चांद
ये चांद भी नित्य प्रति
ढलते सूरज के साथ आ जाता है
ये चांद भी मीलों दूर से
जाने कितने रिश्ते निभा जाता है
कभी बचपन की चंदा मामा भरी
लोरियां याद दिलाता है
कभी थोड़े बड़े होते हुए मेरे सपनों में
बसती हुई सपनों की शहजादी को
तोड़ लाऊंगा चांद तारे तेरे लिए
सरीखे वादे याद दिलाता है
होती है रात की रागनी अपने सबाब पर जब
हर रोज ये चांद अपनी ओझल सी रोशनी में
ख्वाबों की दुनिया सजा जाता है
दौड़ते भागते जिंदगी के सफर में
जब उम्मीदें खत्म होने लगती हैं
जिंदगी बोझिल सी लगने लगती है
तब ढलते सूरज के बाद
ये उगता हुआ चांद
जीवन के सारे सवालों का जबाब दे जाता है
मन में हिचकोले खाते नकारे विचारों से
एक ढलते हुए सूरज की रोशनी से
तपन को पल भर में बदलती
शीतलता का एहसास दिलाता है
एक चांद ही जन्म से मरण तक
मीलों दूर हो के भी
कभी बेवफा नहीं होता
हर वक्त साथ होता
हर रिश्ते की सौगात लिए
हां कभी कभी
अमावस की धनी रात भी होती
जो कभी कभी बड़ी लंबी हो जाती
बेहतरीन रचना 👌👌
ReplyDeleteबहुत खूब👌👌
ReplyDelete😢ना आसमां साथ देता है😢
ReplyDelete🤔ना साथ देती है ये जमीं🤔
🙋♂️कौन पूरी कर पाएगा ये🙋♂️
🙏मेरी जिंदगी में तेरी कमी🙏
🌝चांद अकेला आता-जाता🌝
🎇तारों के कई सारे साथी🎇
🪔दीपक अकेला नहीं होता🪔
🕯उसके साथ रहती बाती🕯
💐फूल-पत्ती पेड़-पौधे सब💐
💫खुश होते आते ही बहार💫
👣राहों के धूल-पत्थर भी तो👣
👲होते राही के लिए बेकरार👲
💦नदिया बहती है कल-कल💦
🦢उन्हें तो है किनारों से प्यार🦢
🏠घर-मकान और महलों के🏠
🏦के लिए खड़े हैं दरों-दीवार🏦
🌳इस प्रकृति के लिए उपहार🌳
🌈ऋतुएँ होती हैं ये पूरी चार🌈
🪐धरती है ये सारी कि सारी🪐
⛈️बरसात के लिए बेकरार⛈️
🌅सूरज को तो है सदा से ही🌅
☀अपनी किरणों से ही प्यार☀
🙋♂️बस एक मैं तन्हा अकेला🙋♂️
🗣️मेरा नहीं है कोई भी यार🗣️
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
चांद को अपलक निहारती हूं
ReplyDeleteबस एक तेरा इंतजार करती हूं
दहलीज पर अपनी बैठकर मैं
खुद दिल को बेकरार करती हूं
काश की यह वक़्त ठहर जाए
आसमां में बस चांद नजर आए
तू आकर थामले मेरी बैचेन बाहें
ना इस रात की कभी सुबह हो
ना कभी जुदाई की दोपहर आए
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बहुत खूब
DeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteHappy Sunday
बेहद सुंदर और एहसासों से ओत प्रोत ✌🏻
ReplyDeleteक्या बात है रूपा जी आज चांद भी शायरी करने लगा 🤣🤪😝
ReplyDeleteWah happy Sunday
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteलाजवाब
चाँद की बात तो मां की याद दिला दी। मां गोद मे उठा कर और गीत गाती थी और मुझे खिलाती थी । वो भी क्या दिन थे एक ये भी दिन है। चंदा आरे आव बारे आव नदिया किनारे आव बबुआ के मुख में घुटुक करके खिलाती थी।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर बात लिखी है हरेक इंशान इसे मानता नही है बल्कि अनुभव करता है ।
बहुत बहुत बधाई🌷🌷🌷🌷🌷
"चंदा आरे आव पारे आव नदिया किनारे आव बबुआ के मुख में घुटुक करके खिलाती थी"
Deleteयह गीत तो भारत की सभी माएं ही गाती हैं। बचपन की कुछ बातें खास हैं, जो सभी बच्चों की जिंदगी में होती हैं।
इस चांद ने जोड़े हैं कई रिश्तों के तार
ReplyDeleteइस चांद से हमको और सबको प्यार
अपने प्यार की सलामती के लिए हम
करते हमेशा इस प्यारे चांद का दीदार
देखकर चांद सुकून मिलता दिल को
चांद हल कर देता है हर मुश्किल को
बातें करते तनहा जी भरकर चांद से
खो बैठते हम जब किसी हासिल को
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
लाजवाब👌
Deleteकुछ शब्दों में सुधार की जरूरत है जैसे शहजादी दुनिया।
ReplyDeleteसुंदर कविता, शुभ रविवार
👍🏻👍🏻
DeleteLajawab 👌👌👌👌
ReplyDeleteLajawab👌👌👌👌
ReplyDeleteधरती के चांद ने आसमान के चांद की तारीफ की है।
ReplyDeleteमुझे तो गाना याद आ गया.. मेरा चांद मुझे आया...nice one
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना दिल को छू गई और उतनी ही सादगी भरी तस्वीर पोस्ट में चार चांद लगा रही।
ReplyDeleteGajab, wakai me rachna aur rachnakaar dono lajwab hain
ReplyDeleteवाह👌
ReplyDeleteशानदार इतवार,शानदार रचना के साथ
ReplyDeleteजैसा की लोग कहते जब कही प्यार की बात आती है तो लोग चांद का नाम लिए बिना नही रह पाता है,
ReplyDeleteमैने कभी लिखा था आज आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं
उतरा था चांद कभी मेरे भी आंगन में
मगर सितारों को कभी ये गवारा न था
हम तो सितारों से भी लङ लेते
मगर वो चांद ही हमारा न था
❤❤❤❤❤