चिरायता (Chirayata)
चिरायता का नाम आप सभी ने सुना होगा। यह अपने कड़वेपन के लिए जाना जाता है, परंतु चिरायता जितना कड़वा होता है, उतना ही रोगों से लड़ने में फायदेमंद भी होता है। यह एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो मुख्य रूप से भारत के हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है।
चिरायता क्या है?
चिरायता हिमालय में पाई जाने वाली एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो अपने विशिष्ट कड़वे स्वाद के लिए जाना जाता है। इसमें बैगनी रंग के फूल होते हैं। इसके पौधों में अनेक शाखाएं होती हैं। इसके तने नारंगी श्यामले या जामुनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे 5 से 10 सेंटीमीटर लंबे तथा एक से डेढ़ सेंटीमटर चौड़े होते हैं। चिरायता के पौधे में फूल और फल आने का समय अगस्त से नवंबर तक का होता है। इसकी कई प्रजातियां होती हैं, जिसका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
जानते हैं चिरायता के फायदे, नुकसान, उपयोग औषधिय गुणों के बारे में
आयुर्वेद के अनुसार चिरायता एक बहुत ही उत्तम औषधि है और कई रोगों में फायदेमंद है।
भूख बढ़ाने में
चिरायता के 20 से 30 मिलीमीटर काढ़े को पीने से भूख बढ़ती है। इससे पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
खांसी होने पर
चिरायता के 20 से 30 मिलीमीटर काढ़े को पीने से खांसी ठीक होती है तथा साथ ही आंतों में रहने वाले कीड़े खत्म हो जाते हैं।
पेट में कृमि होने पर
सुबह भोजन के पहले 5 से 10 मिलीलीटर चिरायता के रस में मधु मिलाकर सेवन करने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
पेचिश रोग की समस्या
2 से 4 ग्राम चिरायता के चूर्ण में दोगुना मधु मिलाकर सेवन करने से पेचिश रोग ठीक होता है।
दस्त की समस्या
2 से 4 ग्राम बेलगिरी चूर्ण को खाकर ऊपर से चिरायता का काढ़ा पीने से दस्त में लाभ होता है।
पाचन तंत्र विकार में
प्रतिदिन सुबह खाली पेट 10 से 30 मिलीलीटर चिरायता के काढ़े का सेवन करने से पाचन क्रिया ठीक होती है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
लीवर की समस्या
चिरायता के पौधे से बने चूर्ण, पेस्ट अथवा काढ़ा, किसी भी प्रकार से सेवन करने से लीवर की सूजन ठीक होती है।
बुखार होने पर
चिरायता तथा धनिया के हरे पत्ते से काढ़ा बना लें। इस काढ़े का 10 से 20 मिली लीटर की मात्रा में सेवन करने से बुखार में शीघ्र लाभ होता है।
विभिन्न भाषाओं में चिरायता के नाम
Hindi (chirata or chirayta in hindi) – चिरायता, चिरेता, चिरैता, नेपालीनीम, चिराइता
Sanskrit – किराततिक्त, कैरात, कटुतिक्त, किरातक, काण्डतिक्त, अनार्यतिक्त, रामसेनक
English – ब्राउन चिरेता (Brown chireta), व्हाइट चिरेता (White chireta), Chiretta (चिरेता)
Urdu – चियारायता (Chiarayata)
Oriya – चिरायता (Chirayata), चिरायिता (Chirayita)
Kannada – नेलबेवु (Nelbaevu), किरायत (Kirayat)
Gujarati – करियातु (Kariyatu), चिरायता (Chirayata)
Tamil – निलावेम्बु (Nilavembu), शिरातकूच्ची (Shirattakucchi)
Telugu – नलवेम (Nalavem), नीलवेरू (Nilveru), नीलवेम्बू (Nilavembu)
Bengali – चिराता (Chirata), चिरेता (Chireta), महातिता (Mahatita)
Nepali – चिराइता (Ciraaitaa), तिडा (Tidaa)
Punjabi – चिरेता (Chireta), चिरायता (Chirayata)
Marathi – काडेचिराईत (Kadechirait), चिराइता (Chirayita)
Malayalam – नीलावेप्पा (Nilaveppa), उत्तरकिरियट्ट (Uttarkiriyatta)
Arabic – कस्बुझ्झारिरा (Qasabuzzarirah), कसबूल् रायरह (Kasbul rairah)
Persian – नोनिहाद (Nonihaad), नेनिल आवंदी (Nenilawandi)
चिरायता के नुकसान (Side Effects of Chirayata)
चिरायता का कोई भी गंभीर दुष्प्रभाव नहीं है, परंतु कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए। सीमित मात्रा में उपयोग से कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता, परंतु जरूरत से ज्यादा किसी भी चीज का सेवन नुकसानदायक होता है।
उच्च या निम्न रक्तचाप वाले रोगी को जो नियमित रूप से दवा ले रहे हैं, उन्हें चिरायता के सेवन से बचना चाहिए।
अल्सर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को चिरायता का सेवन नहीं करना चाहिए।
चिरायता के बारे में लाभप्रद जानकारी।
ReplyDeleteहिमालय पर जाना होगा?😊
ReplyDeleteNice
ReplyDeletenice share
ReplyDeleteAmazing information
ReplyDeleteइस तरह की जानकारी के बाद भी अगर किसी को समस्या होती है तो वो डॉक्टर के पास ही जाता है।
ReplyDeleteबहु उपयोगी चिरायता महा औषधि।
ReplyDeleteVery valuable news.
ReplyDeleteUseful Post
ReplyDeleteVery Useful..
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery useful
ReplyDelete