चामुंडा देवी (Chamunda Devi)
चामुंडा देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला कांगड़ा में स्थित है। चामुंडा देवी मंदिर शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। वर्तमान में उत्तर भारत के नौ देवियों में चामुंडा देवी का दूसरा दर्शन है। यहां पर आकर श्रद्धालु अपने भावना के पुष्प मां चामुंडा देवी के चरणों में अर्पित करते हैं। माना जाता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देश के कोने-कोने से यहां पर आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
चामुंडा देवी का मंदिर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां प्रकृति ने अपनी सुंदरता भरपूर मात्रा में प्रदान की है। चामुंडा देवी मंदिर बंकर नदी के किनारे पर बसा हुआ है। पर्यटकों के लिए यह एक पिकनिक स्पॉट भी है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चामुंडा देवी मंदिर मुख्यत: माता काली को समर्पित है। माता काली शक्ति और संहार की देवी हैं। जब जब धरती पर कोई संकट आया है, तब तब माता ने दानवों का संहार किया है। असुर चंड- मुंड के संहार के कारण माता का नाम चामुंडा पड़ गया।
देवी की उत्पत्ति कथा-
दुर्गा सप्तशती और देवी महात्यमय के अनुसार माता का नाम चामुण्डा पड़ने के पीछे एक कथा प्रचलित है। दूर्गा सप्तशती में माता के नाम की उत्पत्ति कथा वर्णित है। हजारों वर्ष पूर्व धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो का राज था। उनके द्वारा देवताओं को युद्ध में परास्त कर दिया गया जिसके फलस्वरूप देवताओं ने देवी दूर्गा कि आराधना की और देवी दूर्गा ने उन सभी को वरदान दिया कि वह अवश्य ही इन दोनों दैत्यो से उनकी रक्षा करेंगी। इसके पश्चात माता दुर्गा ने दो रूप धारण किये एक माता महाकाली का और दूसरा माता अम्बे का। माता महाकाली जग में विचरने लगी और माता अम्बे हिमालय में रहने लगी। तभी वहाँ चण्ड और मुण्ड आए वहाँ। देवी अम्बे को देखकर मोहित हो गए और दैत्यराज शुम्भ से कहा,आप तीनों लोको के राजा हैं, आपके यहां पर सभी अमूल्य रत्न सुशोभित हैं। इस कारण आपके पास ऐसी दिव्य और आकर्षक नारी भी होनी चाहिए जो कि तीनों लोकों में सर्वसुन्दर है। यह वचन सुन कर शुम्भ ने अपना एक दूत माता अम्बे के पास भेजा और उस दूत से कहा कि तुम उस सुन्दरी से जाकर कहना कि शुम्भ तीनो लोको के राजा है और वह तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहते हैं। यह सुन दूत माता अम्बे के पास गया और शुम्भ द्वारा कहे गये वचन माता को सुना दिये। माता ने कहा मैं मानती हूं कि शुम्भ बलशाली है परन्तु मैं एक प्रण ले चुकी हूं कि जो व्यक्ति मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करूंगी। यह सारी बाते दूत ने शुम्भ को बताई तो वह माता के वचन सुन क्रोधित हो गया।
तभी उसने धूम्रलोचन सेनापति को सेना लेकर माता के पास उन्हें लाने भेजा। जब उसके सेनापति ने माता को कहा कि हमारे साथ चलो हमारे स्वामी के पास नहीं तो तुम्हारे गर्व का नाश कर दूंगा। माता के बिना युद्ध किये जाने से मना किया तो उन्होंने मैया पर कई अस्त्र शस्त्र बरसाए, पर माता को कोई हानि नहीं पहुंचा सके। माता और उनके सिंह ने असुरी सेना का संहार कर दिया। अपनी सेना का यूँ संहार का सुनकर शुम्भ को क्रोध आया और चण्ड और मुण्ड नामक दो असुरों को रक्तबीज के साथ भेजा,और कहा कि उसके सिंह को मारकर माता को जीवित या मृत हमारे सामने लाओ। चण्ड और मुण्ड माता के पास गये और उन्हे अपने साथ चलने के लिए कहा। देवी के मना करने पर उन्होंने देवी पर प्रहार किया। तब देवी ने अपना महाकाली का रूप धारण कर लिया और असुरो के शीश काटकर अपनी मुण्डों की माला में पिरोया और सभी असुरी सेना के टुकड़े टुकड़े कर दिये। माता अंबे ने माता महाकाली को चामुंडा देवी के नाम से विख्यात होने का आशीर्वाद दिया।
मुख्य आकर्षण
श्रद्धालु यहाँ पर स्थित बाण गंगा में स्नान करते हैं। बाण गंगा में स्नान करना शुभ और मंगलमय माना जाता है। मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से शरीर पवित्र हो जाता है। श्रद्धालु स्नान करते समय भगवान शंकर की आराधना करते हैं। मंदिर के पास ही में एक कुण्ड है जिसमें स्नान करने के पश्चात ही श्रद्धालु देवी की प्रतिमा के दर्शन करते हैं। मंदिर के गर्भ-गृह कि प्रमुख प्रतिमा तक सभी आने वाले श्रद्धालुओं की पहुंच नहीं है। मुख्य प्रतिमा को ढक कर रखा गया है। ताकि उसकी पवित्रता में कमी न आ सके। मंदिर के पीछे की ओर एक पवित्र गुफा है जिसके अंदर भगवान शंकर का प्रतीक प्राकृतिक शिवलिंग है। इन सभी प्रमुख आकर्षक चीजो के अलावा मंदिर के पास ही में विभिन्न देवी-देवताओं कि अद़भूत आकृतियां है। मंदिर के मुख्य द्वार के पास ही में हनुमान जी और भैरो नाथ की प्रतिमा है।
चामुण्डा देवी मंदिर धर्मशाला से 15 कि॰मी॰ कि दूरी पर स्थित है। पर्यटक धर्मशाला से प्राकृतिक सौंदर्य का आंनद उठा कर चामुण्डा देवी मंदिर पहुंचते हैं। प्रकृति ने अपनी सुंदरता यहां पर भरपूर मात्रा में लुटाई है। कलकल करते झरने और तेज वेग से बहती नदियां पर्यटकों के जहन में अमिट छाप छोड़ती है।
आज नवरात्रि का छठा दिन है
🙏🏻माँ कात्यायनी 🙏🏻
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
🙏🏻मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
🙏🏻प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
🙏🏻स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
🚩जय माता दी🚩
जय माँ कात्यायनी 🌹🙏
ReplyDeleteमां दुर्गा का छठवां स्वरूप मां कात्यायनी की कृपा से आपका दिन शुभ हो ।
ReplyDeleteजय माता दी
ReplyDeleteजय मां भवानी
ReplyDeleteअपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना
जय माता दी 🙏
ReplyDeleteJai mata di...
ReplyDeleteजय माता दी , माता रानी सबकी इच्छाओं को पूरा करें🙏
ReplyDeleteJai mata di 🙏🙏
ReplyDeleteVery good information..
ReplyDeleteJai Mata Di 🙏
Jai maata Di.
ReplyDeleteचंद तथा मुंड का बध करने के कारण माता का नाम चामुंडा पड़ा।
ReplyDeleteJai mata di 🙏
ReplyDeleteजय माता दी।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteजय माता चामुंडा देवी।
ReplyDelete🕉️💐🚩🙏
जय मां चामुण्डा देवी 🙏🙏
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