कुछ बारिश की बूंदे थी कुछ उसकी यादों की..
❣❣
आज बड़े दिन के बाद बारिश लाजवाब हुई
मेरी अपने पुराने दिनों से मुलाकात हुई,
मैं भीग गई पूरी तरबतर, कुछ बारिश की बूंदें थी, कुछ उसकी यादों की..
मैं बिना रुके चलती रही, उसकी यादें भी मेरे साथ -साथ रही
यकायक तेज रूप ले बारिश का रुख ऐसा बदला जैसे अभी अभी
उससे मेरी फिर मुलाकात हुई
लोग छिप रहे थे बारिश से
पेड़ो की आड़ ले कर
तो कुछ अपनी धुन में चल रहे थे बारिश की मौज ले कर
मेरा मन भी देख कर यही सारी हलचल,
कभी कहता रुक जा किसी पेड़ की आड़ ले कर
कभी कहता तेरे साथ कुछ बारिश की यादें हैं, चलती जा उनको साथ ले कर
एक टपरी नज़र आई चलते - चलते, लोगों की हुजूम से भरी हुई
उस पर महकती चाय अदरक का लजीज ली हुई
मेरे गाड़ी के पहिये जैसे जाम हो गए
मैं भी रुक गयी और एक यादों का सैलाब आया लिपट कर
उसके साथ टपरी की चाय पर एक शाम बिताई हुई
मैं फिर उस यादों के पिंजरों को समेट कर चल पड़ी
एक चाय ली और चुस्कियों के साथ यादों में खो पड़ी
यूं तो अपने घर के रास्ते जाते - जाते किसी और राह पर बड़ी दूर
निकल आयी थी, उसकी यादों को साथ फिर समेट ले आयी थी
मैं भीग गयी थी बारिश में
कुछ बारिश की बूंदें थी, कुछ उसकी यादों की
मौसम का रुख ही कुछ ऐसा था मैं सब भूल आयी थी
क्या कहे भला रूपा इस बारिश की बूंद पर
"रूपा ओस की एक बूंद" थी और बारिश की बूंदों से तरवतर साथ ले कर
उसकी यादें आज फिर जी भर के मुस्कुराई थी
भीग गयी मैं पूरे तरीके से बरसात में कुछ बारिश की बूंदे थी कुछ उसकी यादों की
आज भीग गई मैं पूरे तरीके से बरसात में
कुछ बारिश की बूंदें थी, कुछ उसकी यादों की..
- रूपा
सुंदर सराहनीय सृजन ।
ReplyDeleteजिज्ञासा जी, आपका बहुत बहुत आभार 😊
Deleteवाह! क्या बात है, लाजवाब👌👌
ReplyDeleteबारिश की रिमझिम और चाय … वाह ! बहुत सुन्दर सृजन रूपा जी !
ReplyDeleteहार्दिक आभार मीना जी 😊
Deleteबारिश की रिमझिम और चाय … वाह ! बहुत सुन्दर सृजन रूपा जी !
ReplyDeleteआपकी इन पंक्तियों ने मन को आह्लाद से भिगो दिया। आपकी उर्वर कल्पनाशक्ति को नमन।
ReplyDeleteशुक्रिया सर, सादर वंदन
Deleteटपरी की चाय और चाय की चुस्कियाँ... बारिश बहुत कुछ याद दिला ही जाती है...ख़ूबसूरत रचना...👏👏👏
ReplyDeleteपोस्ट पर आपकी उपस्थिति सराहना पूर्ण प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
DeleteWah kya bat hai
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबारिश से मन का रिश्ता बहुत गहरा है, मन का मौसम बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। किसी की याद सताने लगती है तो कभी खुशनुमा सा माहौल लगता है। इस बदलते मन को एक शायर से ज्यादा शायद ही कोई महसूस कर सकता हो
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार, सादर वंदन
Deleteअब बारिश जो है तो लाजवाब होना ही है✌🏻
ReplyDeleteबिल्कुल 😊
DeleteWow 👌 🌹 😍
ReplyDeleteधन्यवाद😊
Deleteबहुत खूब👌👌
ReplyDeleteएक मेरी तरफ से
कैसे उस रोज़ जज्बातों में शब्द बह गए,
जैसे बारीश में तुम्हारे मेरे अश्क़ बह गए...
👌👌
Deleteलाजबाब यादो का झरोखा बारिश की बूंदों के संग 👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत खूब👌
ReplyDeleteआभार शिखा जी😊
DeleteBarish ki fuhar
ReplyDeleteAdrak wali chai
Kitni khubsurat hai ye shaam..
Excellent 👍
ReplyDeleteExcellent 👍
ReplyDeleteकहते है की वक्त कभी किसी के लिए नही रूकता है जो लम्हा या पल गुजर जाता है उस लम्हे या उस पल को पीछे जा के दुबारा नही जिया जा सकता, लेकिन हर लम्हे में जो हम यादे बनाते उन यादों को याद कर उस लम्हे को तरह ताजा किया जा सकता है हमारी जिन्दगी में यादों का बहुत महत्व है।
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