विदिशा, मध्य प्रदेश
किसी भी जगह पर जाकर उस जगह के विषय में यात्रा वृतांत लिखना और पढ़कर इकट्ठी की गयी जानकारी के आधार पर उस जगह के विषय में लिखने में वही फर्क है, जो Theory और Practical में होता है। खैर अगले कुछ अंक में हमलोग मध्य प्रदेश की यात्रा पर रहेंगे। यह यात्रा वृतांत इस ब्लॉग के प्रशंसक, वहीं के मूल निवासी द्वारा इस ब्लॉग के माध्यम से प्रस्तुत की जा रही है।
विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। आज हम बात करेंगे विदिशा शहर में स्थित प्राचीन गिरी पर्वतों की एवम प्राचीन माँ विजया देवी के मंदिर बिजामण्डल की।
इस शृंखला में सर्वप्रथम बात करते है, लोहांगी पर्वत की जो अब राजेन्द्र गिरी के नाम से जाना जाता है।
लोहांगी पर्वत (राजेन्द्र गिरी)
विदिशा नगर के मध्य रेलवे स्टेशन के निकट ही अत्यंत बलुआ पत्थर से निर्मित यह पर्वत १७० फिट ऊँचा है। यह अत्यंत मनोरम स्थान है। इसकी ऊँचाई से रायसेन का प्रसिद्ध किला, सांची का स्तूप, उदयगिरि पर्वत एवम माँ वेत्रवती के निश्छल प्रवाह के दर्शन होते हैं।
लुहाँगी का इतिहास महाभारत कालीन अश्वमेध यज्ञ से जुड़ा हुआ है। यहाँ आज भी प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा को भव्य मेला लगता है। इस पहाड़ी की प्राचीनता का प्रमाण यहाँ उपलभ्ध सहस्त्र वर्ष पुराना सम्राट अशोक के समय का लेखाउक्त स्तम्भ से मिलता है। यहाँ आज भी महमूद खिलजी द्वारा बनवाया गया पीर का मकबरा है, जिसमें लगे स्वस्तिक चिन्ह पत्थर आज भी उपलब्ध हैं।
इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं , विजय मंदिर की ओर जिसको लोग बिजामण्डल के नाम से मुख्यता जानते पहचानते हैं।
सूर्य मंदिर या विजय मंदिर (बीजामण्डल)
विदिशा के किले की सीमा के अंदर पश्चिम की तरफ अवस्थित इस मंदिर के नाम पर ही विदिशा का नाम भेलसा पड़ा। सर्वप्रथम इसका उल्लेख सन् १०२४ में महमूद गजनी के साथ आये विद्धान अलबरुनी ने किया है। अपने समय में यह देश के विशालतम मंदिरों में से एक माना जाता था। साहित्यिक साक्ष्यों के अनुसार यह आधा मील लंबा- चौड़ा था तथा इसकी ऊँचाई १०५ गज थी, जिससे इसके कलश दूर से ही दिखते थे। दो बाहरी द्वारों के भी चिन्ह मिले हैं। यहाँ सालों भर यात्रियों का मेला लगा रहता था तथा दिन- रात पूजा आरती होती रहती थी।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंशी राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री वाचस्पति ने अपनी विदिशा विजय के उपरांत किया था। इसी वजह इसका नाम विजया मंदिर पड़ा। विजय मंदिर को सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
अपनी विशालता, प्रभाव व प्रसिद्धि के कारण यह मंदिर हमेशा से मुस्लिम शासकों के आँखों का कांटा बना रहा। कई बार इसे लूटा गया और तोड़ा गया और वहाँ के श्रद्धालुगणों ने हर बार उसका पुननिर्माण कर पूजनीय बना डाला।
मंदिर की वास्तुकला तथा मूर्तियों की बनावट यह संकेत देते हैं कि १० वीं - ११ वीं सदी में शासकों ने इस मंदिर का पुननिर्माण किया था। ज्यादातर शिलालेख आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिये हैं। स्तंभ पर मिला एक संस्कृत अभिलेख यह स्पष्ट करता है कि यह मंदिर चर्चिका देवी का था। संभवतः इसी देवी का दूसरा नाम विजया था, जिसके नाम से इसे विजय मंदिर के रूप से जाना जाता रहा। यह नाम "बीजा मंडल" के रूप में आज भी प्रसिद्ध है।
विदिशा यात्रा के अंतिम पड़ाव पर बढ़ते हैं। माँ वेत्रवती के चरणों में नमन करते हुए उदयगिरि की सुंदर मनोरम पहाड़ियों के आनंद लेने उनके विषय पर जानने।
उदयगिरि की गुफाएँ
मध्य प्रदेश के विदिशा के निकट स्थित २० गुफाएँ हैं। ये गुफाएँ ५वीं शताब्दी के आरम्भिक काल की हैं और शिलाओं को काटकर बनायी गयीं हैं। इन गुफाओं में भारत के कुछ प्राचीनतम हिन्दू मन्दिर और चित्र सुरक्षित हैं। गुफाओं में स्थित शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ये गुफाएँ गुप्त नरेशों द्वारा निर्मित करायीं गयी थीं। ये गुफाएँ भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल हैं और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक हैं।
विदिशा से वैसनगर होते हुए उदयगिरि पहुँचा जा सकता है।
विदिशा से उदयगिरि लगभग १ मील की दूरी पर है। उदयगिरि को पहले "नीचैगिरि" के नाम से जाना जाता था। कालिदास जी ने भी इसे इसी नाम से संबोधित किया है। १०वीं शताब्दी में जब विदिशा, धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया।
English Translate
Vidisha, Madhya Pradesh
Vidisha is a major city located in the Indian state of Madhya Pradesh. From the historical and archaeological point of view, this region is considered to be the most important region of Central India. Today we will talk about the ancient Giri mountains located in Vidisha city and Bijamandal, the temple of ancient mother Vijaya Devi.
The first thing in this series is the Lohangi mountain which is now known as Rajendra Giri.
Lohangi Parvat (Rajendra Giri)
This mountain built of extremely sandstone, near the central railway station of Vidisha city, is 170 feet high. This is a very picturesque place. From its height, the famous fort of Raisen, Stupa of Sanchi, Udayagiri mountain and the steady flow of Maa Vetravati are visible.
The history of Luhangi is associated with the Ashwamedha Yagya of Mahabharata. Even today, a grand fair is held here every year on Guru Purnima. The evidence of the antiquity of this hill is available here from the pillar of account of the thousand year old emperor Ashoka. Even today, there is the tomb of Pir, built by Mahmud Khilji, in which the swastika symbol stones are still available today.
Continuing this chain, let's move towards the Vijay Mandir, which people know mainly by the name of Bijamandal.
Sun Temple or Victory Temple (Bijamandal)
Situated on the west side inside the boundary of the fort of Vidisha, the name of Vidisha was named Bhelsa after this temple. It is first mentioned in 1024 by the scholar Alberuni who came with Mahmud of Ghazni. In its time it was considered one of the largest temples in the country. According to literary evidence, it was half a mile long and wide and its height was 105 yards, due to which its Kalash was visible from a distance. Signs of two outer gates have also been found. There used to be a fair of travelers throughout the year and worship and aarti used to take place day and night.
It is said that this temple was built by Vachaspati, the prime minister of Chalukya dynasty king Krishna, after his conquest of Vidisha. That is why it was named Vijaya Mandir. Vijay Mandir is also known as Sun Temple.
Due to its vastness, influence and fame, this temple has always remained a thorn in the eyes of the Muslim rulers. Many times it was looted and broken and the devotees there rebuilt it every time and made it worshipable.
The architecture of the temple and the texture of the sculptures indicate that the temple was rebuilt by the rulers in the 10th - 11th centuries. Most of the inscriptions have been destroyed by the invaders. A Sanskrit inscription found on the pillar makes it clear that the temple belonged to Charchika Devi. Possibly another name of this goddess was Vijaya, by whose name it continued to be known as the Vijay Mandir. This name is still famous as "Bija Mandal".
Proceed to the last stop of the Vidisha journey. Learn on the subject of enjoying the beautiful panoramic hills of Udayagiri while bowing at the feet of Maa Vetravati.
Udayagiri Caves
There are 20 caves located near Vidisha in Madhya Pradesh. These caves date back to the early 5th century and were carved out of rocks. Some of the oldest Hindu temples and paintings of India are preserved in these caves. On the basis of the inscriptions located in the caves, it is clear that these caves were built by the Gupta kings. These caves are the most important archaeological sites in India and are protected monuments by the Archaeological Survey of India.
Udayagiri can be reached from Vidisha via Vaisnagar.
Udayagiri is about 1 mile from Vidisha. Udayagiri was earlier known as "Nichaigiri". Kalidas ji has also addressed it by the same name. When Vidisha came into the hands of the Paramaras of Dhar in the 10th century, Udayaditya, the grandson of Raja Bhoja, renamed the place Udayagiri after himself.
लाजबाब 👌👌
ReplyDeleteAitihasik shahar hai vidisha
ReplyDeleteBahut badhiya
Aapke post ke madhyam se ab Madhya Pradesh ghumenge...👍👌
अच्छी जगह है। विदेशी आक्रांताओं ने तो हमेशा से ही हमारी धरोहरों को मिटाने का प्रयास किया है।
ReplyDeletenice place
ReplyDeleteNp
ReplyDeleteथ्योरी में तो हमलोग पढ़ते थे लेकिन आपने बिल्कुल सही कहा कि थ्योरी और प्रैक्टिकल में बहुत अंतर है । प्रायोगिक तौर पर विदिशा के बारे में जो जानकारी आपने हमलोगों तक पहुचाई है वो इतिहास के ऐसे धरोहर है जिन्हें आक्रांताओं ने बहुत बार नष्ट करने की कोशिश की लेकिन वो आज भी हमलोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । घर बैठे बैठे ही आप हमलोगों को मध्य प्रदेश के एतिहासिक धरोहरों का दर्शन करा रही है ये हमलोगों का सौभाग्य है🙏
ReplyDeleteबहुत ही रमणीय स्थल
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteकुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, अनगिनत आक्रांताओं और सदियों की गुलामी के बाद भी हमारे पौराणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर आज भी सुरक्षित हैं। हमे गर्व है अपने पुरखों पर जिन्होंने सब कष्टों को झेलते हुए भी इन्हे नष्ट नहीं होने दिया और इनका पुनर्निर्माण भी किया। विदिशा प्राचीन काल का एक महत्वपूर्ण स्थल है आज उसकी विस्तृत जानकारी मिली।
ReplyDeleteसराहनीय पहल
घर बैठे, उम्दा जानकारी।
ReplyDeleteNice places to visit...
ReplyDeleteYou are a great guide in your beautiful country. Thank you.
ReplyDeleteबेहतर जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी 👍
ReplyDeleteGood
ReplyDelete