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सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व

टिकोला, चटनी, प्याज, अचार,
सतुआ खाईं पलथी मार।
सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

ग्रीष्म ऋतु के स्वागत और प्रकृति से जुड़े लोकपर्व सतुआन की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं!

प्रतिवर्ष वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को सतुआन (सतुवाई/सतुआनी) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करते हैं। अतः इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, उत्तर भारत के लोग इसे सत्तू संक्रांति या सतुआ संक्रांति के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी करते हैं। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाता है और सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

सतुआन पर्व पर सभी लोग चना, जौ का सत्तू और गुड़ तथा टिकोरा (कच्चा आम) की चटनी खाते हैं। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। पंजाब में इसे वैशाखी कहते हैं। पंजाबी समुदाय में बैसाखी पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन कहा जाता हैअसम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन पर्व भी मनाया जा रहा है।

सतुआनी के पर्व में चने के सत्तू और छोटे आम के टिकोला का बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि इस त्योहार के बाद से ही लोग नए फल आम टिकोला का सेवन करना शुरू करते हैं। ठीक लोहरी की तरह यहां भी नए फल और अनाज की पूजा की जाती है और फिर प्रसाद के रूप में उसे खाया जाता है।

सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

भारत के बारे में कहा जाता है कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी, जिसका मतलब देश में हर एक कोस की दूरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है। इसी तरह से हर एक हिस्से में अलग-अलग पर्व भी मनाए जाते हैं, ज्यादातर त्योहार फसलों की बुवाई-कटाई और किसी खास मौसम के स्वागत के लिए मनाए जाते हैं।

आज के दिन (14 अप्रैल) देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग उत्सव मनाए जाते हैं, कई राज्यों में आज का दिन नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। 

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Satuan: A unique folk festival to welcome summer

Tikola, Chutney, Onion, Pickle,
Satua ditched, turned around.
सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

Best wishes to all of you on the occasion of welcoming the summer season and Satuan, a folk festival related to nature!

Every year on the Navami of the Krishna Paksha of the month of Vaishakh, the festival of Satuan (Satuwai / Satuani) is celebrated. On this day Sun God enters Aries from Pisces. Hence it is also known as Mesh Sankranti. Whereas, the people of North India know it by the name of Sattu Sankranti or Satua Sankranti. On this day Lord Surya completes half of the orbit of Uttarayan. With this the Kharmas ends and all kinds of auspicious works begin.

Everyone eats gram, barley sattu and jaggery and tikora (raw mango) chutney on Satuan festival. This festival is celebrated all over India. In Punjab it is called Vaishakhi. Baisakhi festival is celebrated with great pomp in the Punjabi community. Bohag Bihu in Assam, Puthandu in Tamil Nadu, Pana Sankranti, Jud-Sheetal is being celebrated in Mithilanchal in Bihar, whereas in parts of Bihar, eastern Uttar Pradesh and Nepal today it is called SatuanBohag Bihu in Assam, Puthandu in Tamil Nadu, Pana Sankranti, Jud-Sheetal is being celebrated in Mithilanchal of Bihar, while Satuan festival is also being celebrated in some parts of Bihar, eastern Uttar Pradesh and Nepal today.
सतुआन: ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व || Satuani: Unique festival to welcome summer ||

Gram sattu and small mango tikola are very important in the festival of Satuani. It is believed that only after this festival people start consuming new fruit mango tikola. Just like Lohri, here also new fruits and grains are worshiped and then eaten as prasad.

It is said about India that the water changes on every kos and the speech on four kos, which means the taste of water changes at a distance of every kos in the country and the language i.e. speech also changes at 4 kos. Similarly, different festivals are also celebrated in each part, most of the festivals are celebrated for the sowing and harvesting of crops and to welcome a particular season.

Today (April 14) different festivals are celebrated in different parts of the country, in many states today is celebrated as New Year.

8 comments:

  1. Happy Satuwan....

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  2. हैप्पी सतुवानी

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  3. सतुआन को शुभकामनाएं 💐💐

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  4. सतुआन की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. Ahaaaaa...jau aur chane ka satua gud Mila k aur kache aam ki chatni muh me Pani AA gya

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  6. Happy satuan

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