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Uses of Pottery (मिट्टी के बर्तन की उपयोगिता)

Uses of Pottery (मिट्टी के बर्तन की उपयोगिता)

            खेत की मिट्टी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का खजाना है, जो भोजन खेत में पकने में जितना समय लेता है, उसके हिसाब से घर में पकने में भी समय लेता है। यह प्रकृति का सिद्धांत है मिट्टी पवित्र होती है। हमारा शरीर मिट्टी का ही बना है, इसीलिए हमारे शरीर को जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वह  मिट्टी में पाए जाते हैं और हमारे शरीर को जलाने के बाद मात्र 20 ग्राम मिट्टी राख में बदल जाती है। इस राख में वही माइक्रो न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो मिट्टी में होते हैं।
Uses of Pottery (मिट्टी के बर्तन की उपयोगिता)

           मिट्टी के बर्तन में पका हुआ भोजन करना चाहिए। मिट्टी के बर्तन में पका हुआ भोजन जल्दी खराब नहीं होता है और इसको पकाने में एक भी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स  कम नहीं होता है। मिट्टी, कांसे, पीतल या स्टील के खुले बर्तन में खाना पकाएं। मिट्टी के बर्तन में 100%,  कांसे के बर्तन में 96 % और पीतल के बर्तन में 93% माइक्रो  न्यूट्रिएंट्स बचते हैं।
              शरीर को बनाने में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भूमिका में कैल्शियम, फास्फोरस,  आयरन इसी तरह के 18 तत्व शरीर में होते हैं। जिन लोगों के पीठ पर कूबड़ निकल आता है, उनको शरीर में फास्फोरस की बहुत कमी होती है। शरीर में खून की कमी आयरन की कमी के कारण होती है। दमा और अस्थमा की स्थिति में शरीर में सल्फर की कमी होती है।और इन सारे तत्वों की पूर्ति मिट्टि के बर्तन में खाना बनाने से हो जाती है। 

        सबसे अच्छे बर्तन मिट्टी के होते हैं। कांच के बर्तन या वस्तुऐं  मिट्टी  से बनते हैं। शरीर में पाए जाने वाले सभी अट्ठारह सूक्ष्म तत्व मिट्टी में भी होते हैं।  इसलिए मिट्टी शरीर के आवश्यक सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की मां  है। Phosphorus, Sulpher, zinc, magnesium, iron जैसे तत्व मिट्टी से ही मिलते हैं। मिट्टी में लाखों करोड़ों साल से सूर्य की धूप में जो तपस्या की है उसी का यह परिणाम है कि सभी पोषक तत्व मिट्टी  में विद्वान है जो कि किसी भी जीव को चाहिए, जो इस मिट्टी से किसी ना किसी रूप में जुड़ा है। कैल्शियम और आयरन की कमी के कारण ज्यादातर बच्चे ऑपरेशन के द्वारा पैदा होते हैं। सीजर करवाने वाली हर स्त्री को दर्द से छुटकारा कभी नहीं मिलता है।
Uses of Pottery (मिट्टी के बर्तन की उपयोगिता)

        शुद्ध लोहे का बर्तन ज्यादा अच्छा होता है, स्टेनलेस स्टील के बर्तन की तुलना में। लोहे की कढ़ाई या अन्य बर्तन साफ करने के पहले नींबू निचोड़ दें और उसके छिलके से घिस दें, इसके बाद बर्तन साफ करें। काली मिट्टी का तवा मक्की की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है। लाल मिट्टी का तवा गेहूं की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है तथा पीली मिट्टी का तवा बाजरे की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है।

         भारत  के ज्यादातर मंदिरों में प्रसाद मिट्टी के बर्तन में ही बनता है। भारत में गुजरात राजस्थान और भी कई राज्य में करोड़ों लोग आज भी मिट्टी के बर्तन में खाना पकाते हैं। मिट्टी ऊष्मा की कुचालक है।

       


 मिट्टी के बर्तन बायोडिग्रेडेबल है क्योंकि नष्ट होने के बाद पुनः मिट्टी में मिल जाते हैं। डायबिटीज के मरीजों को को मिट्टी के बर्तन में पका हुआ भोजन ही करना चाहिए। एक छोटी सी बात शेयर करना चाहते है कि  कुछ  दिन पहले राजीव जी जब मद्रास गये थे. तो मद्रास में बहुत बड़ा ग्रुप है. जिसका नाम है TVS, जो मोटरसाइकिल बनाती है. जैसे Hero Honda हमारे उत्तर भारत का बड़ा ग्रुप है, वैसे ही दक्षिण भारत का TVS ग्रुप है. उनके साल भर का टर्नओवर दो से ढाई लाख करोड़ का रहता है. तो उनके घर के किसी सदस्य ने राजीव जी की कोई CD सुनी. सीडी सुनने के बाद उन्होंने राजीव जी को डिनर पर इनवाइट किया. तो जब राजीव जी उनके घर डिनर के लिए गये तो वह वहां का माहोल देख कर एकदम हैरान रह गये. उनके रसोई में सारे बर्तन मिट्टी के थे. घड़ा, तवा मिट्टी, हांड़ी, आटा गुथने के लिए जो थाली होती है ना परात वह सब कुछ मिट्टी के थे. राजीव जी ने उनके घर की मालकिन से पूछा कि “ ढाई लाख करोड़ का एंपायर आप संभालती हैं. पति-पत्नी दोनों मिलकर काम करते हैं, इतना बड़ा एंपायर संभालती है. मिट्टी के बर्तन में दाल पकाने का समय कब मिलता है?”
उनका जो उत्तर था उसे सुनकर राजीव जी दंग रह गये. उन्होंने कहा, “ मिस्टर दीक्षित दुनिया में हेल्थ से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता. अगर दुनिया में हम अपनी हेल्थ मेंटेन नहीं कर सकते तो यह ढाई लाख करोड़ किसी काम की नहीं है. अगर हम बीमार पड़ते हैं डॉक्टरों के पास जाते हैं हजारों करोड़ इधर-उधर कम आते हैं तो वह किसी काम का नहीं है. और अगर मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करके हमारी हेल्थ सुरक्षित है और हमको सालों-साल डॉक्टर के पास जाना नहीं पड़ता, दवा खानी नहीं पड़ती है तो इससे अच्छा क्या सौदा है?”
ये सुनकर राजीव जी बोले कि इतना समय कैसे निकालते हैं तो उन्होंने कहा कि “मैनेज करती हूं. इधर दाल चढ़ा दिया उधर सब्जी चढ़ा दिया. मुझे दूसरे काम में फाइल साइन करनी है वह सब मैनेज करती हूं तो मैनेजमेंट का हे यह सारा किस्सा है.” तब उन्हें समझ में आया कि हम यह बहानेबाजी कि हमारे पास समय नहीं है. दुनिया में हर काम हो सकता है अगर सच्चे दिल से हम करने की ठान लें तो.

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Uses of Pottery

The soil of the farm is a treasure of micronutrients, which according to the time it takes to cook food in the field, it also takes time to cook at home.  This is the principle of nature. Soil is pure.  Our body is made of clay, therefore the micronutrients that our body needs are found in the soil and after burning our body, only 20 grams of soil turns into ash.  This ash contains the same micro nutrients that are in the soil.
            Cooked food should be taken in an earthen pot.  Food cooked in an earthen pot does not deteriorate quickly and it does not reduce any micronutrients in cooking.  Cook in an open pot of clay, bronze, brass or steel.  Micro-nutrients remain 100% in pottery, 96% in bronze vessels and 93% in brass vessels.
               Calcium, phosphorus and iron are 18 similar elements in the role of micronutrients in the body.  People who have hump on their back, they have a lot of phosphorus in their body.  Lack of blood in the body is due to iron deficiency.  In the case of asthma and asthma, there is a deficiency of sulfur in the body, and all these elements are replenished by cooking food in an earthen pot.
         The best utensils are made of clay.  Glass utensils or objects are made from clay.  All the eighteen subtle elements found in the body are also in the soil.  Therefore soil is the mother of all the essential micronutrients of the body.  Elements like Phosphorus, Sulpher, zinc, magnesium, iron are found in soil.  The result of the austerity that has been done in the soil for millions of years in the sunlight is that all the nutrients are known in the soil which any organism needs, which is connected to this soil in some form.  Most babies are born by operation due to calcium and iron deficiency.  Every woman who does Caesar never gets rid of pain.
 Today's use of pottery ...
         A pure iron vessel is much better, compared to a stainless steel vessel.  Before cleaning the iron pan or other utensils, squeeze the lemon and rub it with the peel, then clean the utensils.  Black clay griddle is best for maize bread.  Red clay griddle is best for wheat bread and yellow clay griddle is best for millet bread.
          In most temples in India, Prasad is made in an earthen pot.  In India, Gujarat, Rajasthan and in many other states, crores of people still cook food in an earthen pot.  The soil is a bad conductor of heat.
       
  Earthen ware is biodegradable as it reintegrates into the soil after being destroyed.  Diabetes patients should eat cooked food in an earthen pot.  Want to share a small thing that Rajiv ji went to Madras a few days ago.  So there is a very big group in Madras.  Its name is TVS, which manufactures motorcycles.  Just like Hero Honda is our big group in North India, so is TVS Group of South India.  His year-round turnover varies from two to two and a half lakh crores.  So some member of his house listened to a CD of Rajiv ji.  After listening to the CD, he invited Rajiv ji to dinner.  So when Rajiv ji went to his house for dinner, he was very surprised to see the atmosphere there.  All the utensils in his kitchen were of clay.  The plate which is used for kneading the pitcher, tawa mud, handi, flour and everything was of clay.  Rajiv ji asked the mistress of his house that “You are the one and a half million crore EMPIRE.  Both the husband and wife work together, such a great empire is handled.  When is the time available to cook lentils in an earthen pot? "
 Rajiv ji was stunned to hear his answer.  He said, "Mr. Dixit is nothing more important than health in the world."  If we cannot maintain our health in the world, then this 2.5 lakh crore is of no use.  If we fall ill, go to the doctors, thousands of crores come here and there, then it is of no use.  And if using pottery, our health is safe and we do not have to go to the doctor for years, do not have to eat medicine, then what is the better deal? ”
 Hearing this, Rajivji said how do he take so much time, he said that “I manage.  Gave the lentils here and the vegetables.  I have to sign the file in another work, if I manage all of that, then this is all about management. "  Then they understood that we pretended that we did not have time.  Every work in the world can be done if we are determined to do it with a sincere heart.

24 comments:

  1. मिट्टी के बर्तनों की महत्ता प्रतिपादित करता उत्तम लेख।लेकिन अभी बहुत आसानी से ये मिलते नही हैं। इनके गैस पर चढ़ने के अभी भी संशय रहता है।

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    1. हां, सारे बरतन तो नहीं मिलते पर बहुत मिल भी जाते हैं। सारे बरतन के लिए प्रदर्शनी का इंतजार करना पड़ेगा या मिट्टी के बरतन वालो को बोलने से हो जाए शायद।

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    2. गैस पर चढ़ाने में कोई संशय नहीं है... ये संशय तभी तक है, जबतक आप एक बार इस्तेमाल नहीं कर लेते।एक बार इस्तेमाल करिए सारे संशय मिट जाएंगे।

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  2. बहुत बढ़िया सदुपयोगी जानकारी

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  3. Replies
    1. Ye her jagah to nhi milta...per demand krne per mil jayega...ya fir kisi exhibition me

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  4. उपयोगी लेख, लेकिन सब तरह के मिट्टी के बर्तन नहीं मिलते

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    1. जो नहीं मिल रहे उसको छोड़ कर जो मिल रहे उनका उपयोग तो कर सकते हैं।

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  5. to those who are saying we don't get utensils. i would tell that in Lucknow there are many restaurants who have taken responsibility of conversing our rituals by fallowing the old style serving in utensils made of mud which is now a trend too ... eg: Bati choka, Punjabi Tadka ....

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  6. Slow slow the people adopt the old style

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  7. Baat to sahi ha.. pahle ke samay me sab kuch hi scientific tha..

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  8. Modern Science is just reflection of our Sanatan Sanskriti 🙏🏻

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  9. दुनियाँ में कोई भी कार्य असम्भव नही है
    बस इच्छा शक्ति होनी चाहिए। ये भी बात
    सत्य है कि स्वास्थ्य से बढ़कर कोई धन नही
    है। मिट्टी में सभी माइक्रोन्यूट्रिएंट मौजूद है।
    मिट्टी के बर्तन में खाना पकाना खाना खाना
    पानी पीना सब सम्भव है । सब जानते हुए
    भी हमलोग अनजान बने हुए है यही
    हमलोगों के दुख का कारण है।
    इतनी बेहतरीन जानकारी प्रदान करने के
    लिए आपका आभार🙏

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  10. श्री कृष्ण ने भी मिट्टी खाकर दिखाया था कि मिट्टी में पूरा ब्रम्हांड समाया है।मेरी नानी काली मिट्टी से दाँत साफ करती थीं और उनकी मृत्यु होने पर भी पूरे दाँत थे।मिट्टी के बर्तन मिल तो जाते पर आधुनिक काल में समयाभाव बताकर टाल जाती हैं।हमारे घर में माँ के समय तक इन बर्तनों में भोजन पकता रहा है।दूध पकाने और दही जमाने में सर्वश्रेष्ठ होता है।पेट दर्द में भी मिट्टी पट्टी बांधी जाती है।

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  11. बहुत ही सुखद एवं रोचक जानकारी धन्यवाद रूपा जी 🙏

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  12. पवन कुमारFebruary 14, 2023 at 8:00 PM

    मिट्टी के बर्तन में खाना बनाना , खाना खाना
    वो भी मिट्टी पर बैठ कर कितना सुखद और
    स्वास्थ्यवर्धक है । इस लेख के माध्यम से आपने
    मिट्टी की महत्व को कितनी अच्छी तरह से
    बतलाने का प्रयास की है इसके लिये हृदय से
    आपको आभार🙏🙏🙏🙏🙏

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  13. 👏👌👌बहुत महत्वपूर्ण उपयोगी जानकारी 🙏🙏💐💐और बहुत बढ़िया संदेश, सही कहा --जान है तो जहान है, धन्यवाद 🙏

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  14. मिट्टी के बर्तनो मैं खाना स्वदिष्ट होता है

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