गूलर | Gular
आज एक और औषधीय वृक्ष की बात करते हैं, जिसका नाम है "गूलर(Gular)"। गूलर(Gular) से संबंधित कई किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं। कहावत है कि जिसने गूलर(Gular) का फूल देख लिया, उसका भाग्य चमक जाता है। यह भी कहा जाता है कि गूलर का सेवन करने वाले वृद्ध युवा हो जाते हैं। आप सभी ने भी गूलर(Gular) से संबंधित ऐसी कई कहानियां सुनी होंगी। हम यहां गूलर(Gular) के औषधीय गुणों की चर्चा करेंगे। गुलर का पेड़ या गूलर का फूल कोई साधारण पेड़ या फूल नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी बूटी भी हैं।
गूलर क्या है?
गूलर का पेड़ विशाल और घना होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। इसके फल अंजीर के समान दिखाई देते हैं। कच्चा होने पर यह हल्के हरे रंग के और पकने के बाद लाल रंग के हो जाते हैं। पके हुए फल चमकदार होते हैं तथा फलों को काटने से उसमें कीड़े पाए जाते हैं। गूलर का फूल, गूलर के फल के अंदर होता है। इसके तने या डाल में किसी भी स्थान पर चीरा लगाने से सफेद दूध निकलता है। दूध को थोड़ी देर रखने पर वह पीला हो जाता है, इसलिए इसे हेमदुग्धक कहा जाता है। गूलर के फलों में ढेर सारे कीड़े होने के कारण इसे जंतु फल कहा जाता है तथा 12 महीने फल देने के कारण इसे सदाफल भी कहते हैं।
जानते हैं गूलर के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
आयुर्वेद के अनुसार गूलर रक्तस्राव रोकने में, मूत्र रोग, डायबिटीज तथा शरीर की जलन में, सूजन की समस्या तथा दर्द में, पुराने घाव को ठीक करने में तथा ऐसी कई तरह की बीमारियों में गूलर फायदेमंद है। विभिन्न रोगों में इसके अलग-अलग भाग का प्रयोग होता है।
पेट दर्द में
गूलर का फल खाने से पेट का दर्द और गैस की समस्या ठीक होती है।
मूत्र रोग में
प्रतिदिन गूलर के दो - दो पके फल खाने से मूत्र रोग में आराम मिलता है, पेशाब की समस्या ठीक होती है और पेशाब खुलकर आने लगता है।
मधुमेह में
गूलर के फलों के सूखे छिलकों को (बीज निकालकर) महीन पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ल्यूकोरिया में
5 से 10 ग्राम गूलर के रस को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया की समस्या में लाभ होता है।
घाव होने पर
- गूलर में पुराने से पुराने घाव को ठीक करने की क्षमता होती है। गूलर के दूध में रुई का फाहा भिगोकर घाव पर रखने से घाव ठीक हो जाते हैं।
- गूलर की छाल की राख को घी के साथ मिलाकर लगाने से विवाइयाँ, मुंहासे, बालतोड़ तथा डायबिटीज के कारण हुई फुंसियां ठीक होती है।
रक्त विकार में
- शरीर के किसी भी अंग से खून बहने की स्थिति में या सूजन हो तो ऐसे में गूलर का प्रयोग एक उत्तम औषधि है। नाक से खून बहना, पेशाब के साथ खून आना, मासिक धर्म में रक्तस्राव अधिक होना या गर्भपात आदि रोगों में गूलर का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इसके 2-3 पके फलों को खांड या मिश्री के साथ दिन में तीन बार लेने से आराम मिलता है।
- 5 मिलीलीटर गूलर के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से उल्टी में खून आना बंद होता है।
बुखार में
1 ग्राम गूलर की गोंद तथा 3 ग्राम चीनी को मिलाकर सेवन करने से पित्त दोष के कारण होने वाले बुखार और जलन में आराम मिलता है।
पाचन में
गूलर के कच्चे फल में दीपन गुण होता है, जिसके कारण यह सुपाच्य होता है। साथ ही इसका पका हुआ फल भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है।
बवासीर में
गूलर के दूध की 10-20 बूंदों को पानी में मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
गूलर का नुकसान
गूलर के इस्तेमाल से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं-
- गूलर के अधिक मात्रा में सेवन से बुखार हो सकता है
- पके हुए फलों को अधिक मात्रा में लेने से आंतों में कीड़े हो सकते हैं
- गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सक के परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए
विभिन्न भाषाओं में गूलर का नाम
बांग्ला - डुमुर
मराठी - उदुम्बर
अरबी - जमीझ
पंजाबी – बटबर
गुजराती – उम्बरो
तेलगु – अत्थि चेट्टु
तमिल – अत्तिमरम्
बंगाली - दुमुर
लैटिन - फाइकस रेसीमोसा
English Translate
Sycamore | Gular
Today let's talk about another medicinal tree, whose name is "Gular". There are many famous legends related to Gular. There is a saying that the one who sees the Gular flower, his luck shines. It is also said that old people who consume sycamore become young. All of you must have also heard many such stories related to Gular. We will discuss the medicinal properties of Gular here. Gular tree or sycamore flower is not an ordinary tree or flower, but it is also a very good herb.
What is a sycamore?
The sycamore tree is huge and dense. Its height can range from about 10 to 15 meters. Its fruits look like figs. It is light green when raw and turns red when cooked. Ripe fruits are shiny and insects are found in the fruits by cutting them. The flower of the sycamore is inside the fruit of the sycamore. White milk comes out by making an incision at any place in its stem or branch. Milk turns yellow after keeping it for a while, hence it is called Hemadugdhak. Due to the presence of many insects in the fruits of sycamore, it is called animal fruit and because of giving 12 months of fruit, it is also called Sadaphal.
Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of Gular
According to Ayurveda, Gular is beneficial in stopping bleeding, in urinary diseases, diabetes and body burns, in inflammation and pain, in healing old wounds and in many such diseases. Different parts of it are used in different diseases.
In Stomachache
Consuming sycamore fruit ends stomachache and gas problem.
In Urinary Tract
Eating two or two ripe fruits of sycamore daily provides relief in urinary disease, the problem of urination is cured and urine starts coming freely.
Diabetes
Grind the dried peels (removing the seeds) of the sycamore fruit into a fine paste. Add equal quantity of sugar candy to it. Taking 6 grams of this with cow's milk in the morning and evening is beneficial in diabetes.
In Leucorrhoea
Mixing 5 to 10 grams juice of sycamore with sugar candy and drinking it twice a day is beneficial in the problem of leukorrhea.
In Case of Wound
- Sycamore has the ability to heal old wounds. Soak a cotton swab in the milk of sycamore and keep it on the wound, wounds are cured.
- Applying ash of sycamore bark with ghee, it cures pimples, acne, hair break and pimples caused by diabetes.
In Blood Disorder
In case of bleeding or swelling from any part of the body, then the use of sycamore is a good medicine. The use of sycamore is beneficial in diseases such as bleeding from the nose, bleeding with urine, excessive menstrual bleeding or abortion. Taking 2-3 ripe fruits with Khand or sugar candy thrice a day provides relief.
Mix equal quantity of sugar candy in 5 ml juice of sycamore leaves and take it in the morning and evening, it stops bleeding in vomiting.
In Fever
Taking one gram of sycamore gum and 3 grams of sugar together provides relief in fever and burning sensation due to pitta dosha.
In Digestion
The unripe fruit of sycamore has deepening properties, due to which it is digestible. Also, its ripe fruit helps in controlling appetite.
In Hemorrhoids
Mix 10-20 drops of sycamore milk with water and take, it provides relief in bloody piles.
Side Effects of Sycamore
Some disadvantages can also occur from the use of sycamore-
- Excessive consumption of sycamore can cause fever
- Consuming ripe fruits in excess can cause intestinal worms
- Pregnant women should not consume it without consulting a doctor
Sycamore name in different languages
Sanskrit - Udumbar
bangla - dumur
Marathi - Udumbar
Arabic - Jameez
Punjabi - Batbar
Gujarati - Umbro
Telugu - Atthi Chettu
Tamil - Attimaram
Bengali - Dumur
Latin - Ficus racemosa
गूलर (Ficus racemosa) फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदमसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं।
ReplyDeleteगूलर / उडुंबर
फाइकस रेसमोसा Ficus racemosa
पहली बार जानकारी मिली कि गूलर उपयोगी वृक्ष है, और इसके इतने सारे फायदे हैं...👌👌👍👍
ReplyDeleteकठूमर। कठूमर के पत्ते गूलर के पत्तों से बडे होते हैं। इसके पत्तों को छूने से हाथों में खुजली होने लगती है और पत्तों में से दूध निकलता है।
ReplyDeleteमोरासी परिवारी का सदस्य गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है। इसका वनस्पतिक नाम फीकुस ग्लोमेराता रौक्सबुर्ग है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। यह नदी−नालों के किनारे एवं दलदली स्थानों पर उगता है। उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है।
ReplyDeleteइसके भालाकार पत्ते 10 से सत्रह सेमी लंबे होते हैं जो जनवरी से अप्रैल तक निकलते हैं। इसकी छाल का रंग लाल−घूसर होता है। फल गोल, गुच्छों में लगते हैं। फल मार्च से जून तक आते हैं। कच्चा फल छोटा हरा होता है पकने पर फल मीठे, मुलायम तथा छोटे−छोटे दानों से युक्त होता है। इसका फल देखने में अंजीर के फल जैसा लगता है। इसके तने से क्षीर निकलता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में रक्तस्राव रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है।
गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते। साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है।
गूलर की छाल ग्राही है, रक्तस्राव को बंद करती है। साथ ही यह मधुमेह में भी लाभप्रद है। गूलर के कोमल−ताजा पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से भी मधुमेह में राहत मिलती है। इससे पेशाब में शर्करा की मात्रा भी कम हो जाती है।
गूलर के तने को दूध बवासीर एवं दस्तों के लिए श्रेष्ठ दवा है। खूनी बवासीर के रोगी को गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इसके नियमित सेवन से त्वचा का रंग भी निखरने लगता है।
हाथ−पैरों की त्वचा फटने या बिवाई फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है, पीड़ा से छुटकारा मिलता है। गूलर से स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं भी दूर होती हैं। स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर इसकी छाल के काढ़े का सेवन करना चाहिए। इससे अत्याधिक बहाव रुक जाता है। ऐसा होने पर गूलर के पके हुए फलों के रस में खांड या शहद मिलाकर पीना भी लाभदायक होता है। विभिन्न योनि विकारों में भी गूलर काफी फायदेमंद होता है। योनि विकारों में योनि प्रक्षालन के लिए गूलर की छाल के काढ़े का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है।
मुंह के छाले हों तो गूलर के पत्तों या छाल का काढ़ा मुंह में भरकर कुछ देर रखना चाहिए। इससे फायदा होता है। इससे दांत हिलने तथा मसूढ़ों से खून आने जैसी व्याधियों का निदान भी हो जाता है। यह क्रिया लगभग दो सप्ताह तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
आग से या अन्य किसी प्रकार से जल जाने पर प्रभावित स्थान पर गूलर की छाल को लेप करने से जलन शांत हो जाती है। इससे खून का बहना भी बंद हो जाता है। पके हुए गूलर के शरबत में शक्कर, खांड या शहद मिलाकर सेवन करने से गर्मियों में पैदा होने वाली जलन तथा तृषा शांत होती है।
नेत्र विकारों जैसे आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में भी गूलर उपयोगी है। इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ और महीन कपड़े से छान लें। ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें। इससे नेत्र ज्योति भी बढ़ती है। नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है।
मेहनती पोस्ट है
ReplyDeleteमेम, अपका भूत सुंदर ज्ञान है इस दुनिया के लिए। हम सब पड़ते हैं बॉटनी में पर मेडिकल साइंस को भी अपने मिला कर भूत सुंदर जानकारी दी है।
ReplyDeleteगूलर है या बरगद एक जैसा रंग व रूप दिखता है,अनिगिनत फायदे देखकर अचंभित हैं हम, धन्यवाद
ReplyDeleteबरगद एक अलग पेड़ है और गूलर अलग।
Deletevery useful post..gular ka ped to dekha hai.. per isko khaya bhi ja sakta ye bilkul bhi nahi pta tha..aur itne health benefits. ...👍👍👍👍
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteWe say so about the fern flower - who
ReplyDeletewill find him - surefire happiness.
When I read your posts herbal - I want to be "herbalist" it means the person who heals people with the help of herbs ...
I feel like this when I go to the doctor and see a lot of sick people. And that's why I came into this field...
DeleteGood post
ReplyDeleteअच्छी जानकारी गूलर के बारे में
ReplyDeleteGood post
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteअच्छी उपयोगी जानकारी। हम तो अभी तक सिर्फ गूलर का फूल होना,मुहावरा ही जानते थे।
ReplyDeleteWah ji
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteगूलर बहुऔषधीय फल है।अच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी और उपयोगी जानकारी, गूलर का पेड़ भी शायद ही मैंने देखा है।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice knowledge
ReplyDeleteNice knowledge
ReplyDeleteमेरे लिए तो ये बिल्कुल नई जानकारी है। 'गूलर का फूल होना' मुहावरा तो सुना था, पर इस पेड़ के बारे में जानकारी नहीं थी। नई नई जानकारियों से अवगत कराने के लिए धन्यवाद..
ReplyDeletepahle chhote per bahut khaya hai.. ab to gular ka ped kam hi dikhta
ReplyDeleteUseful post..
Very nice
ReplyDeleteNice information
ReplyDeletenice info.. it is still unseen by me
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteOknisha
ReplyDeleteCaseEarn