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केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 केदारनाथ मंदिर ~ Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) Kedarnath Temple (Jyoterlinga) भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) Kedarnath Temple (Jyoterlinga) 12 ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चारधाम और पंच केदार में से भी एक है।

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) Kedarnath Temple (Jyoterlinga)महिमा व इतिहास

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

केदारनाथ की बड़ी महिमा है। उत्तराखंड में केदारनाथ और बद्रीनाथ, यह दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनों के दर्शन का बड़ा ही महात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ का दर्शन किए बगैर बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनाथ सहित नर नारायण मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश और जीवन मुक्ति की प्राप्ति बताया गया है।

इस मंदिर के आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर 1000 वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है।'राहुल सांकृत्यायन' के अनुसार यह 12वीं-13वीं शताब्दी का है। इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते हैं कि शैव लोग आदि शंकराचार्य के पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं

यह मंदिर छः फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना है। मंदिर के मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है।बाहर प्रांगण में नंदी वाहन के रूप में विराजमान है।

दीपावली महापर्व के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं। 6 माह बाद मई माह में मंदिर के कपाट खुलते हैं।

पांडवों से जुड़ा है रहस्य

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की सभी ज्योतिर्लिंग में सबसे ज्यादा महत्व है। यहां भगवान शिवलिंग की पूजा विग्रह रूप में की जाती है जो बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार रूप में है। शिवलिंग का यह रहस्य पांडवों से जुड़ा हुआ है-

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

पौराणिक कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र के मैदान मेंपांडवों के हाथों काफी बड़ी संख्या में नरसंहार होने से भगवान शिव तांडव से रुष्ट हो गए थे और उन्हें दर्शन देना नहीं चाहते थे, इसलिए वे कैलाश पर्वत से अंतर्धान होकर केदारनाथ आ गए। पांडव भी उनका पीछा करते-करते केदार आ पहुंचे। उनसे छुपने के लिए भगवान शिव बैल बन गए और अन्य जानवरों के बीच में छिप गए। भीम ने इस बात को भांप लिया और विषालकाय रूप धारण कर दो पहाड़ों के बीच में अपने दोनों पैरों को रख दिए। अन्य जानवर भीम के पैरों के बीच से तो निकल गए लेकिन बैल के रूप में भगवान शिव पैर के नीचे से नहीं गए, और वही अंतर्धान होने लगे तभी भीम ने बैल की पीठ का त्रिकूट भाग पकड़ लिया। पांडवों की शक्ति और दृढ़ संकल्प ने भगवान शिव का मन बदल दिया और उन्होंने दर्शन देकर पांडवों को पाप से मुक्त कर दिया। उसी समय से यहां शिवलिंग बैल की पीठ की आकृति के रूप में पूजा जाता है।

ऐसे बने पंच केदार

पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि जब शिव बेल के रूप में आए तो उनके धड़ का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ, जहां अब पशुपतिनाथ मंदिर है। शिवजी की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रूद्रनाथ में, नाभि मद्महेश्वर और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई। इन चार स्थानों के साथ केदारनाथ धाम को मिलाकर पंच केदार के रूप में पूजा जाता है।

मद्महेश्वर मंदिर

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

मद्महेश्वर मंदिर नदी के स्रोत (मुख) के पास के इलाके में स्थित है। समुद्र तल से 3289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को दूसरे केदार के रूप में जाना जाता है। मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा नाभि लिंगम के रूप में की जाती है।मान्यता है कि यहां का जल इतना पवित्र है कि कुछ बूंदे ही मोक्ष की प्राप्ति के लिए पर्याप्त है। शीतकाल में छ:माह यहां पर भी कपाट बंद होते हैं। मद्महेश्वर जाने के लिए रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ तक जाना होता है।

तुंगनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

'तुंगनाथ' रूद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है और इसी पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर। यह भोलेनाथ के पंच केदार में से एक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि माता पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी। तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां भगवान शिव के हृदय स्थल और उनके भुजा की आराधना होती है।

रुद्रनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का मंदिर है जोकि पंच केदार में से एक है। समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में शिवजी के  एकानन यानी मुख की पूजा की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर के सामने से दिखाई देती नंदा देवी और त्रिशूल के हिमाच्छादित चोटियां यहां का आकर्षण बढ़ातीं हैं। यहां शिवजी को नीलकंठ महादेव कहते हैं।

कल्पेश्वर मंदिर

कल्पेश्वर मंदिर गढ़वाल के चमोली जिले के उर्मगम घाटी में स्थित है। पंच केदारों में इसका पांचवा स्थान है, जो समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। कल्पेश्वर एकमात्र पंच केदार मंदिर है जहां पूरे वर्ष भगवान का कपाट खुला रहता है।एक छोटा सा मंदिर है जो पत्थर की गुफा में बना हुआ है ।ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव की जटा प्रकट हुई थी।

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गईं। इस ऐतिहासिक मंदिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहा, लेकिन मंदिर का प्रवेश द्वार और उसके आसपास का इलाका पूरी तरह से तबाह हो गया।


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Kedarnath Temple

 Kedarnath temple is located in Rudraprayag district of Uttarakhand state of India.  The Kedarnath temple in the lap of the Himalayan Mountains in Uttarakhand is also one of the Chardham and Panch Kedars, joining 12 Jyotirlingas.

 Glory and History.  Kedarnath has great glory.  Kedarnath and Badrinath in Uttarakhand, these are the two main pilgrimages, both have great significance in their philosophy.  It is written in relation to Kedarnath that the person who travels to Badrinath without seeing Kedarnath, his journey is fruitless and the philosophy of Nara Narayana Murthy including Kedarnath is said to result in destruction of all sins and attainment of life's salvation.

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 There is no historical evidence about the age of this temple, but Kedarnath has been an important pilgrimage for 1000 years. According to 'Rahul Sankrityayan' it is from 12th-13th century.  Historian Dr. Shiv Prasad Dabral believes that Shaivites have been going to Kedarnath before Adi Shankaracharya.

 The temple is built on a six foot high square platform.  The main part of the temple surrounds the pavilion and the sanctum sanctorum. Nandi is seated as a vehicle in the outer courtyard.

 The doors of the temple are closed during the winter season on the second day of Deepavali Mahaparva.  The priests close the honorary boards and take the Deity of God and the punishment to Ukhimath under the mountain for 6 months.  After 6 months, the doors of the temple open in the month of May.

 Mystery related to Pandavas

 Kedarnath Jyotirlinga has the highest importance among all the Jyotirlingas.  Here Lord Shiva linga is worshiped in the form of Deity, which is in a triangular form like the back of an ox.  This secret of Shivling is associated with Pandavas-

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 According to the mythology, Lord Shiva was disgusted with the Tandava due to the mass massacre by the Pandavas in the Kurukshetra Plain and did not want to see him, so they came to Kedarnath after ingestion from Mount Kailash.  The Pandavas also followed them to Kedar.  Lord Shiva became a bull to hide from them and hid in the midst of other animals.  Bhima realized this and put his two feet in the middle of the two mountains, taking the form of a poisonous form.  The other animals came out from between Bhima's feet but Lord Shiva in the form of a bull did not go under the feet, and the same intrusions began to take place when Bhima grabbed the throne of the bull's back.  The power and determination of the Pandavas changed the mind of Lord Shiva and he appeared and freed the Pandavas from sin.  Since that time, the Shivling bull is worshiped here as a shape of the back.

 How to make Panch Kedar

 Legend has it that when Shiva came in the form of Bel, part of his torso appeared in Kathmandu, which now houses the Pashupatinath temple.  Shivaji's arms appeared in Tungnath, Mukh Rudranath, Navel Madmaheshwar and Jata Kalpeshwar.  Kedarnath Dham, along with these four places, is worshiped as Panch Kedar.

 Madmaheshwar Temple

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 The Madmaheshwara temple is located in the area near the source (mouth) of the river.  Located at an altitude of 3289 meters above sea level, this temple is known as the second Kedar.  Lord Shiva is worshiped as the navel lingam in the Madmaheshwara temple. It is recognized that the water here is so holy that only a few drops are sufficient to attain salvation.  In winter, the doors are closed for six months here.  To go to Madmaheshwar one has to go to Ukhimath in Rudraprayag district.

Tungnath Temple

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 'Tungnath' is a mountain located in Rudraprayag district and Tungnath Temple is located on this mountain.  It is one of the Panch Kedars of Bholenath.  It is believed about this temple that Mata Parvati also did penance here to get Shiva.  Tungnath Temple is at an altitude of 3680 meters above sea level.  Here Lord Shiva's heart and his arm are worshiped.

 Rudranath Temple

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 Rudranath Temple is a temple of Lord Shiva located in Chamoli district of Uttarakhand state which is one of the Panch Kedars.  Rudranath Temple, situated at an altitude of 2290 meters above sea level, is replete with gorgeous natural shade.  The Rudranath temple is worshiped by Shiva's Ekanan, the mouth.  The snow-clad peaks of Nanda Devi and Trishul visible from the front of Rudranath Temple add to its charm.  Here Shiva is called Neelkanth Mahadev.

 Kalpeshwar Temple

 Kalpeshwar Temple is located in the Urmgam valley in Chamoli district of Garhwal.  It is the fifth place among the Panch Kedars, which is built at an altitude of 2200 meters above sea level.  Kalpeshwar is the only Panch Kedar temple where the lord's doors are open throughout the year. There is a small temple which is built in a stone cave. It is believed that the lord of Lord Shiva appeared here.

केदारनाथ मंदिर (ज्योतिर्लिंग) ~ Kedarnath Temple (Jyoterlinga)

 During June 2013, Kedarnath remained the most affected area due to flash floods and landslides in the states of Uttarakhand and Himachal Pradesh.  The walls of the temple fell and flowed in the flood.  The main part of this historic temple and the centuries-old dome remained safe, but the entrance to the temple and its surrounding area was completely destroyed.



19 comments:

  1. Such a beautiful and peaceful place😌👍

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  2. Har Har Mahadev...Detail Information...Knowledgeable Post..

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  3. My Favourite Teerth sthal to visit again n again 🥰🥰🥰🥰
    Jai shambhu 🙏🙏🙏🙏

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  4. मंदिर के बारे में बढ़िया जानकारी।

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  5. Har har Mahadev 🙏🙏🌹🌹
    Detail information...👍🏻👍🏻👌

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  6. सनातन धर्म का सबसे
    बड़ा तीर्थ है केदारनाथ
    बद्रीनाथ केदारनाथ में
    विराजमान भोले नाथ
    पंच केदार के रूप में
    पशुपतिनाथ-तुंगनाथ
    रुद्रनाथ-मद्महेश्वर और
    कल्पेश्वर व केदारनाथ
    महादेव के सारे रूप
    पूजे जाते एक साथ
    केदारनाथ की महिमा
    तो है बड़ी ही निराली
    बद्रीनाथ यात्रा बिना
    फल रहता है खाली
    केदारनाथ सहित नर
    नारायण की मूर्ति के
    कर लेना सहर्ष दर्शन
    सब पापों का नाश
    होगा और सफल हो
    जाएगा यह जीवन
    महादेव की लीला
    सबसे अपरमपार है
    चार धाम की यात्रा
    से अपना बेड़ा पार है
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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