मौसम बदल गया..
यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह...❣️❣️"
संवेदना की आंच से पत्थर पिघल गया,
यूँ देखते ही देखते मौसम बदल गया..
हर शै गुलाम वक्त का है देखो तो जरा,
सूरज को शाम ढ़लते समन्दर निगल गया..
सुनिये तो जरा आप मेरी बात गौर से,
कहते नहीं हैं दर्द कभी अपना और से..
देखा है हमने तंग दस्ती भूख शिद्दतें-
गुज़रे हुए हैं हम भी मुफ़लिसी के दौर से..
मन खोखला है जिसमें प्रेम तत्व नहीं है,
संबंध व्यर्थ है अगर अपनत्व नहीं है..
पर्दा पड़ा है आंख में बस अर्थ मूल है-
रिश्ते तो हैं जिंदगी में, पर अब महत्व नहीं है..
मुस्कुराहट मेरी आदतों में शामिल हैं ....❣️❣️"
बहुत सुन्दर 👌👌
ReplyDeleteVery Nice 👌🏻😊
ReplyDeleteचांद धुंधला ही सही पर निकला तो है
ReplyDeleteचांद फिर निकला मगर तुम ना आए
कल चौदहवीं की रात थी तब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा यह चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा
मौसम बदलते ही रहना चाहिए और इंसान को भी परिस्थिति के अनुसार बदल जाना चाहिए। बदलाव प्रकृति का नियम है।
ReplyDeleteHappy Sunday.
ReplyDelete🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉️सुप्रभात 🕉️☕️☕️
🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
👍👍👍🙏🙏🙏
🙏आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐