जंबूकेश्वर मंदिर, तमिल नाडु
शिव पार्वती के मंदिरों के कारण कहा जाता है - जंबूकेश्वर अखिलंदेश्वरी मंदिर
दक्षिण भारत के ज्यादातर मंदिर प्राचीन काल में बने हुए हैं इनमें तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के तिरुअनैकावल स्थित जंबूकेश्वर अखिलंदेश्वरी मंदिर भी है इसका निर्माण चोल वंश के राजा कोचेन्गनन चोल ने करवाया था। यह श्रीरंगम के श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर के निकट ही स्थित है।
तिरुवनैकवल में स्थित जंबूकेश्वर अखिलंदेश्वरी मंदिर भगवान शिव पार्वती का प्रमुख मंदिर है। इस शिवलिंग को पंचतत्व लिंगों में से एक जल तत्व लिंग के रूप में जाना जाता है। करीब 100 बीघा क्षेत्र में फैले इस मंदिर के तीन आंगन हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही जो आंगन है वहां लगभग 400 स्तंम्भ बने हुए हैं। आंगन में दाहिनी ओर एक सरोवर है जिसके मध्य में मंडप बना हुआ है।
श्री जंबूकेश्वर मंदिर पांचवे घेरे में है। इस जगह श्री जंबूकेश्वर लिंग बहते हुए पानी के ऊपर स्थापित है और लिंग मूर्ति के नीचे से लगातार जल ऊपर आता रहता है। आदि शंकराचार्य ने यहां पर श्री जंबूकेश्वर लिंग की पूजा अर्चना की थी यहां शंकराचार्य की मूर्ति भी है। जंबूकेश्वर मंदिर के तीसरी परिक्रमा में सुब्रह्मण्यम मंदिर है, यहां भगवान शिव का पंचमुखी लिंग भी स्थापित है।
जंबूकेश्वर मंदिर के प्रांगण में देवी पार्वती का विशाल मंदिर है। यहां देवी की पूजा जगदंबा रूप में की जाती है, इसलिए इन्हें अखिलंदेश्वरी कहते हैं। इस मंदिर के पास ही गणेश जी का भी मंदिर है, जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। मंदिर प्रशासन द्वारा बताया जाता है कि पहले देवी की मूर्ति में बहुत तेज था, इस वजह से कोई दर्शन नहीं कर पाता था, लेकिन आदि शंकराचार्य ने मूर्ति के कानों में हीरे से जुड़े हुए श्री यंत्र के कुंडल पहना दिए, जिससे देवी का तेज कम हुआ। इस मंदिर के आसपास मरिअम्मन और लक्ष्मी मंदिर के साथ अन्य मंदिर भी बने हुए हैं।
जंबुकेश्वर मंदिर की विशाल दीवारें स्वयं भगवान शिव ने बनाईं थीं
जंबुकेश्वर मंदिर वास्तुकला श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर से कहीं ज्यादा बढ़कर है। हालांकि दोनों का निर्माण एक ही समय में किया गया है। मंदिर के अंदर पांच प्रांगण मौजूद हैं। मंदिर के पांचवे परिसर की सुरक्षा के लिए विशाल दीवारों का निर्माण किया गया है, जिसे विबुडी प्रकाश के नाम से जाना जाता है, जो लगभग एक मील तक फैला हुआ है और 2 फीट चौड़ा और 25 फीट ऊंचा है। किवदंती के अनुसार दीवारें भगवान शिव ने मजदूरों के साथ मिलकर बनाई थीं। चौथे परिसर में एक बड़ा हॉल है और 769 स्तंभ मौजूद हैं। इसके अलावा हां जल कुंड भी मौजदू है। तीसरे परिसर में दो बड़े गोपुरम मौजूद हैं। जो 73 और 100 फीट लंबे हैं। इसके तरह बाकी के परिसर भी खास वास्तु विशेषता के लिए जाने जाते हैं। मंदिर का गर्भगृह चौकोर आकार का है। मंदिर के गर्भगृह की छत पर एक वीमान भी मौजूद है।
जंबुकेश्वर मंदिर परिसर में विवाह आयोजन क्यों नहीं होते
मंदिर में मूर्तियों को एक दूसरे के विपरीत स्थापित किया गया है, इस तरह के मंदिरों को उपदेशा स्थालम कहा जाता है। चूंकि इस मंदिर में देवी पार्वती एक शिष्य और जंबुकेश्वर एक गुरू के रूप में मौजूद हैं इसलिए इस मंदिर में थिरु कल्याणम यानी विवाह नहीं कराया जाता है।
पहले जामुन के पेड़ का जंगल था
वर्तमान के तिरुवनैकवल में जहां मंदिर है, वहां प्राचीन काल में जामुन के पेड़ों का जंगल था। मंदिर के पीछे एक चबूतरा बना है, जिसपर जामुन का प्राचीन पेड़ अभी भी है। मंदिर की प्राप्त शिलालेख के अनुसार प्राचीन काल में जामुन के पेड़ के नीचे शिव ने उनके दो भक्तों को दर्शन दिए थे। तब से वहां शिवलिंग स्थापित है, इसलिए इस मंदिर का नाम जंबूकेश्वर पड़ा। जम्बू का अर्थ जामुन होता है।
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Jambukeswarar Temple, Tamil Nadu
The temples of Shiva Parvati are called because of - Jambukeswar Akhilandeshwari Temple
Most of the temples in South India are built in ancient times, including the Jambukeswara Akhilandeshwari Temple at Tiruanaikaval in Tiruchirappalli district of Tamil Nadu, which was built by the Chola dynasty king Kochenganan Chola. It is located near the Sriranganathaswamy temple in Srirangam.
Jambukeswara Akhilandeshwari Temple located in Thiruvanaikaval is the main temple of Lord Shiva Parvati. This Shivalinga is known as one of the Panchatattva Lingas. Spread over an area of about 100 bighas, this temple has three courtyards. As soon as you enter the temple, there are about 400 pillars in the courtyard. There is a lake on the right side in the courtyard, in the middle of which there is a pavilion.
Sri Jambukeswarar Temple is in the fifth circle. At this place Shri Jambukeshwar Linga is established over the flowing water and water keeps coming up from under the Linga idol. Adi Shankaracharya had offered prayers to Shri Jambukeshwar Linga here. There is also an idol of Shankaracharya. In the third parikrama of the Jambukeshwar temple, there is the Subrahmanyam temple, where the Panchmukhi linga of Lord Shiva is also installed.
There is a huge temple of Goddess Parvati in the courtyard of Jambukeshwar temple. Here the goddess is worshiped in the form of Jagdamba, hence she is called Akhilandeshwari. There is also a temple of Ganesh ji near this temple, which was established by Adi Shankaracharya. It is told by the temple administration that earlier the idol of the goddess was very sharp, due to which no one could see, but Adi Shankaracharya wore the coils of Shri Yantra attached to the diamonds in the ears of the idol, which reduced the radiance of the goddess. Happened. There are other temples around this temple along with Mariamman and Lakshmi temples.
The huge walls of the Jambukeswarar temple were built by Lord Shiva himself.
The Jambukeswarar temple architecture is much more than the Srirangam Ranganathaswamy temple. Although both were built at the same time. There are five courtyards inside the temple. Huge walls have been built to protect the fifth complex of the temple, known as Vibudi Prakash, which extends for about a mile and is 2 feet wide and 25 feet high. According to legend, the walls were built by Lord Shiva along with the labourers. The fourth complex has a large hall and 769 pillars are present. Apart from this, yes water tank is also present. There are two big gopurams in the third complex. Which are 73 and 100 feet long. Similarly, the rest of the complexes are also known for their special architectural features. The sanctum sanctorum of the temple is of square shape. A vimana is also present on the roof of the sanctum sanctorum of the temple.
Why are marriages not organized in the Jambukeswarar temple complex?
The idols in the temple are installed opposite to each other, such temples are called Upadesha Sthalams. Since Goddess Parvati is present in this temple as a disciple and Jambukeswarar as a guru, Thiru Kalyanam i.e. marriage is not performed in this temple.
Earlier there was a forest of Jamun trees
In the present Thiruvanaikaval, where the temple is located, there was a forest of Jamun trees in ancient times. There is a platform behind the temple, on which the ancient Jamun tree is still there. According to the inscriptions received from the temple, Shiva had appeared to two of his devotees under the Jamun tree in ancient times. Since then Shivling has been established there, hence the name of this temple is Jambukeshwar. Jambu means berries.
Nice
ReplyDeleteThe old culture of our country is the rich. You told us very unique information.
ReplyDeleteVery nice information...
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteबहुत खूब 👍
ReplyDeleteSanaatan dharam ki jai 🚩🚩
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBful temple
ReplyDeleteबहुत अच्छा वर्णन।
ReplyDeleteसनातन यहां से वहां तक, जहाँ जहां देखो वहां तक 🚩🚩🚩🚩
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख अपनी प्राचीन धरोहर की👌👌👌
ReplyDeleteतिरुवनैकवाल में जंबूकेश्वर भगवान तथा अखिलंदेश्वरी मंदिर है।पहले यहां जामुन का जंगल था,जिसके कारण इसका नाम जंबूकेश्वर मंदिर पड़ा।
ReplyDeleteAwesome!
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