Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

Daily Routine (दिनचर्या)

दिनचर्या

Daily Routine (दिनचर्या)

दिनचर्या हर व्यक्ति के अपने शरीर के हिसाब से अलग-अलग होती है। यह सभी के लिए एक समान नहीं हो सकती है। दिनचर्या की दृष्टि से हर व्यक्ति के जीवन को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। बचपन (यानी पहले दिन से 14 साल के समय तक), जवानी (14 साल से 60 साल तक), बुढ़ापा (60 साल के बाद का समय)।

# बचपन की दिनचर्या

कफ के प्रभाव वालों की दिनचर्या पहले दिन से 14 वर्ष तक।

*  बचपन में कफ का प्रभाव अधिक होता है। उस समय  वात और पित्त कफ की तुलना में बहुत कम होता है । 14 वर्ष तक 8 से 10 घंटे  सोना भी अनुकूल ही माना गया है।
*   बच्चों को नींद 8 से 10 घंटे की लेनी चाहिए। यह नींद यदि दो हिस्सों में ले तो बहुत ही अच्छा। यानी रात में 8 घंटे तक सो जाएं और दिन में दो घंटे तक सो जाए।
*   पहले दिन से 4 वर्ष तक के बच्चे को कम से कम 16 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 4 वर्ष से 8 वर्ष के बच्चों को 12 से 14 घंटे की नींद तथा 8 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को 8 से 10 घंटे नींद लेनी चाहिये।
*   ह्रदय से ऊपर मस्तिष्क तक कफ का क्षेत्र है। हृदय के नीचे नाभि तक पित्त का क्षेत्र है। नाभि के नीचे पूरा वात का क्षेत्र है। बच्चों के ज्यादातर रोग छाती के ऊपर वाले (कफ) ही होंगे, जैसे- नाक बहेगी, जुकाम होगा, खांसी होगी यह सब कफ के रोग हैं।  कफ के प्रभाव को संतुलित करने के लिए नींद के बाद दूसरी चीज है बच्चों की तेल मालिश। अतः बच्चों की रोज तेल मालिश होनी ही चाहिए।
*   देसी गाय का घी बच्चों की आंखों में लगा सकते हैं । देसी गाय के घी की उपलब्धता नहीं होने पर आंखों में काजल लगाया जा सकता है। काजल मतलब कार्बन, कार्बन कफ को शांत करने में बड़ी भूमिका निभाता है।
 *    कफ के प्रभाव की स्थिति में खानपान में में दूध सबसे आवश्यक वस्तु है। दूसरी वस्तु है मक्खन, घी, तेल, मट्ठा तथा गुड़ है।यह सब कफ को शांत करते हैं। गुड़ के साथ बच्चों को तिल, मूंगफली आदि वस्तुएं जरूर खिलाना चाहिए। यह सारी वस्तुएं रोज के खानपान में होनी चाहिए। यह सारी वस्तु भारी है और भारी वस्तुएं कफ को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
*    मैदा बच्चों को कभी नहीं खिलाना चाहिए। मैदा या मैदे से बनी कोई भी वस्तु बच्चों को नहीं खिलानी चाहिए क्योंकि मैदा की चीज कफ को बिगाड़ने वाली होती है।
*     शरीर की मालिश तेल से हमेशा स्नान करने के पहले होनी चाहिए और मालिश करते समय जब उनके बगल में पसीना आ जाए तो मालिश रोक दें। माथे पर पसीना आने पर भी मालिश रोक देनी चाहिए। नहाते समय कफ को कम करने वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए जैसे चने का आटा, चंदन की लकड़ी का पाउडर, मसूर की दाल का आटा, कोई भी मोटा आटा, मूंग की दाल का आटा अर्थात बच्चों का स्नान इन्हीं से कराएं तथा साबुन ना लगाएं। साबुन सोडियम ऑक्साइड यानी कास्टिक सोडा से बनता है जो कि कफ को भड़काने वाली वस्तु है अतः साबुन कभी भी ना लगाएं मुल्तानी मिट्टी से भी स्नान कर सकते हैं।
*  12:00 से 4:00 के बीच में पित्त बढ़ता है। इस समय घी की बनाई हुई वस्तुएं ज्यादा खिलाना चाहिए। शाम को वात कम करने वाली वस्तुएं खिलाए।
*   कफ के प्रभाव वालों की कल्पनाशीलता सबसे ऊंची होती है। बच्चों पर कहानियों का असर बहुत पड़ता है। अतः बच्चों को जैसा बनाना हो उनको वैसी ही लोगों की कहानियां सुनानी चाहिए।
*   कफ प्रकृति में चंचलता होती है, अस्थिरता, चेहरा गोल मटोल होगा। विशेषता में सब कुछ नया नया लगता है, दूसरा दिमाग बहुत ही तीव्र होता है। यही कारण है कि सीखने की सबसे ज्यादा अनुकूल उम्र 14 वर्ष तक ही मानी गई है।

# जवानी की दिनचर्या

पित्त के प्रभाव वाले लोगों की दिनचर्या 14 वर्ष से 60 वर्ष वालों की।

*     14 साल से लेकर 60 सालों तक पूरा शरीर पित्त के प्रभाव में होता है। पित्त के लोगों को कफ कम हो जाता है और वात बहुत कम होता है। पित्त प्रकृति के लोगों की नींद 6 घंटे कम से कम और ज्यादा ज्यादा 8 घंटे होनी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में पित्त प्रकृति के लोगों का जागना बहुत आवश्यक है। अर्थात सुबह 4:00 बजे जाग जाएं।
*     पित्त प्रकृति के लोगों को दांत कसाए अथवा कड़वी और तीक्त वाली वस्तुओं से साफ करना चाहिए। अथवा नीम की दातुन करें। मदार, बबूल, अर्जुन, आम, अमरूद आदि की दातुन करें।
*     सभी पेस्ट मरे हुए जानवरों की हड्डियों से बन रहे हैं। कोलगेट मरे हुए सूअर की हड्डियों से और पेप्सोडेंट बन रहा है मरे हुए गाय की हड्डियों से तथा क्लोज़अप और फॉरहंस बन रहे हैं बकरे और बकरियों की हड्डी से।  अतः पेस्ट का उपयोग ना करें ।
*     त्रिफला चूर्ण का दन्त मंजन किसी भी ऋतु में किया जा सकता है।पित्त प्रकृति के लोगों को मालिश और व्यायाम दोनों करना चाहिए। वात के रोगियों के लिए मालिश पहले व्यायाम बाद में।  पित्त की प्रधानता वाले व्यक्तियों के लिए व्यायाम पहले मालिश बाद में।
*    माताओं बहनों के लिए मालिक जरूरी है। शरीर मालिश के साथ-साथ सिर की कान की और तलवों की ज्यादा मालिश करनी चाहिए। मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। स्नान उबटन आदि से करना चाहिए। इसके बाद भोजन तथा भोजन के बाद 20 मिनट का विश्राम या 10 मिनट वज्रासन। दिन के कार्यकलाप इसके बाद शाम को 6:00 से 7:00 का भोजन। फिर 2 घंटे बाद सोना। पित्त वालों का इसी प्रकार का नियम है।

# बुढ़ापे की दिनचर्या

वात के प्रभाव वाले लोगों की दिनचर्या , 60 साल के बाद वाले लोग।

*  60 साल से अधिक होने की स्थिति में शरीर में वात प्रबल होता है। इन दिनों में वात की समस्या होना प्राकृतिक है। जो लोग 60 साल या अधिक के हैं उनके लिए व्यायाम निषेध है। जैसे बच्चों को निषेध है। ऐसे लोगों को मालिश बहुत जरूरी है। जैसे बच्चे वैसे ही वात वालों की। मालिश सिर, तलवे और कान की ज्यादा करनी है। यदि व्यायाम करें तो बिल्कुल हल्का करें।
*   वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए। पूजा पाठ और भगवान की भक्ति ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। वात के लोगों को भागदौड़ बहुत कम करनी चाहिए और दिशा निर्देश देने का कार्य ज्यादा करना चाहिए।

Daily Routine

The routines vary from person to person.  It may not be the same for everyone.  In terms of routine, every person's life is divided into three categories.  Childhood (ie from the first day to 14 years of age), youth (from 14 years to 60 years), old age (after 60 years).

 # Childhood routine

 From the first day to the age of 14 for the effects of phlegm.

 * Kapha is more effective in childhood.  At that time Vata and Pitta are much less than Kapha.  Sleeping 8 to 10 hours for 14 years is also considered favorable.

 * Children should have 8 to 10 hours of sleep.  If you take this sleep in two parts, it is very good.  That is, sleep for 8 hours at night and sleep for two hours in the day.

 * Children from the first day to 4 years of age should get at least 16 hours of sleep.  Children aged 4 to 8 years should sleep 12 to 14 hours and children from 8 years to 14 years should sleep 8 to 10 hours.
Daily Routine (दिनचर्या)

 * There is a region of phlegm from the heart up to the brain.  There is a region of bile under the heart to the navel.  Below the navel is the entire vata region.  Most of the diseases of children will be on the top of the chest (phlegm), such as runny nose, cold, cough and all these are diseases of phlegm.  To balance the effects of phlegm, another thing to do after sleep is oil massage for children.  Therefore, children should have oil massage daily.

 * Desi cow's ghee can be applied in children's eyes.  If there is no availability of desi cow's ghee, kajal can be applied in the eyes.  Kajal means carbon, plays a big role in calming the carbon phlegm.

  * Milk is the most important item in catering in case of effects of phlegm.  The other thing is butter, ghee, oil, whey and jaggery. These all soothe phlegm.  Children should be fed with sesame, groundnut etc. with jaggery.  All these items should be in daily catering.  This whole item is heavy and heavy items help in keeping the phlegm balanced.

* Maida should never be fed to children.  Children should not feed any product made from refined flour or maida, because all purpose flour is spoiling the phlegm.

 * Massage of the body should always be done before bathing with oil and stop the massage when sweating beside them while doing massage.  Massage should be stopped even after sweating on the forehead.  During bathing, you should use items that reduce phlegm such as gram flour, sandalwood powder, lentil lentil flour, any thick flour, moong dal flour, that is, make the children bathe with them and do not apply soap.  .  Soap is made from sodium oxide, caustic soda, which is an irritant to the phlegm, so never apply soap. You can also bathe with multani mitti.

 * Bile increases between 12:00 and 4:00.  At this time, things made of ghee should be fed more.  In the evening, feed the items that reduce vata.

 * Kapha influences have the highest imaginability.  Stories have a great impact on children.  Therefore, children should be told stories of the same people as they want to be made.


 * Kapha is lightheaded in nature, instability, face will be chubby.  Everything in the specialty seems brand new, the second brain is very intense.  This is the reason that the most favorable age of learning has been considered up to 14 years.

# Youth routine

 People with the effects of bile have a routine of 14 to 60 years.

 * From 14 years to 60 years, the entire body is under the influence of bile.  People with pitta get reduced phlegm and Vata is very less.  People of bile nature should sleep at least 6 hours and more than 8 hours.  It is very important to wake up people of Pitta nature in Brahma Muhurta.  That is to wake up at 4:00 am.

 * People of bile nature should be cleaned with gnawing teeth or bitter and hot items.  Or give neem teeth.  Date of Madar, Babool, Arjun, Mango, Guava etc.

 * All pastes are made from dead animal bones.  Colgate is being made from dead pig bones and pepsodent from dead cow bones and closeups and forenses are being made from goat and goat bones.  So do not use paste.
 * Tooth brushing of Triphala powder can be done in any season. People of the pitta nature should do both massage and exercise.  Massage for Vata patients first exercise afterwards.  Exercise for individuals with bile predominance first massage afterwards.
Daily Routine (दिनचर्या)

 * Owners are essential for mothers and sisters.  Along with body massage, head and ear soles should be massaged more.  Bath should be done after massage.  Bath should be done with boiling etc.  After this, 20 minutes rest or 10 minutes Vajrasana after meals and meals.  Day activities followed by a meal from 6:00 to 7:00 in the evening.  Then after 2 hours sleep.  A similar rule is for bile.

 # Old age routine 

Routines of people with the effects of Vata, people after 60 years.

 * Vata prevails in the body if it is more than 60 years.  It is natural to have the problem of Vata in these days.  Exercise is prohibited for those who are 60 years or older.  As children are prohibited.  Massage is very important for such people.  Just like the children of Vata.  Massage is to be done more than the head, sole and ear.  If you exercise then lighten up.

* People of Vata should do more and more comfort.  Pooja recitation and devotion to God should be done at most.  People of Vata should reduce Bhagodar very much and should give more work to give directions

23 comments:

  1. सही दिनचर्या अच्छे स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है जिसकी आज की विपत्ति के समय बहुत अधिक आवश्यकता है,सदुपयोगी एवं बहुत बढ़िया जानकारी

    ReplyDelete
  2. मुझे तो वात की समस्या है इसको कम करने का कोई उपाय हो तो अवश्य बताएं 🤟🤟

    ReplyDelete
    Replies
    1. इन नियमों का पालन करें.. इसके बाद रोगानुसार उपचार डालने के लिए प्रयासरत हैं.. जल्दी ही अमल होगा।

      Delete
  3. आज का आपका लेख सभी वर्ग के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। आपको साधुवाद।

    ReplyDelete
  4. बहुत ही अच्छा लेख, सभी वर्ग के लोगों के लिए दिनचर्या की जानकारी बहुत उपयोगी है हम अक्सर अपनी दिनचर्या का ध्यान नहीं रखते

    ReplyDelete
  5. hard but necessary to follow.# thanks

    ReplyDelete
  6. Swasthya rahne ki sahi dincharya..Very good..Keep it up..

    ReplyDelete
  7. We shoud not cut the trees

    ReplyDelete
  8. Sach a knowledgble post...sabko dhyaan dena chahiye...

    ReplyDelete
  9. Sach a knowledgble post...sabko dhyaan dena chahiye...

    ReplyDelete
  10. बहुत ही अच्छी जानकारी है यह 👈 रूपा जी 🙏🏻

    ReplyDelete
  11. पवन कुमारFebruary 21, 2023 at 8:34 PM

    बचपन , जवानी और बुढ़ापे में कैसी दिनचर्या
    होनो चाहिये इसे आपने बहुत ही अच्छी तरह
    से बिंदुवार बतलाई हैं इससे लोगों को काफी
    फायदा हो सकता है यदि लोग सही से इसका
    पालन करें। ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान
    करने के लिये हृदय से आपका आभार🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  12. सुंदर लेख दिनचर्या की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद 🙏

    ReplyDelete
  13. बहुत बढ़िया.. जय हो 👍

    ReplyDelete