रविंद्र नाथ टैगोर
एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर (Ravindranath Tagore) का जन्म कोलकाता में 7 मई 1861 को हुआ था। 1915 में ब्रिटिश सत्ता ने रविंद्र नाथ टैगोर को "नाइटहुड" की उपाधि से सम्मानित किया था, हालांकि 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद टैगोर ने यह उपाधि लौटा दी थी। रवींद्रनाथ टैगोर (Ravindranath Tagore) को लोग "गुरुदेव" भी कहते थे। रविंद्रनाथ टैगोर विश्व विख्यात कवि के साथ ही मशहूर साहित्यकार, दार्शनिक, रचनाकार, नाटककार, चित्रकार, समाज सुधारक, संगीतकार आदि भी रह चुके हैं।
भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' भी रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा ही लिखी गई है। साथ ही उन्होंने बांग्लादेश का भी राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' लिखा है। नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर की गिनती देश के बड़े साहित्यकार और कलाकारों में होती है। साहित्य और कला में बचपन से ही रुचि होने के कारण उन्हें यह सम्मान मिला।
एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार जीतने वाले
रवींदनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे। उन्हें 1913 में उनकी कृति "गीतांजलि" के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। टैगोर की कविताओं की पांडुलिपि को सबसे पहले विलियम रोथेनस्टाइन ने पढ़ा था और वह इतने मुग्ध हो गए कि उन्होंने अंग्रेजी कवि यीट्स से संपर्क किया और पश्चिमी जगत के लेखकों, कवियों, चित्रकारों और चिंतकों से टैगोर का परिचय कराया। रविंद्रनाथ टैगोर पहले गैर यूरोपीय थे, जिनको साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था।
ब्रिटिश सत्ता ने "नाइटहुड" की उपाधि से नवाजा
1915 में ब्रिटिश सत्ता ने रविंद्रनाथ टैगोर को नाइटहुड (सर) की उपाधि से सम्मानित किया था, जबकि 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद टैगोर ने यह उपाधि लौटा दी थी। ब्रिटिश सरकार ने उनको नाइटहुड (सर) की उपाधि वापस लेने के लिए मनाया भी था, मगर वह राजी नहीं हुए।
रविंद्रनाथ टैगोर का पारिवारिक जीवन
रविंद्र नाथ टैगोर की मां शारदा देवी का बचपन में ही निधन हो गया था। पिता देवेंद्र नाथ एक ब्रह्म समाजी थे और व्यापक यात्राओं में रहा करते थे। इस वजह से बालक रविंद्रनाथ का लालन-पालन नौकरों ने ही किया था।
रविंद्रनाथ टैगोर के चार बच्चे थे, जिनमें से दो की मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई थी। एक बेटी टीवी की बीमारी से ग्रस्त थी, जिसका निधन 12 वर्ष की अवस्था में हो गया था। उसका नाम रेणुका था, जिस पर इस दौरान रविंद्रनाथ टैगोर ने 'शिशु' नामक कविता भी लिखी थी। इनके जीवन के अंतिम 4 वर्ष बीमारियों के चलते दर्द में गुजरे थे, जिसके कारण सन 1937 में वे कोमा में चले गए थे। वे 3 साल तक कोमा में ही रहे। इस पीड़ा की विस्तृत अवधि के बाद 7 अगस्त 1941 को उनका देहावसान हो गया। उनकी मृत्यु जोरसंघ को हवेली में हुई जहां उन्हें लाया गया था।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उनको शत-शत नमन 🙏🌷
गुरुदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें शतशः नमन।
ReplyDeletegreat information mem
ReplyDelete👍🙏🏻
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबाझुमुखी प्रतिभा के धनी रविन्द्र नाथ टैगोर एशिया के सर्वप्रथम नोबल पुरस्कार विजेता थे। जलियाबाग नरसंहार के बाद इन्होंने नाइटहुड सर को उपाधि वापस कर दी थी।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteनमन 🙏
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteशत् शत् नमन 🙏
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteShat shat naman.
ReplyDeleteVery interesting contents. Regards .
ReplyDeleteRabindranath Tagore Treasure of India, rich in arms, was Asia's first Nobel laureate. He returned the title to Knighthood Sir after the Jallianbagh massacre.
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