राजस्थान का राजकीय/ राज्य पक्षी
"गोडावण (The Great Indian Bustard) सोनचिरैया/Sonchiriya"
राजकीय पक्षियों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज बात करते हैं, राजस्थान के राजकीय पक्षी की। इसमें कोई संदेह नहीं कि पक्षियों को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है। उनकी चहचहाहट संगीत के ध्वनियों की तरह मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित करती हैं।
राजस्थान का राजकीय पक्षी "गोडावण" है, जिसे अंग्रेजी में "द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (The Great Indian Bustard)" कहा जाता है। राजस्थान राज्य ने वर्ष 1981 में गोडावण को अपने राज्य का राजकीय पक्षी चिन्हित किया था। यह एक विशाल आकार वाला तथा उड़ने वाला पक्षी है, जो पक्षियों में सबसे भारी होता है। यह स्वभाव से शर्मिला और शांत होता है। वर्तमान परिपेक्ष में यह विलुप्त होने की कगार पर है।
"द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड" एक बड़े आकार का धरती पर पाया जाने वाला पक्षी है। इसकी गर्दन लंबी होती है और लम्बे टांगों के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा दिखाई देता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1 मीटर होती है और वजन 8 ग्राम से 14 से 14.5 ग्राम तक हो सकता है। इसकी पूँछ 13 से 15 इंच तक लंबी होती है। इसका रंग भूरा या बादामी रंग का होता है। इसके पंखों पर काले भूरे और स्लेटी रंग के धब्बे होते हैं। इसकी गर्दन सफेद पीलापन लिए हुए हल्के रंग की होती है और सिर के ऊपर काले रंग का किरीट होती है।
"द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड" अर्थात गोडावण को अन्य कई नामों से भी पुकारा जाता है। इसे सोहन चिड़िया, हुकना, गगनभेर या गुरायिन भी कहते हैं। चूँकि यह स्वभाव से शांत और शर्मिला पक्षी है, इसलिए इसे "शर्मिला पक्षी" भी कहा जाता है। डर का आभास होने पर यह हुक जैसी आवाज निकालता है। इस कारण उत्तरी भारत में इसे कई क्षेत्रों में "हुकना" भी कहा जाता है। कई बार इसको बादलों की गरज जैसी या बाघ के गर्जन जैसी आवाज निकालने के कारण "गगनभेर या गुरायिन" भी कहते हैं।
आकार में मादा गोडावण नर गोडावण से छोटी होती है। यदि नर गोडावण की लंबाई 110 से 120 सेंटीमीटर और वजन 8 ग्राम से 14.5 ग्राम तक है, तो मादा गोडावण की लंबाई 92 सेंटीमीटर से 95 सेंटीमीटर और वजन 2.5 ग्राम से 6.5 ग्राम तक होता है।
गोडावण पक्षी पहले भारत के पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में बहुतायत पाए जाते थे, परंतु वर्तमान में यह आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान में ही दिखते हैं। यह मुख्यतः भारत और पाकिस्तान में भी पाए जाते थे, पर शिकार और संरक्षण के अभाव के कारण पाकिस्तान से लुप्तप्राय हो गए हैं। 2013 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पाकिस्तान में नाममात्र के ही गोडावण शेष रह गए हैं।
गोडावण मुख्यतः शुष्क घास के मैदानों, कटीली झाड़ियों और ऊंची घास में पाए जाते हैं। सिंचित क्षेत्रों से यह दूर ही रहते हैं। यह एक सर्वाहारी पक्षी हैं, जो गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि के साथ ही बेल फल और टिड्डी जैसे कीड़े भी बड़े चाव से खाता है। इसके अतिरिक्त यह सांप, छिपकली, बिच्छू जैसे जीवों को भी बड़े आराम से खा लेता है।
वर्तमान में गोडावण विलुप्त होने के कगार पर है। राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2013 में गोडावण के संरक्षण के लिए जीआईबीपी (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रोजेक्ट) प्रारंभ किया गया था, जो 12 करोड़ 90 लाख का प्रोजेक्ट था। इसके विज्ञापन में प्रयुक्त वाक्यांश था "मेरी उड़ान ना रोकें"। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 सी के तहत गोडावण को प्रथम श्रेणी में स्थान दिया गया है। गोडावण का शिकार करने वाले को 10 वर्ष की सजा तथा ₹25000 जुर्माने का प्रावधान भी है।
अद्भुत और मनमोहक है । प्रभु की लीला प्रभु ही जाने । इतने जीव जंतुओं को इस ब्रह्मांड में प्रभु ने रचना किये हैं कि बस देखने और अनुभव करने के अलावा परमात्मा को हमेसा आभार व्यक्त करना चाहिये और जीवों पर दया तथा करुणा का भाव होनी चाहिए ।
ReplyDelete🌹🙏हे परमपिता परमात्मा🙏🌹
Good share...kitno ko to ye jankari bhi nahi hogi ki har rajy ke rajkiya pakshi bhi hote hain..
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteWow 👌👌 superb fantastic blog great information
ReplyDeleteVery Interesting
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteगोडावड राजस्थान राजकीय। पक्षी वजन केवल 8से14.5ग्राम विश्वास नहीं होता है।
ReplyDeleteहर बार लाजवाब और दुर्लभ जानकारी
ReplyDeleteदुर्लभ जानकारी
ReplyDeleteVery Nice Information रूपा ji 🙏🏻😊
ReplyDeleteInteresting 👌👌
ReplyDeleteVery nice information 👍
ReplyDelete"मेरी उड़ान ना रोकें"
ReplyDeleteबिंदास उड़िए
Nice information
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteChidiya banu udati chali...
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