मूर्ख कर जाता है सिर्फ बुराई
वाराणसी नरेश के राज बगीचे में एक माली हुआ करता था। वह बहुत दयावान था और उसने बगीचे में बंदरों को भी शरण दे रखी थी। अतः बंदर उसके कृपापात्र और कृतज्ञ थे।
एक बार वाराणसी में सात दिवसीय कोई धार्मिक त्यौहार का आयोजन था। वह माली भी 7 दिनों के लिए उस जलसे मे सम्मिलित होना चाहता था। अतः उसने बंदरों के राजा को अपने पास बुलाया और अपनी अनुपस्थिति में पौधों को पानी देने का निवेदन किया।
बंदरों के राजा ने माली की बात सहर्ष स्वीकार कर ली। जब माली बाग से चला गया, तो उसने अपने सारे बंदर साथियों को बुलाकर उनको पौधों को पानी देने की आज्ञा दी। साथ ही उसने सभी बंदरों को यह भी समझाया कि बंदर जाति उस माली की कृतज्ञ है, इसलिए वह कम से कम पानी का प्रयोग करें क्योंकि माली ने बड़े ही परिश्रम से पानी जुटाया था।
अतः बंदरों के राजा ने सभी बंदरों को सलाह दिया कि वह पौधों की जड़ों की गहराई का अनुमान लगाकर ही उन पर पानी डालें। बंदरों ने ऐसा ही किया फलतः पल भर में बंदरों ने सारा बाग ही उजाड़ डाला।
तभी उधर से गुजरते हुए एक बुद्धिमान राहगीर ने उन्हें ऐसा करते देखा तो टोकते हुए बंदरों को कहा कि पौधों को बर्बाद ना करें। फिर वह राहगीर बुदबुदाते हुए यह कहता हुआ वहां से निकल गया कि,"जबकि करना चाहता है अच्छाई, मूर्ख कर जाता है सिर्फ बुराई।"
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Shikshaprad...Murkhon se bhalayi ki ummid nahi karni chahiye..
ReplyDeleteउत्तम संदेश प्रेषित करती कथा।
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteअच्छी कहानी 👍
ReplyDeletegud story
ReplyDeleteNice 👍
ReplyDeleteअच्छी और शिक्षाप्रद कहानी, हर काम हर कोई नहीं कर सकता जरूर ध्यान रखें
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteमूर्ख व्यक्ति अच्छा चाहते हुए भी मूर्खता कर जाता है।
ReplyDeleteअच्छी कहानी
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteAchi kahani...
ReplyDeletenice story
ReplyDeleteNice story...
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteMurkh achaa chah kar bhi acha nhi kar pata...Nice Story...
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