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शेर और सियार (Lion and Jackal)

शेर और सियार

शेर और सियार (Lion and Jackal)

वर्षों पहले हिमालय की किसी कंदरा में एक बलिष्ठ शेर रहता था। एक बार वह अपनी गुफा को लौट रहा था। तभी रास्ते में उसे एक मरियल -सा सियार मिला, जिसने उसे लेटकर दंडवत प्रणाम किया। जब शेर ने उससे ऐसा करने का कारण पूछा तो उसने कहा," सरकार मैं आपका सेवक बनना चाहता हूं। कृपया मुझे आप अपनी शरण में ले लें। मैं आपकी सेवा करूंगा और आपके द्वारा छोड़े गये शिकार से अपना गुजर- बसर कर लूंगा।" शेर ने उसकी बात मान ली और उसे मित्रवत अपनी शरण में रखा।

शेर और सियार (Lion and Jackal)

कुछ ही दिनों में शेर द्वारा छोड़े गए शिकार को खा-खा कर वह सियार बहुत मोटा हो गया। प्रतिदिन सिंह के पराक्रम को देख-देख उसने भी स्वयं को सिंह का प्रतिरूप मान लिया।

एक दिन उसने सिंह से कहा,"अरे सिंह! मैं भी अब तुम्हारी तरह शक्तिशाली हो गया हूं। आज मैं एक हाथी का शिकार करूंगा और उसका भक्षण करूंगा और उसके बचे-खुचे मांस को तुम्हारे लिए छोड़ दूंगा।" चूँकि सिंह उस सियार को मित्रवत् देखता था, इसलिए उसने उसकी बातों का बुरा न मान उसे ऐसा करने से रोका। भ्रम-जाल में फँसा वह दम्भी सियार सिंह के परामर्श को अस्वीकार करता हुआ पहाड़ की चोटी पर जा खड़ा हुआ। वहाँ से उसने चारों ओर नज़रें दौड़ाई तो पहाड़ के नीचे हाथियों के एक छोटे से समूह को देखा।

फिर सिंह-नाद की तरह तीन बार सियार की आवाजें लगा कर एक बड़े हाथी के ऊपर कूद पड़ा। किन्तु हाथी के सिर के ऊपर न गिर वह उसके पैरों पर जा गिरा। और हाथी अपनी मस्तानी चाल से अपना अगला पैर उसके सिर के ऊपर रख आगे बढ़ गया। क्षण भर में सियार का सिर चकनाचूर हो गया और उसके प्राण पखेरु उड़ गये।

पहाड़ के ऊपर से सियार की सारी हरकतें देखता हुआ सिंह ने तब यह गाथा कही -

"होते हैं जो मूर्ख और घमंडी, होती है उनकी ऐसी ही गति"

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Lion and Jackal

Years ago, there lived a strong lion in a Kandra in the Himalayas. Once he was returning to his cave. Then on the way he found a Marial-like Jackal, who lay down and bowed to him. When the lion asked him the reason for doing so, he said, "Sarkar, I want to be your servant. Please take me to your shelter. I will serve you and I will survive the hunt you have left." The lion obeyed him and kept him in his friendly.

शेर और सियार (Lion and Jackal)

In a few days, the jackal became very fat by eating the prey left by the lion. Every day, seeing the might of the lion, he also considered himself as a replica of the lion.

One day he said to Singh, "Hey Singh! I too have become as powerful as you are now. Today I will hunt an elephant and eat it and leave the remaining flesh for you."

Since Singh saw the jackal befriended, he did not mind his words and prevented him from doing so. Caught in a web of confusion, he stood at the top of the mountain, rejecting the advice of Dambi Siyar Singh. From there he looked around and saw a small group of elephants at the bottom of the mountain.

शेर और सियार (Lion and Jackal)

Then, like the lion-nad, he jumped on a big elephant three times with the sound of jackal. But the elephant did not fall on its head and it fell on its feet. And the elephant moved forward keeping his front foot on top of his head with his masti gait. In a moment, the jackal's head was shattered and his soul flew away.

Seeing all the wolf's movements from the top of the mountain, Singh then said this saga -

"Those who are foolish and arrogant, have the same speed"

24 comments:

  1. "टीचर सिर्फ स्कूल में नहीं होते बल्कि हर वह इंसान टीचर है जिनसे हमें कुछ सीखने को मिलता है

    हैप्पी टीचर्स डे 🙏🙏

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  2. Bilkuk sahi baat.. murkh ghamandi ka yhi hasra hota h 👍👍

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  3. अपनी स्थिति का सही आकलन जो नहीं करते हैं उन्हें हमेशा नुकसान ही उठाना पड़ता है. शिक्षक दिवस पर एक और शिक्षाप्रद कहानी Happy Teacher's Day

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  4. Murkhon ka yhi harsh hota ha..

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  5. बढ़िया कहानी। मित्र भी हमेशा सोच समझकर बनाना चाहिए।

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  6. कोई भी काम सोच समझ कर करना चाहिए।

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  7. कोई भी काम सोच समझ कर करना चाहिए।

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  8. Nice story n Happy teacher's day

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