लक्खण मृग
उन्हीं दिनों से फसल काटने का समय भी निकट था तथा मगध वासी अपने लहलहाते खेतों को आवारा पशुओं से सुरक्षित रखने के लिए अनेक प्रकार के उपक्रम और खाइयों का अपने खेतों की रक्षा के लिए निर्माण कर रहे थे। मृगों की सुरक्षा के लिए वृद्ध पिता ने अपने दोनों पुत्रों को अपने मृग समूहों को लेकर किसी सुदूर और सुरक्षित पहाड़ी पर जाने का निर्देश दिया।
लक्खण एक बुद्धिमान और प्रबुद्ध मृग था। उसे यह ज्ञान था कि मगध वासी दिन के उजाले में उनका शिकार भी कर सकते हैं, अतः उसने पिता द्वारा निर्दिष्ट पहाड़ी के लिए रात के अंधेरे में प्रस्थान किया। उसकी इस बुद्धिमानी से उसके सभी साथी सुरक्षित पहाड़ी पर पहुंच गए।
उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आयी होगी।
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Lakhad deer
Thousands of years ago, there lived a group of thousand deer in the adjacent forest of Magadha district, whose king had 2 sons - Lakhan and Kaal. When the mrigaraja began to grow old, he declared his two sons as heirs and provided five to five deer under the protection of each, so that they could enjoy safe feeding viharas.
From those days the harvesting time was also near and the Magadh residents were constructing a variety of undertakings and trenches to protect their fields, to keep their waving fields safe from stray animals. In order to protect the antelope, the old father instructed his two sons to go to a remote and safe hill with their antelope groups.
Kala was an arbitrary antelope. He immediately departed towards the hill with his antelope. He did not even care that people could hunt him in the sunlight. As a result, many of his companions were killed on the way.
Lakhan was an intelligent and enlightened antelope. He had the knowledge that Magadhites could hunt them in broad daylight, so he left for the hill designated by his father in the dark of night. With this intelligence, all his companions reached the safe hill.
After 4 months, when the people reaped the crop, both the deer brothers returned to their places of residence with their servants. When the old father learned the reason for killing all of Lakhan's companions alive and many of Kala's companions, he openly praised Lakhan's intelligence.
Hope you like this story.
हमेशा की तरह इस कहानी से सीख मिलती है कि बड़े की बात मानने के साथ सदैव विवेक से काम करना चाहिए , अच्छी कहानी है 👍👍
ReplyDelete🙏
DeleteBahut hi interesting story..
ReplyDeleteबहुत ही उत्तम कहानी,बहुत ही सकारात्मक संदेश के साथ।इन कहानियों के माध्यम से आप समाज को भी दिशा प्रदान कर रही हैं।साधुवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद सर, यह तो आप की सकारात्मकता है।
DeleteTumhare madhyam se jatak kahaniya padhne ko mil rha ## kahaniya gyanvardhak hain..
ReplyDeleteमाध्यम कोई भी हो, मन को अच्छा लगना चाहिए। 😊
Deletebahut achhi kahani.. prerana lene layak..
ReplyDeleteइस कहानी का संदेश है कि अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करते हुए ही कोई कार्य करना चाहिए, अच्छी कहानी एक बहुत ही अच्छी सीख के साथ
ReplyDeleteसभी जातक कहानियों में हमारे लिए कुछ ना कुछ संदेश दिया गया है।
DeleteNice story
ReplyDeleteबहुत ही रोचक तथा प्रेरणादायक कहानी, अगली कहानी की प्रतीक्षा में...
ReplyDeleteबहुत ही अछि और रोचक कहानी है।
ReplyDeleteछोटी किन्तु रोचक एवं शिक्षाप्रद कहानी,राजा को अपना उत्तराधिकारी उसे ही बनाना चाहिए जो अपने विवेक से अपनी प्रजा को सुरक्षित रख सके।
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteInteresting and learning story 👌👍
ReplyDeleteसभी जातक कथाओं से कुछ संदेश निकलता है इस कहानी से भी हमें सीखने को मिल रहा है अच्छी कहानी 👍🏻👍🏻
ReplyDeleteहमें कोई भी काम अपने बुद्धि और विवेक से करना चाहिए 🙏
DeleteGood story
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteNice Story
ReplyDeleteThodi lambi story ho to aur maja aaye
ReplyDeleteOk..aage se thodi lambi karte hain..
Deleteअगली कथा अगले शनिवार 🙏
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteNice Story..
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