गिलहरी (Squirrels, Gilhari) और मेरी बालकनी
मेरे टेरिस की और मेरे ब्लॉग की गिलहरी आज एक वर्ष की हो गयी।
आज की पोस्ट हर बार से थोड़ा अलग.....
हर दिन की एक सुखद अनुभूति, जो आपलोगों के साथ साझा कर रही हूँ।
एक साल पहले आज के दिन
आधुनिक युग की व्यस्त,भागम-भाग जिंदगी में कहानी,उपन्यास अथवा कुछ भी बेहतर पढ़ने के लिए समय निकालना असंभव तो नही परंतु मुश्किल अवश्य है। हममें से चंद लोग ही पढ़ने के लिए समय निकाल पाते हैं। परंतु विद्यार्थी जीवन इसका अपवाद होता है जहां पर छात्र समुदाय का एकमात्र उद्देश्य अध्ययन ही होता है। दैनिक समाचार पत्र हो अथवा पत्रिकाएं,कथा,कथेतर,उपन्यास,निबंध,आदि लगभग सभी विधाओं की श्रेष्ठ पुस्तकें हमारे आपके विद्यार्थी जीवन का एक अभिन्न अंग होती हैं।
छायावाद की महान कवियत्री महीयसी महादेवी वर्मा जी की एक अनुपम कृति है "मेरा परिवार"।
इस कृति का एक भाग है "गिल्लू " । संभवतः अपने स्कूल के दिनों में हम सभी ने हिंदी की पाठ्य पुस्तक में इसे अवश्य पढ़ा होगा। "गिल्लू " की कथा बहुत ही मार्मिक है। कहानी का अंत आते आते आंखों में आंसू आ ही जाते हैं। कहानी पढ़ते हुए,मैं भावुक होती गयी और कहानी का अंत मुझे रुलाने के लिए पर्याप्त था। इस कहानी की प्रमुख पात्र एक गिलहरी है और उस गिलहरी की अंत में मृत्यु हो जाती है।
कदाचित आप सोचने पर विवश हो गए होंगे कि मैं आज के अपने ब्लॉग में क्या कोई कहानी अथवा उपन्यास लिखने की भूमिका बना रही हूँ। माफ कीजियेगा,मेरा ऐसा कोई भी इरादा नही है। मैं आज से ठीक एक वर्ष पहले यानि 25 अक्टूबर 2020 को अपने घर की टेरिस से शुरू हुआ अपना और गिलहरी के साथ का स्मरण कर रही हूँ। आज इस ब्लॉग को लिखते समय मैं बहुत गर्व की अनुभूति कर रही हूँ कि एक वर्ष पूर्व शुरू हुआ मेरे और गिलहरी के साथ का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है।
मेरे टेरिस की और मेरे ब्लॉग की गिलहरी आज एक वर्ष की हो गयी। आज ही इस गिलहरी का जन्म दिन भी कहा जा सकता है। शुरुआती दिनों में यह गिलहरी सुबह के समय मेरी योग क्रिया के दौरान ही टेरिस पर उपस्थित रहती थी। आज की तारीख में यह गिलहरी लगभग पूरे दिन ही मेरे टेरिस के इर्द-गिर्द टहलती रहती है। सोने पे सुहागा वाली बात यह कि अब उसके साथ उसकी कुछ दोस्त( चिड़ियाँ) भी रहने लगी हैं।
चिड़ियों और गिलहरी को साथ साथ खेलते और दाना खाते देख मुझे अविस्मरणीय आनंद की अनुभूति होती है। सचमुच,मेरे लिए सुबह के ये कुछ मिनट बहुत खुशियों भरे पल होते हैं। इतने असीम आनंद को महज़ चंद शब्दों में बयां कर पाना मेरे लिए संभव नही है।
यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं है बल्कि इनको इस तरीके से देखना बच्चों को भी बहुत पसंद है। जितनी देर गिलहरी और चिड़िया वहां दाना चुगती हैं उतनी देर बच्चे उनको परेशान नहीं करते। यहां तक कि अचानक से बालकनी में भी नहीं जाते कि कहीं चिड़ियां उड़ ना जाए गिलहरी भाग ना जाए। और यह तस्वीरें भी बच्चों ने ही क्लिक की हैं।
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In the busy, hectic life of the modern age, finding time to read a story, a novel or anything better is difficult, but not impossible. Only a few of us find time to read. But student life is an exception to this, where study is the sole aim of the student community. Be it daily newspapers or magazines, fiction, non-fiction, novel, essay, etc. Best books of almost all genres are an integral part of our student life.
The great poet of Chhayavad, Mahyasi Mahadevi Varma ji has a unique work "My family".
A part of this work is "Gillu". Probably all of us must have read this in Hindi text book during our school days. The story of "Gillu" is very touching. Tears welling up in my eyes as the story comes to an end. While reading the story, I got emotional and the ending of the story was enough to make me cry. The main character of this story is a squirrel and that squirrel dies in the end.
Perhaps you must have been compelled to think whether I am making a role of writing a story or a novel in my blog today. Sorry, I have no such intention. I am reminiscing with myself and squirrels that started from the terrace of my house exactly one year ago today i.e. on 25 October 2020. Today while writing this blog, I am feeling very proud that the series with me and squirrel which started a year ago continues unabated even today.
My terris and the squirrel in my blog turned one year old today. Today can also be called the birthday of this squirrel. In the early days, this squirrel used to be present on the terrace only during my yoga activity in the morning. Today this squirrel walks around my terrace almost all day. The pleasant thing about gold is that now some of his friends (birds) have also started living with him.
Seeing birds and squirrels playing together and eating grains gives me a feeling of unforgettable joy. Truly, these few minutes of the morning are very happy moments for me. It is not possible for me to describe this immense joy in just a few words.
It is not only for me, but children also love to see them in this way. As long as the squirrel and the bird eat the grain there, the children do not bother them for that long. Do not even suddenly go to the balcony so that the birds do not fly away, the squirrels do not run away. And these pictures have also been clicked by the children.
bful...kya baat hai..asha karta hu aisi aseem anand aapko roj mile
ReplyDeleteबहुत ही अद्भुत नजारा है मन को पूरी तरह शांति प्रदान करने लायक.
ReplyDeleteअच्छा अनुभव
ReplyDeleteतुम्हारे द्वारा शेयर किया हुआ आज का लेख पढ़कर इतना अच्छा लग रहा है तो अनुभूति कितनी अच्छी होगी..सुखद अनुभव और उम्दा लेख
ReplyDeleteप्रकृति से प्रेम,गिलहरी एवं चिड़ियां स्वभाव से सीधी इधर उधर फुदकती रहती हैं। बड़ा ही सजीव वर्णन किया गया है।
ReplyDeleteKya baat hai...anandayak anubhuti
ReplyDeleteमेरे घर बहुत गिलहरी है वे फुलों की की बोली काट काटकर नीचे फेंककर बर्बाद करती है
ReplyDeleteसभी जामिल कुतर कुतरकर बहुत नुक़सान करती है
पलीश के फोलो को खिलने पहिये फूलो को नष्ट कर देती है
मेरे घर कुछ बर्बाद नहीं करती। वह पूरे दिन बालकनी में रहती है। जो दाने डाले रहते वो खाती है और फिर साथ लगे इमली के पेड़ पर चली जाती है।
Deleteबहुत सुंदर तस्वीरें।
ReplyDeleteपशु पक्षियों और प्रकृति के प्रति आपके प्रेम को देखकर समझ आता है कि आप पर्यावरण संरक्षण के प्रति बहुत जागरूक हैं।
आज के ब्लॉग को पढ़कर सचमुच सुबह के आपके टेरिस के मनोरम दृश्य की कल्पना मात्र से ही सुखद एहसास हो रहा है।
बहुत ही सुखद अनुभव साझा किया है। प्रकृति से प्रेम में आनंद ही आनंद है।
ReplyDeleteबहुत ही सुखद अनुभुति
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteप्रकृति से सम्पर्क बनाए,,तो खुद आनंदित महसूस करोगे
ReplyDeleteबहुत खूब
Super
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteMem,quite good article written by you. A real inspimg story'
ReplyDeleteMem very good story. Told by you. Very emotional story.
ReplyDeleteअनुपम .. इसकी कल्पना ही मन को गुदगुदा रही। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteकितना अद्भुत प्रकृति का हर नजारा
ReplyDeleteप्रकृति के दम पर ही है संसार सारा
बेवकूफी से इसका संतुलन बिगाड़ा
क्या कसूर था जो हमने इसे उझाड़ा
प्रकृति ने दिये उपहार कितने सारे
सारे उपहार काम आते हैं हमारे
सभी जीवों को तो जीने का हक है
कहां जाएंगे सारे भोले-भाले बेचारे?
https://twitter.com/RupaSin44202771/status/1452514559319629829
प्रकृति प्यारी होनी चाहिए सबको
ReplyDeleteइसके लिए दो धन्यवाद तो रब को
ईश्वर की ये अप्रतिम अद्भुत लीला
सब कुछ तो हमें प्रकृति से मिला
प्रकृति प्रदत हमारा भरपूर पोषण
फिर क्यों करें प्रकृति का शोषण
सारे जीव-जंतु प्रकृति की देन है
प्रकृति से हमारा सुकून है-चैन है
प्रकृति का संतुलन जो बिगाड़ दोगे
फिर अपना जीवन भी उजाड़ दोगे
https://twitter.com/RupaSin44202771/status/1452514559319629829
हर लाइन को कविता में पिरोने की अद्भुत कला👍👍
Deleteचिड़ियाँ-चींटी-कबूतर
ReplyDeleteकौआ-कोयल-गिलहरी
घूमते रहते हैं वो बेबस
बेजुबान भरी दोपहरी
गांव की छांव में मिल
जाते हैं सारे सब सुखी
नहीं जमता थोड़ा भी
जो माहौल है शहरी
उनके कलरव शौर से
तो प्रकृति में है जान
नहीं करते हैं वो तो
कभी भी हमें परेशान
क्यों ना हम मिलकर
हम रखे उनका ध्यान
वो भी हम पर होते
आए हैं सदा मेहरबान
लाजवाब👌👌
Deleteथोड़ी घर के बाहर-थोड़ी घर के भीतर
ReplyDeleteरखनी ही चाहिए हमें थोड़ी हरियाली
आनंद उत्साह से परिपूर्ण होगी रोज
सुबह-दोपहर-शाम चाय कि वो प्याली
बिना हरियाली के जीवन भी है खाली
दिल से करों पेड़-पौधों कि रखवाली
चिड़ियों की चहक भी सुनोगे निराली
गिलहरी भी उतरेगी-चढ़ेगी हर डाली
डालना कुछ दानें-परेंडी में भरना पानी
फिर देखना इस प्रकृति कि मेहरबानी
काटना नहीं हमें पेड़-पौधों को उगाना
पशु-पक्षियों को ना समझना बेगाना
इनसे भी है ये मौसम बड़ा ही सुहाना
🌄🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏🌄
बहुत सुंदर प्रस्तुति👌👌
Deleteबहुत सुंदर...आजकल तो बड़े बड़े शहरों में लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे, बस चारों तरफ बड़ी बड़ी बिल्डिंग ही दिखाई देती हैं। तुम्हारी बालकनी देख के मन खुश हो गया।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteKya baat hai...very nice
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