इतवार (Sunday)
कि तय कुछ भी नही हैं...❤"
वर दे वीणावादिनी वर दे
वर दे, वीणावादिनि वर दे
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे
वर दे, वीणावादिनि वर दे
– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
जो था वो मैं रही नहीं,
जो हूँ वो किसी को पता नहीं...❤"
जो हूँ वो किसी को पता नहीं...❤"
Happy Sunday 😊
ReplyDelete👌
ReplyDeleteमै जसवंत निराला
ReplyDeleteआदरणीय कविराज “सूर्यकांत त्रिपाठी निराला “के चरणो मै शत शत नमन करता हू
Purani yadein **** asha
ReplyDeleteYaadein yaad aati hain😊😊
DeleteAapki click ki hui tasveer...
DeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteवक्त के साथ साथ बदलना सीखो
ReplyDeleteहवा के रुख के साथ चलना सीखो
वक्त किसी के लिए रुकता नहीं
वक्त किसी के आगे झुकता नहीं
भूल जाओ उन पुराने ख्यालों को
दबा रखो मन में उठते सवालों को
अंधेरे में रहकर क्या जीना जिंदगी
ढूंढते रहना नित-नए उजालों को
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Nice
ReplyDeleteHpy sunday ji
ReplyDeleteमाँ सरस्वती को नमन।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Happy Sunday
ReplyDeleteशुभ रविवार
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteइस कविता को हमारे स्कूल में सुबह प्रेयर में गाया जाता था 👌
ReplyDeleteअच्छी तस्वीर 👍
Well said. A perfect writing skills which has been included in article. An outstanding article
ReplyDeleteHappy Sunday..
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteसूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित वाणी वंदना एक अनूठी रचना है जिसे अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। शुभ रविवार।
ReplyDeletev nice
ReplyDeleteनमस्कार प्रिय मित्र। अपनी मुस्कान को सभी के लिए खुशी लाने दें।
ReplyDeleteकुलांचे भरती है हिरण
ReplyDeleteजैसे मेरे मन-उपवन में
राधा-कृष्ण संग गोपियाँ
जैसे अठखेलियाँ करती
खिलखिलाती वृंदावन में
इन सब मित्रों की तरह ही
रहता हूं सदा मस्त-मगन मैं
भुलाना चाहता वो सब यादें
दबी हुई कब से जो मेरे मन में
जैसे कोई पंछी स्वच्छंद होकर
उड़ता रहता कैसे खुले गगन में
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बहुत खूब 👌👌
Deleteओ साथी रे बिना पढ़ाई क्या जीना
ReplyDeleteबिना पढ़ाई क्या जीना ओ साथी रे
जो लोग पढ़ते हैं वो आगे बढ़ते हैं
जो ना पढ़े वो फिर तो कहीं ना
ओ साथी रे बिना पढ़ाई क्या जीना
तुम पढ़ लो तो फिर उन्हें भी पढ़ाना
मन में उनके आत्मविश्वास जगाना
अनपढ़ रहोगे तो फिर हंसेगा जमाना
पढ़ लिखकर तुम फिर खूब कमाना
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
शिक्षा बहुत जरूरी है.. लाजवाब 👌👌
DeleteVery nice poem..
ReplyDeleteHappy Sunday mam
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteKhubsurat..
ReplyDeleteNice rupa
ReplyDelete