चाय बागान, पालमपुर
हिमाचल यात्रा के दौरान हम पहुंचे पालमपुर (Palampur)। वहाँ पहाड़ियों पर लोकल ट्रेन चलती है। पालमपुर (Palampur) की हमारी यात्रा इसी ट्रेन से हुई। इस ट्रेन के बारे में भी बताएंगे, पर आज आपको पालमपुर के चाय बागान लिए चलते हैं।
पालमपुर हिमाचल प्रदेश राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो देवदार के जंगलों और चाय के बागानों से घिरा हुआ है। पालमपुर शहर में कई नदियाँ बहती हैं, इसीलिए यह शहर पानी और हरियाली के अद्भुत संगम के लिए भी जाना-जाता है। राजसी धौलाधार रेंजों के बीच स्थित पालमपुर अपने चाय बागानों और चाय की अच्छी गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
पालमपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये चाय के बागान प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। कई एकड़ भूमि में फैले हुए ये चाय के बागान इस क्षेत्र के अनेक स्थानीय लोगों की जीविका का साधन हैं।
जहां तक नजर जाए वहां तक चाय ही चाय, बागान ही बागान। चाय बागान का प्रारंभ 19 वीं सदी के मध्य में डॉ. जेमिसन, जो उत्तर - पश्चिम सीमांत प्रांत में बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक थे, के द्वारा किया गया। चाय के बागानों की ख्याति के कारण पालमपुर का नाम अंतर्राष्ट्रीय नक्शे में 1883 में शामिल किया गया। यहां पर पैदा होने वाली चाय की किस्म कांगड़ा चाय सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह चाय सिर्फ इसी इलाके में होती है और बाजार में दरबारी, बागेश्वरी, बहार और मल्हार के नाम से बेची जाती है। चाय के सभी ब्रांडों के नाम संगीत के राग पर आधारित हैं।
पालमपुर में चाय के बागान घूमने जाना पर्यटकों और प्रकृति प्रेमी के लिए बहुत खास होता है, फिर क्या था हम भी पहुँच गए चाय बागान।19 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में चाय बागानों की अवधारणा शुरू की गई थी, तब से यह स्थान अपनी विशेष चाय के लिए (विशेष रूप से कांगड़ा चाय के लिए) काफी प्रसिद्ध हो गया है। यहाँ की चाय की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि इसका 90 प्रतिशत देश के बाहर निर्यात किया जाता है।
वाकई में यहाँ पहुंचकर मजा आ गया। जहाँ तक नजर जा रही थी वहाँ तक बागान नजर आ रहे थे, बिल्कुल एक बराबर। नजदीक जाने पर थोड़ा झाड़ियों की कटिंग कहीं कहीं इधर उधर दिख रहीं थी, वैसे तो बिल्कुल एक बराबर था। चाय बागान देखने का ये मेरा पहला मौका था, जो बेहद मजेदार रहा।
पालमपुर की सहकारी चाय फैक्ट्री – Palampur Cooperative Tea Factory
पालमपुर सहकारी चाय फैक्ट्री, धर्मशाला की ओर जाने वाली सड़क के ठीक नीचे, पालमपुर तक स्थित है। यह कारखाना सभी चाय प्रेमियों के लिए चाय की पत्तियों की प्लकिंग, पिकिंग और प्रोसेसिंग की पूरी प्रक्रिया और इसके व्यावसायिक उत्पादन की बाद की प्रक्रिया को देखने का मौका भी देता है। पालमपुर सहकारी चाय फैक्ट्री भारत के टी - बोर्ड के मार्गदर्शन में संचालित और प्रबंधित की जाती है। अप्रैल और नवंबर के महीनों के बीच हर दिन लगभग 4,000 टन चाय का उत्पादन करने में सक्षम है। इस फैक्ट्री की यात्रा करना सच में एक अनूठा अनुभव है, जो बहुत सारी चीजें सीखने का मौका देता है। यहां पर पर्यटक चाय बनने की प्रक्रिया के बारे में जितने चाहें उतने सवाल पूछ सकते हैं।
Tea Garden, Palampur
During Himachal tour we reached Palampur. There the local train runs on the hills. Our journey to Palampur happened by this train. Will also tell about this train, but today you go to the tea gardens of Palampur.
Palampur is one of the major tourist destinations in the state of Himachal Pradesh, which is surrounded by deodar forests and tea plantations. Many rivers flow in the city of Palampur, that is why this city is also known for the wonderful confluence of water and greenery. Situated amidst the majestic Dhauladhar ranges, Palampur is famous worldwide for its tea gardens and good quality of tea.
Tea plantations are a major attraction for tourists visiting Palampur. Spread over several acres of land, these tea gardens are the source of livelihood for many local people of the region.
As far as can be seen, tea is tea, garden is garden. The tea garden was started in the mid-19th century by Dr. Jameson, superintendent of the Botanical Gardens in the North-West Frontier Province. Due to the fame of tea gardens, the name of Palampur was included in the international map in 1883. Kangra tea is the most famous variety of tea grown here. This tea is grown only in this area and is sold in the market under the names of Darbari, Bageshwari, Bahar and Malhar. The names of all the brands of tea are based on the melody of the music.
Visiting the tea gardens in Palampur is very special for tourists and nature lovers, then what was we also reached the tea garden. The concept of tea gardens was started in this area in the 19th century, since then this place has its own special It has become quite famous for tea (especially for Kangra tea). The quality of tea here is so good that 90 percent of it is exported outside the country.
Really enjoyed being here. As far as I could see, the gardens were visible, exactly the same. On going closer, the cuttings of some bushes were visible somewhere here and there, although it was exactly the same. This was my first time to see the tea garden, which was very fun.
Cooperative Tea Factory of Palampur – Palampur Cooperative Tea Factory
The Palampur Co-operative Tea Factory is located right down the road leading to Dharamsala, up to Palampur. The factory also provides an opportunity for all tea lovers to witness the entire process of plucking, picking and processing tea leaves and the subsequent process of its commercial production. Palampur Cooperative Tea Factory is operated and managed under the guidance of Tea Board of India. It is capable of producing around 4,000 tonnes of tea every day between the months of April and November. Visiting this factory is truly a unique experience, which gives a chance to learn a lot. Here tourists can ask as many questions as they want about the process of making tea.
Chaipatti le aana tha na wha se
ReplyDeleteहां, ये गड़बड़ हो गया...चायपत्ती लाए नहीं😄
Deleteशायद यही जगह है जहां पर राजा हिंदुस्तानी मूवी की शूटिंग हुई थी
ReplyDeleteनहीं जी, राजा हिंदुस्तानी की शूटिंग पालनखेत, उत्तराखंड में हुई थी
Deleteबहुत सुंदर जगह है देवस्थल है
ReplyDeleteक्या बात है कुछ लाना था ना यहाँ से ☺️🥰👍
ReplyDeleteहां, ये तो सोंचा ही नहीं न, घूमने में ही मशगूल हो गए
Delete🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteक्या बात है रूपा जी वाकई बहुत ही खूबसूरत नजारा है इस जगह का क्या आपने वहां पर चाय ☕ पिया था?
ReplyDeleteहां पटेल जी, चाय तो पी लिए थे, पर चायपत्ती खरीद के नहीं लाए
DeleteBahut Khoobsoorat.
ReplyDeleteबहुत अच्छा
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice information...
ReplyDeleteVery informative.
ReplyDeletevery nice information
ReplyDeleteरूपा जी आपने हिमाचल प्रदेश की
ReplyDeleteइतनी सारी खूबियों का बखान किया है
और बैठे-बैठे हमें इन नजारों का लुफ्त
उठाने का मौका दिया🥰
समझ में नहीं आ रहा कहां से लिखना
शुरू करो और कहां पर खत्म करूँ📝🤔
🙏आपका धन्यवाद एवं आभार🙏
👌इतनी सारी जानकारी देने के लिए👌
#अद्भुत_ब्लॉग
आपको लिखने में कबसे इतना सोचना पड़ रहा, जिसके पास हर बात को काव्य में पिरोने की कला है..
Deleteधन्यवाद😊
घूमने जाना चाहे गर देश-विदेश
ReplyDeleteपर देखना जरूर हिमाचल प्रदेश
रूपा ओस की बूंद के ब्लॉग पर
हिमाचल प्रदेश-जानकारी विशेष
क्या गजब सारे बेहतरीन नजारे
बेहद खूबसूरत ये खुली वादियाँ
कहीं है पक्षियों की चहचहाहट
कहीं पर कलकल बहती नदियाँ
इस प्रदेश का अलग ही मजा है
नहीं घूमने गये समझो सजा है
काश एक बार मैं घूमकर आऊं
मेरे इस दिल की भी यही रजा है
नदी देखो बांध और सागर देखो
कई सारे मंदिर-खुले मैदान देखो
मिनी स्विट्जरलैंड है खज्जियार
चिड़ियाघर चाय के बागान देखो
धर्मशाला स्काईवे,झरने और घाटी
धार्मिक स्थलों की यह है परिपाटी
हिमाचल प्रदेश के यारों क्या कहने
विश्व प्रसिद्ध यहाँ की पावन माटी
कांगड़ा में स्थित नूरपुर का किला
देखकर हर दृश्य मन-फूल खिला
सैर करके पूरे हिमाचल प्रदेश की
मन को हमारे बहुत सुकून मिला
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
चाय बागान की सैर वास्तव में अविस्मरणीय होगी।
ReplyDeleteचाय बगान माली को कोई सूचित करो कही चाय का पौधा गायब न हो जाए
ReplyDeleteजल्दी करो
Deleteबहुत रोचक रहा प्रोग्राम 👍
ReplyDeleteWahhh
ReplyDeleteA great trip. I wish you wonderful days.
ReplyDeleteThank you 😊
DeleteNice
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