मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata)
बहुत लोग मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata) से अवगत होंगे और बहुत लोग अनभिज्ञ। देश में बहुत सी क्रांतिकारी, विदुषी और समाजसेवी महिलायें हुई हैं। आज इन्हीं महिलाओं में से एक मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata) की चर्चा करते हैं। टाटा समूह को अर्श से फर्श तक पहुंचाने में मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata) का महत्वपूर्ण योगदान है। टाटा ग्रुप के दूसरे अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा की पत्नी मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata) ने कभी टाटा स्टील को बचाने के लिए कोहिनूर से भी बड़ा अपना हीरा गिरवी रख दिया था।
सन 1924 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे, दोराबजी टाटा को कुछ सूझ नहीं रहा था। कंपनी को कैसे बचाया जाए? कोई रास्ता दिख नहीं रहा था। तभी मेहरबाई ने जुबिली हीरा गिरवी रख धन इकट्ठा करने की सलाह दी। पहले तो दोराबजी ने इससे इंकार कर दिया, लेकिन बाद में अपनी पत्नी की सलाह माननी पड़ी। तब मेहरबाई ने अपना बेशकीमती जुबली डायमंड इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में गिरवी रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे और कंपनी चलती रहे। यह हीरा 254 कैरेट का था जो आकार और वजन में विश्व विख्यात "कोह-ए-नूर" हीरे से दोगुना है।
टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना
मेहरबाई टाटा, जमशेदजी टाटा की बहू और उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं। इनकी ब्लड कैंसर से असमय मृत्यु होने के बाद सर दोराबजी टाटा ने भारत के कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज के लिये यह हीरा बेचकर ही टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। प्रेम के लिये बनाया गया यह स्मारक (टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन) मानवता के लिये एक उपहार है। विडम्बना ये है कि हम प्रेम स्मारक के रुप मे ताजमहल को महिमामंडित करते रहते हैं और जो हमें जीवन प्रदान करता है, उसके इतिहास के बारे में जानते तक नहीं।
खैर, आज हम मेहरबाई टाटा की बात करेंगे जो, टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा की पत्नी थी और अपने समय से काफी आगे थी। उन्होंने न सिर्फ बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि कई सामाजिक कार्य किए। जमशेदपुर में मेहरबाई कैंसर अस्पताल या फिर सर दोराबजी टाटा पार्क जाने पर मेहरबाई से जुड़ी कई यादें ताजा हो जाएंगी।
मेहरबाई से जुड़ी कुछ रोचक बातें
टाटा स्टील को बचाने के लिए कोहिनूर से भी बड़ा हीरा रख दी थी गिरवी
टाटा समूह को "फर्श से अर्श" तक पहुंचाने में मेहरबाई टाटा का महत्वपूर्ण योगदान है। टाटा ग्रुप के दूसरे अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा की पत्नी मेहरबाई टाटा ने कभी टाटा स्टील को बचाने के लिए कोहिनूर से भी बड़ा अपना हीरा गिरवी रख दिया था। 245 कैरेट का जुबिली हीरा प्रसिद्ध कोहिनूर से दोगुना बड़ा था और यह तोहफा उन्हें अपने पति सर दोराबजी टाटा से मिला था। विशेष प्लेटिनम चेन में लगा यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे। मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में पहना करती थीं।
1879 में हुआ था मेहरबाई का जन्म, खेलों और पियानो में थी रुचि
मेहरबाई टाटा का जन्म 1879 में हुआ था। खुले विचार की मेहरबाई बाद में चलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई की अगुआ बनी। खेल के प्रति रुचि रखने वाली मेहरबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। वह कुशल पियानोवादक भी थी।
ओलंपिक में टेनिस खेलने वाली पहली भारतीय महिला थी मेहरबाई
मेहरबाई को टेनिस खेलने का शौक था और वह इस खेल में बहुत कुशल हो गईं। वास्तव में, उसने टेनिस टूर्नामेंट में साठ से अधिक पुरस्कार जीते। वह ओलंपिक टेनिस खेलने वाली पहली भारतीय महिला थीं। 1924 के पेरिस ओलंपिक में मिश्रित युगल। सबसे दिलचस्प और अनोखी बात यह है कि उन्होंने अपने सभी टेनिस मैच पारसी साड़ी पहनकर खेले, जो उनके राष्ट्र में उनके गौरव से प्रेरित था, और शायद अंग्रेजों की ओर भी इशारा करने के लिए, जो उस समय भारत पर शासन कर रहे थे।
जेपलिन एयरशिप में सवार होने वाली पहली भारतीय महिला
उनके पति और उन्हें अक्सर विंबलडन के सेंटर कोर्ट में टेनिस मैच देखते हुए देखा जाता था। मेहरबाई का खेल के प्रति जुनून टेनिस से भी आगे निकल गया। वह एक बेहतरीन घुड़सवार भी थी और 1912 में जेपेलिन एयरशिप पर सवार होने वाली पहली भारतीय महिला थी।
बाल विवाह अधिनियम बनाने में किया सहयोग
1929 में भारत में बाल विवाह अधिनियम पारित किया है, जिसे सारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस अधिनियम को बनाने में मेहरबाई का भी सहयोग लिया गया था। वह लेडी टाटा ने भारत और विदेशों में छुआछूत और पर्दा व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थीं, और नेशनल काउंसिल ऑफ वीमेंस की संस्थापक भी रही।
अमेरिका में हिंदू विवाह अधिनियम पर दिया भाषण
29 नवंबर 1927 को उन्होंने अमेरिका के मिशिगन में बैटल क्रीक कॉलेज (अब एंड्रयूज यूनिवर्सिटी) में हिंदू विवाह अधिनियम के पक्ष में बात की। उनके उत्साही भाषण ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति और इतिहास के साथ-साथ रीति-रिवाजों और अज्ञानता का एक उत्कृष्ट अवलोकन प्रदान किया, जिसने देश में महिलाओं की प्रगति को बाधित कर रहा था।
बाल विवाह खत्म करने पर दिया जोर
इसके बाद उन्होंने भारत सरकार से एक प्रस्तावित विधेयक को शीघ्रता से पारित करने का आह्वान किया जो बाल विवाह को गैरकानूनी घोषित करेगा और इस तरह इस सामाजिक बुराई को समाप्त करेगा। वास्तव में, वह भारत की महिलाओं के लिए एक शक्तिशाली प्रवक्ता थीं। अपने पति, टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष, सर दोराबजी टाटा के साथ, उन्होंने व्हाइट हाउस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति केल्विन कूलिज से भी मुलाकात की।
'हम ग्रेसफुल नहीं, यूजफुल होने आए हैं'
एक धनी परिवार में विवाहित होने के बावजूद, वह समाज के सभी वर्गों के साथ सक्रिय संपर्क में रहीं। एक खास कहानी बड़ी दिलचस्प है। जब उसने सुना कि मुंबई के भायखला के एक गरीब इलाके में रहने वाली महिलाओं को दंगों के कारण भोजन नहीं मिल पा रहा है, तो उसने अपनी कुछ महिला सहयोगियों के साथ खुद एक भोजन और सब्जी लेकर उनके बीच पहुंच गई। महापौर ने उनके अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि आप प्रतिष्ठित महिलाएं है। आपको यह सब करना शोभा नहीं देता। लेडी टाटा ने शांत गरिमा के साथ जवाब दिया, 'हम महिलाएं यहां 'ग्रेसफुल' होने के लिए नहीं आईं, हम यहां 'यूजफुल' होने के लिए आए हैं।
पिता ने कहा, मेरी नाम रख लो
मेहरबाई स्वतंत्र विचारों वाली महिला थी। मेहरबाई पिता, एचजे भाभा, जो एक प्रोफेसर थे और बैंगलोर और फिर मैसूर में एक प्रख्यात शिक्षाविद् थे, ने उन्हें प्रगतिशील वेस्टर्न विचारों से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन जब पिता पश्चिमी फैशन के चक्कर में उनका नाम मेहर से मेरी करना चाहा तो मेहरबाई ने इससे इंकार कर दिया। वह अपने पिता के सामने खड़ी हुई और अपना नाम अपने मूल फ़ारसी रूप, 'मेहरी' में बनाए रखने पर जोर दिया, जो बाद में मेहरबाई बन गई। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि मेहरबाई किस प्रकार अपनी संस्कृति से प्यार करती थी।
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Meherbai Tata
Many people will be aware of Meherbai Tata and many people are ignorant. There have been many revolutionary, intelligent and social service women in the country. Today these women discuss about a Meherbai Tata. Meherbai Tata has a significant contribution in taking the Tata group from floor to floor. Meherbai Tata, wife of Sir Dorabji Tata, the second chairman of the Tata Group, had once pledged her diamond bigger than the Kohinoor to save Tata Steel.
In 1924, when there was a recession due to the First World War and the Tata Company did not have the money to pay salaries to the employees, Dorabji Tata was not able to understand anything. How to save the company? There was no way out. Then Meherbai advised to collect the money by pledging the Jubilee Diamond. At first Dorabji refused this, but later had to follow his wife's advice. Then Meherbai had pledged her prized Jubilee Diamond to the Imperial Bank for Rs 1 crore so that the employees would get a constant salary and the company would continue. The diamond was of 254 carats, which is twice the size and weight of the world famous "Koh-e-Noor" diamond.
Establishment of Tata Memorial Cancer Research Foundation
Meherbai Tata was the daughter-in-law of Jamsetji Tata and the wife of his eldest son Sir Dorabji Tata. After his untimely death from blood cancer, Sir Dorabji Tata established the Tata Memorial Cancer Research Foundation by selling this diamond for better treatment of cancer patients of India. This memorial built for love (Tata Memorial Cancer Research Foundation) is a gift to humanity. The irony is that we keep glorifying the Taj Mahal as a monument of love and do not even know about the history of the one who gives us life.
Well, today we will talk about Meherbai Tata who was the wife of the second chairman of Tata group Sir Dorabji Tata and was way ahead of her time. He not only fought against child marriage, but also did many social works. Visiting Meherbai Cancer Hospital or Sir Dorabji Tata Park in Jamshedpur will bring back many memories related to Meherbai.
Some interesting facts related to Meherbai
To save Tata Steel, a diamond bigger than Kohinoor was mortgaged
Meherbai Tata has been instrumental in taking the Tata Group from "Floor to Earth". Meherbai Tata, wife of Sir Dorabji Tata, the second chairman of the Tata Group, had once pledged her diamond bigger than the Kohinoor to save Tata Steel. The 245-carat Jubilee diamond was twice as big as the famous Kohinoor and was gifted to her by her husband, Sir Dorabji Tata. Everyone was astonished to see this diamond in a special platinum chain. Meherbai Tata used to wear it in special events.
Meherbai was born in 1879, was interested in games and piano
Meherbai Tata was born in 1879. The open-minded Meherbai later became the leader of the fight for women's rights. Meherbai, who was interested in sports, was rich in versatility. She was also a skilled pianist.
Meherbai was the first Indian woman to play tennis in the Olympics.
Meherbai was fond of playing tennis and became very skilled in this sport. In fact, she won over sixty awards in tennis tournaments. She was the first Indian woman to play Olympic tennis. Mixed doubles at the 1924 Paris Olympics. The most interesting and unique thing is that she played all her tennis matches wearing a Parsi saree, which was inspired by her pride in her nation, and perhaps also to allude to the British, who were ruling India at the time.
First Indian woman to board a Zeppelin airship
Her husband and she were often seen watching tennis matches on the center court of Wimbledon. Meherbai's passion for the game went beyond tennis. She was also a fine equestrian and was the first Indian woman to board a Zeppelin airship in 1912.
Helped in making Child Marriage Act
In 1929, India passed the Child Marriage Act, also known as the Saradha Act. Meherbai's cooperation was also taken in making this act. That Lady Tata fought against untouchability and purdah system in India and abroad. She was committed to the education of women in India, and was also the founder of the National Council of Women.
Speech on Hindu Marriage Act in America
On 29 November 1927, he spoke in favor of the Hindu Marriage Act at Battle Creek College (now Andrews University) in Michigan, USA. Her spirited speech provided the audience with an excellent overview of Indian culture and history as well as the customs and ignorance that was hindering the progress of women in the country.
Emphasis on ending child marriage
He then called upon the Government of India to expeditiously pass a proposed bill that would outlaw child marriage and thus end this social evil. In fact, she was a powerful spokesperson for the women of India. Along with her husband, the second chairman of the Tata Group, Sir Dorabji Tata, she also met the then US President Calvin Coolidge at the White House.
'We are not graceful, we have come to be useful'
Despite being married into a wealthy family, she remained in active contact with all sections of the society. One particular story is very interesting. When she heard that women living in a poor area of Byculla, Mumbai could not get food due to riots
Meherbai Tata - social worker & philanthropist - daughter of educationist H.J. Bhaba. Married Sir Dorabji Tata eldest son of Sir J.N. Tata & cousin of J.R.D. Tata.
ReplyDeletenari shakti ko naman
Strong & inspiring personality🙏
ReplyDeleteVery nice knowledge given by you👍
Great
ReplyDeleteInspirational post....mumkin nahi hai kuch bhi ager than lijiye 👍👍👌👌
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery informative blog today
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०६-०८ -२०२२ ) को 'उफन रहीं सागर की लहरें, उमड़ रहीं सरितायें'(चर्चा अंक -४५१३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०६-०८ -२०२२ ) को 'उफन रहीं सागर की लहरें, उमड़ रहीं सरितायें'(चर्चा अंक -४५१३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
नमस्ते जी,
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद।
रूपा मेहरबाई जैसी विभूति के बारे लिखा ब्लॉग बहुत अच्छा और उपयोगी है।यहाँ तुम्हें एक सुधार बता रहा हूँ।तुमने "अर्श से फर्श तक"पहुंचाया कहा है जिसका अर्थ है शिखर से जमीन तक ले जाना।तुम्हें लिखना था"फर्श से अर्श तक ले गयीं।यहाँ अर्थ होगा जमीन से बहुत ऊंचाइयों/शिखर तक ले जाना।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Deleteकर दिया सुधार। यह एक बहुत बड़ी गलती थी, जो आपने सुधार कराया। शब्दों के उलट फेर में वाक्य का अर्थ बिल्कुल उल्टा हो जाता और शायद आप ये सुधार न कराते तो यह पोस्ट ऐसे उल्टे अर्थ के साथ ही रह जाता। इस सुधार के लिए मैं दिल से आपका शुक्रिया अदा करती हूं और आगे भी उम्मीद करती हूं कि आपका सहयोग बना रहेगा। यहां आपकी प्रतिक्रिया आपके नाम से नहीं है। हो सके तो आपका परिचय दें।
मुझे नहीं पता कि मेरा नाम नहीं गया।हम तो एक दूसरे के ट्वीट्स देखते रहते हैं।पसंद करते हैं।मेरा ट्विटर एकाउंट @jpswriter के नाम से है।
DeleteOk sir 🙏🙏
DeleteGreat women's
ReplyDeleteSuper inspiring 👏🏻👏🏻 hats off to the Lady
ReplyDeleteअनेक प्रेरणा दायक और प्रभावशाली भारतीय महिलाओं में से एक मेहरबाई टाटा के विषय में जानकारी मिली।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी 👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery good information.
ReplyDeleteVery interesting news.
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