प्रकृति का अंधाधुंध दोहन
मार्च अभी खत्म भी नहीं हुआ और मौसम का आलम ये है कि 10:00.बजे के बाद बाहर निकलना बहुत ही मुश्किल भरा हो गया है। इंसान तो इंसान इस बदलते मौसम से तो पक्षी और जानवर भी परेशान हैं। कभी किसी ने ये सोचने की कोशिश की है कि जो आजकल मौसम में ये अचानक बदलाव आने लगा है, ये बदलाव क्यूँ है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
हम इंसानों ने ही ये मुसिबतें अपने लिए पैदा की हैं। पेड़ - पौधों को आपनी सुविधा के लिए काटना, तरह तरह की रासायनिक फैक्ट्री लगाना आदि। बहुत से कारण है जिसकी वजह से मौसम में आजकल अचानक से बदलाव देखने को मिल रहा है।
पिछले दिनों मनुष्य ने विकास की दौड़ में प्रकृति के साथ बड़ी छेङखानी की है। प्रकृति के अंधाधुंध दोहन ने समूचे पर्यावरण को चरमरा दिया है। डब्लू .के. इस्टेस ने सोशल इकालाजी एण्ड हयूमन विहेवियर मैं इसके प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि इससे मनुष्यों की मानसिकता विकृत हुई है, जिसके परिणाम हिंसा, अपराध, विघटन आदि के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं।
वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों के पहुंचने से उत्पन्न प्रदूषण के कारण वायुमंडल में गैसों की मात्रा एवं संगठन में असंतुलन उत्पन्न होता है और वायु प्राणियों, वनस्पति जीव तथा मनुष्य के लिए घातक हो जाती है। वायु प्रदूषण प्रकृति तथा सामान्य दोनों कारणों से होता है। प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी उदगार, वनस्पतियों तथा जीवों का सड़ना आदि प्रमुख हैं।
जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वह पूरी तरह से प्रदूषित है। वह हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परीक्षण रचना के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ संबंधित समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़ - पौधों, पशु और मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि वातावरण को प्रेषित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दिनों में मानव जाति के लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकता है।
लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है। यह ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को बढ़ाती है। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों को जन्म देता है, जिसके कारण कभी - कभी मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है। बहुत से वन्य जीव - जन्तु और पेड़ पौधों की प्रजातियां पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत में छेद का कारण बना है।
विकास के नाम पर हम जिस पर्यावरण मे जी रहे हैं, साँस ले रहे हैं उसी को ही बर्बाद करने में लगे हैं।
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indiscriminate exploitation of nature
March is not over yet and the weather is such that it has become very difficult to get out after 10:00. Human beings and birds and animals are also troubled by this changing weather. Has anyone ever tried to think that who is responsible for this sudden change in the weather these days, why is this change?
We humans have created these problems for ourselves. Cutting of trees and plants for your convenience, setting up of various chemical factories etc. There are many reasons due to which sudden changes are being seen in the weather nowadays.
In the past, man has played a big role in the race of development with nature. The indiscriminate exploitation of nature has ruined the entire environment. W.K. Estes, while discussing its effects in Social Ecology and Human Behavior, said that it has distorted the mentality of human beings, the results of which are visible in the form of violence, crime, disintegration etc.
Due to the pollution caused by the arrival of harmful substances in the atmosphere, imbalance arises in the amount and composition of gases in the atmosphere and air becomes fatal for animals, plants and humans. Air pollution occurs due to both natural and general causes. Natural causes include volcanic eruptions, decay of flora and fauna, etc.
The air we breathe every moment is completely polluted. It goes through blood test composition in our lungs and whole body and causes countless health related problems. Polluted air causes destruction of trees, plants, animals and humans in direct and indirect ways. If the policies that transmit the environment are not followed seriously and strictly, then the increasing level of air pollution can prove to be very fatal for mankind in the coming days.
The ever-increasing pollution levels have also increased the negative and harmful effects on the health of living beings. Air pollution is also the reason for increasing global warming. These greenhouse gases increase the greenhouse effect and rising sea level, melting of glaciers, changing of seasons, changing of climate etc. The increasing air pollution gives rise to many fatal diseases, due to which sometimes humans also die. Many wildlife and plant species have been completely destroyed. The increase of harmful gases in the environment has caused acid rain and hole in the ozone layer.
In the name of development, we are trying to destroy the environment in which we are living and breathing.
Veri sensitive problem you have enumerated here in a effective manner.
ReplyDeleteIndia me to kuch nhi ho sakta.. Jab tak sarkar jurmana na lagaye
ReplyDeleteइस समस्या से प्रत्येक प्राणी और मनुष्य प्रभावित हो रहा है,फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है.. अच्छा लेख 👌
ReplyDeleteYah ek vishv stariy vikat samasya hai, jiska parinaam bhayawah hai..iske liye pure vishv ki sarkaar ko ekjut hokar kaam karna chahiye ...
ReplyDeleteप्रकृति के दोहन में बहुत से कारक जिम्मेवार हैं। एक तरफ जहां अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स कचरे की समस्या भी बहुत बड़ी है। जल और वायु सब प्रदूषित है। खेतों में रासायनिक उर्वरक का उपयोग जमीन को बंजर कर रहा है। कारखानों से निकलने वाला कचरा जल और वायु को प्रदूषित कर रहा है।
ReplyDeleteआज की ज्वलंत समस्या को उठता है आपने। हमे आने वाली पीढ़ियों के सुखद भविष्य के लिए पेड़ों की रक्षा करनी ही होगी।
ReplyDeleteइलेक्ट्रिक सिटी की वजह से आज भी बहुत सारे पेड़ बर्बाद हो रहे हैं
ReplyDeleteअभी दो हफ्तों पहले इलेक्ट्रिक सिटी वालों ने मेरे शहर की बिजली बंद की थी कारण पूछने पर पता चला की पेड़ों की कटाई चल रही है जबकि टेक्नोलॉजी के हिसाब से उनके पास और भी रास्ते हैं बिजली पहुंचाने के अंडरग्राउंड वायरिंग करके फिर भी पेड़ों को बर्बाद किया जा रहा है आम भाषा में कहे तो हमारी प्रकृति को बर्बाद किया जा रहा है😡😡😡
अंधाधुंध दोहन, प्रकृति से खिलवाड़ करना
ReplyDeleteआज का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है और इस समस्या से हमारी पीढ़ी तो कुछ कम भुगत रही है लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए ये अभिशाप होने वाली है। विकास और वैभवपूर्ण जीवन के लिए इन सीमित प्राकृतिक संसाधनों का असीमित दोहन किया जा रहा है और उसपर हमारा कोई वश भी नही है। एक काम जो हमलोग कर सकते है वो है यथासंभव पेड़ पौधे लगाना और अपनी तरफ से निरंतर प्रयास करना कि कम से कम प्रदूषण करें।
ReplyDeleteअधिक संख्या में पौधे लगाकर इस समस्या से निजात मिल सकती है।। धन्यवाद जी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। आने वाली पीढ़ी के लिए चिन्ता का विषय है ।
ReplyDeleteUltimate.
ReplyDeleteNice article.
ReplyDeleteNice
ReplyDelete🙋♂️💐
ReplyDeleteबहुत अच्छा ❤
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