विशालकाय समुद्री बिच्छू
कभी आपने विशालकाय समुद्री बिच्छू के बारे में पढ़ा है? दुनिया एक से एक रहस्यमयी चीजों से भरी पड़ी है। इसी रहस्यमयी दुनिया का एक जीव है - समुद्री बिच्छू। फरवरी 2022 में एक बहुत बड़े और प्राचीन समुद्री बिच्छू की प्रजाति का पता चला था। ऑस्ट्रेलिया में इस बिच्छू का जीवाश्म मिला, जो करीब 25.20 करोड़ साल पहले समुद्र में राज करता था। इतना ही नहीं, यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में मौजूद नदियों और झीलों में भी पाया जाता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक विशालकाय शैतान था।
27 मिलियन वर्षों के दौरान विशाल समुद्री बिच्छू जीवित रहे, उन्होंने खाद्य श्रृंखला में अपना स्थान बनाया, बिना किसी प्राकृतिक शिकारी के पनपते रहे। विशाल समुद्री बिच्छू पृथ्वी पर सबसे क्रूर जीवों में से एक थे, जो बड़ी मछलियों को खाते थे - साथ ही एक दूसरे को भी। युरिप्टेरिड्स नरभक्षी थे, जो संसाधनों, शिकार और साथी के लिए प्रतिस्पर्धा में एक दूसरे से लड़ते और खाते थे। वे विशाल आकार में विकसित हुए।
1990 में मिला था पहला जीवाश्म..
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये एक मीटर लंबा बिच्छू ताजा पानी में रहना पसंद करता था। इस विशालकाय बिच्छू का जीवाश्म पहली बार 1990 के दौरान सेंट्रल क्वींसडलैंड के ग्रामीण इलाके में मिला था। इसके बाद इस पर शोध किए जाने लगे। लंबे समय से शोध के लिए रखे गए इस बिच्छू का जीवाश्म अब क्वींसलैंड के म्यूजियम में रखा गया है।
दुनिया में मौजूद अन्य बिच्छुओं की प्रजातियों से इस जीवाश्म की तुलना करते हुए इस पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। इस रिसर्च में इस जीवाश्म और अन्य बिच्छुओं की प्रजातियों से इस जीवाश्म की तुलना करते हुए इस पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। इस रिसर्च में इस जीवाश्म और अन्य बिच्छुओं की प्रजाति के बीच की समानताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस जीवाश्म पर हो रहे रिसर्च में कोरोना काल में तेजी आई थी क्योंकि इस दौरान लॉकडाउन लगा था और म्यूजियम आम लोगों के लिए बंद था। यह जीवाश्म किसी अन्य प्रजाति से करीब एक करोड़ साल नया बताया जा रहा है।
क्वींसलैंड म्यूजियम के अधिकारी एंड्रयू रोजेफेल्डस के अनुसार कोयले के बीच प्रिजर्व इस समुद्री बिच्छू का जीवाश्म करीब 25.2 करोड़ साल पुराना है। उन्होंने कहा कि जीवाश्म पर गहन शोध की गई जिसे वैज्ञानिक भाषा में यूरिप्टेरिडा कहा जाता है। रोजेफेल्डस के मुताबिक यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का आखिरी यूरिप्टेरिडा था।
वैज्ञानिकों की मानें तो इसके बाद अनोखे जीव की प्रजाति की दुनिया से खत्म हो गई थी। अब इस जीवाश्म पर हो रहे रिसर्च से पता लगाया जाएगा कि बिच्छू की इस प्रजाति की यात्रा कितनी लंबी रही है। इसके साथ ही यह जानकारी भी जुटाई जाएगी कि क्या इस तरह के बिच्छू ऑस्ट्रेलिया में ही मौजूद थे या फिर दुनिया के अन्य देशों में भी फैले हुए थे।
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Ye bicccchhhuuuu
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery rare information
ReplyDeleteVery Nice Information 👌🏻☺️
ReplyDeleteBacchu 😲
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteItaaaaa bdaa 😄
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