सिद्धेश्वर धाम , नामची सिक्किम
नामची का शाब्दिक अर्थ आकाश का शिखर होता है। सिद्धेश्वर धाम एक हिंदू मंदिर है जो कि भारत के राज्य सिक्किम के नामची शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नामची अपने खूबसूरत तीर्थ स्थलों के कारण आज के समय में बहुत ही तेजी से पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ है।
महाकाव्य महाभारत में एक अध्याय है, जहां अर्जुन भगवान शिव से पशुपति अस्त्र प्राप्त करने के लिए तपस्या करते हैं, और तब भगवान शिव अर्जुन की कठिन तपस्या से खुश होकर अपने पशुपति अस्त्र का वरदान देते हैं। यह घटना नामची के सोलोफोक पहाड़ी पर हुई थी। भगवान शिव के अवतार की खुशी मनाने के लिए इस पहाड़ी पर 12 ज्योतिर्लिंगों और चार धाम का परिसर बनाया गया। इस परिसर का उद्घाटन नवंबर 2011 में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और कई धार्मिक गणमान्य लोगों द्वारा किया गया था।
चार धाम, नामची शहर से 5 किलोमीटर दूर सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित एक पवित्र मंदिर है, जिसे सिद्धेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस पहाड़ी का मुख्य आकर्षण भगवान शिव की 108 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा है। यह मूर्ति पहाड़ी के पश्चिमी छोर पर स्थित है, जिसका मुख पूर्व दिशा की ओर है। यह मूर्ति 12 ज्योतिर्लिंगों से घिरी हुई है। यहां 12 ज्योतिर्लिंग का प्रतिकृति और पवित्र चार धाम के मॉडल हैं। चार धाम के चार मंदिर उत्तराखंड के बद्रीनाथ, उड़ीसा के पुरी, तमिलनाडु के रामेश्वरम और गुजरात के द्वारिकाधीश को समर्पित है। 12 ज्योतिर्लिंग अर्थात् सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, वैद्यनाथ, नागेश्वर, त्रयंबकेश्वर, ग्रीष्णेश्वर और रामेश्वर हैं। नामची में इन सभी धामों के प्रतिरूप के रुप में एक ही जगह पर हम दर्शन कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने पर मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
मंदिर आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता और शानदार पहाड़ी से घिरा हुआ है। सिक्किम की राजधानी गंगतोक से चार धाम पहुंचने में केवल 2 घंटे का समय लगता है। यह उन जगहों में से एक है जहां भरपूर शांति और प्राकृतिक दृश्य हमारा मन मोह लेते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कोई मनुष्य अपने जीवन काल में चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन नहीं कर सकता है।इसलिए सिद्धेश्वर मंदिर में चारों धामों और 12 ज्योतिर्लिंगों का एक ही स्थान पर दर्शन कर सकता है। चार धाम मंदिरों को मूल मंदिर के जैसा बनाने की पूरी कोशिश की गई है। सिद्धेश्वर मंदिर का वातावरण भक्ति पूर्ण है। मंदिर परिसर में सभी मंदिरों के दर्शन में लगभग 2 घंटे का समय लग जाता है।
पूजा करने के साथ-साथ एक और आकर्षक चीज है, जो हम मंदिर परिसर के अंदर कर सकते हैं। हम पारंपरिक वेशभूषा किराए पर लेकर स्थानीय फोटोग्राफरों द्वारा अपनी तस्वीरें खींचा सकते हैं। मंदिर से जुड़ा एक शाकाहारी भोजनालय और पार्किंग की सुविधा भी है।
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Siddheshwar Dham, Namchi Sikkim
The literal meaning of Namchi is the peak of the sky. Siddheshwar Dham is a Hindu temple located at a distance of about 5 kilometers from the Indian state of Sikkim. Namchi has become famous as a tourist destination very fast in today's time due to its beautiful pilgrimage sites.
There is a chapter in the epic Mahabharata, where Arjuna performs penance to obtain the Pashupati weapon from Lord Shiva, and then Lord Shiva, pleased with Arjuna's severe penance, grants him the boon of his Pashupati weapon. The incident took place on the Solophok hill in Namchi. A complex of 12 Jyotirlingas and Char Dham was built on this hill to celebrate the incarnation of Lord Shiva. The complex was inaugurated in November 2011 by Jagatguru Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati Maharaj and several religious dignitaries.
Char Dham, also known as Siddheshwar Dham, is a holy temple situated on the Solophok hill, 5 km from Namchi town. The main attraction of this hill is the huge 108 feet high statue of Lord Shiva. This idol is situated at the western end of the hill, facing east. This idol is surrounded by 12 Jyotirlingas. There are replicas of 12 Jyotirlingas and models of the holy Char Dham. The four temples of Char Dham are dedicated to Badrinath in Uttarakhand, Puri in Orissa, Rameswaram in Tamil Nadu and Dwarkadhish in Gujarat. There are 12 Jyotirlingas namely Somnath, Mallikarjuna, Mahakaleshwar, Omkareshwar, Kedarnath, Bhimashankar, Vishwanath, Vaidyanath, Nageshwar, Trimbakeshwar, Grishneshwar and Rameshwar. We can have darshan in Namchi as a replica of all these Dhams at one place. It is believed that by visiting here one gets freedom from all sins.
The temple is surrounded by alluring natural beauty and splendid hillocks. It takes only 2 hours to reach Char Dham from Gangtok, the capital of Sikkim. It is one of those places where the abundance of peace and natural scenery captivates us.
It is believed that a person cannot visit the Char Dham and 12 Jyotirlingas in his lifetime. Hence one can visit the four Dhams and 12 Jyotirlingas at one place in the Siddheshwar temple. Every effort has been made to make the Char Dham temples like the original temple. The atmosphere of Siddheshwar temple is full of devotion. It takes about 2 hours to visit all the temples in the temple premises.
Along with worshiping there is another fascinating thing that we can do inside the temple premises. We can rent traditional costumes and have our photographs taken by local photographers. There is also a vegetarian eatery and parking facilities attached to the temple.
Wonderful 👍🏻 Information
ReplyDeleteजय शिव शंकर 🙏🌹
ReplyDeleteNice information.
ReplyDeleteबेहतरीन जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, जय भोले
ReplyDeleteउपरोक्त वर्णित विशेषताओं के साथ इस मंदिर की एक मुख्य विशेषता ये है कि यहां सबलोग एक समान हैं किसी के लिए कोई विशिष्ट प्रबंध नहीं है और आपकी इच्छा हो तो दान करें अन्यथा न करें। प्रकृति की गोद में बसा एक अनूठा और दर्शनीय मंदिर है।
ReplyDeleteहर हर महादेव
good info...happy nagpanchami
ReplyDeleteHappy 😁 nagpanchami
ReplyDeleteमंदिर के बारे में पड़ने पर ही अच्छा लगा देखने में और भी अच्छा होगा
ReplyDeleteGreat stories.
ReplyDeleteनमः शिवाय🌿💐🙏
ReplyDeleteOm namah shivay🙏🙏
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