धनतेरस (Dhanteras)
आप सब को धनतेरस पर्व की बधाई।
पवित्र कार्तिक माह में मौसम की अनुकूलता रहती है। इस मास में त्योहारों की भी धूम रहती है। इस माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस के पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस पर्व को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। धनतेरस के संबंध में एक अन्य कथा यह भी है कि
भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
कहा जाता है कि जब भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। कुछ स्थानों पर इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी परंपरा इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है। चंद्रमा मन का कारक है अतः मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। प्रायः लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है। कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुँचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा। परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
एक बार पुनः धनतेरस पर्व की बधाइयां।
आप सब स्वस्थ रहें, आनंद से रहें।
happy dhanteras
ReplyDeleteभगवान धन्वंतरि के अवतरण दिवस धनतेरस की
ReplyDeleteआपको सपरिवार बहुत बहुत बधाई तथा हार्दिक
शुभकामनाएं। भगवान धन्वंतरि आपको स्वस्थ
रखें और आप अपनी बेहतरीन लेखनी से हमेसा
हमलोगों को लाभान्वित करते रहें ।
🙏जय भगवान धन्वंतरि🙏
भगवान धन्वंतरि के अवतरण दिवस धनतेरस की
ReplyDeleteआपको सपरिवार बहुत बहुत बधाई तथा हार्दिक
शुभकामनाएं। भगवान धन्वंतरि आपको स्वस्थ
रखें और आप अपनी बेहतरीन लेखनी से हमेसा
हमलोगों को लाभान्वित करते रहें ।
🙏जय भगवान धन्वंतरि🙏
Happy Dhanteras
ReplyDeleteधनतेरस ले कर आया खुशियों
ReplyDeleteका भंडार,💐💐💐💐💐
अपार धन धान्य से भरा रहे
आप सभी का संसार💐💐💐
💰💰💰💰💰💰💰💰💰
रूपा जी आप व आपके संपूर्ण परिवार को
मेरे व मेरे परिवार की तरफ से
धनतेरस की हार्दिक बधाई एवं
शुभकामनाएं मां लक्ष्मी कि
कृपा आप पर बनी रहे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जय मां लक्ष्मी
धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteHappy Dhanteras
ReplyDeleteधन तेरस की हार्दिक शुभ कामनाएं।
ReplyDeleteShubh dhanteras
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