"यदि मंज़िल न मिले तो रास्ते बदलो !
क्योंकि वृक्ष अपनी पत्तियाँ बदलते हैं जड़े नहीं...❤"
दीन
सह जाते हो
उत्पीड़न की क्रीड़ा सदा निरंकुश नग्न
हृदय तुम्हारा दुबला होता नग्न
अन्तिम आशा के कानों में
स्पन्दित हम – सबके प्राणों में
उत्पीड़न की क्रीड़ा सदा निरंकुश नग्न
हृदय तुम्हारा दुबला होता नग्न
अन्तिम आशा के कानों में
स्पन्दित हम – सबके प्राणों में
अपने उर की तप्त व्यथाएँ
क्षीण कण्ठ की करुण कथाएँ
कह जाते हो
और जगत की ओर ताककर
दुःख हृदय का क्षोभ त्यागकर
सह जाते हो
क्षीण कण्ठ की करुण कथाएँ
कह जाते हो
और जगत की ओर ताककर
दुःख हृदय का क्षोभ त्यागकर
सह जाते हो
कह जाते हो
यहाँ कभी मत आना
उत्पीड़न का राज्य दुःख ही दुःख
यहाँ है सदा उठाना
यहाँ कभी मत आना
उत्पीड़न का राज्य दुःख ही दुःख
यहाँ है सदा उठाना
क्रूर यहाँ पर कहलाता है शूर
और हृदय का शूर सदा ही दुर्बल क्रूर
स्वार्थ सदा ही रहता परार्थ से दूर
यहाँ परार्थ वही, जो रहे
स्वार्थ से हो भरपूर
जगतकी निद्रा, है जागरण
और जागरण जगत का – इस संसृति का
और हृदय का शूर सदा ही दुर्बल क्रूर
स्वार्थ सदा ही रहता परार्थ से दूर
यहाँ परार्थ वही, जो रहे
स्वार्थ से हो भरपूर
जगतकी निद्रा, है जागरण
और जागरण जगत का – इस संसृति का
अन्त – विराम – मरण
अविराम घात – आघात
आह – उत्पात
यही जगजीवन के दिन-रात
यही मेरा, इनका, उनका, सबका स्पन्दन
हास्य से मिला हुआ क्रन्दन
अविराम घात – आघात
आह – उत्पात
यही जगजीवन के दिन-रात
यही मेरा, इनका, उनका, सबका स्पन्दन
हास्य से मिला हुआ क्रन्दन
यही मेरा, इनका, उनका, सबका जीवन
दिवस का किरणोज्ज्वल उत्थान
रात्रि की सुप्ति, पतन
दिवस की कर्म – कुटिल तम – भ्रान्ति
रात्रि का मोह, स्वप्न भी भ्रान्ति
सदा अशान्ति
दिवस का किरणोज्ज्वल उत्थान
रात्रि की सुप्ति, पतन
दिवस की कर्म – कुटिल तम – भ्रान्ति
रात्रि का मोह, स्वप्न भी भ्रान्ति
सदा अशान्ति
– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
"इतवार में भी कुछ यूँ हो गयी है मिलावट,
छुट्टी तो दिखती है,
पर सुकून नजर नहीं आता...❤"
छुट्टी तो दिखती है,
पर सुकून नजर नहीं आता...❤"
Mem excellent. Happy Sunday.
ReplyDeleteशुकुन दिन से नही मिलता है...शुकुन आंत्रिक आत्मा में होती है
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday dear ... Beautiful pic with Nice poem😘😘❤️❤️❤️
ReplyDeleteछायावाद के मूर्धन्य रचनाकार महाकवि निराला के काव्य संग्रह "परिमल" में आज की कविता 'दीन' संग्रहीत है। आप सभी को शुभ रविवार।
ReplyDeleteHappy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteVery beautiful pic😘😘
ReplyDeleteइस साल के अंतिम रविवार की सुंदर तस्वीर और निराला जी के कमोवेश समझ आने वाली कविता के साथ शुभ रविवार 🧡♥️
ReplyDeleteहे मानव तु है महामानव
ReplyDeleteईश्वर कि अप्रतिम कृति
सुकून से जीवन जीना है
बदल अपनी हर प्रवृत्ति
बस सुनहरे भविष्य के
लिए इतना दौड़ता है
आज-कल का सुख
व्यर्थ पीछे छोड़ता है
मंजिल का तेरी कोई
भी ठिकाना नहीं है
रोज दर्द और गम की
तु चादर ओढ़ता है
लालच करना क्यों
नहीं छोड़ता है
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बहुत सुंदर पंक्तियां 👌👌
Deleteआनंद का क्या है वो तो
Deleteएक पल में मिल जाता है
नहीं मिले तो नहीं मिले
जिंदगी भर तरसाता है
कभी-कभी कोई आनंद
तो भारी लत बन जाता है
छोड़े से भी ना छूटे वो लत
ताउम्र आदत बन जाता है
इसलिए सोच-समझकर
करना कोई भी शौक-मौज
ऐसा ना हो अपनी जिंदगी
बन जाएं कभी खुद बोझ!?!
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Happy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday 🥀🥀
ReplyDeleteThand bahut hai, jacket ki chain band kar lo😁😁😁
Happy sunday ji
ReplyDeleteहिंदी साहित्य में हाथ थोड़ा तंग है तो कविता पूरी पल्ले नहीं पड़ी। सुंदर सी तस्वीर के साथ अच्छी कविता।
ReplyDeleteआप सबको शुभ रविवार
आनंद का क्या है वो तो
ReplyDeleteएक पल में मिल जाता है
नहीं मिले तो नहीं मिले
जिंदगी भर तरसाता है
कभी-कभी कोई आनंद
तो भारी लत बन जाता है
छोड़े से भी ना छूटे वो लत
ताउम्र आदत बन जाता है
इसलिए सोच-समझकर
करना कोई भी शौक-मौज
ऐसा ना हो अपनी जिंदगी
बन जाएं कभी खुद बोझ!?!
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बात तो सही है आपकी
Deleteकुछ आनंद लत बन जाती है
ताउम्र की आदत बन जाती है
पर कहां होता कुछ बातों पर
अपना जोर
सोंच समझ पर पत्थर पड़ जाता
हर काम सोंच समझ कर हो
ये जरूरी तो नहीं
बस देखना ये है कि
अपनी जिंदगी
बन जाए ना खुद पर बोझ..
🙏 रूपा"ओस की एक बूंद"🙏
V nice
ReplyDeleteएक सुखद रविवार के लिए एक सुंदर मुस्कान।
ReplyDeleteअच्छी कविता।शुभ रविवार।
ReplyDeleteआनंद की तो कहां कोई सीमा है
ReplyDeleteआनंद कभी तेज तो कभी धीमा है
आनंद के लिए ढूंढते ना कोई रास्ता
आनंद से पड़ता है अचानक वास्ता
आनंद कभी परमानंद बन जाता है
आनंद तो सबको ही पसंद आता है
आनंद से काश आनंदित हो हर मन
आनंद से खुशहाल रहता है जीवन
🙏🥰🤩👣👁❤👁👣🤩🥰🙏
आनंद परमानंद हो मन स्वच्छंद हो
हम सबका ये जीवन सदा प्रसन्न हो
🙏🥰🤩👣👁❤👁👣🤩🥰🙏
🌄🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏🌄
Beautiful lines, Sunday toh hota hai magar sukun ni,
ReplyDeleteKeep writing, loads of love
Very nice poem...
ReplyDeleteNice poem
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteLajawaab.
ReplyDeleteVery nice
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