मलौट किला, होशियारपुर (पंजाब)
मलौट किला, होशियारपुर (पंजाब), इस किले का इतिहास 537 वर्ष से अधिक पुराना है। हालांकि इसके विषय में बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है। "इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया", 1908 तथा बाबरनामा से ली गयी कुछ जानकारियाँ सोशल साइट्स पर उपलब्ध हैं। किसी जमाने में जहाँ एशिया की सबसे बड़ी लायब्रेरी हुआ करती थी, होशियारपुर के जंगलों में बसा वह गांव जहाँ मलोट का किला है, वर्तमान में अपनी हालात पर आंसू बहा रहा है और जमीन में दफन होने की कगार पर पहुंच चुका है।
जानते हैं इस किले के इतिहास जुड़ी कुछ बातें।
यह किला होशियारपुर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर कंडी में बसा गांव मलोट है, जो इतिहास के पन्नों में मौजूद तो है, पर अब धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है। यह किला बहलोल लोधी के समय में बनाया गया था, जो अब जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। 1500 इस्वी के करीब लाहौर के सुल्तान बहलोल शाह लोधी ने यहाँ एक बेहतरीन किला बनवाया था, जिसमें एशिया की सबसे बड़ी लायब्रेरी हुआ करती थी। अक्सर बहलोल शाह लोधी इस इलाके में जंगल होने के कारण शिकार खेलने के लिए अपने साथियो के साथ आ कर कई कई दिनों तक रहता था।
उसी समय पर बाबर ने एक शक्तिशाली फौज तैयार कर छोटी-छोटी रियासतों को लूटना और कब्जा करना शुरू कर दिया था। सन् 1520 के आस-पास बाबर अपनी फौज को लेकर गांव मलोट में बने इस किले को लूट की नियत से ढूंढ रहा था। मगर जंगल में किला होने के कारण उसे काफी कठनाईयों का सामना करना पड़ रहा था। इसीलिए उसने अपनी फौज के साथ ज़िला होशियारपुर के गांव हरयाणा के नजदीक गांव टक्की में डेरा डाला। वहीँ यहाँ पर पानी की कमी के चलते बाबर ने एक कुएं का निर्माण भी करवाया।
1525-1530 के दौरान बाबर, दौलत खान लोदी और गोरी खान से आगे निकलने के लिए अनिच्छुक था, जो आतंक से घिरे हुए थे और खुद को होशियारपुर जिले में हरियाना के पास मलोट के किले में बंद किये थे। बाबर ने काहनुवान के सामने ब्यास नदी को पार किया और शिवालिक पहाड़ियों की घाटी के मुहाने पर पड़ाव डाला, जिसमें मलौत का किला है। बाबर ने किले पर कब्जा कर लिया और दौलत खान को बंदी बना लिया। बाबर ने दिल्ली के रास्ते बजवारा, रूपनगर, सरहिंद और सुनाम के रास्ते मार्च किया।
मलोट किले की बहुमूल्य पुस्तकें, बाबर ने किले पर कब्जा करने के बाद हमायूँ और कामरान को सौंप दिया था, उस समय शेर शाह सूर के शासनकाल में हामिद खान कक्कड़ मलोट के किले का प्रभारी था।
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Malout Fort, Hoshiarpur (Punjab)
Malout Fort, Hoshiarpur (Punjab), The history of this fort is more than 537 years old. Although there is not much information available about it. Some information taken from "Imperial Gazetteer of India", 1908 and Baburnama is available on social sites. Once home to Asia's largest library, the village situated in the forests of Hoshiarpur where the Malot fort is situated, is currently shedding tears for its condition and is on the verge of being buried in the ground.
Know some things related to the history of this fort.
This fort is only 20 kilometers away from Hoshiarpur, situated in Kandi village Malot, which is present in the pages of history, but now it has gradually reached the verge of extinction. This fort was built during the time of Bahlol Lodhi, which is now in a dilapidated condition. Around 1500 AD, Bahalol Shah Lodhi, the Sultan of Lahore, had built an excellent fort here, which used to have Asia's largest library. Often Bahlol Shah Lodhi used to stay in this area for many days with his companions to play hunting because of the forest.
At the same time, Babur had prepared a powerful army and started looting and capturing small princely states. Around the year 1520, Babur was looking for this fort built in village Malot with the intention of plundering it. But due to being a fort in the forest, he was facing a lot of difficulties. That's why he along with his army camped in village Takki near Haryana village of district Hoshiarpur. At the same time, due to lack of water here, Babar also got a well constructed.
During 1525–1530 Babur was reluctant to overrun Daulat Khan Lodi and Ghori Khan, who were terror-stricken and shut themselves up in the fort of Malot near Haryana in the Hoshiarpur district. Babur crossed the Beas river opposite Kahnuwan and encamped at the mouth of the valley of the Shivalik hills, which contains the fort of Malout. Babur captured the fort and made Daulat Khan a prisoner. Babur marched through Delhi via Bajwara, Rupnagar, Sirhind and Sunam.
The valuable books of Malot Fort, Babur handed over to Humayun and Kamran after capturing the fort, Hamid Khan Kakkar was in charge of the fort of Malot during the reign of Sher Shah Sur.
रोचक जानकारी
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी 👍
ReplyDeleteIntresting information 👌👌
ReplyDeleteSuper 👍
ReplyDeleteरोचक जानकारी
ReplyDeleteAise Jane kitne fort honge jo gumnami ke andhere me kho gaye...isme ek sandesh bhi hai, insaan chahe kitna bhi bada ho jaye aur chahe jo banwa le Aaj nahi to kal mitti me hi mil jana hai...jab sikandar ka abhimaan na tik saka to kisi ka nahi tikna...
ReplyDeleteFantastic data. Such a distant story!
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteअदभुत जानकारी।
ReplyDeletegood info
ReplyDeleteVery Nice Information 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteGood information. .
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