ओस की बूंद (Os ki boond)

ओस की बूंद (Os ki boond)

Rupa
❤️ओस की बूंद की तरह इतरा कर चमक उठे हम, तुम्हारी चकाचौंध में.. 
तुम सूर्य जैसे चमकते रहे.. 
तुम्हारे ताप से मुस्कुराते हुए मिट गए हम चुपचाप से 
किसी के सबब आई लबों पर मुस्कान कोई 
याद आ गई मुझे ओस गुमनाम कोई..💧

"ओस की बूंद"

हरी हरी दूब पर 
ओस की बूंदें  
अभी थी, 
अभी नहीं है..
ऐसी खुशियां, 
जो हमेशा हमारा साथ दें 
कभी नहीं थी, 
कभी नहीं हैं ..
 
क्काँयर की कोख से 
फूटा बाल सूर्य 
जब पूरब की गोद में 
पांव फैलाने लगा.. 
तो मेरी बगीची का 
पत्ता -पत्ता जगमगाने लगा 
मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूं 
या उसके ताप से भाप बनी 
ओस की बूंदों को ढूंढूँ ?

सूर्य एक सत्य है 
जिसे झूठलाया नहीं जा सकता, 
मगर ओस भी तो एक सच्चाई है ..
यह बात अलग है कि ओस छणिक है 
क्यों ना मैं छन छन को जिऊँ ?
कण कण में बिखरे सौंदर्य को पिऊं ? 

सूर्य तो फिर भी उगेगा, 
धूप तो फिर भी खिलेगी.. 
लेकिन मेरी बगीची की हरी - हरी दूब पर 
"ओस की बूंद" हर मौसम में नहीं मिलेगी..

"अटल बिहारी बाजपेयी" 
Sunday ~ Rose
❤️कोमल धूप का स्पर्श मिला जब, महक उठी जमीन सारी 
कलियां लग गई खिलने, पक्षी लगे पहचाने 
ओस की बूंदे उड़ने लगी तब..💧

इस ब्लॉग के माध्यम से "आयुर्वेद" के अमृतमय ज्ञान को, जिसे हम लोगों ने अपनी भागमभाग लाइफ स्टाइल के कारण विस्मृत कर दिया है, आप सब के मध्य पहुँचाने का प्रयास किया है।

सदियों से हमारी "समृद्ध भारतीय सभ्यता और संस्कृति" अखिल विश्व के आकर्षण का केंद्र रही है। हमारी संस्कृति की माला में अनगिनत बेशकीमती मोती हैं, जिसमे से एक है हमारे देश के प्राचीन मंदिर और उनकी वास्तु कला तथा स्थापत्य कला। 

ब्लॉग में प्रत्येक गुरुवार को मनोरंजन के साथ - साथ ज्ञान वर्धन के लिए "अकबर - बीरबल" के किस्से को भी आप सभी ने हाथों हाथ लिया। वास्तव में ये किस्से कभी पुराने नहीं होते। 

हर शनिवार को "जातक कथा" को पढ़ने की उत्सुकता मुझे बहुत प्रेरणा देती है। इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएं हैं और हर कथाओं के माध्यम से कोई ना कोई संदेश दिया गया है। जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का भाग हैं। 

आप में से ही कुछ मित्रों के आग्रह पर कुछ दिन पहले शुरू हुआ "अमेजिंग फैक्ट्स" - "अद्भुत संसार" को भी व्यापक समर्थन मिला है। 

अकबर बीरबल की ही तरह "तेनालीरमन" के किस्से भी हमारा मनोरंजन करने के साथ साथ शिक्षाप्रद भी होते हैं, जो मुश्किल से मुश्किल परेशानियों से आसानी से बाहर निकलने का मार्ग दिखती हैं। 

कुछ कविता की पंक्तियों के साथ "इतवार" की पोस्ट को भी पसंदीदा बनाने का प्रयास रहता है। यह ब्लॉग भी सुबह की चाय की तरह ही आप में से बहुत से लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन गया है और मेरे जीवन का तो अभिन्न हिस्सा बन ही चुका है। 
ब्लॉग से जुड़े सभी सदस्यों को मेरा सहयोग करने तथा उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 😊😊🙏

40 comments:

  1. चो चोराहे पे लुटता चीर
    प्यादे से पिट गया बंदूक़
    बाज़ी चलूँ आख़िरी चाल के बाज़ी
    छोड़ बिररक्ति रचाए मै
    राह कौन सी जाऊँ मैं ; अटल बिहारी वाजपेयी
    कविता “संवेदना “

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

  5. Jaswant NiralaAugust 8, 2021 at 10:43 AM
    जब हस्तिनापुर की भरी सभा मै
    द्रोप्दी का वस्त्र हरंण हुआ और
    जब भरी लोकसभ सदन मै मात्र
    1 वोट से सरकार अल्पमत मै आकर
    जब अटल सरकार गिरी
    तब जागा कवि और
    लिख दी ये अटल कविता

    “ चोराहे पे लुटता चीर।
    प्यादे से पिट गया बजीर ।
    बाज़ी चलूँ आख़िरी चाल के बाज़ी ।
    छोड़ बिररक्ति रचाऊ मै ।
    राह कौन सी जाऊँ मैं ; अटल बिहारी वाजपेयी ।
    कविता “संवेदना “

    वहा भरी सदन मै द्रोप्दी का चीर हरण हुआ था
    यहा भरी सदन मै लोकतंत्र का चीर हरण हुआ था
    वहा जगह बजीर धृतराष्ट्र देखता रह गये
    यहा सदन मै बजीर अटल देखता रह गये
    वहा हस्धृतिनापुर मै धृतराष्ट्र बजीर थे
    यहा दिल्ली की सदन मै “अटल” बजीर थे
    वो द्वापरयुग था
    ये कलयुग है

    ReplyDelete
    Replies
    1. सर जी अटल जी चिल्लाते रहे। अपनी आत्मा की आवाज पर वोट दो। पर किसी भी ने भी सुना।

      Delete
  6. इतवार को खुशनुमा बनाती सारगर्भित कविता के साथ प्यारी सी तस्वीर👌👌🌹🌹

    ब्लॉग का कोई भी पार्ट हो सब बढ़िया है.. चाहे वह आयुर्वेद और पेड़ पौधों से अवगत कराना हो या अपनी भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों से। मन को गुदगुदाने वाली और मूड फ्रेशनर का काम करती हैं अकबर बीरबल और तेनालीराम की कहानियां। अमेजिंग फैक्ट्स से तो कई नई जानकारियां मिली जो आपके ब्लॉग के माध्यम से पहली बार पढ़ा और जाना। आपके सारे टॉपिक्स के चुनाव शानदार है, जिसमें इतवार का पोस्ट चार चांद लगाता। आप ऐसे ही दिन प्रतिदिन तरक्की करें। बहुत सारी शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  7. वाह रूपा..बहुत सुंदर..👌👌वैसे तो इस ब्लॉग के सारे अंक ही रोचक और ज्ञानवर्धक हैं, पर इन सबमें इतवार का ब्लॉग तुम्हारी मौजूदगी से ज्यादा खूबसूरत हो जाता। इसके साथ अमेजिंग फैक्ट्स ज्यादा मजा आता पढ़ने में, जिसमें नई नई जानकारियां ढूंढ ढूंढ के लाती हो। इस अंक में बहुत सी ऐसी पोस्ट है, जिसके बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। नई नई जानकारियों को हम तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद।

    तुम्हारा ब्लॉग दिन दूना रात चौगुना तरक्की करे। ढेरों शुभकामनाएं 🤗🤗

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर रचना है शुक्रिया

    ReplyDelete
  9. शानदार, जबरदस्त,बढ़िया, awesome 💕
    👏👏🙏🏻

    ReplyDelete
  10. रविवार को और भी अधिक खुशनुमा बनाती सारगर्भित कविता
    शुभ रविवार।

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. If possible, write an English translation on the blog post. Doesn't take automatic translate here

      Delete
  12. Happy Sunday. I send a smile.

    ReplyDelete
  13. यूं ही मुस्कराया करो,फिलफौर कभी कभी
    शायद आपकी मुस्कुराहटों से किसी की जान अटकी हो

    ReplyDelete
  14. मेम,आप बहुत अच्छा लिखते हैं। पढ़ते पढ़ते मन विच्छरमुग्ध हो जाता। पता ही नहीं चलता है की लेखनशैली की सुंदरता। है या विषयवस्तु की विशेषता है या लेखनशैली की। बहुत सुंदर।

    ReplyDelete