Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

 "प्रकृति की सुंदरता

आप सभी को पता है कि हम जिस धरती पर रहते हैं, वह सबसे सुंदर गृह है। हरियाली युक्त सुंदर और आकर्षक है। कुदरत हमारी सबसे अच्छी साथी होती है। जो हमें इस धरती पर जीवन जीने के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराती है। प्रकृति हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और खाने के लिए खाना और रहने के लिए जमीन देती है। प्रकृति हमारे जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण संसाधन है। पेड़ - पौधे, पशु - पक्षी के सब हमारे जीवन को बेहतर करने के लिए आवश्यक है। परंतु प्रकृति का अभिशाप प्रकृति बिगाड़ने वाले होते हैं और यह कोई और नहीं हम स्वयं हैं।

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

सूरज की तपती गर्मी को लगातार ,ग्रहण करने की वजह से आज हमारी पृथ्वी दिनों दिन गर्म होती जा रही है।  जिसकी वजह से कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ता जा रहा है। इसके लिए लोगों को इसे कारण और प्रभाव का पता होना चाहिए, जिससे इसका समाधान हो सके। आज पृथ्वी पर प्रकृति का अभिशाप वायुमंडल के रूप में ग्लोबल वार्मिंग है, जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है। ऐसा आकलन किया जा रहा है कि अगले 50 से 100 साल में धरती का तापमान इतना बढ़ जाएगा कि जीवन के लिए इस धरती पर कई मुश्किलें उत्पन्न हो जाएंगी, जो की कार्बन डाई आक्साइड की वजह से है।

जब पाप अधिक बढ़ता है, तो धरती कांपने लगती है। यह भी कहा गया है कि धरती घर का आंगन है। आसमान छत है, सूर्य चंद्र ज्योति देने वाले दीपक है, महासागर पानी के मटके हैं और पेड़ - पौधे आहार के साधन। हमारा प्रकृति के साथ किया गया कुछ वादा है - हम जंगल को नहीं उजाड़ेंगे, प्रकृति से आनावश्यक खिलवाड़ नहीं करेंगे,  ऐसी फसलें नहीं उगायेगा जो धरातल का पानी सोख लेती है, बात बे बात पहाड़ों की कटाई नहीं करेंगे।

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

स्मरण रखिए, प्रकृति किसी के साथ भेदभाव और पक्षपात नहीं करती। इसके द्वार सबके लिए समान रूप से खुले हैं। लेकिन जब हम प्रकृति से अनावश्यक खिलवाड़ करते हैं, तब उसका गुस्सा भूकंप, सूखा ,बाढ़, सैलाब, तूफान की शक्ल में हमारे सामने आता है, फिर लोग काल के गर्त में समा जाते हैं।

कालिदास की शकुंतला: कालिदास की शकुंतला में शकुंतला जो वन में पली-बढ़ी होती है, जब विदा होकर ससुराल जाती है, तो ऋषि प्रकृति का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि - "देवी देवताओं से भरे वन वृक्षों को शकुंतला जल पिलाये बिना स्वयं जल नहीं पीती थी, जो आभूषण प्रिय होने पर भी स्नेह के कारण तुम्हारे कोमल पत्तों को नहीं तोड़ती थी,जो तुम्हारे पुष्पित होने के समय उत्सव मनाती थी, वह शकुंतला अपने पति के घर जा रही है। तुम सब मिलकर इसे विदा करो।"

English Translate

"beauty of nature"

You all know that the earth we live on is the most beautiful planet. The greenery is beautiful and attractive. Nature is our best friend. Which provides us all the resources to live life on this earth. Nature gives us air to breathe, water to drink and food to eat and land to live in. Nature is a very important resource for our life. Trees - plants, animals - birds are all necessary to improve our life. But the curses of nature are nature spoilers and it is none other than we ourselves.

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

Due to continuous absorption of the scorching heat of the sun, today our earth is getting hot day by day. Due to which the level of carbon dioxide is increasing. For this people should know its cause and effect, so that it can be resolved. Today the curse of nature on earth is global warming in the form of atmosphere, due to which the temperature of the earth is increasing. It is being estimated that in the next 50 to 100 years, the temperature of the earth will increase so much that many problems will arise for life on this earth, which is due to carbon dioxide.

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

When sin abounds, the earth trembles. It is also said that the earth is the courtyard of the house. The sky is the roof, the sun moon is the lamp giving light, the oceans are the pots of water and the trees and plants are the means of food. We have some promise made with nature - we will not destroy the forest, will not play with nature unnecessarily, will not grow such crops which absorbs the water of the surface, will not cut down the mountains unnecessarily.

Remember, nature does not discriminate and favor anyone. Its doors are equally open to all. But when we play with nature unnecessarily, then its anger comes in front of us in the form of earthquake, drought, flood, inundation, storm, then people get absorbed in the pit of time.

"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)

Shakuntala of Kalidasa: Shakuntala, who grew up in the forest, when she leaves and goes to her in-laws' house, the sage personifies nature and says - "Water herself without giving Shakuntala water to the forest trees full of gods and goddesses." Shakuntala is going to her husband's house, who used to celebrate when you were flowering, who did not pluck your tender leaves because of affection even though she loved ornaments.

सूरज की पहली किरण (First ray of sun)
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)
कोयल (Cuckoo)  
आसमाँ (Asman)
Mountain (पर्वत)
पेड़ का दिल  (The Heart of the Tree)
"प्रकृति की सुंदरता " (A things of beauty is a joy forever)
पर्यावरण (Environment)
पीपल, बरगद,पकड़ी और नीम
गिलहरी  (Squirrels, Gilhari)
बरसात - कहीं हर्ष कहीं विषाद / ठण्ड की बरसात 

16 comments:

  1. बहुत ही रोचक लेख

    ReplyDelete
  2. Very attractive article has been written. By you. The socity is benefitting

    ReplyDelete
  3. प्रकृति को छटा अनुपम है।

    ReplyDelete
  4. प्रकृति की गोद मे सुकून के साथ बैठना बहुत आनंददायक अनुभव होता है।

    ReplyDelete
  5. जब हम इंसान प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति अपना संतुलन खुद ही बनाती है फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। प्रकृति को बचाना हम सबका दायित्व है।
    अच्छा लेख

    ReplyDelete
  6. प्रकृति हमारी मां है। ये हमें वो सब देती है, जिसकी हमें जरूरत है। हमारा भी फर्ज बनता है कि हम इसके दोहन को रोकें।

    जागरूक करने वाली पोस्ट

    ReplyDelete