हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान
हमारे देश में ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जिनके पीछे की वजह के बारे में हम नहीं जानते। कुछ बातों का पालन हम अपने पूर्वजों को देख कर करते चले आ रहे हैं। कुछ चीज़ें हम दूसरों की देखा-देखी करने लगते हैं। आज यहां चर्चा करेंगे हिंदू परम्पराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में। सनातन हिंदू धर्म को मानने वाले इस लेख को अवश्य पढ़ें और साथ ही विज्ञान को मानने वाले भी। हिंदू परम्पराओं पर हँसने वाले और उसे ढकोसला कहने वाले लोगों की सोच शायद यह लेख पढ़कर बदल जायेगी। क्योंकि सदियों से चली आ रही परंपरा के पीछे कितने ही वैज्ञानिक तथ्य छुपे हुए हैं।
1. नदी में सिक्के डालना
नदी में सिक्के क्यों फेंके जाते हैं? बस या ट्रेन से सफर करते समय जब हम नदियों से गुजरते हैं, तो लोगों को नदियों में सिक्के डालते हुए देखते हैं।
दरअसल, ये परंपरा सालों से चली आ रही है। हमारे माता-पिता, दादा-दादी सभी कहते भी हैं, कि जब भी नदी से गुजरो, सिक्का नदी में फेंक देना। आखिर हम नदी में सिक्का क्यों डालते हैं? इस रिवाज के पीछे एक बड़ी वजह छिपी हुई है। दरअसल, जिस समय नदी में सिक्का डालने की ये प्रथा या रिवाज शुरु हुआ था, उस समय में आज के स्टील के सिक्के नहीं थे बल्कि तांबे के सिक्के चला करते थे और तांबा वाला पानी हमारे लिए फायदेमंद होता है। अगर हम इतिहास के आईने में झांक कर देखेंते हैं तो हम पाते हैं कि पहले के ज़माने में पानी का मुख्य स्रोत नदियां ही हुआ करती थीं। लोग हर काम में नदियों के पानी का ही इस्तेमाल किया करते थे।
चूंकि तांबा पानी को शुद्ध करने में काम आता है और ये नदियों के प्रदूषित पानी को शुद्ध करने का एक बेहतर तरीका था, इसलिए लोग जब भी नदी या किसी तालाब के पास से गुजरते थे, तो उसमें तांबे का सिक्का डाल दिया करते थे। आज तांबे के सिक्के चलन में नहीं है, लेकिन फिर भी तब से चली आ रही इस प्रथा को लोग आज भी मान रहे हैं।
हालांकि, इसके अलावा ज्योतिष में भी कहा गया है कि अगर किसी तरह का ग्रह दोष दूर करना हो, तो उसके लिए जल में सिक्के और कुछ पूजा सामग्री को प्रवाहित करने चाहिए। ज्योतिष में यह भी कहा गया है कि अगर बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए, तो उससे अशुभ चुद्र का दोष समाप्त हो जाता है। यही नहीं, पानी में सिक्का डालने की प्रथा को एक प्रकार का दान भी कहा गया है। कुछ लोगों का ये भी मानना होता है कि अपनी कमाई का कुछ अंश सिक्के के रूप में नदी में फेंकने से तरक्की होती है ।
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2. चूड़ियों का महत्व
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पुराने समय मे ज्यादातर महिलायें सोने-चांदी की चूड़ियाँ पहना करती थी। माना जाता है की सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। महिलायें पुरुषों से कमजोर होती है। चूड़ियाँ उनके हाथो को मजबूत और शक्तिशाली बनाती हैं।
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3. बच्चों का कान छेदन
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विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। और बच्चो के चेहरे पर चमक आती है। इसके कारण बच्चा बेहतर ज्ञान प्राप्त कर लेता है।
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4. ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना
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जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं। बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।बैठ कर खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों नहीं होती हैं, जबकि इसके विपरीत खड़े होकर खाना खाने से कब्ज, गैस, घुटनों का दर्द, कमर दर्द आदि की परेशानी हो सकती है।
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5. हाथों में मेहंदी लगाना
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शादी-ब्याह, तीज-त्योहार पर हाथों-पैरों में मेंहद लगायी जाती है, ताकि महिलाएं सुंदर दिखें। वैज्ञानिक तर्क- मेंहदी एक जड़ी बूटी है, जिसके लगाने से शरीर का तनाव, सिर दर्द, बुखार, आदि नहीं आता है। शरीर ठंडा रहता है और खास कर वह नस ठंडी रहती है, जिसका कनेक्शन सीधे दिमाग से है। लिहाजा चाहे जितना काम हो, टेंशन नहीं आता।
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6. सर पे चोटी रखना
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सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को हिन्दुत्व की पहचान तक माना जाता है । असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है।सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से बचाती है।
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7. भोजन के अंत में मीठा खाना
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जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बनने लगता है, जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठा खाने का प्रचलन है, जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है। मीठा में सबसे अच्छा देसी गुड़।
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8. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है
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तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। सुख शांति बनी रहती है। वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं। तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।
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9. पीपल के वृक्ष की पूजा
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पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करता है और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है। यही कारण है कि इस वृक्ष के नीचे ध्यान एवं मंत्र जप का विशेष महत्व है।
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10. हाथ जोड़कर नमस्ते करना
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जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्ति को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्चिमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।
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11. माथे पर कुमकुम/तिलक
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महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।
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12. दक्षिण की तरफ सिर करके सोना
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दक्षिण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें। वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।
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13. सूर्य नमस्कार
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हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
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14. व्रत रखना
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कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।
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15. चरण स्पर्श करना
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हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें। वैज्ञानिक तर्क- मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।
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16. मूर्ति पूजन
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हिंदू धर्म में मूर्ति का पूजन किया जाता है। वैज्ञानिक तर्क- यरि आप पूजा करते वक्त कुछ भी सामने नहीं रखेंगे तो आपका मन अलग-अलग वस्तु पर भटकेगा। यदि सामने एक मूर्ति होगी, तो आपका मन स्थिर रहेगा और आप एकाग्रता ठीक ढंग से पूजन कर सकेंगे।
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17. मंदिर क्यों जाते हैं
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मंदिर वो स्थान होता है, जहां पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मंदिर का गर्भगृह वो स्थान होता है, जहां पृथ्वी की चुंबकीय तरंगें सबसे ज्यादा होती हैं और वहां से ऊर्जा का प्रवाह सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में अगर आप इस ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहता है। मस्तिष्क शांत रहता है।
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18. हवन या यज्ञ करना
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किसी भी अनुष्ठान के दौरान यज्ञ अथवा हवन किया जाता है। वैज्ञानिक तर्क- हवन सामग्री में जिन प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण होता है, वह और कर्पुर, तिल, चीनी, आदि का मिश्रण के जलने पर जब धुआं उठता है, तो उससे घर के अंदर कोने-कोने तक कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। कीड़े-मकौड़े दूर भागते हैं।
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19. महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया
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हमारे देश में शदीशुदा महिलाएं बिछिया पहनती हैं। वैज्ञानिक तर्क- पैर की दूसरी उंगली में चांदी का बिछिया पहना जाता है और उसकी नस का कनेक्शन बच्चेदानी से होता है। बिछिया पहनने से बच्चेदानी तक पहुंचने वाला रक्त का प्रवाह सही बना रहता है। इसे बच्चेदानी स्वस्थ्य बनी रहती है और मासिक धर्म नियमित रहता है। चांदी पृथ्वी से ऊर्जा को ग्रहण करती है और उसका संचार महिला के शरीर में करती है।
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20. क्यों बजाते हैं मंदिर में घंटा
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हिंदू मान्यता के अनुसार मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटा बजाना शुभ होता है। इससे बुरी शक्तियां दूर भागती हैं। वैज्ञानिक तर्क- घंटे की ध्वनि हमारे मस्तिष्क में विपरीत तरंगों को दूर करती हैं और इससे पूजा के लिय एकाग्रता बनती है। घंटे की आवाज़ 7 सेकेंड तक हमारे दिमाग में ईको करती है। और इससे हमारे शरीर के सात उपचारात्मक केंद्र खुल जाते हैं। हमारे दिमाग से नकारात्मक सोच भाग जाती है।
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🙏🙏
ReplyDeleteदुर्लभ जानकारी।
ReplyDeleteसाधुवाद।
आपके ब्लॉग पर दुर्लभ से दुर्लभ अद्धभुत जानकारी पढ़ने को मिल जाती है भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म, सनातन प्रतिविम्ब, रोचक तथ्य, आयुर्वेद से जुड़ी जानकारियां , ज्ञान रूपी शनिवार को प्रस्तुत अपकीं कहानियां, कितना कुछ है एक आपके इस ब्लॉग पर जो साधरणतः अन्य कही पढ़ने देखने को मिलता हैं आपकी रूपा ओस की एक बूंद पुस्तक में भी आपके ब्लॉग संकलन का अद्धभुत समागम पढ़ने को प्राप्त हुआ जो आपकी पुस्तक में बच्चो से ले कर बुर्जुर्गो तक के लिए तथ्य लेख है पढ़ने समझने के लिए आपका बहुतबबहुत धन्यवाद आपने आपके ब्लॉग के माध्यम से हमे जोड़ा रखा आम जन जो आपके ब्लॉग पर आते है मेरी तरह प्रतिदिन उनसे भी कहना चाहूंगा ऐर्क पुस्तक मंगा कर पढ़ के देखिए आपको बहुत कुछ उस एक छोटी पुस्तक में प्राप्त होगा हर हर महादेव 🙏🔱🌹🚩
ReplyDeleteअविस्मरणीय
ReplyDeleteआपके ब्लॉग के माध्यम से जीवन के हर क्षेत्रों से जुड़ी जानकारी प्राप्त होती है
सनातन संस्कृति को नमन 🙏🏻
ReplyDeleteBhartiy sanscriti ko pranam
ReplyDeleteGood knowledge
ReplyDeleteअद्भुत जानकारी , भारतीय संस्कृति और परंपरा का कितना वैज्ञानिक , सांसारिक और स्वास्थ्य को
ReplyDeleteध्यान में रख कर बनाया गया था उसे आपने बहुत
ही अच्छी तरह से बिंदुवार समझने का प्रयास किए
है इसके लिए आपको हृदय से आभार🙏
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (29-06-2023) को "रब के नेक उसूल" (चर्चा अंक 4670) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच पर इस प्रविष्टि को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deleteजयतु सनातन धर्म संस्कृति एवं परम्परा 🙏🚩🙌। सुन्दर तथ्य के साथ उपयोगी वार्ता 👌👌🙏🚩🙌
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteहर वक़्त कुछ नया जानने को मिलता है रूपा जी आप की पोस्ट पे से धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteJayatu sanatan🚩🚩
ReplyDeleteबहुत अच्छे से बताई है आपने वे बातें जो अक्सर हम थोड़ा बहुत जानकार यूँ ही उस छोड़ देते हैं, उसके बारे में थोड़ा गहराई से जानने की जहमत नहीं उठाते हैं।
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