poem.
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