तेनालीराम - सबसे बड़ा जादूगर || Tenali Raman - Sabse Bada Jadugar ||

सबसे बड़ा जादूगर

जादूगर का खेल हमेशा से ही लोगों के लिए मनोरंजन का साधन रहा है। एक बार की बात जब राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने कहा कि वह देश विदेश में बहुत जगह जादू दिखा चूका है और उसको बहुत इनाम मिले हैं। मैं यहाँ दरबार में भी जादू का खेल दिखाना चाहता हूँ। राजा के कहने पर उसने अपना जादू दिखाना शुरू किया। 

तेनालीराम - सबसे बड़ा जादूगर || Tenali Raman - Sabse Bada Jadugar ||

उसने कहा कि यह जादू एक प्रकार की हाथों की सफाई होती है। अगर किसी की नज़रें तेज़ हो तो वह इसको पकड़ भी सकता है। आप सब इस जादू को ध्यान से देखिये। उसने एक कबूतर के ऊपर लाल कपड़ा डालकर उसको अंडे में बदल दिया। वह बोला किसी ने देखा मैंने कैसे कबूतर को अंडे में बदल दिया? किसी को मेरे हाथ की सफाई का पता लगा मैंने यह कैसे किया? क्या यहाँ दरबार में सभी लोगों की आँखे कमजोर हैं। इसके बाद उसने उस अंडे के ऊपर लाल कपड़ा डाला और उसको सोने के सिक्के में बदल दिया। इसके बाद भी उसने सभी लोगों से पूछा किसी को मेरे हाथ की सफाई नज़र आयी। 

उसने तेनालीराम  को कहा कि आप तो बहुत बुद्धिमान हैं, लेकिन इस जादू के खेल में बुद्धिमानी काम नहीं आएगी। आपको तेज़ नज़रो से इसको पकड़ना होगा। फिर उस जादूगर ने कहा कि ध्यान से देखना कैसे मैं इस सोने के सिक्के को हवा में गायब करता हूँ? इसके बाद उसने सोने के सिक्के को ऊपर फेंका और वह गायब हो गया। जिससे सभी दरबार के लोग हैरान रह गए। उसने तेनालीराम को कहा कि आपकी आँखे भी कमजोर हैं। आप भी मेरा जादू नहीं पकड़ सके। 

इसके बाद वह दरबार में मौजूद सभी लोगों को कहने लगा कि कोई ऐसा व्यक्ति है, जो मेरे जैसा कुछ करके दिखा सकें। उसके घमंड को देखते हुए तेनालीराम ने कहा की मैं जो बंद आँखों से कर सकता हूँ, उसको तुम खुली आँखों से भी नहीं कर सकते। 

तेनालीराम की बात सुनकर जादूगर बोला, जो आप बंद आँखों से करोगे अगर मैं खुली आँखों से भी नहीं कर सका तो मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा। यदि मैंने वह कर लिया तो आपको मेरा गुलाम बनना पड़ेगा। जब यह बात तय हो गयी तो तेनालीराम के कहने पर एक सैनिक लाल मिर्च का पाउडर लेकर आया। 

तेनाली ने अपनी आँखे बंद की और लाल मिर्च के पाउडर को अपनी आँखों के ऊपर डाल दिया। उसके बाद अपनी आंखे खोल ली। यह देखकर जादूगर ने सोंचा अब तो मैं फ़स चुका हूँ। अगर मैंने मिर्च का पाउडर अपनी आँखों में डाला तो मेरी आँखे फुट जाएँगी। अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मुझे तेनालीराम का गुलाम बनना पड़ेगा। उसने तेनालीराम से माफ़ी मांगी कि आप बहुत बुद्धिमान हैं मैं आपकी गुलामी को स्वीकार करता हूँ। 

तेनालीराम ने कहा :- मैं तुम्हें गुलाम नहीं बनाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम अपना घमंड और बदतमीजी छोड़ कर जादू का खेल दिखाओ और सभी लोगों की इज्जत करो। 

जादूगर ने कहा:- आगे से वह ऐसा ही करेगा। इसके बाद वह चला गया। 

राजा ने तेनालीराम से कहा मैंने तुमसे बड़ा जादूगर नहीं देखा, जिसने बत्तमीज और घमंडी जादूगर को कुछ देर में ही ठीक कर दिया। इसके बाद सब दरबारी हँसने लगे।

English Translate

the greatest magician

The game of magician has always been a means of entertainment for the people. Once upon a time, a magician came to the court of King Krishna Deva Raya. He said that he has shown magic in many places in the country and abroad and he has got many rewards. I want to show a game of magic here in the court also. At the behest of the king, he started showing his magic.

तेनालीराम - सबसे बड़ा जादूगर || Tenali Raman - Sabse Bada Jadugar ||

He said that this magic is a kind of sleight of hand. If someone's eyesight is sharp, he can even catch it. All of you watch this magic carefully. He put a red cloth over a pigeon and turned it into an egg. He said, did someone see how I turned a pigeon into an egg? Anyone know of my sleight of hand How did I do it? Are the eyes of all the people here in the court weak? After this he put a red cloth over that egg and turned it into a gold coin. Even after this, he asked all the people, did anyone see the cleanliness of my hands.

He told Tenaliram that you are very intelligent, but intelligence will not work in this magic game. You have to catch it with a sharp eye. Then the magician said that watch carefully how do I make this gold coin disappear in the air? After this he threw the gold coin up and it disappeared. Due to which all the people of the court were astonished. He told Tenaliram that your eyes are also weak. You too could not catch my magic.

After this he started telling all the people present in the court that there is such a person who can show something like me. Seeing his pride, Tenaliram said that what I can do with closed eyes, you cannot do it even with open eyes.

After listening to Tenaliram, the magician said, what you will do with closed eyes, if I could not do it even with open eyes, then I will become your slave. If I do that then you will have to be my slave. When this was settled, a soldier brought red chili powder at the behest of Tenaliram.

Tenali closed her eyes and poured red chili powder over her eyes. After that he opened his eyes. Seeing this, the magician thought, now I am stuck. If I put chili powder in my eyes, my eyes will burst. If I do not do this then I will have to become a slave of Tenaliram. He apologized to Tenaliram that you are very intelligent, I accept your slavery.

Tenaliram said: - I do not want to make you a slave. I want you to leave your arrogance and rudeness and show the game of magic and respect all the people.

The magician said: - From now on he will do the same thing. After that he left.

The king said to Tenaliram, I have not seen a greater magician than you, who cured the arrogant and arrogant magician in a short time. After this all the courtiers started laughing.

मकड़ी के बारे में 35 रोचक जानकारी || 35 Interesting facts about spider ||

मकड़ी के बारे में रोचक जानकारी (Interesting facts about spider)

आज बात करते हैं मकड़ी की, जो हमारे आसपास हमारे घरों में हमारे साथ ही रहती है। हममें से हर कोई मकड़ी से वाकिफ है। हम अपने घरों में मकड़ियों से बनाए जालों को देख सकते हैं। फिर भी हम पूरी तरीके से इसके बारे में नहीं जानते हैं। घरों में रहने वाली मकड़िया ज्यादा खतरनाक नहीं होती, परंतु मकड़ियों की कुछ प्रजातियां इतनी खतरनाक होती हैं कि उनके काटे जाने पर जान भी जा सकती है। आज इस पोस्ट में मकड़ी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य के बारे में बात करेंगे, जिसको सुनकर आप सभी चौंक जाएंगे।

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

मकड़ी एक ऐसा जंतु है, जो हमारे पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत उपयोगी होती है। 1 एकड़ क्षेत्रफल में लगभग 10 लाख मकड़िया होती हैं और एक मकड़ी 1 साल में 2000 से भी अधिक कीड़े खा लेती है। अगर मकड़ियाँ इन कीड़ों को ना खाएं, तो पृथ्वी पर इतने कीड़े हो जाएंगे कि वह हमारे पर्यावरण में मौजूद वनस्पति, फसलों, पेड़ों, फूलों को बर्बाद कर देंगे।

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

छोटी-बड़ी मिलाकर पूरी दुनिया में लगभग 45,000 से भी ज्यादा मकड़ी की प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। जीव विज्ञान में मकड़ियों को बिच्छू के वर्ग में रखा गया है, जबकि मकड़ी की कुछ प्रजातियां ही हैं, जो जहरीली होती हैं।

चलिए जानते हैं मकड़ी से जुड़े रोचक तथ्य के बारे में

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

  1. मकड़िया सभी जगह पाई जाती हैं। अंटार्कटिका को छोड़कर ध्रुवीय प्रदेशों से लेकर भूमध्य रेखा के गर्म प्रदेशों के साथ ही पर्वतों और पहाड़ियों में भी यह पाए जाते हैं।
  2. जनसंख्या की दृष्टिकोण से पृथ्वी पर मकड़ियां सातवें नंबर पर आती हैं। 
  3. मकड़ियों की लगभग 45,000 से ज्यादा प्रजातियों की खोज हो चुकी है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी और भी कई सारी प्रजातियां हो सकती हैं।
  4. मकड़ियों के खून का रंग नीला होता है। इसका मुख्य कारण इनके खून में लोहे की जगह तांबे का एक परमाणु मिला होता है और यह ऑक्सीजन के साथ युक्त होकर शरीर में प्रवाहित होता है, जिससे इसका रंग नीला हो जाता है। 
  5. मकड़ी 40 करोड़ साल से धरती पर रह रही है, जो बहुत ही लंबा समय है। कुछ मकड़ियों की उम्र 1 साल होती है जबकि कुछ 20 साल तक जीवित रह सकती हैं।
  6. मकड़ी के रेशम ग्रंथि से निकलने वाला रेशम तरल होता है, जबकि यह हवा के संपर्क में आते ही कठोर हो जाता है। कुछ मकड़ियों के शरीर में सात प्रकार की रेशम ग्रंथियां होती हैं। प्रत्येक ग्रंथि एक अलग प्रकार का रेशम बनाती हैं। जिसमें से कोई खींचाव वाली, कोई चिपचिपी तो कोई सूखी होती है।
  7. 45,000 से ज्यादा प्रजातियों में से एक बघीरा किपलिंग (bagheera kiplingi) नाम की प्रजाति है, जो पूरी तरीके से शाकाहारी है।
  8. मकड़िया पक्षियों और चमगादड़ की तुलना में अधिक कीड़े खाती हैं। 
  9. मकड़ियों के दांत नहीं होते, इसलिए वे अपने भोजन को चबाना नहीं पाती हैं। वह अपने भोजन को कटती या निगलती भी नहीं है, बल्कि उनके अंदर एक प्रकार के पाचक रस को भरती हैं और फिर उसे चूस लेती हैं। 
  10. 1 एकड़ जमीन पर लगभग 10लाख मकड़िया होती हैं। ऐसा माना जाता है कि कोई भी इंसान मकड़ी से 10 फीट से ज्यादा दूर नहीं जा सकता।
  11. अगर मकड़ी के शरीर से निकलने वाले रेशम के धागे से 1 सेंटीमीटर मोटी रस्सी बनाई जाए, तो यह दुनिया की सबसे मजबूत रस्सी बनेगी। मकड़ी का जाला दुनिया की सबसे मजबूत चीजों में से एक है। मकड़ी द्वारा बनाई गई रेशम की मोटाई .003 मिली मीटर होती है। मकड़ी के जाले का रेशम समान मोटाई के स्टील से 5 गुना अधिक मजबूत होता है। 
  12. सभी मकड़ियों के शरीर में रेशम निकलते हैं, लेकिन सभी मकड़िया जाले नहीं बनाती। 
  13. मकड़ी के काटने से किसी इंसान की मृत्यु हुई हो, यह खबर आखरी बार ऑस्ट्रेलिया से 1981 में आई थी।
  14. मकड़ियों को ज्यादा दूर तक का दिखाई नहीं देता है, परंतु कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं, जो वह लाइट भी देख सकती हैं जो मनुष्य नहीं देख सकते।
  15. मकड़ियों में रीढ़ की हड्डी नहीं होती है, यह हाइड्रोलिक पावर की वजह से चलती हैं। 
  16. कीट और मकड़ी में अंतर होता है। कीटों के 6 पैर होते हैं, जबकि मकड़ियों के 8 पैर होते हैं।
  17. मादा मकड़ी पुरुष मकड़ियों से बड़ी होती हैं। मादा मकड़ी एक बार में 3000 अंडे देती है। इसके एक अंडे में मनुष्य से 4 गुना ज्यादा डीएनए होता है।
  18. मकड़ियों के पेट के पीछे 2 से लेकर 6 स्पिनर होते हैं। यह स्पिनर छोटे शावर की तरह होते हैं, जिनमें सैकड़ों छिद्र होते हैं। यह सभी छिद्र तरल रेशम उत्पन्न करते हैं, जिससे जालो का निर्माण होता है।
  19. एक मकड़ी के 48 घुटने होते हैं। इनकी कुल 8 टांगे होती हैं और प्रत्येक टांग पर 6 जोड़े होते हैं। इस तरह मकड़ियों के 48 घुटने होते हैं।
  20. मकड़ी की एक प्रजाति, जिसे डाइविंग बेल स्पाइडर (diving bell spider) कहा जाता है, वह पूरी जिंदगी पानी के अंदर रहते हैं। इनकी शरीर की बनावट की वजह से ऐसा होता है। यह ऑक्सीजन के लिए सतह पर से हवा के बुलबुले बनाकर अपनी पीठ पर लाद लेते हैं। 
  21. पातु मरप्लेसी (Patu marplesi) विश्व की सबसे छोटी मकड़ी है। इसका आकार केवल एक पेंसिल की नोक के बराबर होता है।
  22. कुछ मकड़िया चीटियों से बहुत डरती हैं, इसका मुख्य कारण चीटियों में पाए जाना जाने वाला फार्मिक एसिड है।
  23. मकड़ियों की कुछ प्रजातियां ऐसी होती हैं, जिनकी 2 से लेकर 8 आंखें होती हैं। किसी की दो, किसी की चार, तो किसी की 8 आंखें होती हैं तथा किसी की तो आंखें ही नहीं होती हैं।
  24. मनुष्य की मांसपेशियां कंकाल के बाहर होती हैं, जबकि मकड़ियों की मांसपेशियां उनके कंकाल के अंदर होती हैं।
  25. डाइविंग बेल स्पाइडर (diving bell spider) दुनिया का सबसे मजबूत और सबसे बड़ा जाला बनाने वाली मकड़ी है। वैज्ञानिकों ने इस मकड़ी की खोज 2009 में मेडागास्कर के जंगलों में की थी। इसने 25 मीटर लंबा जाला बना रखा था।मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||
  26. मकड़ियों के पैरों पर छोटे-छोटे बाल होते हैं, जिनकी मदद से वह खुशबू महसूस कर पाती हैं और यह बाल इन्हें दीवाल पर चढ़ने ममें मदद करते हैं।
  27. ट्रैप डोर स्पाइडर (Trap Door Spider) एक ऐसी मकड़ी है, जो कि जमीन में बिल बनाती है और जीवन भर उसी बिल में रहती है। यह मकड़ी अपने बिल में एक दरवाजा भी बनाती है और जरा सी हलचल होने पर यह बिल से बाहर आती है और कीटों पर झपट्टा मारकर बिल में ले जाती है। यहां अमेरिका, अफ्रिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया में मिलती है।
  28. मकड़ी शिकार करने के लिए जाला बनाती है और खुद मकड़ी अपने बनाए जाल में नहीं चिपकती है क्योंकि जाल में कुछ ही हिस्सा चिपचिपा बुनती हैं और बाकी हिस्से को बिना चिपचिपा पदार्थ से बनाती हैं, ताकि वहां पर मकड़ी आसानी से चल सके और उस जाल में ना फंसे। 
  29. सैकड़ों साल पहले लोग अपने घावों पर मकड़ी के जाले लगाते थे क्योंकि उनका मानना था कि यह रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया तो पता लगा कि इस रेशम में विटामिन K होता है, जो रक्त स्राव को कम करने में मदद करता है।
  30. विश्व की सबसे बड़ी मकड़ी गोलियत स्पाइडर (Goliath Spider) है। यह 11 इंच तक चौड़ी होती है और इसके नुकीले दांत 1 इंच तक लंबे होते हैं। यह मेंढक, छिपकली, चूहे और यहां तक कि छोटे सांप और युवा पक्षियों का शिकार करती हैं।
  31. दुनिया में सबसे विषैली मकड़ी ब्राजीलियन वांडरिंग स्पाइडर या बनाना स्पाइडर (Brazilian Wandering Spider or Banana Spider) है। यह मकड़िया आक्रामक होती हैं। यह भोजन की तलाश में मध्य और दक्षिण अमेरिका के ऊंचे जंगलों में भटकती रहती हैं। इसके विष की थोड़ी सी मात्रा मानव की मौत के लिए पर्याप्त है। 
  32. घर के अंदर पाई जाने वाली मकड़ीयाँ घर के अंदर के जीवन के इतने अनुकूल हो जाती हैं कि उन्हें बाहर के वातावरण में जीवित रह पाने की संभावना बहुत कम होती है।
  33. कुछ मकड़िया अपने जाल को रिसाइकिल करती हैं। जब जाल की चिपचिपाहट कम हो जाती है, तो वे उसे गेंद की तरह इकट्ठा कर उस पर एक एसिड स्रावित करती हैं और उसे खा जाती हैं, फिर वह नया जाल बनाती हैं।
  34. न्यू गिनी में एक खास प्रजाति की मकड़िया पाई जाती हैं, जिन्हें 'मछली जाल मकड़िया' कहते हैं, उनके बनाए मजबूत जाल का उपयोग मछुआरे मछली पकड़ने के लिए करते हैं।
  35. हमिंगबर्ड्स (Hummingbirds) अपना घोंसला बुनने के लिए छोटी लकड़ियाँ और मकड़ी के जाले का रेशम का उपयोग करती हैं। 
मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

क्या कभी आपने सोचा है कि जब मकड़िया उड़ नहीं सकती हैं तो दो दूरी के बीच जाला कैसे बना लेती हैं?

मकड़ीयाँ दो दीवारों के बीच या दो पेड़ों के बीच जाला कैसे बनाती हैं? मकड़ियों के जाले बनाने की प्रक्रिया में दरअसल लकड़ियां अपने पेट की ग्रंथियों से जो तरल पदार्थ बाहर निकालती हैं, वह हवा के संपर्क में आने से ठोस हो जाता है। इस जाले का रेशम इतना हल्का होता है कि हल्की सी हवा के झोंके से भी यह दूर तक उड़ता हुआ झूल सकता है। यहां तक कि यह धरती से निकली हुई गर्मी से भी हवा में झूल जाता है। चिपचिपा होने के कारण यह पेड़ की टहनियों से या किसी भी दूर रखी वस्तु से दीवार से चिपक जाता है और इस तरह हवा की मदद से मकड़ीयाँ दो दूरी के बीच भी जाला बना लेती हैं।

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

English Translate

Interesting facts about spider

Today let's talk about the spider, which lives with us in our homes around us. Every one of us is aware of the spider. We can see webs made of spiders in our homes. Yet we do not know about it completely. Spiders living in homes are not very dangerous, but some species of spiders are so dangerous that they can even kill if they are bitten. Today in this post we will talk about some interesting facts related to spider, which will shock you all.

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

Spider is one such animal, which is very useful for maintaining balance in our environment. There are about 10 lakh spiders in 1 acre area and a spider eats more than 2000 insects in a year. If spiders do not eat these insects, then there will be so many insects on the earth that they will ruin the vegetation, crops, trees, flowers present in our environment.

Including small and large, more than 45,000 spider species have been discovered all over the world. In biology, spiders are classified as scorpions, while there are only a few species of spiders that are venomous.

मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

Let's know about interesting facts related to spider

  1. Spiders are found everywhere. Apart from Antarctica, it is found from the polar regions to the hot regions of the equator as well as in the mountains and hills.
  2. From the point of view of population, spiders come at number seven on earth.
  3. More than 45,000 species of spiders have been discovered, and scientists believe that there may be many more.
  4. The color of the blood of spiders is blue. The main reason for this is that instead of iron in their blood, an atom of copper is mixed and it flows in the body along with oxygen, due to which its color becomes blue.
  5. Spiders have been living on Earth for 400 million years, which is a very long time. Some spiders have a lifespan of 1 year while some can live up to 20 years.
  6. The silk released from a spider's silk gland is liquid, while it hardens when exposed to air. Some spiders have seven types of silk glands in their bodies. Each gland produces a different type of silk. Out of which some are stretchy, some sticky and some dry.
  7. One of the more than 45,000 species is the bagheera kiplingi, which is completely vegetarian.
  8. Spiders eat more insects than birds and bats.
  9. Spiders do not have teeth, so they cannot chew their food. She does not even bite or swallow her food, but fills a kind of digestive juice inside them and then sucks it.
  10. There are about 10 lakh spiders on 1 acre of land. It is believed that no human can go more than 10 feet away from a spider.
  11. If a rope 1 cm thick was made from the silk thread coming out of the spider's body, it would become the strongest rope in the world. The spider's web is one of the strongest things in the world. The thickness of the silk made by a spider is .003 mm. The silk of a spider web is 5 times stronger than steel of the same thickness.
  12. All spiders have silk in their bodies, but not all spiders make webs.
  13. The last news that a person had died due to a spider bite was in 1981 from Australia.
  14. Spiders cannot see far away, but there are some species that can see light that humans cannot see.
  15. Spiders do not have a backbone, they move by hydraulic power.
  16. There is a difference between an insect and a spider. Insects have 6 legs, while spiders have 8 legs.
  17. Female spiders are larger than male spiders. The female spider lays 3000 eggs at a time. One egg contains 4 times more DNA than a human.
  18. Spiders have 2 to 6 spinners on the back of their abdomen. These spinners are like little showerheads with hundreds of holes. All these pores produce liquid silk, from which webs are formed.
  19. A spider has 48 knees. They have a total of 8 legs and 6 pairs on each leg. Thus spiders have 48 knees.
  20. One species of spider, called the diving bell spider, lives underwater for its entire life. This happens because of their body structure. They make air bubbles from the surface for oxygen and carry them on their backs.
  21. Patu marplesi is the smallest spider in the world. Its size is only equal to the tip of a pencil.
  22. Some spiders are very afraid of ants, mainly because of the formic acid found in ants.
  23. There are some species of spiders, which have from 2 to 8 eyes. Some have two, some have four, some have 8 eyes and some have no eyes at all.
  24. The muscles of humans are outside the skeleton, while the muscles of spiders are inside their skeleton.
  25. The diving bell spider is the strongest and largest web spider in the world. Scientists discovered this spider in the jungles of Madagascar in 2009. It had made a network of 25 meters long.
  26. Spiders have small hairs on their feet, with the help of which they are able to feel the scent and this hair helps them to climb the wall.
  27. Trap Door Spider is a spider that makes burrows in the ground and stays in that burrow for life. This spider also makes a door in its burrow and at the slightest movement, it comes out of the burrow and takes it into the burrow by pouncing on the insects. It is found here in America, Africa, Japan and Australia.
  28. The spider makes a web to hunt and the spider itself does not stick to the net made by itself because only some part of the web is made sticky and the rest is made of non-sticky material, so that the spider can move easily there and in that net Don't get trapped
  29. Hundreds of years ago, people put spider webs on their wounds because they believed it helped stop bleeding. does.
  30. The world's largest spider is the Goliath Spider. It is up to 11 inches wide and its sharp teeth are up to 1 inch long. It preys on frogs, lizards, rats and even small snakes and young birds.
  31. The most venomous spider in the world is the Brazilian Wandering Spider or Banana Spider. These spiders are aggressive. It wanders in the high forests of Central and South America in search of food. A small amount of its venom is enough to kill a human.
  32. Indoor spiders become so adapted to life inside the house that they are very unlikely to survive in the environment outside.
  33. Some spiders recycle their webs. When the viscosity of the trap decreases, they collect it like a ball, secrete an acid on it and eat it, then it builds a new trap.
  34. A special species of spiders are found in New Guinea, which are called 'fish net spiders', their strong nets are used by fishermen to catch fish.
  35. Hummingbirds use small sticks and cobweb silk to make their nests.
मकड़ी के बारे में 34 रोचक जानकारी || 34 Interesting facts about spider ||

Have you ever wondered how spiders make a web between two distances when they cannot fly?

How do spiders make webs between two walls or between two trees? In the process of making webs of spiders, the fluid that the wood expels from the glands of their stomach, it becomes solid when exposed to air. The silk of this web is so light that even with the slightest gust of wind, it can swing flying far and wide. It even swings in the air due to the heat emanating from the earth. Being sticky, it sticks to the tree branches or any distant object to the wall and thus with the help of wind, the spiders make a web even between two distances.

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक

मुरुदेश्वर मंदिर (Murudeshwara Temple) कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल तहसील में स्थित है। यह मंदिर कंडुका पहाड़ी पर स्थित है,जो तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। इसके अलावा यह क्षेत्र पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर स्थित है। यहां भगवान शंकर की विश्व की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति स्थित है। यह मंदिर मंगलुरू से 165 किलोमीटर दूर अरब सागर के तट पर बहुत ही सुंदर एवं शांत स्थान पर बना हुआ है। यही कारण है कि, यहां आध्यात्मिक दिव्यता के साथ प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलता है। मुरुदेश्वर मंदिर सागर तट कर्नाटक के सबसे सुंदर तटों में से एक है।

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

मंदिर की संरचना    

'मुरूदेश्वर' भगवान शिव का एक नाम है। मुरुदेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां पर स्थित भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और मंदिर परिसर में स्थित 'राज गोपुरा', जो कि विश्व का सबसे ऊंचा गोपुरा है। मंदिर के अंदर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के प्रारंभ में ही कंक्रीट के दो जीवंत हाथी की प्रतिमाएं हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है।

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

 भगवान शिव की 123 फुट ऊँची विशालकाय प्रतिमा यहाँ का प्रमुख आकर्षण है।अरब सागर में बहुत दूर से ही इसे देखा जा सकता है। भगवान शिव की इस प्रतिमा के चार हाथ हैं, जिन्हें सोने से सजाया गया है। किसी भी द्रविड़ वास्तुकला के मंदिर के समान ही इस मंदिर में भी गोपुरा का निर्माण कराया गया है, जो 20 मंजिला इमारत के बराबर है और जिसकी ऊँचाई लगभग 250 फुट है। 

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

मुरुदेश्वर मंदिर का इतिहास एवं कथा-

इस मंदिर का इतिहास रामायण काल एवं रावण से जुड़ा हुआ है, इसलिए भी यह मंदिर विशेष है। कथाओं में बताया गया है कि, रावण जब अमरता का वरदान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने उसकी तपस्या से खुश होकर उसे एक शिवलिंग दिया, जिसे ‘आत्मलिंग’ कहा जाता है, और कहा कि अगर तुम अमर होना चाहते हो तो इसे लंका ले जाकर स्थापित कर देना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर रख दोगे, ये वहीं स्थापित हो जाएगा, इसके बाद इसे कोई उठा नहीं पाएगा। दैवीय कारणों से हुआ भी ऐसा ही। रावण ने रास्ते में ही लिंग को धरती पर रख दिया, जिससे वह वहीं पर स्थापित हो गया।इससे रावण को क्रोध आ गया और उसने शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया।इसी क्रम में जिस वस्तु से शिवलिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर के कन्दुका पहाड़ी पर जा गिरा। म्रिदेश्वर को ही अब मुरुदेश्वर के नाम से जाना जाता है।

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

इस्लामी आक्रमण में हुए नुकसान के बाद व्यापारी ने दिया वर्तमान स्वरूप

भारत के कई अन्य मंदिरों की तरह यह मंदिर भी इस्लामी कट्टरपंथ की भेंट चढ़ा। मुरुदेश्वर मंदिर का प्राचीन स्वरूप इस्लामी शासक हैदर अली के द्वारा नष्ट कर दिया गया था। इसके बाद इस मंदिर का वर्तमान दृश्य-स्वरूप एक स्थानीय व्यापारी द्वारा बनवाया गया।

मंदिर की विशालता और भव्यता को देखकर ऐसा प्रतीत हो सकता है कि इस मंदिर का निर्माण सरकार द्वारा कराया गया है, लेकिन ऐसा है नहीं। मंदिर में स्थित विशाल गोपुरा का जीर्णोद्धार और भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति का निर्माण स्थानीय व्यापारी और समाजसेवी आरएन शेट्टी के द्वारा कराया गया। मूर्ति के निर्माण में ही लगभग 2 साल का समय लगा और लगभग 5 करोड़ रुपए की लागत आई। इस मूर्ति के शिल्पकार 'शिवमोग्गा के काशीनाथ' हैं।

भगवान शिव की मूर्ति को इस प्रकार बनाया गया है कि इस पर सीधे ही सूर्य की किरणें गिरती रहें और यह मूर्ति लगातार चमकती रहे।एक तरफ भगवान भोले के दर्शन तो दूसरी तरफ समुद्र से घिरी यह जगह है, जो अपने आप में किसी स्वर्ग से कम नहीं।

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Murudeshwara Temple, Karnataka

Murudeshwara Temple is located in Bhatkal Tehsil of Uttara Kannada district of Karnataka. This temple is situated on the Kanduka hill, which is surrounded by the Arabian Sea on three sides. Apart from this, this region is situated on the hills of the Western Ghats. The world's second tallest statue of Lord Shankar is situated here. This temple is built at a very beautiful and peaceful place on the coast of Arabian Sea, 165 km from Mangaluru. This is the reason, along with spiritual divinity, natural beauty is also seen here. Murudeshwar Temple Sea Beach is one of the most beautiful beaches in Karnataka.

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

temple structure

'Murudeshwar' is a name of Lord Shiva. The biggest feature of the Murudeshwar temple is the huge statue of Lord Shiva located here and the 'Raj Gopura' located in the temple complex, which is the world's tallest gopura. At the very beginning of the stairs leading inside the temple are two living concrete figures of elephants. The Self-Linga of Lord Shiva is installed in the sanctum sanctorum of the temple.

 The main attraction here is a huge 123 feet high statue of Lord Shiva. It can be seen from far away in the Arabian Sea. This idol of Lord Shiva has four hands, which are decorated with gold. Like any temple of Dravidian architecture, a Gopura has been constructed in this temple, which is equivalent to a 20-storey building and whose height is about 250 feet.

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

History and Story of Murudeshwar Temple-

The history of this temple is associated with the Ramayana period and Ravana, so this temple is also special. It is told in the legends that, when Ravana was doing penance to Lord Shiva to get the boon of immortality, Shiva, being pleased with his penance, gave him a Shivling, which is called 'Atmalinga', and said that if you are immortal. If you want to be there, take it to Lanka and install it, but keep one thing in mind that wherever you keep it, it will be established there, after that no one will be able to lift it. The same thing happened due to divine reasons. Ravana placed the linga on the earth on the way, so that it was established there. This angered Ravana and he tried to destroy the Shivalinga. fell on the hill. Mrideshwar is now known as Murudeshwar.

After the loss in the Islamic invasion, the merchant gave the present form

Like many other temples in India, this temple also succumbed to Islamic fundamentalism. The ancient form of Murudeshwar temple was destroyed by the Islamic ruler Hyder Ali. After this the present appearance of this temple was built by a local merchant.

Seeing the vastness and grandeur of the temple, it may appear that this temple has been constructed by the government, but it is not so. The huge Gopura located in the temple was renovated and the huge idol of Lord Shiva was constructed by the local businessman and philanthropist RN Shetty. The construction of the idol itself took about 2 years and cost around Rs 5 crore. The architect of this idol is 'Kashinath of Shivamogga'.

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक || Murudeshwara Temple, Karnataka ||

The idol of Lord Shiva has been made in such a way that the rays of the sun fall directly on it and this idol shines continuously. On one side there is a vision of Lord Bhole and on the other side this place is surrounded by sea, which in itself is a heaven. not less.

योग प्राणायाम - भ्रामरी प्राणायाम || YOGA - Bhramari Pranayama {Breathing Exercise} ||

भ्रामरी प्राणायाम

'भ्रामरी' हिंदी शब्द भ्रामर से बना है, जिसका अर्थ है भौंरा और प्राणायाम का अर्थ श्वास तकनीक है, इसलिए इसे मधुमक्खी श्वास भी कहा जा सकता है। भ्रामरी (बी ब्रीथ) ध्यान के लिए एक प्रभावी प्राणायाम (श्वास व्यायाम) है। भ्रामरी प्राणायाम थकान और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इस तकनीक में सांस छोड़ने की आवाज मधुमक्खी के गुंजन की आवाज के समान होती है, इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता है। 

योग प्राणायाम - भ्रामरी प्राणायाम  || YOGA - Bhramari Pranayama {Breathing Exercise} ||

मन को शांत करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास बहुत मददगार होता है। हम अपने जबड़े, गले और चेहरे में ध्वनि कंपन को आसानी से महसूस कर सकते हैं। भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका भी एकदम सरल है। इसे करने से शरीर मे नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर बढ़ता है। इस भ्रामरी प्राणायाम को करने का तरीका भी एकदम सरल है। सुबह के समय जब ब्रह्मांड में प्राण शक्ति की प्रचूरता रहती है, तब इसे करना चाहिए। वैसे यह कभी भी किया जा सकता है। इसे करने के लिए किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठना चाहिए। तत्पश्चात 

पीठ को सीधा करें और आंखें बंद करें।

हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें, और सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं। 

तर्जनी को माथे पर रखा जाना चाहिए।

बाकी तीन उँगलियों से आँखे बंद होनी चाहिए।

अंगूठे से कान बंद होना चाहिए। 

श्वास लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें।

जैसे ही सांस छोड़ते हैं, धीरे-धीरे मधुमक्खी की तरह एक भनभनाहट की आवाज़ करें, यानी ''मम्मम्मम।''

अपना मुंह पूरे समय बंद रखें और महसूस करें कि ध्वनि का कंपन पूरे शरीर में फैल रहा हो।

योग प्राणायाम - भ्रामरी प्राणायाम  || YOGA - Bhramari Pranayama {Breathing Exercise} ||

अपनी पीठ को सीधा रखें और  'मम्मम्मम' के साथ ॐ का उच्चारण करें।

अपनी उंगलियों को सभी उल्लिखित बिंदुओं पर रखें।

अपनी छोटी उंगली से शुरू करें। अपने नथुने पर, दाएं और बाएं तरफ के बिंदुओं का निरीक्षण करें।

इन्हें इड़ा और पिंगला या इड़ा नाड़ी के नाम से जाना जाता है और पिंगला नाडी- इड़ा नाड़ी बाईं ओर चलती है और पिंगला नाड़ी दाईं ओर चलती है।

जब हम इन बिंदुओं को दबा रहे हैं, तो वास्तव में इन नाड़ियों पर दबाव पड़ता है। 

भ्रामरी प्राणायाम में, हमारी उंगलियों की युक्तियों पर ये सभी बिंदु वास्तव में इन नाड़ियों को सक्रिय करते हैं। यह भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास में बहुत मजबूत भूमिका निभाता है।

अब लयबद्ध रूप से सांस लें और सांस छोड़ते हुए हमिंग बी में आवाज निकालें।

हमेशा अपने दबाव बिंदुओं से अवगत रहें। अत्यधिक दबाव न डालें, सुनिश्चित करें कि यह कोमल हो।

अपनी सुविधानुसार धीमी (शांत), मध्यम (मद्यम) या तेज गति (तिवरा गति) में जाएं।

नाड़ियां आपके नथुने से चलती हैं, आंखों, माथे, सिर, आपकी गर्दन के पिछले हिस्से तक जाती हैं और आपकी पीठ के निचले हिस्से तक पहुंचती हैं।

अपने कान बंद करके, हम एक शक्तिशाली तरीके से कंपन का अनुभव और निरीक्षण कर सकते हैं और शरीर में भ्रामरी प्राणायाम के लाभ को लाने में मदद करते हैं। हमें नित्य इस श्वास तकनीक का अभ्यास दिन में पांच मिनट से दस मिनट तक करना चाहिए।

भ्रामरी प्राणायाम के लाभ

वास्तव में भ्रामरी प्राणायाम के अनगिनत फायदे हैं। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार है :

  1. यह प्राणायाम मन को शांत करता है और शरीर को फिर से जीवंत करता है।
  2. यह स्वाद और सुगंध के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाता है।
  3. यह प्राणायाम तनाव और चिंता से राहत देता है।
  4. यह आवाज को मधुर बनाता है और स्वर-तंत्र को मजबूत करता है।
  5. किसी भी प्रकार की गले की परेशानी का यह प्राणायाम इलाज करता है।
  6. यह प्राणायाम ब्‍लड प्रेशर को संतुलित करता है।
  7. हमारी एकाग्रता में सुधार करता है।
  8. इसकी सहायता से मन स्थिर होता है, मानसिक तनाव, व्याकुलता आदि कम होती है।
  9. यह प्राणायाम लकवा और माइग्रेन को ठीक करने में सहायक सिद्ध हुआ है।
  10. प्रेग्नेंट महिलाओं सहित सभी उम्र के लोग सांस लेने के इस व्यायाम को आजमा सकते हैं।
  11. प्रेग्‍नेंसी के समय में, यह एंडोक्राइन सिस्टम के कामकाज को बनाए रखने और विनियमित करने में मदद करता है और बच्चे के जन्म को आसान बनाता है।
  12. यह अल्जाइमर रोग के लिए बहुत अच्छा है।
  13. यह कुंडलिनी जगाने के लिए सबसे प्रभावी प्राणायाम है। 

जब कोई बांसुरी बजाता है, तब संगीत को बाहर निकालने के लिए छिद्रों पर दबाव डाला जाता है। इसी तरह भ्रामरी प्राणायाम में अगर हम नाड़ियों पर सही दबाव डालना जानते हैं, तो हमारी नाक से आने वाली मधुमक्खी की आवाज एकदम सही होगी।

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस || International Anti-Drug Day ||

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस (International Anti-Drug Day)

नशा चाहे किसी भी चीज की हो, बुरी ही होती है। नशे के गिरफ्त में आया हुआ व्यक्ति आसानी से उससे बाहर नहीं निकल पाता है। नशा एक अभिशाप है, फिर भी लोग इसके आदि होते जा रहे हैं। आज के समय में नशा शौख बन चूका है। आज के युवा गुटका, बीड़ी, सिगरेट और शराब पीकर गौरवान्वित अनुभव करते हैं और खुद को शाही जीवन शैली का समझते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस || International Anti-Drug Day ||

प्रत्येक वर्ष 26 जून को "अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस" मनाया जाता है। नशीली पदार्थों और वस्तुओं के निवारण हेतु संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 7 दिसंबर 1987 को प्रस्ताव पारित कर हर वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में चेतना फैलाना था तथा नशे के लती लोगों के उपचार की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण कार्य करता है। अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के अवसर पर मादक पदार्थ एवं अपराध के मुकाबले के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय UNODC  एक नारा देता है। अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर मादक पदार्थों से मुकाबले के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाए गए कदमों तथा इस मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों और उसके निवारण का उल्लेख किया जाता है। 26 जून का दिन मादक पदार्थों से मुकाबले का प्रतीक बन गया है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 25 करोड़ से अधिक आबादी सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, पान मसाला, तंबाकू, गुटखा, शराब किसी न किसी रूप में नशा करती है। पूरे विश्व में धूम्रपान करने वाले लोगों की 12% आबादी अकेले भारत से है। तंबाकू की वजह से होने वाली बीमारियों से लगभग 50 लाख लोग प्रतिवर्ष मर जाते हैं। भारत पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक धूम्रपान किया जाने वाला देश है। एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 6% महिलाएं एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 12% महिलाएं तंबाकू से बने उत्पादों का सेवन करती हैं तथा तंबाकू के लगातार सेवन से कैंसर जैसी भयंकर बीमारी की शिकार होती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस || International Anti-Drug Day ||

दुर्भाग्यवश हमारे देश के युवा अपना आदर्श महाराणा प्रताप और भगत सिंह को ना मानकर फिल्मी हस्तियों को मानते हैं। और यह बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियां अपने स्वार्थ के लिए तथा कंपनियों से मिल रहे पैसों के लिए नशे का प्रचार प्रसार करते हैं। आज फिल्म इंडस्ट्री के बड़े बड़े नामी कलाकार गुटके के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं। नशा एक ऐसा जाल है, जिसम फंसने के बाद इससे छुटकारा पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। ये बात युवाओं को समझनी होगी और ऐसे जिंदगी का कारोबार करने वाले अभिनेताओं का बहिष्कार करना चाहिए। 

एक सर्वे के मुताबिक 53% लोग नशे को छोड़ना चाहते हैं, किंतु वह नाकाम रहते हैं क्योंकि किसी भी चीज के नशे की लत लग जाने के बाद लोगों को कुछ समय के लिए लगता है कि वह बेहतर और तनाव रहित जिंदगी जी रहे हैं, किंतु यह एक मिथ्या भ्रम है। धीरे-धीरे यह आदत शरीर को ध्वस्त कर देती है। अतः जरूरत है नशे को छोड़ने की। लोगों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करें। आज के दिन 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है।

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International Anti-Drug Day

Intoxication, whatever it may be, is always bad. A person who is in the grip of drugs is not able to get out of it easily. Drug addiction is a curse, yet people are getting used to it. In today's time, intoxication has become a hobby. Today's youth take pride in drinking gutka, bidi, cigarette and liquor and consider themselves to be a royal lifestyle.

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस || International Anti-Drug Day ||

"International Anti-Drug Day" is observed every year on 26 June. The United Nations General Assembly passed a resolution on 7 December 1987 for the prevention of drugs and substances, and it was decided to celebrate 26 June every year as International Day for the Prohibition of Drugs and Drugs. The purpose of celebrating this day was to spread awareness among the people and it also does important work towards the treatment of drug addicts. UNODC, the United Nations Office for Combating Drugs and Crime, gives a slogan on the occasion of International Anti-Drug Day. On International Anti-Drug Day, the steps taken by different countries to combat drug abuse and the challenges faced in this path and their prevention are mentioned. The day of 26 June has become a symbol of combating drugs.

According to WHO report, more than 250 million population in India consumes cigarettes, bidis, hookah, pan masala, tobacco, gutkha, alcohol in some form or the other. India alone accounts for 12% of the world's smokers. About 5 million people die annually from diseases caused by tobacco. India is the second largest smoker country in the whole world. Smoking one cigarette reduces 11 minutes of life. According to the statement issued by the Ministry of Health, 6% of women in urban areas and 12% of women in rural areas consume tobacco products and due to continuous use of tobacco, they become victims of serious diseases like cancer.

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस || International Anti-Drug Day ||

Unfortunately, the youth of our country do not consider Maharana Pratap and Bhagat Singh as their idols and consider film personalities. And these big film personalities spread the propaganda of drugs for their selfishness and for the money they are getting from the companies. Today, the big names of the film industry are seen in the advertisement of Gutke. Addiction is such a trap, in which it becomes very difficult to get rid of it after getting trapped. The youth have to understand this and the actors doing business of such life should be boycotted.

According to a survey, 53% of people want to quit drugs, but they fail because after getting addicted to anything, people feel for some time that they are living a better and stress-free life, but This is a false illusion. Gradually this habit destroys the body. So there is a need to quit drugs. Motivate people to stay away from drugs. This is the purpose of celebrating International Anti-Drug Day on 26th June.

चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

चामुंडा देवी (Chamunda Devi)

किसी भी जगह के विषय में पढ़ कर मिली जानकारी और वहाँ जाकर मिली जानकारी में वही फर्क होता है जो कि थ्योरी और प्रैक्टिकल में। चामुंडा देवी माँ के मंदिर पहुंचकर मुझे यही लगा।


चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

हिमाचल यात्रा के दौरान मैंने जो भी पोस्ट डाली है, उसके बारे में मैंने पहले पोस्ट नहीं डाली थी। पर चामुंडा देवी माता की पोस्ट मैंने अपने ब्लॉग पर पहले ही डाली है, जो मैंने नवरात्रे के समय डाली थी। चामुंडा माता की विस्तृत जानकारी ( देवी की उत्पत्ति कथा, मुख्य आकर्षण)आप यहाँ जाकर पढ़ सकते हैं। 

चामुंडा देवी मंदिर

आज के पोस्ट में मैं उस बात की चर्चा करुँगी जो मुझे वहाँ जाकर महसूस हुआ और वो बात जो वहाँ के स्थानीय लोगों से पता चलीं। 

चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

चामुण्डा देवी मंदिर धर्मशाला से 15 कि॰मी॰ कि दूरी पर स्थित है। पर्यटक धर्मशाला से प्राकृतिक सौंदर्य का आंनद उठा कर चामुण्डा देवी मंदिर पहुंचते हैं। हमलोगो ने भी ऐसा ही किया। प्रकृति ने अपनी सुंदरता यहां पर भरपूर मात्रा में लुटाई है। पहाड़ियों से घिरा और बाणगंगा (बानेर) नदी के किनारे पर स्थित चामुंडा माँ मंदिर, कलकल करते झरने और तेज वेग से बहती नदी जहन में अमिट छाप छोड़ती है। 

चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

यहाँ का माहौल बहुत ही शांत था, जिसकी अनुभूति मुझे गुरुद्वारों में होती है। मुझे यहाँ यह बात कहनी पड़ रही है, पर शायद आपने भी कभी इस बात को महसूस किया होगा कि गुरूद्वारे में चाहे कितनी भीड़ हो वहां का माहौल शांत लगता है और मंदिरों में वह शांति नहीं होती। शायद यह अंतर दो कारणों से होता होगा - एक तो पूजा पद्धतियों में अंतर और दूसरा मंदिर और गुरूद्वारे के प्रबंधन में फर्क। 

पर चामुंडा माँ मंदिर में भी बहुत शांति थी। भक्तोँ की भीड़ नहीं थी, कुछ लोग ही थे। कानों में शोर शराबे की जगह झरने से गिरते पानी की कल कल दिल को सुकून देने वाली थी। यहाँ नवरात्रे के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। 

चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

अब आपको वो बात बताती हूँ, जो वहाँ जाकर पता चली। मंदिर प्रांगण में जहाँ झील बना हुआ है, जिसमें भगवान शंकर की बड़ी सी प्रतिमा विराजमान है, उसी के एक तरफ एक चिता जल रही थी। वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां हर रोज एक चिता है। आस पास के सभी लोगों को इस बात की जानकारी है, इसीलिए आस पास किसी का भी देहांत होने पर वहां जलाया जाता है। अगर पूरे दिन में वहाँ जलाने के लिए कोई चिता नहीं आती है तो, आदमी का पुतला बनाकर जलाया जाता है। जिस दिन कोई वहाँ कोई चिता नहीं जलती है, तो वहां कोई न कोई अनहोनी घटना होती है। इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो मुझे नहीं पता, पर जिस समय हमलोग वहां पहुंचे थे उस समय एक चिता जल रही थी और वहाँ के लोगों ने यह बात बताई। 

चामुंडा देवी मंदिर || Shri Chamunda-Kangra Ji Temple ||

वहीं पास में गिरते हुए झरने के ठंडे पानी में पैर डालकर बैठने का आनंद ही कुछ और था। हमलोग पत्थरों को पकड़ते हुए बीच के एक बड़े पत्थर पर जा बैठे और बस अब मन हो रहा था इस फ्रिज से ठंडे पानी में पैर डाले बैठे रहें और सारी थकन मिटा लें। पर ज्यादा देर बैठना नहीं हुआ, थोड़ी देर लगभग एक घंटा वहाँ गुजारने के बाद हमलोग आगे की यात्रा पर निकल गए। 

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कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

 कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल 

चलिए आज आपको लिए चलते हैं टॉय रेल के सफर पर, जिसे यहाँ के स्थानीय लोग छोटी ट्रैन कहते हैं। इस ट्रेन में सफर करने का एक अलग अनुभव रहा। ट्रेन आने के पहले या कहिये की ट्रेन के इंतजार में हमलोग वहाँ पिक क्लिक कर रहे थे। ट्रेन की पटरियाँ भी पतली थीं, जो हमलोगों के लिए बिल्कुल नया था। 

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

कहीं तो यह ट्रेन सिर्फ पुल से होकर गुजर रहा था ता कभी सुरंग से। कांगड़ा घाटी रेलवे, भारत में और हेरिटेज टॉय ट्रेन है। ये ट्रेन पठानकोट और जोगिंदरनगर के बीच चलती है। विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल ये टॉय ट्रेन तेज नहरों, पालमपुर के कई पुलों और चाय बागानों से होकर गुजरती है। इस सफर में धौलाधार रेंज के कई खूबसूरत नजारे देखने को मिले। 

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

हालांकि जब हमलोग नूरपुर स्टेशन से ट्रेन में चढ़े तब ट्रेन पूरी यात्रियों से भरी थी और लगभग सभी यात्री ज्वाला माता मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, कांगड़ा देवी माँ मंदिर के जाने वाले थे, जिनके बीच हम पालमपुर चाय बागान वाले थे। ट्रेन में चढ़ने बाद हमें बैठने की जगह नहीं मिली, पर किस्मत अच्छी थी कि अगले स्टेशन पर यात्री उतरे और हमलोगों को बैठने की जगह मिली और हमलोग पालमपुर बड़े आराम से पहुँच गए। पर मजे की बात ये रही कि जहाँ सुबह यह ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरा था वहीं शाम को लौटते वक़्त यह बिल्कुल ही खाली था। 

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

खैर, आगे बढ़ते हैं बात करते हैं इस ट्रेन की। मई 1926 में इस रेलवे लाइन की योजना बनाई गई थी और 1929 में चालू की गई थी। इस लाइन की दो सुरंगें हैं, जिनमें से एक 250 फीट (76 मीटर) और दूसरी 1,000 फीट (300 मीटर) लंबाई की है। इस नैरो गेज लाइन की ट्रेनों को ब्रॉड गेज मेन लाइन की तुलना में छोटे और कम शक्तिशाली इंजन द्वारा खींचा जाता है, इसलिए खड़ी चढ़ाई से बचना पड़ता था। लेकिन सीधे रास्ते पर पहाड़ों के माध्यम से महंगा उबाऊ होने के बजाय, दक्षिण की ओर बहुत लंबा दांया रास्ता चुना गया था जो कि कोमल ढलान की अनुमति देता था। इस टॉय ट्रेन की अधिकतम स्पीड 40 km / hour है। इस ट्रेन का किराया बहुत ही कम है। 

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 Kangra Valley Railway, Himachal

Let us take you today on the journey of the toy rail, which the local people call the small train. Traveling in this train was a different experience. Before the arrival of the train or say that we were clicking the pickup there while waiting for the train. The train tracks were also thin, which was completely new to us.

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

Somewhere this train was passing only through the bridge or sometimes through the tunnel. Another heritage toy train in Kangra Valley Railway, India. This train runs between Pathankot and Jogindernagar. Included in the list of World Heritage Site, this toy train passes through fast canals, many bridges of Palampur and tea gardens. Many beautiful views of the Dhauladhar range were seen in this journey.

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

However, when we boarded the train from Nurpur station, the train was full of passengers and almost all the passengers were going to Jwala Mata Mandir, Chamunda Devi Temple, Kangra Devi Maa Mandir, among which we were the Palampur tea gardeners. After boarding the train, we could not find a place to sit, but luckily the passengers got down at the next station and we got a place to sit and we reached Palampur very comfortably. But the interesting thing was that while this train was full of passengers in the morning, it was completely empty while returning in the evening.

कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल || Kangra Valley Railway, Himachal ||

Well, let's go ahead let's talk about this train. This railway line was planned in May 1926 and commissioned in 1929. The line has two tunnels, one of 250 feet (76 m) and the other 1,000 feet (300 m) in length. Trains on this narrow gauge line are pulled by smaller and less powerful engines than those on the broad gauge main line, so steep climbs had to be avoided. But instead of boring expensively through the mountains on a straight path, a much longer right-of-way to the south was chosen that allowed a gentle slope. The maximum speed of this toy train is 40 km / h. The fare of this train is very less.

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

 चाय बागान, पालमपुर

हिमाचल यात्रा के दौरान हम पहुंचे पालमपुर (Palampur)। वहाँ पहाड़ियों पर लोकल ट्रेन चलती है। पालमपुर (Palampur) की हमारी यात्रा इसी ट्रेन से हुई। इस ट्रेन के बारे में भी बताएंगे, पर आज आपको पालमपुर के चाय बागान लिए चलते हैं। 

पालमपुर हिमाचल प्रदेश राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो देवदार के जंगलों और चाय के बागानों से घिरा हुआ है। पालमपुर शहर में कई नदियाँ बहती हैं, इसीलिए यह शहर पानी और हरियाली के अद्भुत संगम के लिए भी जाना-जाता है। राजसी धौलाधार रेंजों के बीच स्थित पालमपुर अपने चाय बागानों और चाय की अच्छी गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

पालमपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये चाय के बागान प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। कई एकड़ भूमि में फैले हुए ये चाय के बागान इस क्षेत्र के अनेक स्थानीय लोगों की जीविका का साधन हैं।

जहां तक नजर जाए वहां तक चाय ही चाय, बागान ही बागान। चाय बागान का प्रारंभ 19 वीं सदी के मध्य में डॉ. जेमिसन, जो  उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक थे, के द्वारा किया गया। चाय के बागानों की ख्‍याति के कारण पालमपुर का नाम अंतर्राष्‍ट्रीय नक्‍शे में 1883 में शामिल किया गया। यहां पर पैदा होने वाली चाय की किस्‍म कांगड़ा चाय सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध है। यह चाय सिर्फ इसी इलाके में होती है और बाजार में दरबारी, बागेश्‍वरी, बहार और मल्‍हार के नाम से बेची जाती है। चाय के सभी ब्रांडों के नाम संगीत के राग पर आधारित हैं।

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

पालमपुर में चाय के बागान घूमने जाना पर्यटकों और प्रकृति प्रेमी के लिए बहुत खास होता है, फिर क्या था हम भी पहुँच गए चाय बागान।19 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में चाय बागानों की अवधारणा शुरू की गई थी, तब से यह स्थान अपनी विशेष चाय के लिए (विशेष रूप से कांगड़ा चाय के लिए) काफी प्रसिद्ध हो गया है। यहाँ की चाय की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि इसका 90 प्रतिशत देश के बाहर निर्यात किया जाता है। 

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

वाकई में यहाँ पहुंचकर मजा आ गया। जहाँ तक नजर जा रही थी वहाँ तक बागान नजर आ रहे थे, बिल्कुल एक बराबर। नजदीक जाने पर थोड़ा झाड़ियों की कटिंग कहीं कहीं इधर उधर दिख रहीं थी, वैसे तो बिल्कुल एक बराबर था। चाय बागान देखने का ये मेरा पहला मौका था, जो बेहद मजेदार रहा।

पालमपुर की सहकारी चाय फैक्ट्री – Palampur Cooperative Tea Factory 

पालमपुर सहकारी चाय फैक्ट्री, धर्मशाला की ओर जाने वाली सड़क के ठीक नीचे, पालमपुर तक स्थित है। यह कारखाना सभी चाय प्रेमियों के लिए चाय की पत्तियों की प्लकिंग, पिकिंग और प्रोसेसिंग की पूरी प्रक्रिया और इसके व्यावसायिक उत्पादन की बाद की प्रक्रिया को देखने का मौका भी देता है। पालमपुर सहकारी चाय फैक्ट्री भारत के टी - बोर्ड के मार्गदर्शन में संचालित और प्रबंधित की जाती है। अप्रैल और नवंबर के महीनों के बीच हर दिन लगभग 4,000 टन चाय का उत्पादन करने में सक्षम है। इस फैक्ट्री की यात्रा करना सच में एक अनूठा अनुभव है, जो बहुत सारी चीजें सीखने का मौका देता है। यहां पर पर्यटक चाय बनने की प्रक्रिया के बारे में जितने चाहें उतने सवाल पूछ सकते हैं।

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||


Tea Garden, Palampur

During Himachal tour we reached Palampur. There the local train runs on the hills. Our journey to Palampur happened by this train. Will also tell about this train, but today you go to the tea gardens of Palampur.

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

Palampur is one of the major tourist destinations in the state of Himachal Pradesh, which is surrounded by deodar forests and tea plantations. Many rivers flow in the city of Palampur, that is why this city is also known for the wonderful confluence of water and greenery. Situated amidst the majestic Dhauladhar ranges, Palampur is famous worldwide for its tea gardens and good quality of tea.

Tea plantations are a major attraction for tourists visiting Palampur. Spread over several acres of land, these tea gardens are the source of livelihood for many local people of the region.

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

As far as can be seen, tea is tea, garden is garden. The tea garden was started in the mid-19th century by Dr. Jameson, superintendent of the Botanical Gardens in the North-West Frontier Province. Due to the fame of tea gardens, the name of Palampur was included in the international map in 1883. Kangra tea is the most famous variety of tea grown here. This tea is grown only in this area and is sold in the market under the names of Darbari, Bageshwari, Bahar and Malhar. The names of all the brands of tea are based on the melody of the music.

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

Visiting the tea gardens in Palampur is very special for tourists and nature lovers, then what was we also reached the tea garden. The concept of tea gardens was started in this area in the 19th century, since then this place has its own special It has become quite famous for tea (especially for Kangra tea). The quality of tea here is so good that 90 percent of it is exported outside the country.

Really enjoyed being here. As far as I could see, the gardens were visible, exactly the same. On going closer, the cuttings of some bushes were visible somewhere here and there, although it was exactly the same. This was my first time to see the tea garden, which was very fun.

चाय बागान, पालमपुर || Chai Bagan, Palampur ||

Cooperative Tea Factory of Palampur – Palampur Cooperative Tea Factory

The Palampur Co-operative Tea Factory is located right down the road leading to Dharamsala, up to Palampur. The factory also provides an opportunity for all tea lovers to witness the entire process of plucking, picking and processing tea leaves and the subsequent process of its commercial production. Palampur Cooperative Tea Factory is operated and managed under the guidance of Tea Board of India. It is capable of producing around 4,000 tonnes of tea every day between the months of April and November. Visiting this factory is truly a unique experience, which gives a chance to learn a lot. Here tourists can ask as many questions as they want about the process of making tea.

इको पार्क, नूरपुर || Eco Park, Nurpur ||

 इको पार्क, नूरपुर

कांगड़ा घाटी के शिवालिक पहाड़ियों के निचले हिस्से में एक अलग ही प्रकार का इको पार्क है। यह पहाड़ियाँ से घिरा इको पार्क अपनी औषधीय जड़ी-बूटियों और झाड़ियों के कारण एक प्रमुख आकर्षण बन गई हैं।इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

YS Parmar Horticulture और Forestry University, Solan के बच्चों ने आकर वन विभाग द्वारा विकसित इस पार्क की जड़ी बूटियों, औषधीय पौधों, झाड़ियों और पेड़ों की स्थानीय प्रजातियों का अध्ययन किया था।

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

वन भूमि के जंगली और अन्य अप्रिय खरपतवारों को हटाकर विकसित किया गया, इको पार्क, सौर रोशनी, नव ग्रह, योग और बच्चों के वर्गों और 500 मीटर की पैदल यात्रा के साथ जुड़ी है। इसमें 50,000 लीटर क्षमता का वर्षा जल संचयन संरचना के साथ आत्मनिर्भर सिंचाई सुविधा भी प्रदान की गई है। 

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

इको पार्क के प्रवेश द्वार को बेल वाले फूलों से सजाया गया है। यहां पर स्थानीय रूप से उपलब्ध औषधीय और सुगंधित पौधों का विस्तार सराहनीय है, यहां से गुजरते हुए जिनका आनंद उठाया जा सकता है ।

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

नव गृह वाटिका में, विभिन्न वृक्ष प्रजातियों को दर्शाने वाले ग्रह ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार स्थित हैं। पार्क में 100 से अधिक प्रजातियों के पेड़, जड़ी-बूटियां, बांस, औषधीय, सुगंधित और अन्य आर्थिक मूल्य लगाए गए हैं। अधिकांश प्रजातियों के पौधे इस क्षेत्र की मूल निवासी हैं। पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग से कुछ गज की दूरी पर स्थित यह पार्क ऐतिहासिक नूरपुर शहर का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

नूरपुर संभागीय वनाधिकारी संजय सेन का कहना है कि वहां के लोगों ने औषधीय पौधों के संरक्षण और वनों के संरक्षण के लिए और जागरूकता फैलाने में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए इस इको पार्क को विकसित किया है। संजय सेन का कहना है कि महत्वपूर्ण औषधीय और सुगंधित पौधों के संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने और वन संपदा के बारे में जन जागरूकता के उद्देश्य से की गई थी। 

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

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Eco Park, Nurpur

There is a different type of eco park in the lower part of Shivalik hills of Kangra valley. This hilly eco park has become a major attraction due to its medicinal herbs and shrubs.

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

Children from YS Parmar Horticulture and Forestry University, Solan came and studied the local species of herbs, medicinal plants, shrubs and trees of this park developed by the Forest Department.

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

Developed by removing wild and other unpleasant weeds of forest land, the Eco Park is associated with solar lights, Nava Graha, yoga and children's classes and a 500-metre walking tour. It has also provided self-sustaining irrigation facility with rain water harvesting structure of 50,000 liters capacity. The entrance of Eco Park is decorated with vine flowers. The range of locally available medicinal and aromatic plants is commendable, which can be enjoyed while passing through.

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

In Nava Griha Vatika, planets representing different tree species are located according to astrological beliefs. More than 100 species of trees, herbs, bamboos, medicinal, aromatic and other economic value have been planted in the park. Most of the species of plants are native to the region. Located a few yards away from the Pathankot-Mandi National Highway, this park offers a panoramic view of the historic Nurpur city.

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||

Nurpur Divisional Forest Officer Sanjay Sen says that the people there have developed this eco park to play their constructive role in spreading awareness for the conservation of medicinal plants and forests. Sanjay Sen says that it was done with the aim of conserving important medicinal and aromatic plants and promoting tourism and public awareness about forest wealth.

इको पार्क, नूरपुर  || Eco Park, Nurpur ||