करोंदा/करौंदा/Karounda/Carissa/क्रैनबेरी
ऐसा कौन होगा जिसने करौंदा (Cranberry) का नाम नहीं सुना होगा। करौंदा (Cranberry) का नाम सुनते ही अवश्य ही आपके मुँह में पानी आ जायेगा, क्योंकि आम तौर पर घरों में इससे सब्जी, चटनी, मुरब्बा और अचार बनाया जाता है।करौंदा (Cranberry) सिर्फ स्वाद के दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी अनगिनत हैं।
करौंदा क्या है?
करमर्द या करौंदा की हमेशा हरी-भरी रहने वाली झाड़ी होती है। इसके कंटक अत्यन्त तीक्ष्ण तथा मजबूत होते हैं। आयुर्वेदीय संहिताओं में दो तरह के (1) करौंदा (2) करौंदी का वर्णन पाया जाता है। करौदें के फल पकने के बाद काले पड़ जाते हैं। इसलिए इसको कृष्णपाक फल कहते हैं।
करौंदा का औषधीय गुण
करौंदे का पका फल प्रकृति से अम्लीय, तिक्त, गर्म, गुरु, वात को कम करने वाला, खाने में रूची बढ़ाने वाले, कफ को बढ़ाने वाला, और प्यास को बढ़ाने वाला होता है। इसके अलावा यह मधुर, पाचक, पित्त को कम करने वाला होता है।
करोंदे का फल अम्लीय, कड़वा, जलन को कम करने वाला तथा विषनाशक होता है। इसकी जड़ कृमिनाशक होती है। करौंदे के जड़ की छाल प्रकृति से कड़वी और गर्म होती है। यह कफ और वात को कम करने वाली, खांसी कम करने में सहायक, ज्यादा मूत्र होने की समस्या तथा सामान्य दूर्बलता को दूर करने में मदद करती है।
जानते हैं करौंदे के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
करौंदा खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-
- दांत की बीमारियों में
करौंदा का औषधीय गुण दांत के बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके फल की चटनी बनाकर खाने से मसूड़ों संबंधित रोगों से राहत मिलती है।
- शीताद रोग या स्कर्वी के इलाज में
करौंदा का औषधीय गुण स्कर्वी के लक्षणों से राहत दिलाने में सबसे ज्यादा काम करता है। करौंदे के 1-2 फलों का नियमित सेवन करने से शीतादरोग का इलाज करने में मदद मिलती है।
- सूखी खांसी से दिलाये राहत
मौसम के बदलने के साथ सूखी खांसी की समस्या से सब परेशान रहते हैं। इससे राहत पाने के लिए 5 मिली करौंदा के पत्ते के रस में शहद मिलाकर चटाने से सूखी खांसी के कष्ट से राहत मिलती है।
- अतिसार या दस्त को रोकने में करे मदद करौंदा
करौंदे के कच्चे सूखे फल के चूर्ण (1-2 ग्राम) तथा मूल चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से अतिसार (दस्त), पेट संबंधी रोगों एवं पेट की कृमियों से छुटकारा मिलने में आसानी होती है।
- ज्यादा प्यास लगने की समस्या को दूर करने में करे मदद करौंदा
अगर किसी बीमारी के वजह से आपको हद से ज्यादा प्यास लगती है तो पके फल से बने 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पित्त एवं कफ विकृति, अतिपिपासा, खाने की रूची तथा अरुचि में लाभ होता है।
- पेट दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद करौंदा
अगर ज्यादा खा लेने या एसिडिटी होने के कारण आपके पेट में दर्द की परेशानी है तो करौंदे के फूल के चूर्ण या जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
- मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्या से राहत दिलाने में मददगार करौंदा
अगर मूत्र करते वक्त जलन आदि की समस्या होती है तो छोटे करौंदे की 1 ग्राम मूल को दूध के साथ पीसकर पीने से मूत्रकृच्छ्र (दर्द सहित मूत्र त्याग) के इलाज में मदद मिलती है।
- जलोदर के उपचार में फायदेमंद करौंदा
जलोदर के रोगी को करौंदे के पत्तों का रस पहले दिन 5 मिली, दूसरे दिन 10 मिली, इस तरह प्रतिदिन 5-5 मिली बढ़ाते हुए 50 मिली तक सेवन करें तथा पुन: घटाते हुए 5 मिली तक प्रयोग करें। इस प्रकार रोज सुबह पिलाने से जलोदर में लाभ होता है।
- रक्तप्रदर के इलाज में लाभकारी करौंदा
अक्सर महिलाओं को रक्तप्रदर (ज्यादा ब्लीडिंग) और मासिक धर्म संबंधी समस्याएं होती है। 1-2 ग्राम करौंदा के जड़ को दूध के साथ घिसकर पिलाने से रक्तप्रदर तथा मासिक-विकारों में लाभ होता है।
- त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में फायदेमंद करौंदा
करौंदे के पके फल अथवा जड़ को पीसकर लगाने से पामा, खुजली तथा दाह आदि त्वचा विकारों से आराम मिलता है। इसके अलावा करौंदे की मूल को अश्व मूत्र, नींबू रस तथा कपूर के साथ पीसकर लगाने से कण्डु या खुजली दूर होती है।
- कम न होने वाले ज्वर से राहत दिलाये करौंदा
अगर बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो करौंदे के पत्तों का काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से अविरामी-ज्वर (नियमित रहने वाला ज्वर) में लाभ होता है। इसके अलावा करौंदे के पत्तों का काढ़ा बनाकर, 15-30 मिली तक पिलाने से ज्वर तथा बुखार से जो जलन या दर्द होता है उससे राहत मिलती है।
- पैरों के फटने को ठीक करे करौंदा
अगर किसी भी इलाज से पैरों का फटना ठीक नहीं हो रहा है तो करौंदा का इस्तेमाल बीजों को पीसकर पैरों पर लगाने से विपादिका या पैरों के फटने से जो घाव होता है उसमें लाभ होता है।
- अपस्मार या मिर्गी के इलाज में फायदेमंद करौंदा
5 ग्राम करौदों के पत्तों को पीसकर दही के साथ मिलाकर खिलाने से अपस्मार या मिर्गी के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
करौंदा का उपयोगी भाग क्या है ?
आयुर्वेद के अनुसार करौंदा का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-
-जड़ एवं
-फल।
करौंदा का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए करौंदा का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 20-40 मिली पत्ते का काढ़ा या क्वाथ ले सकते हैं।
करौंदा में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutritional Value of Cranberry )
करौंदे का उपयोग कैसे करें ?
- करौंदी की चटनी बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
- कुछ लोग करौंदे की जैम बनाकर भी इसका सेवन करते हैं।
- करौंदे का जूस बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
- चाहे तो करोंदे का अचार डाल कर भी इसे भोजन के साथ उपयोग में लाया जा सकता है।
करौंदा सेवन का नुकसान
आयुर्वेद में करौंदे के फल का सेवन अर्थराइटिस, गाउट, साइटिका एवं अल्सर में लेना नुकसानदेह होता है।
English Translate
Carissa / Cranberry
Who will be there who has not heard the name of Cranberry? Hearing the name of Cranberry will definitely make your mouth water, because it is usually made with vegetables, chutney, marmalade and pickle in homes. Cranberry is not only important in terms of taste but also its The medicinal properties are also countless.
What is Cranberry?
Karamard or Cranberry always has a green shrub. Its spines are very sharp and strong. The description of two types (1) karaunda (2) karaundi is found in the Ayurvedic samhitas. The fruit of the Cranberry turns black after cooking. This is why it is called the Krishnapak fruit.
Medicinal properties of Cranberry
The ripe fruit of Cranberry is acidic in nature, pungent, hot, guru, reducing vata, increasing interest in food, increasing phlegm, and increasing thirst. Apart from this, it is sweet, digestive, reducing bile.
Karonde fruit is acidic, bitter, reduces irritation and is toxic. Its root is anthelmintic. The bark of gooseberry root is bitter and hot in nature. It helps in reducing Kapha and Vata, helpful in reducing cough, problem of excessive urination and general debility.
Know the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Cranberry
Cranberry is as delicious in food as it is beneficial for which diseases as a medicine, let's know about it further-
- In dental Diseases
The medicinal properties of Cranberry are used to treat dental diseases. Taking sauce made of its fruit provides relief from gum related diseases.
- In the treatment of cold disease or scurvy
The medicinal properties of Cranberry are most effective in relieving the symptoms of scurvy. Regular consumption of 1-2 fruits of Cranberry helps in the treatment of colds.
- Relief from dry cough
With the change of season, everyone is troubled by the problem of dry cough. To get relief from this, licking 5 ml juice of Cranberry leaves mixed with honey provides relief from dry cough.
- Help to prevent Diarrhea
Taking raw dry fruit powder (1-2 grams) and root powder mixed with gooseberries, it is easy to get rid of diarrhea, stomach diseases and stomach worms.
- Help to overcome the problem of excessive thirst
If you feel extremely thirsty due to any disease, then taking 1-2 grams of powder made from ripe fruit is beneficial in bile and phlegm deformity, hyperpigasta, food taste and anorexia.
- Beneficial Cranberry in relieving stomach pain
If you have trouble with stomach pain due to overeating or acidity, then adding honey to the powder of Cranberry or root powder, taking it relieves stomach pain.
- Helpful to relieve urinary or urinary problems
If there is a problem of burning sensation while urinating, then drinking 1 gram root of small Cranberry with milk, drinking it helps in treating urticaria (urination including pain).
- Beneficial Cranberry in the treatment of ascites
The dropsy patient should take 5 ml juice of Cranberry leaves on the first day, 10 ml on the second day, in this way, increase it by 5 ml every day and consume up to 50 ml and then decrease it to 5 ml. Thus, giving morning to morning benefits in ascites.
- Cranberry beneficial in the treatment of blood pressure
Often, women have high blood pressure and menstrual problems. Grind 1-2 grams of Cranberry root with milk and give it to the patient, it provides relief in blood disorders and menstrual disorders.
- Beneficial Cranberry in the treatment of skin problems
Applying ground ripe fruit or root of Cranberry provides relief from pamas, itching and skin irritations etc. Apart from this, by grinding the root of Cranberry with horse urine, lemon juice and camphor, applying it ends itching.
- Cranberry provides relief from fever
If the fever is not taking the name of reduction, then making a decoction of Cranberry leaves, taking 10-20 milliliters of it is beneficial for the fasting fever (regular fever). Apart from this, making a decoction of gooseberry leaves and drinking it for 15-30 ml provides relief from burning or pain caused by fever and fever.
- Cranberry fixing leg bursts
If any treatment does not cure the bursting of the feet, then the use of Cranberry on the feet by grinding seeds is beneficial in the wound caused by the eruption or burst of the feet.
- Beneficial Cranberry in treating epilepsy or epilepsy
Grind 5 grams of Cranberry leaves and mix it with curd, giving relief from the symptoms of dyspepsia or epilepsy.
What is the useful part of Cranberry?
According to Ayurveda, the medicinal properties of Cranberry are the highest when using these parts-
-Addition and
-Fal.
How to use Cranberry?
If you want to use Cranberry for home treatment of a particular disease, then it is better to use it according to the advice of an Ayurvedic doctor. According to the advice of the doctor, you can take decoction or decoction of 20-40 ml leaves.
It is clear that gooseberries have many benefits. In this case, it can be used in many ways. like:-
- You can consume it by making gooseberry sauce.
- Some people also consume it by making gooseberry jam.
- It can also be consumed by making gooseberry juice.
- If desired, it can also be used with food by adding pickle of cranberry.
Side Effects of Cranberry
In Ayurveda, consumption of gooseberry fruit is harmful to take in arthritis, gout, sciatica and ulcers.
Chun chun ke topic laya ja raha hai...meri maa karaunda ka achar dalti thi..ab to bahut din ho gye khaye
ReplyDeleteइसकी चटनी बहुत स्वादिष्ट लगती है.. पर यह बाजार में बहुत कम समय के लिए आता है..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
इसका अंचार भी बनता है।
ReplyDelete।
Nice fruit
ReplyDeleteNice fruit
ReplyDeleteकरौंदा स्वास्थ्यवर्धक फल है।इसका विभिन्न रूपों में किया जाता है। अच्छी जानकारी।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत थोड़े समय के लिए बाजार में उपलब्ध होने वाला यह बहुत गुणकारी होता है। सभी को किसी न किसी रूप में इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।
ReplyDeleteNice concept 👍
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteVery informative 👍👍
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteNice but not available in market
ReplyDeleteKaraunde ki chutney ahahaaaaaa 😋
ReplyDeleteLekin ye jaankari kaam aayegi
Aapke post mujhe kafi kuch sikhate hai daily life me
Add krne ke liye thanku 🙏🙏
Nice
ReplyDelete👍
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteगजब की मेहनत हुई है पोस्ट पर
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteक्रैनबेरी जूस के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे
ReplyDeleteक्रैनबेरी जूस के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आपका पोस्ट पढ़ने में बहुत दिलचस्प है। यह बहुत जानकारी पूर्ण और सहायक है। आमतौर पर, मैं कभी भी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करता हूं लेकिन आपका लेख इतना आश्वस्त करता है कि मैं खुद को इसके बारे में कहने के लिए नहीं रोक पाया । आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे बनाए रखें।
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