साईं सेंक्चुरी (SAI SANCTUARY)
लंबे-लंबे पेड़ ,पौधे, घने-डरावने जंगल और उन सब के बीच एक से बढ़कर एक खतरनाक जंतु! कुछ यही पहचान होती है सेंक्चुरी की। लोगों के मनोरंजन की, मस्ती और प्रकृति के साथ दो पल सुकून से बिताने के लिए यह सबसे मस्त ठिकाना है। वैसे तो अपने देश में कई सारे वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी (वन्यजीव अभयारण्य) हैं, लेकिन वह सभी प्राकृतिक रूप से तैयार तथा सरकार के द्वारा विकसित किए गए हैं।आज हम ऐसे ही एक सेंक्चुरी के बारे में चर्चा करेंगे जो पूरी तरह से मानव निर्मित है।यह बात सुनकर हैरानी हो रही होगी कि भला वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी इंसानों द्वारा कैसे बनाई जा सकती है.... यह हैरान करने वाली बात जरूर है पर यह हकीकत है..
हमारे देश में इतनी अद्भुत और अनूठी सेंक्चुरी कर्नाटक राज्य के कोडगू जिले में स्थित है, जिसका नाम है ..'साईं सेंक्चुरी' ।
डॉ अनिल मल्होत्रा और पामेला मल्होत्रा पहले हिमालय में जमीन खरीदना चाहते थे पर वहां उन्हें 12 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने की अनुमति नहीं मिली इसलिए वर्ष 1991 में वे SAI (सेव एनिमल इनीशिएटिव) अभयारण्य शुरू करने के लिए दक्षिण आए। कर्नाटक के कोडगू जिले में अधिक वर्षा के वजह से किसान अपनी जमीन का उपयोग नहीं कर रहे थे। वह किसानों से जमीन खरीदते रहे, जो इसका उपयोग नहीं कर रहे थे और किसानों को अपने ऋण का पैसा मिल गया, क्योंकि उनकी भूमि बेकार थी। धीरे-धीरे 55 एकड़ का अभयारण्य बढा और आज 300 एकड़ का जमीन कवर करता है।वहां बहुत सारे देशी पेड़ थे, दंपति ने उनको बनाए रखने और 3 नियमों का पालन करने का निश्चय किया; पेड़ों को काटना नहीं, कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं और कोई शिकारियों को नहीं।
वन्य जीव अभ्यारण 1991 में शुरू हुआ था। इस दंपति के अथक परिश्रम ने 1991 में खरीदी गई 55 एकड़ बंजर भूमि को 300 एकड़ के शानदार अभयारण्य में बदल दिया । जिसमें किंग कोबरा सहित एक सांप घर और मछली घर भी है। विशाल पेड़ और घने जंगल ने कई पक्षियों की मदद की । इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं । इनमें से कई दुर्लभ और लुप्त प्राय श्रेणी में हैं।नए पक्षियों को पहचानने और शिकारियों से बचने के लिए यहां कई कैमरे भी लगाए गए हैं।
जब मल्होत्रा दंपत्ति ने जमीन खरीदी तो वहां इलायची और अन्य पौधों की देशी प्रजातियां थीं, जिन्हें लगाया गया था। उन्होंने अपने आसपास और अधिक देशी पेड़ लगाए और जैसे-जैसे पेड़ का विस्तार हुआ पशु पक्षियों की प्रजातियों में वृद्धि हुई। वनस्पतियों में देशी पेड़ों की सैकड़ों किस्म हैं।
यह युगल जैविक खेती द्वारा 10 -12 एकड़ में काफी और लगभग 15 एकड़ में इलायची उगाते हैं। अभयारण्य आफ - ग्रिड है और यह पूरी तरह से सौर या वैकल्पिक ऊर्जा पर चलता है। यह पंजीकृत गैर-लाभकारी ट्रस्ट है, जो दान पर चलता है।
क्योंकि क्षेत्र बहुत बड़ा है और शिकारियों पर नजर रखना मुश्किल है। इसका मुकाबला करने के लिए उन्होंने स्कूलों और आसपास के गांव में वन्य जीव और प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाई। उनके अभयारण्य में वन्यजीवों में बंगाल टाइगर, एशियन हाथी, हाइना, जंगली सूअर, तेंदुए, सांभर और विशाल मालाबार गिलहरी शामिल है।
1960 के दशक में यह कपल हनीमून के लिए हवाई गया था जहां की खूबसूरती ने उन्हें 'नेचर लवर' बना दिया। 1986 में जब अनिल अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए इंडिया आए तो हरिद्वार की गंदगी देखकर काफी दुखी हुए।कटते हुए जंगल और बेहद प्रदूषित नदी को देखकर इन दंपतियों ने तय किया कि वे जंगल को बचाएंगे ताकि प्रकृति सांस ले सके।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पामेला मल्होत्रा को नारी शक्ति पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया।
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SAI SANCTUARY
Long, tall trees, plants, dense forests, and among them, more than one dangerous animal! This is the identity of the Sanctuary. It is the best place for people to spend two moments of entertainment, fun and nature. Although there are many wildlife sanctuaries in our country, but they are all naturally prepared and developed by the government. Today we will discuss one such century which is completely man-made. It would be surprising to hear how a good wildlife life can be created by humans… It is a surprising thing but it is a reality ..
Such a wonderful and unique century in our country is located in Kodagu district of Karnataka state named 'Sai Sanctuary'. Dr. Anil Malhotra and Pamela Malhotra first wanted to buy land in Himalayas but they had to buy more than 12 acres of land there. Permission was not granted, so in 1991, he came south to start the SAI (Save Animal Initiative) sanctuary. Farmers were not using their land due to excess rainfall in Kodagu district of Karnataka. He kept buying land from farmers, who were not using it and the farmers got their loan money because their land was useless. Gradually the 55-acre sanctuary grew and today covers 300 acres. There were so many native trees, the couple decided to maintain them and follow 3 rules; No felling of trees, no human intervention and no predators.
Wildlife Sanctuary started in 1991. The tireless diligence of the couple transformed the 55 acres of wastelands purchased in 1991 into a 300-acre magnificent sanctuary. There is also a snake house and fish house including the king cobra. The huge trees and dense forest helped many birds. There are more than 300 species of birds in this sanctuary. Many of these are rare and endangered. Many cameras have also been installed here to identify new birds and avoid predators. When the Malhotra couple bought land there were native species of cardamom and other plants, which were planted. . They planted more native trees around them and as the tree expanded the species of animal birds increased. There are hundreds of varieties of native trees in the flora.
The couple grow cardamom in 10 -12 acres and cardamom in about 15 acres through organic farming. The sanctuary is off-grid and runs entirely on solar or alternative energy. It is a registered non-profit trust, which runs on donations. Because the area is very large and it is difficult to keep an eye on predators. To counter this, he spread awareness about conservation of wildlife and nature in schools and the surrounding village. The wildlife in his sanctuary includes Bengal tiger, Asian elephant, hyena, wild boar, leopard, sambar and giant Malabar squirrel.
In the 1960s, the couple went to Hawaii for a honeymoon where the beauty of them made them 'Nature Lovers'. When Anil came to India for his father's funeral in 1986, he was deeply saddened to see the filth of Haridwar. The couple decided to save the forest so that nature could breathe, after seeing the jungle and the highly polluted river.
Pamela Malhotra was honored with the Nari Shakti Puraskar by President Pranab Mukherjee on International Women's Day 2017.
Good information.
ReplyDeleteWow.... inspirational 👍🏻👍🏻
ReplyDeleteGud info
ReplyDeleteGreat, really amazing and appreciable
ReplyDeleteपर्यावरण संरक्षण का अनूठा उदाहरण।अच्छा प्रयास।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteSuch a good job... appreciable..
ReplyDeleteWow....Amazing....aise aise log b hain..
ReplyDeleteMere liye bilkul nayi jaankari...aapke blog se kai nayi jankaari mili..
ReplyDeleteKaha se dhund dhund k nikal rhe
ReplyDeleteChun chun k post laya ja rha....keep it up...👍🏻👍🏻👌👌
ReplyDeleteप्रेरणादायक
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteआज का ब्लॉग पढ़ने के बाद तो इकबाल जी का ये शेर याद आ गया...खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे ..
ReplyDeleteबता तेरी रजा क्या है...
Wahhhh.. yhi manav jeevan ka param kartavya hai ki apni jeevanshaili ko sudridh bnate hue ka annya jeev jantu ka bhi bharan poshan kar ske 🙏🙏
ReplyDeleteIs blog ka yhi moral hai 👌👌
Achhi jankari
ReplyDeletenice
ReplyDeleteNice knowledge
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGazab...
ReplyDeleteKya baat ha...jajba ho to aisa..
ReplyDeleteInspirational..
ReplyDeleteI want to visit there
ReplyDeleteJabardast...👌👌👍👍
ReplyDeleteजहाँ चाह है वहां राह है। अनिल और पामेला
ReplyDeleteमल्होत्रा ने इसे साबित कर दिया।
Wonderful 👍🏻
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