डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती
आज डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी (Dr. Bhimrao Ambedkar) की 130 वी जयंती है। आज 14 अप्रैल है, जिसे देश के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी (Dr. Bhimrao Ambedkar) के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू (मध्य प्रदेश) में सूबेदार रामजी सकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। उनके माता-पिता महार जाति के थे, जिसे उस वक्त अछूत माना जाता था। इस कारण बचपन में इन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी थी। इसका प्रभाव छोटी उम्र में ही बाबा साहब के मस्तिष्क पर पड़ा। 1908 में उत्कृष्ट परिणामों के साथ मुंबई से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद डॉक्टर अंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह विदेश चले गए। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और विदेश में अर्थशास्त्र के डॉक्टरेट की पढ़ाई करने वाले पहले भारतीय बने।
आज 14 अप्रैल के इस दिन को हम अंबेडकर जयंती सहित "समानता दिवस" और "ज्ञान दिवस" के रूप में भी मनाते हैं। अंबेडकर जी की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे द्वारा पुणे शहर में 14 अप्रैल 1928 को मनाया गया था और उसी के बाद से अंबेडकर जयंती की प्रथा की शुरुआत हुई। वर्ष 1990 में मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। वे अनन्य कोटि के नेता थे, जिन्होंने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में निछावर कर दिया।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अपने जीवन में समानता के लिए संघर्ष करते रहे और इसी कारण वे समानता और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार हैं। बाबा साहब समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्ष करते रहे। वे समतामूलक न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल है।
बाबा साहब ने समाज के वंचित वर्ग को शिक्षित व सशक्त किया और हमें न्याय व समता पर आधारित एक ऐसा प्रगतिशील संविधान दिया, जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। बाबा साहब का विराट जीवन व विचार हमारी प्रेरणा के स्रोत हैं।
प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को अंबेडकर जी के भारत की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान के कारण अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। 2015 में अंबेडकर जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया है। बाबा साहब का जीवन सचमुच संघर्ष और सफलता की अद्भुत मिसाल है। जानते हैं बाबा साहब के कुछ अनमोल विचार :
* यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं पहला व्यक्ति हूंगा जो इसे जलाऊंगा।
* जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वह आपके लिए बेमानी है।
* समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा।
* सामाजिक स्वतंत्रता जब तक प्राप्त नहीं है, तब तक कानून द्वारा जो भी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है उसका कोई लाभ नहीं है।
* एक विचार को भी प्रसार की आवश्यकता होती है, जितनी कि पौधे को पानी की आवश्यकता होती है नहीं तो दोनों मुरझा जाएंगे और मर जाएंगे।
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Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti
Today is the 130th birth anniversary of Dr. Bhimrao Ambedkar. Today is 14 April, which is celebrated as the birth celebration of Dr. Bhimrao Ambedkar, the creator of the country.
Dr. Bhimrao Ambedkar was born on 14 April 1891 in Mhow (Madhya Pradesh) as the fourteenth child of Subedar Ramji Sakpal and Bhimabai. His parents belonged to the Mahar caste, which was considered untouchable at the time. Due to this, he had to face many tortures in his childhood. It affected Baba Saheb's brain at an early age. After passing the matriculation examination from Mumbai with excellent results in 1908, Dr. Ambedkar graduated in Political Science and Economics from the University of Mumbai. He went abroad for further studies. He received his doctorate from Columbia University in 1916 and became the first Indian to pursue a doctorate in economics abroad.
Today we also celebrate this day of April 14 as "Equality Day" and "Day of Knowledge" including Ambedkar Jayanti. Ambedkar's first birth anniversary was celebrated by Sadashiv Ranpise on 14 April 1928 in the city of Pune and since then the practice of Ambedkar Jayanti started. He was posthumously awarded India's highest civilian honor "Bharat Ratna" in the year 1990. He was the leader of the unique category, who spent his entire life in the well-being of the whole of India.
Dr. Bhimrao Ambedkar struggled for equality in his life and for this reason he is considered a symbol of equality and knowledge. Babasaheb Bhimrao Ambedkar is the first law minister and the principal architect of the Indian Constitution. Baba Saheb struggled to bring the deprived sections of the society into the mainstream. He struggled throughout his life to create an equitable and just society. Their struggle is an example for every generation.
Baba Saheb educated and empowered the underprivileged section of the society and gave us a progressive constitution based on justice and equality, which worked to bind the country in the thread of unity. The great life and thoughts of Baba Saheb are the source of our inspiration.
Ambedkar Jayanti is celebrated every year on 14 April due to Ambedkar's invaluable contribution to India's independence. In 2015, Ambedkar Jayanti has been declared a public holiday. Baba Saheb's life is truly a wonderful example of struggle and success. Know some valuable thoughts of Baba Saheb:
* If I felt that the Constitution was being misused, I would be the first person to burn it.
* Until you achieve social freedom, whatever freedom the law gives you is meaningless to you.
* Equality can be a fantasy, but it has to be accepted as a governing principle nonetheless.
As long as social freedom is not achieved, whatever freedom is provided by law is of no benefit.
* An idea also needs propagation, as much as the plant needs water, otherwise both will wither and die.
सामाजिक एकीकरण और समता के पुरोधा भारत रत्न बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनको शत शत नमन, सत्ता की राजनीति ने बाबा साहेब के सपनों को साकार नहीं होने दिया और हम आज भी तमाम वर्गों में विभाजित हैं। सच्ची श्रद्धांजलि हमारे एकीकरण में ही है।
ReplyDeleteJai Bharat Jai sambidhan
ReplyDeleteJai Bharat Jai sambidhan
ReplyDeleteNicee blog��
ReplyDeleteआज का दिन ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है,यह पता नही था।
ReplyDelete🙏
ReplyDeleteबाबा साहेब भीम राव आम्बेडकर जी की इस पावन जयंती पर सभी आदरणीयों को बहुत बहुत बधाई। जय भीम जय भारत।
ReplyDelete🙏🙏🙏sat sat naman
ReplyDeleteजय भीम
ReplyDeleteNaman🙏
ReplyDeleteJai ho..
ReplyDeleteJai hind...
ReplyDeleteJai hind
ReplyDeleteNaman🙏
ReplyDeleteA detailed article written on the greatest man.
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteआरक्षण का आधार जाति न होकर अगर आर्थिक होता तो अंबेडकर जी से बड़ा राष्ट्रवादी कोई नही कहलाता 🤞🏻
ReplyDeleteभारतीय संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी को
ReplyDeleteशत शत नमन। आज जो हालात है अगर
वे जीवित होते तो शायद सही में संविधान
को जला डालते।🙏जय हिंद🙏