मिलकर काम करो
असंहता विनश्यन्ति।
परस्पर मिल-जुलकर काम न करने वाले नष्ट हो जाते हैं।
एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था। इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था। एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृत समान मधुर फल मिला। यह फल समुद्र की लहरों ने किनारे पर फेंक दिया गया था। उसे खाते हुए एक मुख बोला-ओह, कितना मीठा है, यह फल! आज तक मैंने अनेक फल खाए, लेकिन इतना स्वादु कोई नहीं था। न जाने किस अमृत बेल का यह फल है।
दूसरा मुख उससे वंचित रह गया था। उसने भी जब उसकी महिमा सुनी तो पहले मुख से कहा-मुझे भी थोड़ा-सा चखने को दे दे। पहला मुख हँसकर बोला- तुझे क्या करना है? हमारा पेट तो एक ही है, उसमें वह चला ही गया है। तृप्ति तो हो ही गई है।
यह कहने के बाद उसने शेष फल अपनी प्रिया को दे दिया। उसे खाकर उसकी प्रेयसी बहुत प्रसन्न हुई। दूसरा मुख उसी दिन विरक्त हो गया और इस तिरस्कार का बदला लेने के उपाय सोचने लगा। अन्त में, एक दिन उसे उपाय सूझ गया। वह कहीं से एक विषफल ले आया। प्रथम मुख को दिखाते हुए उसने कहा- देख! यह विषफल मुझे मिला है। मैं इसे खाने लगा हूँ। प्रथम मुख ने रोकते हुए आग्रह किया मूर्ख! ऐसा मत कर, इसके खाने से हम दोनों मर जाएँगे। द्वितीय मुख ने प्रथम मुख के निषेध करते-करते, अपने अपमान का बदला लेने के लिए विषफल खा लिया। परिणाम यह हुआ कि दोनों मुखोंवाला पक्षी मर गया।
चक्रधर इस कहानी का अभिप्राय समझकर स्वर्ण-सिद्धि से बोला- अच्छी बात है। मेरे पापों का फल तुझे नहीं भोगना चाहिए, तू अपने घर लौट जा। किन्तु, अकेले मत जाना। संसार में कुछ काम ऐसे हैं, जो एकाकी नहीं करने चाहिए। अकेले स्वादु भोजन नहीं खाना चाहिए, सोनेवालों के बीच अकेले जागना ठीक नहीं, मार्ग पर अकेले चलना संकटापन्न है; जटिल विषयों पर अकेले सोचना नहीं चाहिए। मार्ग में कोई सहायक हो तो वह जीवन रक्षा कर सकता है; जैसे कर्कट ने साँप को मारकर ब्राह्मण की प्राण-रक्षा की थी। स्वर्ण-सिद्धि ने कहा- कैसे?
चक्रधर ने यह कहानी कही-
मार्ग का साथी
To be Continued...
अच्छी कहानी
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी है
ReplyDeleteएक बढ़िया और शिक्षाप्रद कहानी
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteBahut badhiya kahani
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात है । संघे शक्ति कलियुगे।
ReplyDeleteमिलकर काम करने में ही भलाई है ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-04-2023) को "आम हो गये खास" (चर्चा अंक 4660) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच पर इस प्रविष्टि को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
Deleteबहुत अच्छी कहानी
ReplyDeleteबढ़िया और शिक्षाप्रद कहानी
ReplyDeletenice story
ReplyDeleteGood story..
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteसारगर्भित कहानी।
ReplyDeleteAchi kahani
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteBahut achhi sikh
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