औषधियों के पेड़ पौधे जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है

औषधियों के पेड़ पौधे जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है

आज नवरात्रि का अंतिम दिन है। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

आज हम जानेंगे औषधियों में विराजमान नवदुर्गा के बारे में। 

एक मत के अनुसार ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। यह नौ  औषधियां ऐसी हैं, जिनमें मां दुर्गा के नौ रूप विराजमान है। इन 9 औषधियों को दुर्गा कवच कहा जाता है क्योंकि मानना है कि यह औषधियां रोगों को हरने वाली और उनसे बचा कर रखने के लिए एक कवच के रूप में कार्य करती हैं। आज नव दुर्गा का पांचवा दिन है। इसमें मां दुर्गा के पांचवें रूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आज यहां नवरात्र के 9 दिनों से संबंधित इन दिव्य गुणों वाली 9 औषधियों के बारे में जानते हैं।

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

(1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है, जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है.यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है। 

प्रथम शैलपुत्री (हरड़)

(2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है.इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। 

ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)

(3) चंद्रघंटा (चंदुसूर) : यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। 

चंद्रघंटा (चंदुसूर)

(4) कूष्मांडा (पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है.इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है मानसिक रोगों में यह अमृत समान है। 

कूष्मांडा (पेठा)

(5) स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं. यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है.इसमे फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक सेभूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए यह खून भी साफ करता है। 

स्कंदमाता (अलसी)

(6) कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका.इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं.यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है। 

स्कंदमाता (अलसी)

(7) कालरात्रि (नागदौन) : यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं.यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है.यह पाइल्स के लिये भी रामबाण औषधि है इसे स्थानीय भाषा जबलपुर में दूधी कहा जाता है। 

कालरात्रि (नागदौन)

(8) महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र. ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है. एकादशी को छोडकर प्रतिदिन सुबह ग्रहण करना चाहिए। 

महागौरी (तुलसी)

(9) सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं. यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है.विशेषकर प्रसूताओं (जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता है) उनके लिए यह रामबाण औषधि है  इसका सेवन करना चाहिए।     

सिद्धिदात्री (शतावरी)

इस नवरात्रि आपसब को समृद्धि एवं आरोग्य की शुभकामनाओं सहित 

शतावरी (Asparagus) 

12 comments:

  1. पवन कुमारOctober 23, 2023 at 1:26 PM

    औषधी के रूप में मां दुर्गा के 9 रूप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की हैं🌹🙏जय मां🙏🌹

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  2. Very Nice Information रूपा जी 🙏🏻😊👌🏻

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  3. अच्छी जानकारी

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  4. जय मां सिद्धिदात्री 🙏🏻

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  5. बेशक़ीमती जानकारी,आदरणीया शुभकामनाएँ

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  6. दुर्लभ जानकारी

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