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चाँद और कवि : रामधारी सिंह 'दिनकर

चाँद और कवि

रामधारी सिंह 'दिनकर'  (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को इनके काव्य की मूल-भूमि मानते हुए इन्हे 'युग-चारण' व 'काल के चारण' की संज्ञा दी गई है।

Rupa Oos ki ek Boond

'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल शृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। प्रस्तुत है इनकी कविता चाँद और कवि :

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,

आदमी भी क्या अनोखा जीव है!

उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,

और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।


जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?

मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते

और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी

चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।


आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का

आज उठता और कल फिर फूट जाता है

किन्तु, फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो?

बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।


मैं न बोला किन्तु मेरी रागिनी बोली,

देख फिर से चाँद! मुझको जानता है तू?

स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?

आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?


मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,

आग में उसको गला लोहा बनाता हूँ,

और उस पर नींव रखता हूँ नये घर की,

इस तरह दीवार फौलादी उठाता हूँ।


मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी

कल्पना की जीभ में भी धार होती है,

वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,

स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।


स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे-

रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,

रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,

स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।

- रामधारी सिंह 'दिनकर

14 comments:

  1. ATI sunder Kavita...

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  2. शुभ रविवार, शानदार लेखन👌🏻

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  3. दिनकर जी की शानदार कविता
    शुभ संध्या 🌷🌷

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  4. दिनकर की प्रेरक कविता।शुभ रविवार।

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  5. राष्ट्र कवि दिनकर जी के बारे में जितनी
    भी कही जाए कम ही होगी । एक से
    बढ़कर एक कविता ।
    बहुत ही सुंदर कविता🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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  6. नाम की तरह दिनकर भी धरती के लिए सूर्य ही थे।

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