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शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

शिक्षा का गिरता स्तर

शायद आप सभी भी इस बात से इत्तेफाक रखते होंगे कि विगत कुछ वर्षों में शिक्षा के स्तर में बहुत तेजी से गिरावट आई है। शिक्षा का अर्थ मार्कशीट में मिले नंबरों से नहीं है, अपितु शिक्षा का अर्थ मनुष्य का सर्वांगीण और संपूर्ण विकास है। शिक्षित समाज ही देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर करते हैं। देशवासी शिक्षित हो तो देश समृद्ध बनता है। 


शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

पुस्तकीय ज्ञान को हम शिक्षा नहीं कह सकते हैं, अपितु शिक्षा वह है, जिसमें नैतिक मूल्यों का समावेश हो। भारतीय संस्कृति में सदैव नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर बल दिया गया है। नैतिकता के अभाव में पशुओं और मनुष्यता का भेद समाप्त हो जाता है। इसलिए वेदों, उपनिषदों एवं अन्य सभी धार्मिक ग्रंथों में शिक्षा में नैतिकता की अनिवार्यता स्वीकार किया गया है।

वर्तमान परिवेश में शिक्षा का स्तर बहुत नीचे गिर रहा है आजकल की शिक्षा विद्यार्थियों को के लिए डिग्री मात्र रह गई है।  शिक्षा के गिरते स्तर की वजह से समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। नयी पीढ़ी शिक्षित होने के बावजूद गलत रास्ते की तरफ जा रहे है। अगर हम जीवन मूल्यों से ठीक तरह से परिचित ना हो तो लोगो के सामने मज़ाक बनकर रह जाते है। आज की शिक्षा में नैतिक मूल्यों की कमी है इसलिए लोग अनैतिक तरीके से धन कमाते है जो अनुचित है।

शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

शिक्षा के गिरते मूल्यगत स्तर से यहाँ एक आशय यह भी है कि आज हमारी शिक्षा केवल सैद्धान्तिक है, व्यावहारिक नहीं। आज की शिक्षा एक छात्र को केवल डिग्री प्रदान करती है, उसे सम्मानजनक रूप से आजीविका कमाने के लिए उसका कोई मार्गदर्शन नहीं करती है। अर्थात् उसके लिए उसकी शिक्षा का कोई मूल्य नहीं होता। शिक्षा के इसी मूल्यगत स्तर के कारण आज देश में बेरोजगारी और अपराधों को प्रवृत्ति दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में मौलिकता के गुण दिखाई नहीं देते हैं।  कोई भी सरकार स्वतंत्रता के पश्चात एक बेहतर और श्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने में असमर्थ रही है। शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए बेहतर कोशिशें सरकार और शिक्षा समिति को करनी चाहिए।

आज की शिक्षा प्रणाली में तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा को ज़्यादा अहमियत दी जाती है। शिक्षा प्रणाली ने अपने देश की संस्कृति और साहित्य के विषय को अनदेखा किया है और विदेशी संस्कृति को अधिक  प्राथमिकता दी जा रही है। आज की युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही  है, उनकी तर्क करने की शक्ति भी विकसित हो रही है, मगर उनकी शिक्षा में जीवन मूल्यों का अभाव दिखता है।

शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

आजकल प्रत्येक वर्ष विद्यार्थी बड़ी बड़ी डिग्री लेकर कॉलेज से बाहर निकलते हैं। इतने शिक्षित होने के बावजूद लाखो युवक बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। आज की शिक्षा रोजगार की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है। इतनी डिग्री लेने के बावजूद भी बहुत सारे युवाओं को  एक सुरक्षित भविष्य नहीं मिल पाता है। ऐसे युवा मन मारकर अपने काबिलयत से कम कोई भी नौकरी करते है और सारी जिन्दगी निराश होकर अपना जीवन व्यतीत करते है। ऐसे युवाओं में नैतिकता जैसे गुणों का अभाव दिखता है।

विद्यार्थियों के शिक्षा में उनके अभिभावकों की अहम भूमिका रहती है। पहले समय में अभिभावक शिक्षकों पर विश्वास करते थे और ईश्वर का दर्जा देते थे। आजकल अगर शिक्षक विद्यार्थियों को सीखाने  के लिए उन्हें ज़ोर से कुछ कह दे या गुस्सा करे तो अभिभावक इसका विरोध करने लग जाते हैं। इसका उल्टा प्रभाव विद्यार्थी पर पड़ता है और उनमें अच्छे गुणों का विकास नहीं हो पाता है।

शिक्षा स्तर के गिरने की वजह से देश के युवाओं का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना चाहिए ताकि समाज पर अच्छा प्रभाव पड़े। जो देश शिक्षित होता है , वह अपना सुनहरा भविष्य खुद बना सकता है। समाज में प्रगति और संतोष के लिए अच्छी शिक्षा प्रणाली का होना अति आवश्यक है।

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falling level of education

Perhaps all of you would also agree with the fact that the standard of education has declined very rapidly in the last few years. Education does not mean the numbers found in the mark sheet, but the meaning of education is all round and all round development of human beings. Only educated society leads the country on the path of progress. If the countrymen are educated, the country becomes prosperous. We cannot call bookish knowledge as education, but education is that which includes moral values. The concept of moral values ​​has always been emphasized in Indian culture. In the absence of morality, the distinction between animals and humans ceases. Therefore, in the Vedas, Upanishads and all other religious texts, the imperative of morality in education has been accepted.

शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

In the present environment, the standard of education is falling very low, nowadays education is just a degree for the students. Due to the falling level of education, there is an adverse effect on the society. Despite being educated, the new generation is going in the wrong direction. If we are not properly acquainted with the values ​​of life, then we remain as a joke in front of the people. There is a lack of moral values ​​in today's education so people earn money in an immoral way which is unfair.

There is also an implication here from the falling price level of education that today our education is only theoretical, not practical. Today's education provides only degree to a student, does not guide him to earn a respectable livelihood. That is, his education has no value for him. Due to this price level of education, the trend of unemployment and crimes is increasing day by day in the country.


The quality of originality is not visible in the modern education system. Any government has been unable to build a better and better education system after independence. The government and the education committee should make better efforts to improve the education level.

In today's education system, more importance is given to technical and vocational education. The education system has ignored the subject of culture and literature of our country and the foreign culture is being given more priority. Today's young generation is getting educated, their reasoning power is also developing, but there is a lack of values ​​in their education.

Nowadays, every year students drop out of college with big degrees. Despite being so educated, lakhs of youth are struggling with unemployment. Today's education is not enough from the point of view of employment. Despite taking so many degrees, many youths do not get a secure future. Such young people do any job less than their ability by beating their mind and spend their whole life disappointed. Such young people lack qualities like morality.

शिक्षा का गिरता स्तर || Falling Price Level Of Education ||

Parents play an important role in the education of the students. In earlier times parents believed in teachers and gave the status of God. Nowadays, if the teacher says something out loud to the students to make them learn or gets angry, then the parents start opposing it. It has the opposite effect on the student and good qualities are not developed in them.

Due to the low level of education, the youth of the country is not fully developed. The standard of education should be improved so that there is a good impact on the society. The country which is educated can make its own golden future. It is very important to have a good education system for progress and satisfaction in the society.

17 comments:

  1. बहुत विचारणीय आलेख। निश्चित ही मैकाले की शिक्षा पद्धति से भावी पीढ़ी का बहुत भला नही होगा। नैतिक शिक्षा की आवश्यकता आज है। रटकर, अच्छे नंबर पाने की लालसा से मुक्ति पाना ही होगा।

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    1. यही तो बात है सर। हमारी गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति सबसे अच्छी थी।

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  2. शिक्षा सिर्फ व्यवसाय बन कर राह गयी है आज के दौर मे

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  3. उच्च शिक्षा और ऊंचे ओहदे का
    अपने मन में ना रखना अभिमान
    पढ़ाई के साथ-साथ जिंदगी में तो
    बहुत जरूरी है व्यावहारिक ज्ञान
    व्यवहारिक ज्ञान की ही बदौलत
    हर दिल में जिंदा रहता है इंसान
    बेवजह किसी जीव-जंतु को वो
    कभी भी करता नहीं है परेशान
    व्यवहारिक ज्ञान की बदौलत
    हर इंसान कहलाता है महान
    सबके प्रति दया-भावना रखो
    होगा सदैव आपका गुणगान
    केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं
    होता हर समस्या का समाधान
    व्यवहारिक ज्ञान अगर हो तो
    हर एक मुश्किल होती आसान
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  4. मां की कोख से जन्म ले
    रखा दुनिया में पहला कदम
    मां की गोद से उतर रखा
    पावन भूमि पर पहला कदम
    पिता की उंगली थामकर
    मैंने बढ़ाया पहला कदम
    माता-पिता के साथ गली के
    बाहर रखा था पहला कदम
    फिर पढ़ाई के लिए मैंने
    पाठशाला रखा पहला कदम
    उज्जवल भविष्य हेतु
    उच्च शिक्षा में रखा पहला कदम
    फिर काम की तलाश में घर के
    बाहर रखा फिर से पहला कदम
    कुछ खास हासिल नहीं कर पाया
    जिंदगी में मेरा यह पहला कदम
    किसी और काम में हाथ आजमाने
    फिर से उठाया एक और पहला कदम
    माता-पिता के आशीर्वाद से फिर
    दाम्पत्य जीवन में रखा पहला कदम
    फिर जिंदगी की भागदौड़ में कभी
    घर से बाहर-कभी अंदर रखा कदम

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  5. शिक्षा शिक्षा शिक्षा, No comments.

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  6. अत्यंत उत्तम अनुसंधान किया है आपने।
    यह एक कटु सत्य है।
    💯👏👍💐🙋‍♂️🙏

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  7. शायद नई शिक्षा नीति में कुछ सुधार हो उसके भी आसार कम ही हैं क्योंकि शिक्षा का व्यासायीकरण हो चुका है। जहां कमाने की लालसा हो वहां नैतिकता शायद ही मिले।
    अच्छा लेख

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  8. बहुत ही उम्दा आर्टिकल है। एक जमाना था जब तक्षशिला नालंदा विश्वविद्यालय में देश विदेश से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे। अब तो शिक्षा सिर्फ एक व्यवसाय मात्र बनकर रह गया है। पढ़ाई के नाम पर पैरेंट्स का जेब ढीला हो जा रहा। स्कूल में शिक्षा के अलावा सब कुछ मिल जा रहा। अलग अलग बोर्ड ICSE CBSE वाले मनमाना लूट मचा रहे। और कुछ नही तो कम से कम सरकार पूरे भारत वर्ष में पढ़ाई का एक पैटर्न कर देती। हर जगह NCERT हो जाता।

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