इतवार (Sunday)
"रुतबा तो खामोशियों का होता है,
अल्फाज का क्या?
वो तो बदल जाते हैं,
अक्सर हालात देखकर...❤"
तुम हमारे हो
नहीं मालूम क्यों यहाँ आया
ठोकरें खाते हुए दिन बीते
उठा तो पर न सँभलने पाया
गिरा व रह गया आँसू पीते
ठोकरें खाते हुए दिन बीते
उठा तो पर न सँभलने पाया
गिरा व रह गया आँसू पीते
ताब बेताब हुई हठ भी हटी
नाम अभिमान का भी छोड़ दिया
देखा तो थी माया की डोर कटी
सुना वह कहते हैं, हाँ खूब किया
पर अहो पास छोड़ आते ही
वह सब भूत फिर सवार हुए
मुझे गफलत में ज़रा पाते ही
फिर वही पहले के से वार हुए
एक भी हाथ सँभाला न गया
और कमज़ोरों का बस क्या है
कहा – निर्दय, कहाँ है तेरी दया
मुझे दुख देने में जस क्या है
रात को सोते यह सपना देखा
कि वह कहते हैं तुम हमारे हो
भला अब तो मुझे अपना देखा
कौन कहता है कि तुम हारे हो।
अब अगर कोई भी सताये तुम्हें
तो मेरी याद वहीं कर लेना
नज़र क्यों काल ही न आये तुम्हें
प्रेम के भाव तुरंत भर लेना
– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
Happy Sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteBahut accha
ReplyDeleteशुभ रविवार, सुंदर सी तस्वीर के साथ अच्छी कविता
ReplyDeleteHappy Sunday 🥀🥀
ReplyDeleteसूर्यकांत निराला जी की सुंदर पंक्तियां.. खूबसूरत तस्वीर के साथ👌👌
बहुत सुंदर लेखन। रोचक तथ्य। अति सुंदर।
ReplyDeleteनिराला जी की बेहतरीन पंक्तियां।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Happy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteNice poem related to life
ReplyDeleteमहाकवि निराला की अनूठी रचना।शुभ रविवार।
ReplyDeleteNice poem poet ji👍
ReplyDeleteV nice
ReplyDeleteVery nice pic & poem😍
ReplyDeleteHappy Sunday ❣️
Nice ji
ReplyDeleteनहीं..बच्चे भी साथ थे।
ReplyDelete"चाहे सूरज कितना भी गर्म क्यों न हो"
ReplyDeleteसमुद्र शुष्क नहीं हो सकता।
आशा का वही सागर
आप असफलता से मुक्त नहीं हो सकते। "कीमती शब्द। धन्यवाद।
V nice
ReplyDeleteNice poem..👍
ReplyDeleteNice poem 👍
ReplyDeleteBahut khoob. SCP
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteBahut khoob.
ReplyDeleteNoce
ReplyDeleteHappy Sunday with beautiful pic
ReplyDeleteअद्भुत
ReplyDeleteखामोशी भी बहुत कुछ कहती है मोहतरमा
Nice pic
ReplyDeleteBahut khub
ReplyDeleteअद्भुत
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