घरेलू हिंसा
आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और हमने देश और दुनिया में बहुत तरक्की की है। आज हमारा भारत जमीन से लेकर आसमान तक हर जगह अपनी कामयाबी के परचम लहरा चुका है, परंतु आज भी हमारे समाज में महिलाओं के साथ यदा-कदा घरेलू हिंसा की बातें सामने आती रहती हैं। वैसे तो हम नारी सशक्तिकरण की बहुत बड़ी-बड़ी बातें किया करते हैं, परंतु क्या उन बातों पर हम सही मायने में अमल कर पा रहे हैं या नहीं।
यह विषय बहुत ही गंभीर है आज महिलाएं साइकिल से लेकर प्लेन तक चला रही हैं, परंतु कुछ संकुचित मानसिक विचारधारा के लोग आज भी उन्हें हीन भावना से देखते हैं। हिंदुस्तान की लगभग 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में नारी सशक्तिकरण की बात तो दूर है, इन्हें इनका अधिकार भी नहीं दिया जाता। कभी इन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है, तो कभी किसी अन्य वजह से। भारतीय संविधान में भारत के सभी नागरिकों को अपना जीवन सम्मान से जीने का अधिकार दिया है, परंतु आज भी हमारे समाज की महिलाएं उन अधिकारों से, उन कर्तव्यों से वंचित हैं। हमारे समाज में कार्यस्थल हो या रोड पर चल रही महिलाएं हों, घर में बैठी कोई महिला हो, कोई भी महिला पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है।
कहने के लिए तो दुनिया में अगर महिलाओं को सबसे ज्यादा कोई देश सम्मान देता है, तो वो भारत है। क्योंकि हमारा भारत परंपराओं और संस्कृतिओं का देश है। हमारे यहाँ महिलाओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन फिर भी भारत में क्यों महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। उनके साथ ना सिर्फ घर के बाहर बल्कि घर के अंदर भी घरेलू हिंसा के अपराध हो रहे हैं। आए दिन हम दैनिक समाचार में देखते हैं कि, एक दुल्हन को दहेज के लिए घर में ही मार दिया गया।
घरेलू हिंसा की कानूनी परिभाषा
घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा, 2005” में घरेलू हिंसा को पारिभाषित किया गया है - "प्रतिवादी का कोई बर्ताव, भूल या किसी और को काम करने के लिए नियुक्त करना, घरेलू हिंसा में माना जाएगा।
- क्षति पहुँचाना या जख्मी करना या पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य, जीवन, अंगों या हित को मानसिक या शारीरिक तौर से खतरे में डालना या ऐसा करने की नीयत रखना और इसमें शारीरिक, यौनिक, मौखिक और भावनात्मक और आर्थिक शोषण शामिल है; या
- दहेज़ या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की अवैध मांग को पूरा करने के लिए महिला या उसके रिश्तेदारों को मजबूर करने के लिए यातना देना, नुक्सान पहुँचाना या जोखिम में डालना ; या
- पीड़ित या उसके निकट सम्बन्धियों पर उपरोक्त वाक्यांश (क) या (ख) में सम्मिलित किसी आचरण के द्वारा दी गयी धमकी का प्रभाव होना; या
- पीड़ित को शारीरिक या मानसिक तौर पर घायल करना या नुक्सान पहुँचाना"
घरेलू हिंसा को साधारण भाषा में समझें तो, घर में ही किया जाने वाला एक प्रकार का हिंसात्मक व्यवहार। इसमें घर के कोई एक सदस्य को बाकी के सदस्यों द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। घरेलू हिंसा का मुख्य उदेश्य दूसरे व्यक्ति को काबू करना या अपनी इच्छाओं को पूरी करना होता है।
इसमें ज़्यादातर महिलायें शिकार होती है। इसलिए राज्य महिला आयोग के अनुसार यदि परिवार का कोई व्यक्ति महिला के साथ मारपीट या अन्य रूप से प्रताड़ित करे, तो वह महिला घरेलू हिंसा का शिकार कहलाएगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल विवाहित महिलाओं में से दो-तिहाई महिला घरेलू हिंसा की शिकार है।
यह एक आंकड़ा मात्र नहीं है। आजाद हिंदुस्तान में जहां सविधान जैसी व्यवस्था लागू है, जिसने सबको अपना जीवन पूर्ण आजादी से जीने का अधिकार प्रदान किया है, स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार प्रदान किया है, ऐसे व्यापक संविधान के होते हुए कई कानून बनाए जाने के उपरांत भी हमारे समाज में आज घरेलू हिंसा व्यापक स्तर पर महिलाओं के साथ हो रहे हैं। इन्हें रोकने का कार्य सरकार का नहीं है। हमें अपनी सोच अपने विचार अपने आदर्श को बदलना होगा। कुछ समाज के ठेकेदार हिंदुस्तान को पुरुष प्रधान देश समझते हैं। ऐसे ठेकेदारों को पहचानना पड़ेगा तथा उन्हें नारी शक्ति का एहसास कराना होगा। तभी हमारी बहन बेटियां इस समाज में स्वच्छंदता से रह सकेंगी।
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domestic violence
Today we are living in the 21st century and we have made a lot of progress in the country and the world. Today, our India has blown the flag of its success everywhere from the ground to the sky, but even today, in our society, there are occasional incidents of domestic violence against women. Although we talk a lot about women empowerment, but are we able to implement those things in real sense or not.
This topic is very serious, today women are driving from bicycle to plane, but people of some narrow mental ideology still look at them with inferiority complex. About 70% of the population of India lives in rural areas. In these rural areas, there is no talk of women empowerment, they are not even given their right. Sometimes they are tortured for dowry, sometimes for some other reason. In the Indian Constitution, all the citizens of India have been given the right to live their life with dignity, but even today the women of our society are deprived of those rights, those duties. In our society, whether it is the workplace or the women walking on the road, whether there is a woman sitting in the house, no woman is completely safe.
To say, if any country in the world respects women the most, then it is India. Because our India is a land of traditions and cultures. Here women are worshiped as the form of Goddess. But still why crimes against women are increasing day by day in India. Crimes of domestic violence are being committed with them not only outside the house but also inside the house. Every day we see in the daily news that a bride was killed at home for dowry.
legal definition of domestic violence
The “Protection of Women Against Domestic Violence Act, 2005” Section 2005 defines domestic violence as “any act, omission or commission of any other act by the respondent, shall amount to domestic violence.
- causing injury or injuring or endangering the health, life, limb or interest of the aggrieved person mentally or physically or with intent to do so and includes physical, sexual, verbal and emotional and economic abuse; Or
- Torture, harm or put at risk to compel the woman or her relatives to meet an illegal demand for dowry or other property or valuable security; Or
- to have the effect of a threat to the victim or his immediate relatives by any of the conduct included in clause (a) or (b) above; Or
- Injuring or causing harm to the victim physically or mentally"
If we understand domestic violence in simple language, then a type of violent behavior done at home itself. In this, one member of the household is harassed physically and mentally by the other members. The main purpose of domestic violence is to control the other person or to fulfill one's desires.
Most of the women are victims of this. Therefore, according to the State Women's Commission, if any person from the family assaults or harassed the woman in any other way, then that woman will be called a victim of domestic violence. According to a report by the United Nations Population Fund, two-thirds of the total married women in India are victims of domestic violence.
This is not just a figure. In independent India, where a system like a constitution is in force, which has given everyone the right to live their life with complete freedom, the right to speak freely, despite having such a comprehensive constitution, many laws have been made in our society. Today domestic violence is happening on a large scale against women. It is not the job of the government to stop them. We have to change our thinking, our thoughts, our ideals. The contractors of some society consider India to be a male dominated country. Such contractors have to be recognized and they have to be made aware of women power. Only then our sisters and daughters will be able to live freely in this society.
घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005)
आज का मुद्दा बडा़ ही संवेदनशील है, हमारा देश भले ही देवी की पूजा करता है पर हमेशा से पुरुष प्रधान देश रहा है… अब धीरे-धीरे ही सही पर बदल रहा है बहुत हद तक बदल भी गया है
ReplyDeleteअच्छा लेख ������
Very nice
ReplyDeleteकहा जाता है कि मां ही अपने बच्चे की पहली गुरु होती है, मां को देवी का दर्जा दिया जाता है, एक महिला ही सही माइने मे इस श्रृष्टि की रचयिता है बस इसे समझने की बात है लेकिन आज भी वो देवी वो श्रृष्टि की रचयिता हम लोगों की बजह से सुरक्षित नही है,कुछ लोग महिलाओं पर हाथ उठाना अपना पुरूषार्थ समझते हैं ऐसे संक्रमण वाले व्यक्तियों से सरकार के साथ साथ हमारा भी फर्ज है उनकी सुरक्षा करना।
ReplyDeleteघरेलू हिंसा बहुत ही शर्मनाक है। महिलाओं के संरक्षण के लिए कानून भी हैं लेकिन ये कानूनी से ज्यादा सामाजिक बुराई है। साथ ही साथ ये भी सत्य है कि बहुत सी महिलाएं इन कानूनों के माध्यम से पुरुषों का उत्पीड़न भी कर रही हैं।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति है । समाज मे इस तरह की कुरीतियों का डटकर विरोध करना चाहिए । किसी भी सभ्य समाज मे किसी के उत्पीडन का कोई अधिकार नही है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष । प्रत्येक को अपने अनुसार जीवन जीने की आजादी होनी चाहिए ।
ReplyDeleteभारत की विवाहित महिलाओं में से दो तिहाई महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं।हमारा यह सतत प्रयास होना चाहिए कि घरेलू हिंसा पूरी तरह से खात्मा हो।
ReplyDeleteExcellent articles written by you.
ReplyDeleteVery nice article...
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGOOD ARTICLE
ReplyDeleteSuper
ReplyDeleteविचारोत्तेजक आलेख।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील आलेख।
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