वच / Sweet Flag
हमारे आसपास कई तरह के औषधीय पौधे होते हैं, जिन के विषय में हमें जानकारी नहीं होती। ऐसा ही एक पौधा है - वच (Sweet Flag) । इसे कई लोगों ने देखा होगा लेकिन इसके फायदे से वाकिफ ना होने के कारण इसका प्रयोग नहीं करते हैं। वॉच का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं में चरक और सुश्रुत के समय से किया जाता रहा है।
वच क्या है?
वच का पौधा मूल रूप से यूरोपीय वनस्पति है। सैकड़ों साल पहले इसका प्रयोग मिश्र और ग्रीस में होता था। लंबे समय से भारतवर्ष में भी इसका इस्तेमाल दवाओं के लिए किया जा रहा है। वच की झाड़ी छोटी होती है। यह विशेष रूप से दलदली जगहों पर उगती है। जैसे मणिपुर,असम। इसकी जड़े लगभग मध्यम उंगली के जितनी मोटी होती हैं। पत्ते .9 मीटर से लेकर 1.8 मीटर तक लंबे होते हैं। इसके पत्ते हरे, चमकीले और नोकदार होते हैं। साथ ही इसके पत्ते बहुत सुगंधित होते हैं।
जानते हैं वच के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। वच का सुखाया गया जड़ वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा बच के नाम से बिकता है। यहां तेज गंध वाली, कड़वी, गरम, विरेचक, अफारा शोध, कफ वात ज्वर, पेट की गर्मी को दूर करने वाली तथा वाक शक्ति को बढ़ाने वाली है।
सिर दर्द की समस्या
सिर में खासकर अगले हिस्से में दर्द होने पर वच के पत्तों के प्रयोग से आराम मिलता है। वच के पत्तों को पीसकर मस्तक और दर्द वाली जगह पर लेप करने से दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।
माइग्रेन का दर्द
माइग्रेन की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए वच बेहद लाभकारी औषधि है। वच और पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर सूंघने से माइग्रेन या अधकपारी के दर्द में राहत मिलता है।
स्मरण शक्ति के लिए
वच स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मददगार होता है। वाच के तने के 200 मिलीग्राम चूर्ण को दूध या पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
पेट में गैस की समस्या
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए, तो इसका 3 भाग बना लें। दिन में तीन बार इसका सेवन करने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है।
कफ की समस्या
यदि कफ के कारण गले में दर्द हो रहा हो, तो वच के 500 मिलीग्राम चूर्ण को हल्के गर्म दूध में डालकर पीने से, अंदर जमा हुआ कफ ढ़ीला पड़कर बाहर निकल जाता है और गले का दर्द जल्द ही ठीक हो जाता है।
सूखी खांसी में
125 मिलीग्राम वच को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से बच्चों की सूखी खांसी में आराम मिलता है।
दमा की समस्या
दमा के रोगी को पहले 2 ग्राम की मात्रा में वच की खुराक देनी चाहिए। इसके बाद हर 3 घंटे बाद 625 मिलीग्राम की मात्रा में सेवन कराने से दमा में लाभ होता है।
सर्दी जुखाम की समस्या
वच के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघने से सर्दी जुखाम में आराम मिलता है तथा सर्दी के कारण नाक में होने वाली जलन दूर होती है।
पेट में कृमि होने पर
वच के 2 ग्राम चूर्ण को 125 मिलीग्राम भुनी हुई हींग के साथ मिलाकर खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
पेचिश की समस्या
- वच की 125 मिलीग्राम राख (भस्म) को पानी में घोलकर पिलाने से बच्चों को पेचिश में लाभ होता है।
- 25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। एक चौथाई शेष रह जाने पर इसका तीन भाग कर लें।दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से पेचिश में आराम मिलता है।
सामान्य प्रसव के लिए
वच को पानी में घिसकर इसमें अरंडी का तेल मिलाकर गर्भवती महिला के नाभि पर लेप करने से बच्चे को जन्म लेने में आसानी हो जाती है। साथ ही वच के काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पिलाने से प्रसव के बाद आने वाली कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
हकलाने की समस्या
वच के ताजे तने का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह शाम 3 महीने तक लगातार चूसने से हकलाने की बीमारी में लाभ मिलता है।
त्वचा के लिए
त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए वच एक अच्छी जड़ी बूटी है। यह त्वचा के घाव को जल्दी भरने के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें रोपण का गुण पाया जाता है, जो घाव को जल्दी भरता है।
भूख बढ़ाने में
आयुर्वेद के अनुसार वच में दीपन का गुण पाया जाता है, जो कि पाचक अग्नि को बढ़ाने में मदद करता है और भूख ना लगने की समस्या को दूर करता है।
वच के नुकसान (side effects of sweet flag)
- गर्म प्रकृति वाले लोगों को वच का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्म प्रकृति वाले लोगों के लिए इसका प्रयोग हानिकारक हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान इस जड़ी बूटी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- बच्चों को यह बहुत ही कम मात्रा में देनी चाहिए
विभिन्न भाषाओं में वच का नाम
English – Sweet Calamus (स्वीट कैलेमस), फ्लैग रूट (Flag root), Sweet flag (स्वीट फ्लैग)
Sanskrit – वचा, उग्रगन्धा, षड्ग्रन्था, गोलोमी, शतपर्विका, क्षुद्रपत्री, मङ्गल्या, जटिला, उग्राम, लोमशा
Urdu – बचा (Bacha)
Gujarati – वज (Vaj), घोड़ावज (Godavaj)
Telugu - वासा (Vasa), वस (Vas)
Tamil – वशाम्बु (Vashambu)
Bengali – वच (Vacha)
Nepali – बोमो (Bomo)
Punjabi – बरिबोज (Bariboj)
Marathi – वेखण्ड (Vekhand)
Malayalam – व्वयम्बु (Vayambu)
Kannada – बजे (Baje), वशाम्पा (Vashampa)
Arabic – उदल बुज (Udal buj), अकरुन (Akuran)
Persian – सोसन जर्द (Sosan jard), अगरि तुर्की (Agre turki)।
बहुत अच्छे
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारियां
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteपहली बार सुना है
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteअच्छी और उपयोगी जानकारी, नाम और औषधीय गुणों की जानकारी नहीं थी।
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी औषधि।
ReplyDeleteVery good information..
ReplyDeleteवच वनस्पति विभिन्न औषधीय गुणों वाला है।इसके अनेक फायदे हैं।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteUseful Post 👍🏻
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