सांझ ढले कभी
सांझ ढले कभी,
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..
कैसे बीते ये दिन, महीने, साल
तेरे बिन
उस हर एक पल का
तुम्हें एहसास कराएं..
पतझड़ में जब
पेड़ों से पीले पत्ते गिरे
बिछड़ते उस मंजर को
अपनी आंखों में दिखाएं..
तेरे बिन
उस हर एक पल का
तुम्हें एहसास कराएं..
पतझड़ में जब
पेड़ों से पीले पत्ते गिरे
बिछड़ते उस मंजर को
अपनी आंखों में दिखाएं..
ओस की बूंदे जब
मेरे बालों पर गिरी
उन ओस की बूंदों में
तुम्हें तेरा ही अक्स दिखाएं..
मेरे बालों पर गिरी
उन ओस की बूंदों में
तुम्हें तेरा ही अक्स दिखाएं..
फिर से एक बार किसी की ख़ुश्बू ने रूह को छुआ है,
ReplyDeleteलगता है कहीं पर कुल्हड़ वाली चाय का ज़िक्र हुआ है
Good evening ☕☕
ReplyDeleteQuite heart touching moments.
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteसाथ में चाय पीने से चाहत बढ़ती है.” कुछ ऐसे लम्हें होते है जब चाय कुछ ज्यादा ही अच्छी लगती है.
ReplyDeleteआप की कविता जो पढी कुल्हड़ बाली चाय याद आयी
ReplyDeleteऐसा लगा किसी अपने ने बुलाया फिर बही दिन याद आये
👌👌
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteKya baat hai....lajwab bemisaal ☕
ReplyDeleteमैं सोचता हूं एक शाम तेरे नाम करू
ReplyDeleteअपने दिल की हर एक धड़कन तेरे नाम करू
डूब कर तेरी आंखो की गहराई में
मैं सोचता हूं आपनी जिन्दगी के इस दरिया को पार करू। ।
बेहतरी न
ReplyDeleteवो पल बहुत खुशनुमा होगा जब ऐसी चाय नसीब होगी ।
ReplyDelete💯☕🎉🙋♂️🌹🙏
Very nice
ReplyDeleteBehtreen
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