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हिन्दी साहित्य का इतिहास

हिन्दी साहित्य का इतिहास

 हिन्दी साहित्य का इतिहास चार युग में बंटा है - आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, आधुनिक काल

हिन्दी साहित्य का इतिहास

हिंदी साहित्य के इतिहास को चार भागों में विभाजित किया गया है-

1. आदिकाल (वीरगाथाकाल)- सन 993 से 1918 तक, संवत् 1050 से 1375 तक
2. पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)- सन् 1318 से 1643 तक, संवत् 1375 से 1700 तक
3. उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल)- सन् 1643 से 1843, संवत् 1700 से 1900 तक
4. आधुनिक काल- सन् 1843 से आज तक, संवत् 1900 से आज तक

हिन्दी साहित्य का इतिहास

आदिकाल (वीरगाथाकाल)

आदिकाल- आदिकाल को वीरगाथाकाल के नाम से जाना जाता है।

आदिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. वीर रस की प्रधानता
  2. युद्ध का सजीव चित्रण
  3. ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण
  4. श्रृंगार एवं अन्य रसों का समावेश
  5. प्राकृत, अपभ्रंश, डिंगल एवं पिंगल भाषा का प्रयोग
  6. आश्रयदाताओं की प्रशंसा एवं उनका यशगान

आदिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्न लिखित हैं-
  1. चंदवरदायी- पृथ्वीराज रासो
  2. नरपति नाल्ह- वीसलदेव रासो
  3. जगनिक- परमाल रासो 'आल्हाखण्ड'
  4. शारंगधर- हम्मीर रासो
  5. दलपतिविजय- खुमान रासो

पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्णिम काल माना जाता है। भक्ति काल को दो भागों में बाँटा गया है-
  1. सगुण धारा
  2. निर्गुण धारा

सगुण धारा-

भक्तिकाल की इस काव्य धारा के कवियों ने ईश्वर के साकार रूप की लीलाओं का वर्णन किया है। इसे दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. रामभक्ति शाखा- इस शाखा में राम के जीवन चरित्र को आधार बनाया गया तथा इनके माध्यम से समाज को आदर्श मूल्यों, स्वस्थ गुणों, सामाजिक, पारिवारिक मूल्यों की शिक्षा देने का प्रयत्न किया गया।
इस शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
तुलसीदास- रामचरित मानस
अग्रदास- अष्टयाम
नाभादास- भक्तमाल
केशवदास- रामचंद्रिका
2. कृष्णभक्ति शाखा- कृष्णभक्ति शाखा में कृष्ण के चरित्र को आधार बनाकर काव्य रचना की गई। इस शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
सूरदास- सूरसागर
मीराबाई- मीराबाई की पदावली
रसखान- प्रेम वाटिका
इस शाखा में अष्टछाप के कवि थे।

निर्गुण धारा- 

जिन कवियों ने ईश्वर को निराकार रूप में अपने काव्य में स्थान दिया, उन्हें निर्गुण धारा के कवि के रूप में जाना जाता है। इसे दो भागों में वर्गीकृत किया गया। 
1. ज्ञानमार्गी शाखा- ज्ञान को ही ईश्वर तक जाने का मार्ग मानकर जिन्होंने काव्य साधना की, वे ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि हैं इस शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं-
कबीर दास- बीजक
रैदास- गुरु ग्रंथ साहब
गुरुनानक
2. प्रेममार्गी शाखा- जिन्होंने प्रेम के माध्यम से ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग खोलना चाहा, वे कभी प्रेमाश्रयी शाखा के अंतर्गत परिगणित होते हैं।
इस शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
मलिक मोहम्मद जायसी- पद्मावत
शेख रहीम
नसीर

भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1.  साकार एवं निराकार ब्रह्म की उपासना
  2.  रहस्यवादी कविता का प्रारंभ
  3.  आध्यात्मिकता और सदाचार प्रेरणा
  4.  लोक कल्याण के पद पर काव्य का चरमोत्कर्ष
  5.  समस्त काव्य शैलियों का प्रयोग
  6.  प्रकृति सापेक्ष वर्णन।

भक्तिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्न लिखित हैं-

  1. तुलसीदास- रामचरित मानस
  2. सूरदास- सूरसागर
  3. मीराबाई- मीराबाई की पदावली
  4. रसखान- प्रेम वाटिका
  5. कबीर दास- बीजक
  6. रैदास- गुरु ग्रंथ साहब
  7. मलिक मोहम्मद जायसी- पद्मावत
हिन्दी साहित्य का इतिहास

उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल)

रीतिकालीन काव्य को तीन धाराओं में विभाजित किया जा सकता है-

  1. रीतिबद्ध काव्य
  2. रीतिमुक्त काव्य
  3. रीतिसिद्ध काव्य

रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. प्रकृति का उद्दीपन रूप में चित्रण
2. ब्रज मिश्रित अवधी भाषा का प्रयोग
3. वीर एवं श्रंगार रस की प्रधानता
4. नीति और भक्ति संबंधी काव्य रचनाएँ
5. मुक्तक काव्य रचनाएँ         इस काल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
1. घनानंद- सुजान सागर
2. केशवदास- कविप्रिया, रामचंद्रिका
3. पद्माकर- पद्माभरण
4. भूषण- शिवराज भूषण
5. बिहारी- बिहारी सतसई
6. रसनिधि- विष्णुपद कीर्तन

रीतिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
1. घनानंद- सुजान सागर
2. केशवदास- कविप्रिया, रामचंद्रिका
3. पद्माकर- पद्माभरण
4. भूषण- शिवराज भूषण
5. बिहारी- बिहारी सतसई
6. रसनिधि- विष्णुपद कीर्तन

आधुनिक काल

हिंदी साहित्य के आधुनिक काल (विकासक्रम) को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है-
  1. भारतेंदु युग- सन् 1850 से 1900 तक
  2. द्विवेदी युग- सन् 1900 से 1920 तक
  3. छायावादी युग- सन् 1920 से 1936 तक
  4. प्रगतिवादी युग- सन् 1936 से 1943 तक
  5. प्रयोगवादी युग- 1943 से 1950 तक
  6. नई कविता- सन् 1950 से आज तक
भारतेंदु युगीन काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-     
  1. राष्ट्रीयता की भावना 
  2. सामाजिक चेतना का विकास 
  3. हास्य व्यंग्य 
  4. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध 
  5. विभिन्न काव्य रूपों का प्रयोग
भारतेंदु युगीन प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. भारतेंदु हरिश्चंद्र- प्रेम सरोवर, प्रेम फुलवारी
  2. प्रताप नारायण मिश्र- प्रेम पुष्पावली
  3. जगमोहन सिंह- देवयानी
  4. राधाचरण गोस्वामी- नवभक्त माल
  5. अंबिका दत्त व्यास- भारत धर्म
द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- 
  1. देशभक्ति 
  2. अंधविश्वास तथा रूढ़ियों का विरोध 
  3. वर्णन प्रधान कविताएँ   
  4. मानव प्रेम
  5. प्रकृति-चित्रण
द्विवेदी युगीन प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. मैथिलीशरण गुप्त- पंचवटी, जयद्रथ-वध, साकेत
  2. रामनरेश त्रिपाठी- स्वप्न, पथिक, मिलन
  3. माखनलाल चतुर्वेदी- समर्पण, युगचरण
  4. महावीर प्रसाद द्विवेदी- काव्य मंजूषा, सुमन
  5. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'- प्रिय प्रवास, रसकलश
छायावादी काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. व्यक्तिवाद की प्रधानता 
  2. श्रृंगार भावना 
  3. प्रकृति का मानवीकरण 
  4. अज्ञात सत्ता के प्रति प्रेम 
  5. नारी के प्रति नवीन भावना
छायावाद के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. जयशंकर प्रसाद- कामायनी, आँसू, लहर
  2. महादेवी वर्मा- नीरजा, निहार, रश्मि, सांध्यगीत
  3. सुमित्रानंदन पंत- पल्लव, गुंजन, ग्रंथि, वीणा
  4. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'- अनामिका, गीतिका, परिमल
  5. रामकुमार वर्मा- आकाशगंगा, निशीथ, चित्ररेखा
रहस्यवादी काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम 
  2. परमात्मा से विरह-मिलन का भाव 
  3. जिज्ञासा की भावना 
  4. प्रतीकों का प्रयोग 

प्रमुख रहस्यवादी कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. सुमित्रानंदन पंत- स्वर्णधूलि, वीणा
  2. महादेवी वर्मा- यामा
  3. जयशंकर प्रसाद- आँसू
  4. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'- परिमल, नए पत्ते, अणिमा
प्रगतिवादी काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. शोषको के प्रति विद्रोह और शोषितों के प्रति सहानुभूति 
  2. आर्थिक व सामाजिक समानता पर बल 
  3. नारी शोषण के विरुद्ध मुक्ति का स्वर 
  4. ईश्वर के प्रति अनास्था 
  5. प्रतीकों का प्रयोग
प्रगतिवाद के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. नागार्जुन- युगधारा
  2. केदारनाथ अग्रवाल- युग की गंगा
  3. त्रिलोचन- धरती
  4. रांगेय राघव- पांचाली
  5. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'- कुकुरमुत्ता
प्रयोगवादी युग काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
    1. शोषितों, दलितों तथा गरीबों की दशा का वास्तविक चित्रण 
    2. अनपढ़ शब्दावली, असम्बध्द उपमाओं तथा रूपकों का प्रयोग 
    3. बौद्धिकता की प्रधानता 
    4. वैयक्तिकता की प्रधानता
    नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
    1. लघु मानववाद की प्रतिष्ठा
    2. प्रयोगों में नवीनता
    3. अनुभूतियों का वास्तविक चित्रण
    4. बिंब
    5. व्यंग्य की प्रधानता
    नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
    1. भवानी प्रसाद मिश्र- सन्नाट, गीत फरोश
    2. कुंवर नारायण- चक्रव्यूह, आमने-सामने
    3. जगदीश गुप्त- नाव के पाँव, बोधि वृक्ष
    4. दुष्यंत कुमार- सूर्य का स्वागत, साये में धूप
    5. श्रीकांत वर्मा- माया दर्पण, मगध

    18 comments:

    1. एक से बढ़कर एक 👌🏻

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    2. पवन कुमारApril 5, 2023 at 5:56 PM

      हिन्दी साहित्य के इतिहास के चारों काल क्रमशःआदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल
      और आधुनिक काल की कालखंड और
      उस कालखण्ड की प्रमुख विशेषताओं
      को आपने सरल तरीके से बतलाएं है यह
      प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियों में लगे
      हुए विद्यार्थियों के साथ साथ हमलोगों के
      लिये भी काफी लाभदायक और उपयोगी
      है।

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    3. Nice information.....

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    4. साहित्यिक महत्वपूर्ण जानकारी 👍🙏

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    5. Extremely interesting information.

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    6. छोटे से पोस्ट में बेहतरीन प्रस्तुति।

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    7. Very Nice Information रूपा जी 😊👌🏻🙏🏻

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    8. Very nice

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    9. क्रमबद्ध महत्वपूर्ण जानकारी 👌👌👍👍

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    10. बहुत ही सुंदर जानकारी के लिए आपका आभार
      पर एक निवेदन है कि हमारा समाज अचूत्य गोत्र के स्वामी जो आदि काल से है पर अब समाज में बड़ा भारी विरोधाभास हो गया है कृपा हमारी मदद कीजिए
      Jagdish Swami
      9910255186
      Delhi
      (राजस्थान)

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