कांगड़ा घाटी रेलवे, हिमाचल
चलिए आज आपको लिए चलते हैं टॉय रेल के सफर पर, जिसे यहाँ के स्थानीय लोग छोटी ट्रैन कहते हैं। इस ट्रेन में सफर करने का एक अलग अनुभव रहा। ट्रेन आने के पहले या कहिये की ट्रेन के इंतजार में हमलोग वहाँ पिक क्लिक कर रहे थे। ट्रेन की पटरियाँ भी पतली थीं, जो हमलोगों के लिए बिल्कुल नया था।
कहीं तो यह ट्रेन सिर्फ पुल से होकर गुजर रहा था ता कभी सुरंग से। कांगड़ा घाटी रेलवे, भारत में और हेरिटेज टॉय ट्रेन है। ये ट्रेन पठानकोट और जोगिंदरनगर के बीच चलती है। विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल ये टॉय ट्रेन तेज नहरों, पालमपुर के कई पुलों और चाय बागानों से होकर गुजरती है। इस सफर में धौलाधार रेंज के कई खूबसूरत नजारे देखने को मिले।
हालांकि जब हमलोग नूरपुर स्टेशन से ट्रेन में चढ़े तब ट्रेन पूरी यात्रियों से भरी थी और लगभग सभी यात्री ज्वाला माता मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, कांगड़ा देवी माँ मंदिर के जाने वाले थे, जिनके बीच हम पालमपुर चाय बागान वाले थे। ट्रेन में चढ़ने बाद हमें बैठने की जगह नहीं मिली, पर किस्मत अच्छी थी कि अगले स्टेशन पर यात्री उतरे और हमलोगों को बैठने की जगह मिली और हमलोग पालमपुर बड़े आराम से पहुँच गए। पर मजे की बात ये रही कि जहाँ सुबह यह ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरा था वहीं शाम को लौटते वक़्त यह बिल्कुल ही खाली था।
खैर, आगे बढ़ते हैं बात करते हैं इस ट्रेन की। मई 1926 में इस रेलवे लाइन की योजना बनाई गई थी और 1929 में चालू की गई थी। इस लाइन की दो सुरंगें हैं, जिनमें से एक 250 फीट (76 मीटर) और दूसरी 1,000 फीट (300 मीटर) लंबाई की है। इस नैरो गेज लाइन की ट्रेनों को ब्रॉड गेज मेन लाइन की तुलना में छोटे और कम शक्तिशाली इंजन द्वारा खींचा जाता है, इसलिए खड़ी चढ़ाई से बचना पड़ता था। लेकिन सीधे रास्ते पर पहाड़ों के माध्यम से महंगा उबाऊ होने के बजाय, दक्षिण की ओर बहुत लंबा दांया रास्ता चुना गया था जो कि कोमल ढलान की अनुमति देता था। इस टॉय ट्रेन की अधिकतम स्पीड 40 km / hour है। इस ट्रेन का किराया बहुत ही कम है।
English Translate
Kangra Valley Railway, Himachal
Let us take you today on the journey of the toy rail, which the local people call the small train. Traveling in this train was a different experience. Before the arrival of the train or say that we were clicking the pickup there while waiting for the train. The train tracks were also thin, which was completely new to us.
Somewhere this train was passing only through the bridge or sometimes through the tunnel. Another heritage toy train in Kangra Valley Railway, India. This train runs between Pathankot and Jogindernagar. Included in the list of World Heritage Site, this toy train passes through fast canals, many bridges of Palampur and tea gardens. Many beautiful views of the Dhauladhar range were seen in this journey.
However, when we boarded the train from Nurpur station, the train was full of passengers and almost all the passengers were going to Jwala Mata Mandir, Chamunda Devi Temple, Kangra Devi Maa Mandir, among which we were the Palampur tea gardeners. After boarding the train, we could not find a place to sit, but luckily the passengers got down at the next station and we got a place to sit and we reached Palampur very comfortably. But the interesting thing was that while this train was full of passengers in the morning, it was completely empty while returning in the evening.
Well, let's go ahead let's talk about this train. This railway line was planned in May 1926 and commissioned in 1929. The line has two tunnels, one of 250 feet (76 m) and the other 1,000 feet (300 m) in length. Trains on this narrow gauge line are pulled by smaller and less powerful engines than those on the broad gauge main line, so steep climbs had to be avoided. But instead of boring expensively through the mountains on a straight path, a much longer right-of-way to the south was chosen that allowed a gentle slope. The maximum speed of this toy train is 40 km / h. The fare of this train is very less.
लो आप टांय ट्रेन में चढी और उनका नुकसान हो गया कितनी दुख की बात है
ReplyDeleteनुकसान क्या हुआ?
Deleteआप की वजह से ट्रेन खाली आई 😏😏😏
Deleteमेरी वजह से थोड़ी हुआ, उनका स्टेशन आ गया इसलिए हुआ
Deleteटॉय ट्रेन का भी अपना अलग ही मजा है। निश्चित ही आपकी यह यात्रा यादगार होगी।
ReplyDeleteयाद गार सफर रहा आप का हिमाचल का आप की हर पोस्ट से एक नया अनुभव रहा
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌
ReplyDeleteबेहद रोचक और सुंदर 👌🏻
ReplyDeleteWow 👌
ReplyDeleteटाय ट्रेन का अपना अलग ही मजा होगा...चार डिब्बों और,40किमी की स्पीड वाली ट्रेन.. बच्चों को खूब पसंद आया होगा😄😄
ReplyDeleteBadhiya, pratyaksh jaisa
ReplyDeleteअति रोमांचक
ReplyDeleteघूमने जाना चाहे गर देश-विदेश
ReplyDeleteपर देखना जरूर हिमाचल प्रदेश
रूपा ओस की बूंद के ब्लॉग पर
हिमाचल प्रदेश-जानकारी विशेष
क्या गजब सारे बेहतरीन नजारे
बेहद खूबसूरत ये खुली वादियाँ
कहीं है पक्षियों की चहचहाहट
कहीं पर कलकल बहती नदियाँ
इस प्रदेश का अलग ही मजा है
नहीं घूमने गये समझो सजा है
काश एक बार मैं घूमकर आऊं
मेरे इस दिल की भी यही रजा है
नदी देखो बांध और सागर देखो
कई सारे मंदिर-खुले मैदान देखो
मिनी स्विट्जरलैंड है खज्जियार
चिड़ियाघर चाय के बागान देखो
धर्मशाला स्काईवे,झरने और घाटी
धार्मिक स्थलों की यह है परिपाटी
हिमाचल प्रदेश के यारों क्या कहने
विश्व प्रसिद्ध यहाँ की पावन माटी
कांगड़ा में स्थित नूरपुर का किला
देखकर हर दृश्य मन-फूल खिला
सैर करके पूरे हिमाचल प्रदेश की
मन को हमारे बहुत सुकून मिला
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
वाकई बहुत खूबसूरत तस्वीरें है रूपा जी😊👌🏻🌹
ReplyDeleteबहुत अच्छा स्थान है कांगड़ा, इस जगह का अखरोट बहुत प्रसिद्ध है शायद
ReplyDeletePuraani yaade tajakar diya aapne👍👍
ReplyDeleteWonderful all pics👌👌👌👌
ReplyDeleteहिमाचल प्रदेश के पालम में स्थित चाय बागान काअद्भुत दृश्य।
ReplyDeleteवाकई हिम का अन्चल है हिमांचल
ReplyDeleteVery nice place...
ReplyDeleteअनुभव साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteNiçe blog👌👌
ReplyDeleteAwsm
ReplyDeleteGreat photos. Blessings for all of your family
ReplyDeleteBahut hi achchhi anubhuti ho rahi hai.
ReplyDeleteVery nice
ReplyDelete