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मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

मदार (आक)

आक के पेड़ से लगभग सभी परिचित होंगे। हमारे हिंदू धर्म में ज्यादातर घर के बाहर, गेट के किनारे यह पौधा लगा हुआ दिखाई पड़ता है। इसको मदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। आक के पौधे या वृक्ष शुष्क, ऊसर और ऊँची भूमि में प्रायः हर जगह देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में समाज में यह भ्रांति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, इसमें किंचित सत्य जरूर है। आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो उल्टी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में योग्य तरीके से आयुर्वेदाचार्य की निगरानी में किया जाए तो यह अनेक रोगों में बहुत लाभकारी भी होता है। इसका हर अंग अर्थात जड़, तना, पत्ती दवा के रूप में उपयोग होते हैं। यह सूर्य के समान तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायन है। कहीं-कहीं इसे वानस्पतिक पारद भी कहा जाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

आक क्या है?

आक एक बहूवर्षीय व बहू शाक्य 4 से 12 फुट ऊंचा पौधा होता है। इस पौधे के सभी अंग एक सफेद रूई की तरह धुने हुए सफेद रोमों में आच्छादित रहते हैं। पत्ते 4 से 6 इंच लंबे, 1 से 3 इंच चौड़े, आयताकार, मांसल व हृदयाकार होते हैं। पुष्प सुगंधित, गुच्छों में सफेद या लाल बैंगनी रंग के होते हैं। फल 2 से 3 इंच लंबे, 1 से 2 इंच तक चौड़े, टेढ़े मेढ़े गोल या अंडाकार बीच-बीच में कुछ मुड़े हुए होने के कारण तोते की चोच के जैसे दिखते हैं। इसलिए इन्हें शुकफल भी कहते हैं। फल के भीतर गुदे की बजाय छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज भरे होते हैं। फल जब फटते हैं, तब बीज हवा में उड़ कर गोल हो जाते हैं और सब जगह फैल जाते हैं।

आक का संपूर्ण पौधा एक प्रकार के दुग्ध में एवं चरपर रस से परिपूर्ण होता है। इसके किसी भी भाग को तोड़ने से चीकर जैसा सफेद रसमय दुग्ध निकलता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

जानते हैं आक के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

पत्तियों का उपयोग मोच, आमवाती सूजन और हैजा में किया जाता है। इसके फूल, पत्ते, लेटेक्स और जड़-छाल का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है। फूलों को पाचन, पेट और टॉनिक गुणों के लिए जाना जाता है और पाउडर के रूप में, ये सर्दी, खांसी, अस्थमा और अपच के लिए उपयोग किया जाता है।

चेहरे की झाई तथा धब्बे के लिए

3 ग्राम हल्दी के चूर्ण को आक के 5-7 बूंद दूध व गुलाब जल के साथ मिलाकर आंखों को बचा कर झाइयों के स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

कान का दर्द 

मदार के पीले पड़े बिना छेद वाले पत्तों पर घी लगाकर अग्नि में तपाकर उसका रस निकालकर कान में दो-दो बूंद डालने से लाभ होता है।

दांत का दर्द

मदार के दूध में रुई भिगोकर घी में मलकर दाढ़ में रखने से दाढ़ की पीड़ा मिटती है। आक के दूध में नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

दांत निकालने के लिए

  • हिलते हुए दांत पर मदार का दूध लगाकर उसे आसानी से निकाला जा सकता है।
  •  आक के 8 -10 पत्तों को 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ पीसकर उसमें थोड़ी हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से दांत मजबूत रहते हैं। 

माइग्रेन की समस्या

पीले पड़े हुए मदार के 1-2 पत्तों के रस का नाक में डालने से आधासीसी अर्थात माइग्रेन के दर्द में लाभ होता है परंतु इसका सेवन बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि यह लगती बहुत ज्यादा है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

खांसी की समस्या

मदार की कोमल शाखा और फूलों को पीसकर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में घी में सेक लें, फिर इसमें गुड़ मिलाकर नित्य प्रातः सेवन करने से पुरानी खांसी, जिसमें हरा पीला दुर्गंध युक्त चिपचिपा कफ निकलता है, उसमें शीघ्र आराम मिलता है।

हैजा की समस्या

मदार के पीले पत्ते जो झड़ कर खुद ही नीचे गिर गए हों, ऐसे 5 पत्तों को लेकर जला दें। जब यह जलकर कोयला हो जाए तो आधा किलो पानी में इसको डालकर रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके जल के स्थान पर पिलाने से लाभ होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

बवासीर की समस्या

सूर्योदय से पहले मदार की तीन बूंद दूध को बतासे में डालकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।

पैरों के छाले

पैदल यात्रा करने से यदि पैरों में छाले हो गए हैं, तो मदार के दूध को लगाने मात्र से छाले ठीक हो जाते हैं।

गठिया की समस्या

मदार का फूल, सोंठ, काली मिर्च, हल्दी व नागर मोथा बराबर मात्रा में लेकर हल्के पानी के साथ पीसकर इसकी चने जैसी गोलियां बना लें। दो-दो गोली प्रातः सायं पानी के साथ सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

पुराना घाव या जख्म होने पर 

मदार के पत्तों का चूर्ण बनाकर पुराने से पुराने घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। कांटा, फांस आदि चुभने पर मदार के पत्ते में तेल चुपड़ कर उसे गर्म कर प्रभावित क्षेत्र पर बांधने से लाभ होता है।

मदार के 4-5 पत्तों को सुखाकर, उसको कूटकर छान कर खराब जख्मों पर बुरककर लगाने से दूषित मांस दूर होकर स्वस्थ मांस उत्पन्न हो जाता है।

सूनापन

मदार के 8 -10 पत्तों को 250 ग्राम तेल में तलकर तेल की मालिश करने से अंग के सूनापन में लाभ होता है।

एड़ी का दर्द

एक मुट्ठी मदार के फूल को दो गिलास पानी में उबालने और इसकी भाप से एडियों को सेंक कर गरम-गरम फूलों को एड़ियों पर बांध लें। 1 सप्ताह नियमित प्रयोग करने से एड़ियों का दर्द दूर होता है। शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो यह प्रयोग लाभकारी है।

बिच्छू का विष

बिच्छू के काटने पर विष उतारने के लिए मदार की जड़ को पानी में पीसकर लेप लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

मदार का नुकसान (Side Effects of Giant calotrope)

मदार का पौधा विशैला होता है। इसके दूध का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। अतः इसका उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।

मदार के पौधे का उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसका दूध थोड़ी सी भी आंखों में ना जाने पाए। यदि इसका दूध आंखों में चला जाता है, तो इससे आंखों की दृष्टि को हानि पहुंचाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

17 comments:

  1. मदार को आज तक हम बेकार का जंगली पौधा ही समझते थे। आज इसके लाभदायक गुणों से परिचित हुआ हूँ।

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  2. अच्छी जानकारी

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  3. Very useful knowledge has been imparted by you. E feel ourself icky to get it regularly.

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  4. Very useful knowledge has been imparted by you. E feel ourself icky to get it regularly.

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  5. मदार के विषय में विस्तृत जानकारी मिली, मदार के सेवन में मात्रा बहुत मायने रखता है इसलिए किसी जानकार के देखरेख में ही सेवन करना चाहिए और वो भी बहुत सावधानी से।
    अच्छी जानकारी

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  6. पूजा की दृष्टि से मदार की जानकारी थी, पर इसके औषधीय प्रयोग की जानकारी नहीं थी।

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  7. मदार जहरीली वनस्पति है,परंतु इसमें अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं।

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  8. हर जगह मिलता है,पर इसका उपयोग पता नहीं था
    अच्छी जानकारी मिली

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  9. ये तो बहुत देखा है, पर इसका इतना फायदा भी हो सकता है, ये पता नहीं था।

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