इतवार
प्रत्येक दिन कुछ सिखाता है,
इसलिए अपने रविवार को ऐसे ही व्यर्थ न जाने दें,
शुभ रविवार❤
इसलिए अपने रविवार को ऐसे ही व्यर्थ न जाने दें,
शुभ रविवार❤
कोई छुट्टी नहीं कोई छुट्टी का इंतजार नहीं,
कभी चैन नहीं कभी करार नहीं,
हर त्यौहारों में देखा है,
किस्सा कोई एक बार नहीं,
छुट्टियां हमारी उनका काम बढ़ा देती है,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं
होली में बड़कुलिये बनाना,
और घर को रंगों से बचाना,
विधिवत पूजा कर के
सबके लिए भोजन बनाना,
रंगो का त्योव्हार है होली,
उसमे भी बेरंग रह जाना,
क्या हम इसके जिम्मेदार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नही,
दीपवाली में साफ सफाई,
घर में चमक उसी से आयी,
पुरे घर को इतना सजाया,
घर का कोना कोना चमकाया,
कभी है पूजा कभी मिठाई
सारा दिन बस भागम भगाई
मैं तो इतने चैन से सोया
क्या ये उसका त्योव्हार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,
वो उत्सवों में तैयारियो में व्यस्त है,
और हम अपने आप में मस्त है
हम उस पर अपना हुकुम चलाते है
उसकी ज़रा सी गलती पर चीखते चिल्लाते है,
जिससे है हमारे जीवन में खुशियां
क्या उसका ही खुशियो पर अधिकार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,
सक्रांति के दिन हो या पावन नवरात्र हो,
किसी का जन्म दिन हो कोई खुसी की बात हो,
कोई शादी सगाई कोई भेट सौगात हो,
भूखे रहकर भी निभाती वो अपनी जिम्मेदारियां
हमारी खुशियो के अलावा किसी से और सरोकार नहीं
गृहणी तुझे शतशत प्रणाम ,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,कोई इतवार नही..
कभी चैन नहीं कभी करार नहीं,
हर त्यौहारों में देखा है,
किस्सा कोई एक बार नहीं,
छुट्टियां हमारी उनका काम बढ़ा देती है,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं
होली में बड़कुलिये बनाना,
और घर को रंगों से बचाना,
विधिवत पूजा कर के
सबके लिए भोजन बनाना,
रंगो का त्योव्हार है होली,
उसमे भी बेरंग रह जाना,
क्या हम इसके जिम्मेदार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नही,
दीपवाली में साफ सफाई,
घर में चमक उसी से आयी,
पुरे घर को इतना सजाया,
घर का कोना कोना चमकाया,
कभी है पूजा कभी मिठाई
सारा दिन बस भागम भगाई
मैं तो इतने चैन से सोया
क्या ये उसका त्योव्हार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,
वो उत्सवों में तैयारियो में व्यस्त है,
और हम अपने आप में मस्त है
हम उस पर अपना हुकुम चलाते है
उसकी ज़रा सी गलती पर चीखते चिल्लाते है,
जिससे है हमारे जीवन में खुशियां
क्या उसका ही खुशियो पर अधिकार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,
सक्रांति के दिन हो या पावन नवरात्र हो,
किसी का जन्म दिन हो कोई खुसी की बात हो,
कोई शादी सगाई कोई भेट सौगात हो,
भूखे रहकर भी निभाती वो अपनी जिम्मेदारियां
हमारी खुशियो के अलावा किसी से और सरोकार नहीं
गृहणी तुझे शतशत प्रणाम ,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,कोई इतवार नही..
Happy Sunday 🌸🌸
ReplyDeleteशुभ रविवार ����
ReplyDeleteशुभ रविवार, सही कहा इस इतवार का स्कूल के दिनों में भी बेसब्री से इंतजार रहता था और ऑफिस के दिनों में भी लेकिन गृहणियों के जीवन में वो बचपन वाला इतवार कभी नहीं आता
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteSahi bat kahi
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice poem
ReplyDeleteजिंदगी में पहेलियां जो इतनी हो गई हैं... इसी में उलझे रहो
ReplyDeleteNice lines..
ReplyDeleteHappy happy
ReplyDeleteNice..
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