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पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

पिप्पली / Pippali / Long pepper

छोटी पिप्पली (Pippali) से सभी लोग अवगत होंगे। यह बाकी मसालों की तरह बहुत प्रसिद्ध तो नहीं है, परंतु यह भी भारतीय रसोई घर में मसाले के जैसे उपयोग में लाया जाता है। यह च्यवनप्राश के मसालों में से एक है। पिप्पली (Pippali) अनेक औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण दवा है।


पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

पिप्पली क्या है?

पीपली एक जड़ी बूटी है। आयुर्वेद में इसकी 4 प्रजातियों के बारे में जानकारी दी गई है, लेकिन व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही आती है। पिप्पली की लता जमीन पर फैली हुई होती है। यह सुगंधित होती है।  इसकी जड़ लकड़ी जैसी कड़ी, भारी और श्यामली रंग की होती है। यह तोड़ने पर अंदर से सफेद रंग की होती है।  इसका स्वाद तीखा होता है। पिप्पली के पौधे में बारिश के मौसम में फूल खिलते हैं और ठंड के मौसम में फल होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितना मोटा और वजनदार होता है, वह उतना ही अधिक गुणकारी होता है।

जानते हैं पिपली के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

दांत दर्द में

  • 1 से 2 ग्राम पिप्पली  चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाने से दांत के दर्द में आराम मिलता है।
  • 3 ग्राम पीपली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दातों पर तीन - चार बार लेप करने से दांत में ठंडा गरम लगने की परेशानी में लाभ होता है।
  • बच्चों को जब दांत निकलती है, तो उन्हें बहुत दर्द होता है। इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में 1 ग्राम पीपली चूर्ण में 5 ग्राम शहद मिलाकर मसूड़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं। 

खांसी और बुखार में

  • 500 मिलीग्राम पीपली चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से बच्चों की खांसी, बुखार, सांसों की परेशानी और हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं। 
  • खांसी और बुखार होने पर बड़ी पीपली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिलीग्राम मात्रा में मधु मिलाकर बच्चों को चढ़ाते रहने से बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में लाभ होता है।

जुकाम में

पीपली के काढ़े में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहने से जुकाम से आराम मिलता है।

गला बैठने पर

पीपली तथा हर्रे को समान मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना लें तथा कपड़े से छानकर रख लें। इस चूर्ण के 1 से 2 ग्राम में मधु मिलाकर सेवन करने से मद्य पान करने से या कब्ज विकार के कारण गला बैठने की समस्या में लाभ होता है।

सांसों के रोग

1 ग्राम पीपली चूर्ण में 2 गुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला चूर्ण मिला लें। इसे चाटने से सांसो के रोग खासी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस में लाभ होता है।

अनिद्रा की परेशानी

नींद ना आने की परेशानी में पीपली के जड़ का महीन चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 1 से 3 ग्राम की मात्रा को मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से नींद अच्छी आती है।

चोट या मोच का दर्द

शरीर के किसी भी हिस्से में चोट लगने या मोच आने से अगर दर्द हो रहा है, तो आधा चम्मच पीपली के जड़ के चूर्ण को देसी गाय के गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।

मोटापा की समस्या

पीपली का सेवन मोटापे को कम करने के लिए भी किया जाता है। 2 ग्राम पीपली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में तीन बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से मोटापा कम होता है। इस चूर्ण के सेवन के बाद 1 घंटे तक जल को छोड़कर किसी अन्य चीज का सेवन ना करें।

कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए

आजकल कोलेस्ट्रोल की समस्या भी आम हो गई है। पीपली के सेवन से कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं। इसके लिए भी पीपली चूर्ण में मधु मिलाकर सुबह सेवन करना है। इससे कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियमित होती है तथा हृदय रोगों में भी लाभ होता है।
पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

दस्त में

अगर बहुत अधिक दस्त हो रहा है, तो पिपली को पीस लें। इसकी 2 ग्राम मात्रा को गाय के दूध के साथ सेवन करने से दस्त रुक जाते हैं।

पेट के दर्द में

पिपली और छोटी हरड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी से सेवन करने से पेट दर्द, पेट की मरोड़ व बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है।

पाचन तंत्र के विकार

छोटी पीपली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10 से 15 मिनट उबाल लें। पहले पिपली खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन दो पिपली लेकर दूध में अच्छी तरह उबाल कर पहले पीपली खा लें, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पीपली तक सेवन करें। जिस तरह एक एक पिप्पली को बढ़ाया है, उसी तरह कम करते जाएं। यदि अधिक गर्मी ना लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पीपली तक भी इस विधि को आजमाया जा सकता है। इससे का अस्थमा, सर्दी जुकाम व पुरानी खांसी में लाभ मिलता है। इससे पाचन तंत्र, गैस, अपच आदि रोग भी दूर होते हैं। पिपली युक्त दूध का सेवन सुबह करें। दिन में सादा आहार लें। घी तेल व खट्टी चीजों से परहेज करें।

कब्ज की समस्या

पिप्पली की जड़ और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।

बवासीर में

आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना हुआ जीरा तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह के समय खाली पेट छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में फायदा होता है।

लीवर को स्वस्थ रखने में

पीपली का सेवन लीवर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है, क्योंकि इसमें पिपेरिन नामक तत्व पाया जाता है, जो कि लीवर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखकर लीवर के कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है।

शरीर के दर्द में

वात का प्रकुपित होना ही शरीर में दर्द का कारण होता है। पिप्पली में दर्द निवारक गुण पाया जाता है। साथ ही आयुर्वेद के अनुसार पिप्पली में वात शामक गुण होता है।

अस्थमा में

पिप्पली में कफ को शांत करने का गुण होता है। इसलिए पीपली का सेवन अस्थमा के लक्षणों को कम करने की एक अचूक औषधि है।

हृदय रोग में

हृदय रोग में पीपली की जड़ और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक की मात्रा में घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होता है।

जहरीले कीड़ों के काटने पर

जब जहरीला कीड़ा काट ले, तो पीपली को पीसकर विषैले जंतुओं के डंक वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

अन्य भाषाओं में पीपली के नाम(Names of Peepli in other languages)

Hindi – पीपली, पीपर;  उर्दू-पिपल (Pipal);
Sanskrit – पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा, कृकला, कटुबीज, कोरङ्गी, श्यामा, सूक्ष्मतण्डुला, दन्तकफा
English –     लॉन्ग पेपर (Long pepper), इण्डियन लौंग पीपर (Indian long pepper), ड्राईड कैटकिन्स (Dried catkins)
Oriya –        बैदेही (Baidehi)
Konkani –   पिपली (Pipli)
Kannada –   हिप्पली (Hippali)
Gujarati –    पीपर (Pipar), पीपरीजड़ (Piparimul)
Telugu –      पिप्पलु (Pippalu), पिप्पलि (Pippali)
Tamil  –       टिपिलि (Tipili), पिप्पली (Pippilli)
Bengali –     पीपुल (Peppul), पिप्पली (Pipali)
Nepali –      पीपला (Pipla), पिपुल (Pipool)
Punjabi –     पिप्पलीजड़ (Piplimul)
Marathi –     पिंपली (Pimpali)
Malayalam –     तिप्पली (Tippali)
Arabic –     दारफूलफूल (Darfulful), डाल फिलफिल (Dalfilfil)
Persian –     फिलफिल दराज (Filfil daraz), पीपल दराज (Pipal daraz)

पिपली के नुकसान (Side Effects of Long Pepper)

पिपली को सीमित मात्रा में लेना बिल्कुल सुरक्षित है, पर यदि इसे कोई अधिक मात्रा में लेता है तो उन्हें कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे - 
  • हाथों में जलन 
  • पैरों में जलन 
  • आंखों में जलन 
  • हृदय को नुकसान 
  • सिर दर्द 
  • गर्भवती महिलाओं को सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। 
  • दूध और घी के साथ या प्रतिदिन दिन में 250 मिलीग्राम की एक छोटी खुराक बच्चों को दी जा सकती है। 
English Translate

Pippali / Long pepper

Everyone will be aware of Choti Pippali. It is not very famous like other spices, but it is also used as a spice in Indian kitchen. It is one of the spices of Chyawanprash. Pippali is an important medicine of Ayurveda due to being full of many medicinal properties.
पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

What is Long pepper?

Peepli is a herb. Information has been given about its 4 species in Ayurveda, but in practice there are only two types of Pippali, small and big. The creeper of pippali is spread on the ground. It is fragrant. Its root is hard like wood, heavy and black in color. When it is broken, it is white in color from inside. Its taste is pungent. Pippali plant flowers in the rainy season and bears fruits in the cold season. Its fruits are called pippali. Its root is sold in the market as Peepla root. The thicker and heavier the root, the more beneficial it is.

Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Long pepper

पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

In Toothache

  • Mixing rock salt, turmeric and mustard oil in 1 to 2 grams of Pippali powder and applying it on the teeth provides relief in toothache.
  • Mix 3 grams honey and ghee in 3 grams peepli powder and apply it on the teeth three to four times, it provides relief in the problem of feeling cold and hot in the teeth.
  • Children feel a lot of pain when their teeth come out. Along with this, other problems also have to be faced. In such a situation, mixing 5 grams honey in 1 gram peepli powder and rubbing it on the gums brings out the teeth without pain.

In Cough and Fever

  • Taking 500 mg peepli powder mixed with honey ends cough, fever, respiratory problems and hiccups in children.
  • In case of cough and fever, rub elder peepli. Mixing about 125 mg of honey in this and offering it to children is beneficial in problems like fever, cough and spleen enlargement.

In a Cold

Mixing honey in the decoction of peepli and giving it little by little, it provides relief from cold.

On the Throat

Make a powder by taking equal quantity of peepli and harre and filter it with a cloth. Taking 1 to 2 grams of this powder mixed with honey provides relief in the problem of sore throat due to drinking alcohol or constipation.

Respiratory Diseases

Mix 2 times honey or equal quantity of Triphala powder in 1 gram peepli powder. Licking it provides relief in respiratory diseases, cough, hiccups, fever, sore throat, sinus.

Insomnia Problem

In the problem of sleeplessness, make a fine powder of peepli root. Taking 1 to 3 grams of this powder with sugar candy in the morning and evening brings good sleep.

Sprain Pain

If there is pain in any part of the body due to injury or sprain, then taking half spoon powder of peepli root with hot milk or water of a desi cow provides immediate benefits. It also gives good sleep.

Obesity Problem

Peepli is also used to reduce obesity. Mixing honey in 2 grams of peepli powder and taking it regularly for a few weeks, thrice a day, reduces obesity. After consuming this powder, do not consume anything other than water for 1 hour.

To Lower Cholesterol

Nowadays the problem of cholesterol has also become common. Cholesterol can be reduced by the consumption of Peepli. For this also, mixing honey in Peepli powder is to be consumed in the morning. Due to this the amount of cholesterol is regularized and it is also beneficial in heart diseases.
पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

In Diarrhea

If there is a lot of diarrhea, then grind the applique. Taking 2 grams of this with cow's milk stops diarrhea.

In Colic

Mix equal quantity of pipli and small myrobalan and grind them. Taking one spoon with lukewarm water in the morning and evening ends stomachache, abdominal cramps and foul-smelling diarrhea.

Digestive System Disorders

Take 1 piece of small peepli and boil it in cow's milk for 10 to 15 minutes. First, after eating applique, drink milk from above. On the next day, take two pipli and boil them well in milk and first eat the pipli, then drink the milk. In this way, take 7 to 11 peeplis. Just as you have increased one pipli, keep decreasing it in the same way. If there is no excessive heat, then this method can be tried up to 15 peeplis in a maximum of 15 days. It is beneficial in asthma, cold and chronic cough. It also cures diseases of the digestive system, gas, indigestion etc. Consume milk containing pipli in the morning. Take a simple diet during the day. Avoid ghee, oil and sour things.

Constipation Problem

Make a fine powder by taking equal quantity of Pippali root and small cardamom. Taking 3 grams of it with ghee in the morning and evening is beneficial in constipation.

In Hemorrhoids

Mixing equal quantity of roasted cumin seeds and a little rock salt in half spoon powder of Pippali and taking it with buttermilk in the morning on empty stomach is beneficial in piles.

Keeping Liver Healthy

Consumption of peepli also helps in keeping the liver healthy, because it contains an element called piperine, which increases the ability of the liver to function by keeping the liver cells healthy.

In Body Pain

Violation of Vata is the cause of pain in the body. Pippali has pain relieving properties. Also, according to Ayurveda, Pippali has vata sedative properties.

In Asthma

Pippali has phlegm calming properties. Therefore, the consumption of peepli is a perfect medicine to reduce the symptoms of asthma.

In Heart Disease

Make a fine powder by taking equal quantity of peepli root and small cardamom in heart disease. Taking it with ghee in the amount of up to 3 grams in the morning and evening is beneficial in heart disease.

Bites of Poisonous Insects

When a poisonous insect bites, grinding peepli and applying it on the place where poisonous animals sting is beneficial.
पिप्पली (पीपली) / Pippali / Long pepper

25 comments:

  1. अच्छी जानकारी, मेरी माता जी को अस्थमा था और वो छोटी पिपली का पाउडर मधु के साथ सेवन करतीं थीं..

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  2. बढ़िया जानकारी 👍

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  3. Very useful Post 👍🏻

    यह सभी मसालों की तरह रोजमर्रा के खान पान में शामिल नहीं है, इसीलिए शायद इसकी लोकप्रियता कम है। यह च्यवनप्राश का मसाला है और च्यवनप्राश घर में कोई बनाता नहीं। वैसे आज का लेख पढ़ने के बाद लगा कि पीपली भी घर में होना चाहिए...आभार

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    1. तब शायद आपको पता नहीं है, ये ब्लॉग डालने वाली रूपा जी घर में च्यवनप्राश भी बनाती हैं।

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. 🙏🏾३०० 🙏🏾ब्लाग 🙏🏾लिखने 🙏🏾की 🙏🏾बधाई 🙏🏾देता 🙏🏾हू 🙏🏾मेरी 🙏🏾बधाई 🙏🏾स्वीकार 🙏🏾करे
    🙏🏾आपकी🙏🏾 क़लम 🙏🏾को 🙏🏾और 🙏🏾आपकी🙏🏾 लेखनी को 🙏🏾सादर🙏🏾 प्रणाम 🙏🏾
    🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾

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    1. आपको कहीं से गलत जानकारी हुई ..आज 561वां ब्लॉग है।

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  6. Very useful Post..keep it up dear.👍

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  7. 👍aise he aage badhati jao. Useful information

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  8. उपयोगी जानकारी

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  9. पीपली औषधि के अनेक गुण।

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  10. अधिकतर औषधि के रूप में प्रयोग होता है। अच्छी और उपयोगी जानकारी

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  11. उपयोगी जानकारी

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  12. आयुर्वेद में औषधियों
    का है अकूत भंडार
    आयुर्वेद के भी होते
    कई सारे दोष-विकार
    छोटी-बड़ी पीप्पली मैं
    भी कई सारे उपचार
    नुकसान कम आयुर्वेद
    के फायदे होते हजार
    इनके फायदे देखकर
    आंखे हो जाएगी चार
    करो सब इसका प्रचार
    आयुर्वेद का इस्तेमाल
    करो सहर्ष स्वीकार
    #देखो_जरा
    https://twitter.com/RupaSin44202771/status/1443865204219998212

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    1. आपके पास हर बात को कविता की तरह कहने की अद्भुत कला है..लाजवाब..

      धन्यवाद..

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  13. Another spice that can be said to be good for all diseases. Only use it.

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