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कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) ||

 कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple)

कोणार्क सूर्य मंदिर से तो सभी परिचित होंगे। परंतु इसकी विशेषता कम लोगों को ही पता होगी। कोणार्क सूर्य मंदिर भारत में उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी से 35 किलोमीटर दूर कोणार्क नामक शहर में प्रतिष्ठित है। यह भारतवर्ष के चुनिंदा सूर्य मंदिरों में से एक है, जिसे 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी थी। कोणार्क सूर्य मंदिर ना केवल अपनी वास्तु कलात्मकता, भव्यता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह शिल्पकला के गुंथन और बारीकी के लिए भी प्रसिद्ध है। 

यह कलिंग वास्तुकला की उपलब्धियों को दर्शाता है, जो भव्यता, उल्लास और जीवन के सभी पक्षों का अनोखा तालमेल प्रदर्शित करता है। इस मंदिर की भावनाओं का पता यहां के पत्थरों पर किए गए उत्कृष्ट नक्काशी से ही लग जाता है। मंदिर अपनी विशालतम निर्माण, स्थापत्य तथा वास्तु और मूर्तिकला के लिए अद्वितीय है और उड़ीसा की वास्तु और मूर्तिकलाओं की चरम सीमा प्रदर्शित करता है। एक शब्द में यह भारतीय स्थापत्य की महत्तम विभूतियों में है। 

यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है, जो भारत की प्राचीन धरोहरों में से एक है। कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है। इसे 1236 से 1264 ईशा पूर्व गंग वंश के तत्कालीन सामंत राजा नरसिंहदेव द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है।

कलिंग शैली में निर्मित इस मंदिर में सूर्य देव को रथ के रूप में विराजमान किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है। इसके संपूर्ण भाग को बारह जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़ों से खींचते हुए निर्मित किया गया है। मंदिर के आधार को सुंदरता प्रदान करते यह बारह चक्र साल के बारह महीनों को परिभाषित करते हैं तथा सात अश्व सप्ताह के सात दिन दर्शाते हैं। इस मंदिर में भगवान सूर्य की तीन प्रतिमाएं हैं- बाल्यावस्था यानी उदित सूर्य जिसकी ऊंचाई 8 फीट है। युवावस्था, जिसे मध्यम सूर्य करते हैं उसकी ऊंचाई 9.5 फीट है। तीसरी अवस्था प्रौढ़ावस्था, जिसे अस्त सूर्य भी कहा जाता है उसकी ऊंचाई 3.5 फीट है।

पूरे मंदिर में जहां-तहां फूल बेल और ज्यामितीय नमूनों की नक्काशी की गई है। मंदिर का प्रत्येक इंच अद्वितीय सुंदरता और शोभा की शिल्पाकृतियों से परिपूर्ण है। इसके विषय भी मोहक हैं, जो सहस्रों शिल्पाकृतियां, भगवानों, देवताओं, गंधर्व, मानव, वाद्य यंत्रों, दरबार की छवियों, शिकार एवं युद्ध के चित्रों से भरी है। इसके बीच- बीच में पशु -पक्षियों (लगभग दो हजार हाथी केवल मुख्य मंदिर के आधार की पट्टी पर भ्रमण करते हुए ) और पौराणिक जीवों, के अलावा महीन और पेचीदा बेल -बूटे तथा ज्यामितीय नमूने अलंकृत है। उड़ीसा शिल्पकला की हीरे जैसी उत्कृष्ट गुणवत्ता पूरे परिसर में अलग दिखाई देती है।

 यह मंदिर दो भागों में बना है, जिसमें से पहले भाग नट मंदिर में सूर्य की किरणें पहुंचती थी और कहा जाता है कि कांच या हीरे सरीखे धातु से वह इस मंदिर की प्रतिमा पर पड़ती थी, जिससे इसकी छटा देखते ही बनती थी। वहीं  मंदिर में एक कलाकृति में इंसान, हाथी और शेर से दबा है, जो कि पैसे और घमंड का द्योतक है और ज्ञानवर्धक भी है।

महान कवि और नाटककार रविंद्र नाथ टैगोर ने इस मंदिर के बारे में लिखा है कि कोणार्क, जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से श्रेयस्कर है।

मंदिर की एक पौराणिक कहानी है, जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। धर्म ग्रंथ के अनुसार श्री कृष्ण के बेटे साम्ब को कुष्ठ रोग का श्राप था। उसी श्राप से बचने के लिए ऋषि कटक ने सूर्य भगवान की पूजा करने की सलाह दी थी। तभी साम्ब ने चंद्रभागा नदी के तट पर मित्रवन के नजदीक 12 सालों तक कड़ी तपस्या की। सूर्य देव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर साम्ब के रोग का निवारण किया। तब साम्ब ने सूर्य भगवान का एक मंंदिर निर्माण करवाने का निश्चय किया। अपने रोग - नाश के उपरांत चंद्रभागा नदी में स्नान करते हुए उसे सूर्य देव की एक मूर्ति मिली। यह मूर्ति सूर्य देव के शरीर के ही भाग से, देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा ने बनाई थी। साम्ब ने अपने बनवाए मित्रवन में एक मंदिर में इस मूर्ति को स्थापित किया। तब से यह स्थान पवित्र माना जाने लगा। 

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Konark Sun Temple

 Everyone will be familiar with the Konark Sun Temple. But few people will know its specialty. The Konark Sun Temple is revered in a city called Konark, 35 km from Jagannath Puri in the state of Orissa in India. It is one of the few Sun temples of India, which was recognized by UNESCO as a World Heritage Site in 1984. The Konark Sun Temple is not only known for its architectural artistry, grandeur, but it is also famous for its intricacy and intricacy.

 It depicts the achievements of Kalinga architecture, displaying grandeur, gaiety and a unique synergy of all aspects of life. The feelings of this temple are known only by the exquisite carvings done on the stones here. The temple is unique for its largest construction, architecture and architecture and sculpture and exhibits the climax of the architectural and sculptures of Orissa. In a word, it is among the most important figures of Indian architecture.

 The temple is dedicated to the Sun God, one of the ancient heritage sites of India. The Konark Sun Temple is built of red sandstone and black granite. It was built by the then feudal king Narasimhadeva of the Ganga dynasty from 1236 to 1264 AD. This temple is one of the most famous sites in India.

 Built in the Kalinga style, the Sun God is enshrined as a chariot and the stones are carved with exquisite carvings. The entire body of it is constructed by pulling seven horses with twelve pair cycles. Giving beauty to the base of the temple, these twelve cycles define the twelve months of the year and the seven horse shows the seven days of the week. There are three idols of Lord Surya in this temple - Childhood ie Udit Surya whose height is 8 feet. The height of puberty, which is moderately sunny, is 9.5 feet. The third stage of maturity, also called the setting sun, is 3.5 feet high.

 The entire temple is carved with flower bells and geometric patterns. Each and every inch of the temple is filled with unique beauty and artefacts of grace. Its subjects are also seductive, full of thousands of sculptures, images of Gods, Gods, Gods, Gandharvas, human beings, musical instruments, court images, hunting and war. In between - animal birds (about two thousand elephants only touring the base of the main temple) and mythological creatures, besides fine and intricate bells - embellished and geometric specimens. The exquisite diamond-like quality of Orissa sculpture stands out throughout the complex.

 This temple is made in two parts, the first part of which used to reach the rays of the sun in the Nat temple and it is said that with glass or diamond-like metal, it used to fall on the idol of this temple, which was made on seeing it. At the same time, in an artwork in the temple, humans are pressed by elephants and lions, which is a sign of money and pride and also enlightening.

 The great poet and playwright Ravindra Nath Tagore has written about this temple that Konark, where the language of stones is better than the language of man.

 The temple has a mythological story, which is associated with Lord Krishna. According to the scripture, Lord Krishna's son Samb was cursed with leprosy. To avoid the same curse, sage Cuttack advised to worship the Sun God. Then Samb practiced severe penance on the banks of the Chandrabhaga river near Mitravan for 12 years. Pleased with his penance, Surya Dev removed Samb's disease. Then Samb decided to build a temple of the Sun God. After bathing in the Chandrabhaga river after his illness, he found an idol of Sun God. This idol was made by Dev Shilpi Sri Vishwakarma from the same part of the body of Sun God. Samb installed this idol in a temple in Mitravan built by him. Since then this place was considered sacred.

22 comments:

  1. हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है। 

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  2. कोणार्क मंदिर के विषय में बहुत सुना था इस मंदिर को जानने के लिए मैं बहुत दिनों से इंतजार कर रही थी आज इसकी विस्तृत जानकारी दे करके तुमने कृतध्न कर दिया🙏🙏👍👍

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  3. इस मंदिर की स्थापत्य का तो कोई जोर ही नहीं है। पत्थरों पर गजब की नक्काशी की गई है। सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता हैं, जिनको साक्षात देखकर उनकी आराधना की जाती है। ब्लॉग के कंटेंट दिन प्रति दिन तरक्की पर है👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻

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  4. Modi ji ne ab nayi yojana nikali ha is mandir ko solar energy se roshan kra jayega

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  5. कोणार्क का सूर्य मंदिर दर्शनीय है।भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को प्रस्तुत करने का आपका प्रयास सराहनीय है।

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  6. This temple speaks of the rich heritage and culture of our ancient times. Appreciable information

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  7. Beautiful.. .incredible 👌👌

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  8. India has a rich cultural and Heritage history. This is one of the best example.

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  9. Bhartiya kala kaushal aur iska sthapatya lajwab ha...jiska koi jor nhi...

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  10. Thanks for sharing the Link .It's invariably the example of Indian marvelous Sculptures, Architecture in that Era..thanks again hv a nice day dear ..🤝🌹💕

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